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Internet cookies in Hindi: इंटरनेट कुकीज क्या हैं तथा क्यों आवश्यक हैं?

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क्या आपके साथ कभी हुआ है कि, आपने इंटरनेट पर किसी वस्तु या सेवा के बारे में सर्च किया हो और उसके बाद आपको उसी उत्पाद से जुड़े विज्ञापन दिखाई देने लगे हों। आपका जवाब शायद हाँ होगा क्योंकि तकरीबन सभी लोगों के साथ यह होता है, इसके पीछे एक टेक्नोलॉजी काम करती है जिसे कुकीज (Cookies) कहा जाता है।

अब तक शायद आपको केवल खाने वाली कुकीज के बारे में ही पता हो, लेकिन आज हम एक नए प्रकार की कुकीज से आपको रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं, जिसे इंटरनेट कुकीज (Internet Cookies) भी कहा जाता है। यह हमारे लिए इतनी ही जरूरी है जितनी की खाने वाली कुकीज। कुकीज इंटरनेट इस्तेमाल करने के हमारे अनुभव को बेहद आसान बना देती है, दूसरे शब्दों में यदि कुकीज ना हो तो इंटरनेट इस्तेमाल करना हम सभी के लिए एक पेचीदा काम बन जाएगा।

वेब (Web) की कार्यप्रणाली

इंटरनेट कुकीज़ (Internet cookies) को समझने से पहले वेब की कार्यप्रणाली को समझना आवश्यक है। हम सभी दिन भर में हम अलग-अलग कार्यों हेतु सैकड़ों की संख्या में वेबसाइट खोलते हैं। किसी वेबसाइट पर हमारे द्वारा किसी वेब पेज को खोलने की रिक्वेस्ट उस वेबसाइट के सर्वर तक जाती है और सर्वर द्वारा आवश्यक सूचना हमारे कंप्यूटर या स्मार्टफोन स्क्रीन पर दिखाई जाती है।

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सर्वर द्वारा हम तक सूचना पहुँचाने के बाद हमारे कंप्यूटर तथा उस सर्वर के मध्य संपर्क टूट जाता है। अतः जब हम उसी वेबसाइट में कोई दूसरा पेज खोलने के लिए क्लिक करते हैं, तो उस पेज को खोलने की एक नई रिक्वेस्ट सर्वर तक जाती है तथा सर्वर को इस बात की जानकारी नहीं होती कि, आपने पूर्व में क्या निवेदन किया था अथवा कौन सा पेज देखा था।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं यदि आप फ़ेसबुक पर अपने मित्र की प्रोफ़ाइल देखना चाहते हैं, तो आपको अपने फ़ेसबुक एकाउंट में लॉगिन करने की आवश्यकता होगी। आपके द्वारा लॉगिन करने का निवेदन फ़ेसबुक के सर्वर तक जाएगा तथा आपकी पहचान सत्यापित हो जाने पर कंप्यूटर स्क्रीन में आपकी फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल दिखाई देगी।

किन्तु जब आप अपने मित्र की प्रोफ़ाइल में जाने का प्रयास करेंगे तो वह फ़ेसबुक सर्वर के लिए एक नई रिक्वेस्ट होगी और जैसा की हमनें ऊपर बताया सर्वर को इस बात की जानकारी नहीं होती कि, आपने पूर्व में क्या निवेदन किया था लिहाजा आपके नए निवेदन करने पर फ़ेसबुक द्वारा आपसे पुनः अपनी पहचान सत्यापित करने को कहा जाएगा।

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इस प्रकार आपके द्वारा फ़ेसबुक पर किए जाने वाले प्रत्येक निवेदन के लिए आपको बार-बार अपनी पहचान सत्यापित करने या लॉगिन करने की आवश्यकता होगी और ऐसे में किसी भी व्यक्ति के लिए फ़ेसबुक इस्तेमाल करना बहुत मुश्किल होगा। हम जानते हैं वास्तविकता में ऐसा नहीं होता है हम केवल एक बार अपने फ़ेसबुक, जीमेल, याहू आदि खातों में लॉगिन करते हैं तथा लॉगआउट न करने तक हमें दुबारा लॉग इन करने की आवश्यकता नहीं होती।

बता दें कि, यह 1994 से पूर्व संभव नहीं था। साल 1994 में वेब ब्राउजर डेवेलपर Lou Montulli द्वारा इंटरनेट कुकीज (Internet Cookies) का आविष्कार किया गया, जिससे वेब को एक याद्दाश्त या मेमोरी मिली।

इंटरनेट कुकीज क्या हैं?

कुकीज डेटा का एक पैकेट होता है, जिसे कोई वेबसाइट आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन में वेब ब्राउजर के माध्यम से स्टोर करती है। इस पैकेट में उस वेबसाइट को खोलने से बंद करने के दौरान आपके द्वारा की गई प्रत्येक गतिविधि की जानकारी दर्ज होती है। डेटा से एक सुरक्षा कुंजी भी संलग्न होती है, जिसकी सहायता से इस पैकेट में उपलब्ध डेटा को केवल वही वेबसाइट देख या पढ़ सकती है, जिसके द्वारा इसे स्टोर किया गया है।

जब आप पहली बार फ़ेसबुक लॉगिन करते हैं, तो फ़ेसबुक द्वारा आपके कंप्यूटर में कुकीज फ़ाइल स्टोर कर दी जाती है, जो फ़ेसबुक के सर्वर को यह याद रखने में मदद करती है कि, उस कंप्यूटर द्वारा आने वाला प्रत्येक निवेदन आपके द्वारा किया गया है, जिसके लिए आप पूर्व में अपनी पहचान सत्यापित कर चुके हैं और आपको बार-बार लॉगिन करने की आवश्यकता नहीं होती।

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यह भी पढ़ें : डीप फेक क्या है तथा इसके क्या-क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

फ़ेसबुक, गूगल, आदि की तरह अनेक वेबसाइट कुकीज (Internet Cookies) स्टोर करती हैं। अधिकांश वेबसाइट अपने उपयोगकर्ताओं के व्यवहार को समझने के लिए कुकीज का प्रयोग करती हैं, ताकि उनके अनुभव को बेहतर बनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर किसी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट द्वारा कुकीज स्टोर की जाती हैं ताकि आपको आपके लिए उपयुक्त उत्पादों के सुझाव दिखाए जा सकें तथा आपके ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट में मौजूद वस्तुएं कार्ट में सुरक्षित रहें।

इसके अतिरिक्त यदि आप किसी वेबसाइट को उस वेबसाइट की मुख्य भाषा के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में देखना पसंद करते हैं, तो अगली बार आपके उस वेबसाइट पर विजिट करने पर वह वेबसाइट पूर्व में स्टोर की गई कुकीज फ़ाइल (Internet Cookies) की मदद से स्वतः आपकी मनपसंद भाषा में अनुवादित (Translate) हो जाती है।

फर्स्ट पार्टी कुकीज एवं थर्ड पार्टी कुकीज

यदि आप किसी वेबसाइट a.com पर विजिट करते हैं, तो उस वेबसाइट द्वारा बनाई गई कुकीज फ़ाइल सेम साइट कुकीज या फर्स्ट पार्टी कुकीज (First Party Cookies) कहलाती हैं। वहीं यदि आप a.com पर विजिट कर रहे हैं तथा किसी अन्य वेबसाइट b.com द्वारा आपके कंप्यूटर में कुकीज स्टोर की जाती हैं, तो उसे थर्ड पार्टी कुकीज (Third Party cookies) कहा जाता है।

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थर्ड पार्टी कुकीज का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट में लोगों की गतिविधियों को ट्रैक कर उस डेटा को विज्ञापन दिखाने वाली कंपनियों को बेचना होता है, जिससे लोगों को उनके व्यवहार के अनुरूप विज्ञापन दिखाए जा सकें। यही कारण है कि, आपके द्वारा इंटरनेट पर किसी विषय विशेष के बारे में खोजे जाने पर आपको उसी विषय से संबंधित विज्ञापन दिखाई देने लगते हैं।

कैसे स्टोर होती हैं थर्ड पार्टी कुकीज?

आइए अब देखते हैं थर्ड पार्टी कुकीज किस प्रकार स्टोर होती हैं। इसे पुनः एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है, मान लें आप अपने कंप्यूटर में फेसबुक एकाउंट लॉगिन करते हैं और इस स्थिति में फ़ेसबुक द्वारा आपके कंप्यूटर पर कुकीज फ़ाइल स्टोर कर ली जाती है। फ़ेसबुक इस्तेमाल करने के कुछ समय बाद आप एक अन्य वेबसाइट x.com पर जाते हैं तथा किसी विषय विशेष से संबंधित लेख पढ़ते हैं। 

किन्तु जब आप किसी लेख को उसके नीचे दिखाए गए फ़ेसबुक शेयर बटन की सहायता से फ़ेसबुक पर साझा करते हैं, तो फ़ेसबुक को अवसर मिल जाता है कि, वह आपके द्वारा x.com में की गई गतिविधि की कुकीज फ़ाइल बनाकर आपके ब्राउजर में स्टोर कर दे। चूँकि फ़ेसबुक पूर्व में बनाई गई कुकीज के कारण आपके ब्राउजर को पहचानता है अतः अब फ़ेसबुक को इस बात की जानकारी है कि, आप ने x.com पर विजिट किया तथा आपको किसी विषय विशेष को पढ़ने में रुचि है।

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इस जानकारी की मदद से फ़ेसबुक आपको आपके विषय से संबंधित किताबों या पत्रिकाओं के विज्ञापन दिखाने लगता है। इस प्रकार किसी वेबसाइट में मौजूद सोशियल शेयर बटन, लाइव चैट पॉप-अप्स तथा वेबसाइट पर दिखाए जाने वाले अनेकों विज्ञापन थर्ड पार्टी कुकीज स्टोर करने का कार्य करते हैं।

कुकीज के फायदे, नुकसान एवं नियमन

जहाँ फर्स्ट पार्टी कुकीज के कई फायदे हैं वहीं थर्ड पार्टी कुकीज के कुछ नुकसान भी हैं। इसके प्रयोग से किसी उपयोगकर्ता की गतिविधियों पर नजर रखे जाने के बारे में हमनें ऊपर समझा। इसी को देखते हुए इसके संबंध में कुछ अंतर्राष्ट्रीय कानून भी बनाए गए हैं, जिनमें यूरोपीय संघ का GDPR (General Data Protection Regulation) तथा अमेरिकी सरकार द्वारा बनाया गया CCPA (California Consumer Privacy Act) मुख्य हैं।

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GDPR के अनुसार प्रत्येक वेबसाइट के लिए यह अनिवार्य है कि, वह अपने उपयोगकर्ताओं की कुकीज स्टोर करने से पहले उनसे अनुमति ले तथा स्टोर की जाने वाली कुकीज का किन कार्यों में उपयोग किया जाएगा यह भी स्पष्ट करे। यही कारण है कि, अधिकांश वेबसाइट्स को खोलने पर आपको कुकीज से संबंधित नोटिफिकेशन दिखाया जाता है।

Web cookies in Hindi
कुकीज स्टोर करने से संबंधित नोटिफिकेशन

अनचाही कुकीज से बचाव

आइए अब समझते हैं कैसे आप अपने ब्राउजर से अनचाही थर्ड पार्टी कुकीज को ब्लॉक कर सकते हैं। अधिकांश ब्राउजर जैसे गूगल क्रोम तथा मोज़िला आदि में सेटिंग में मौजूद Privacy and Security के विकल्प में जाकर इसे बंद किया जा सकता है।

disable third party cookies
थर्ड पार्टी कुकीज को बंद करने से संबंधित विकल्प

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उम्मीद है दोस्तो आपको ये लेख (Internet cookies in Hindi) पसंद आया होगा टिप्पणी कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशियल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें।

2 Comments

  1. आज से पहले कुकीज़ के बारे मे कोई जानकारी नही थी पर आज इस आर्टिकल को पढ़ कर बहुत कुछ जानने को मिला और कैसे सतर्क रहना वह भी समझ आया। आप उन चीजों पर लेख लिखते हैं जो आजकल बहुत कॉमन हैं लेकिन लोगो को उनके बारे मे कोई जानकारी नही होती।
    काफी इंफोर्मेटिव आपका यह पेज!

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