भारत के विभिन्न सशस्त्र बल एवं उनके कार्य (Armed Forces Of India in Hindi)

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सशस्त्र बल (Armed Forces in Hindi)

राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी देश के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। इसी को ध्यान में रखते हुए कोई भी देश सुरक्षा बलों की स्थापना करता है। किसी भी मोर्चे पर भारत की सुरक्षा के साथ किसी प्रकार का समझौता न हो इसी को देखते हुए भारत में भी विभिन्न सुरक्षा बलों की स्थापना की गई है, जिनमें प्रत्येक बल को किसी क्षेत्र विशेष की सुरक्षा के लिहाज से स्थापित किया गया है। भारत के मुख्य सुरक्षा बलों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल Central Armed Police Forces (CAPF), स्पेशल फोर्स आदि शामिल हैं। आइये इन सुरक्षा बलों के इतिहास तथा कार्यक्षेत्र के बारे में विस्तार से समझते हैं।

केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Force)

केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) गृह मंत्रालय के अधीन एक सेवा है। इसके अंतर्गत वर्तमान में 7 सशस्त्र बल शामिल है, जिनमें सीमा सुरक्षा बल, महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा हेतु बल, आतंकवाद विरोधी बल आदि शामिल हैं इनके बारे में नीचे विस्तार से समझाया गया है।

Central Reserve Police Force (CRPF)

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल देश के सबसे पुराने तथा बड़े सुरक्षा बलों में एक है। इसकी स्थापना जुलाई 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में की गई, जिसे 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के अधिनियमित होने पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का नाम दिया गया। तब इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत की तात्कालिक देशी रियासतों में फैली राजनीतिक अशान्ति को कम करके कानून व्यववस्था को बनाए रखना था।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल आंतरिक सुरक्षा के लिए भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। इसका मिशन सरकार को कानून तथा सार्वजनिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के शासन को प्रभावी ढंग से बनाए रखना, राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखना और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखते हुए सामाजिक सद्भाव और विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाना है। 

Center Industrial security Force (CISF)

CISF की शुरुआत 1969 में की गई। इसकी शुरुआत के पीछे मुख्य उद्देश्य उन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को एकीकृत सुरक्षा प्रदान करना था, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अधिक महत्व के थे। हालाँकि अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण के चलते वर्तमान दौर में CISF की सेवाएं केवल PSUs तक सीमित नहीं हैं। तीन बटालियनों के साथ शुरू हुई CISF में वर्तमान में कुल कार्मिकों की संख्या 1 लाख से अधिक है।

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CISF मुख्य रूप से परमाणु संस्थापनाओं, हवाई-अड्डों, समुद्रीपत्तनों, विद्युत संयत्रों, संवेदनशील सरकारी भवनों तथा विरासत स्मारकों को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहा है। इसके अतिरिक्त CISF को को सौंपी गई महत्तवपूर्ण जिम्मेदारियों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, वी.आई.पी. सुरक्षा, आपदा प्रबंधन आदि शामिल हैं।

Indo-Tibetan Border Police (ITBP)

भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की स्थापना 24 अक्टूबर 1962 को भारत-तिब्बत सीमा पर स्थापित सीमावर्ती खुफिया और सुरक्षा को पुनर्गठित करने के लिए की गई। ITBP को शुरू में CRPF अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। हालाँकि, 1992 में संसद ने ITBPF अधिनियम बनाया तथा इसके बाद से यह बल इसी कानून के तहत अधिनियमित है।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल एक विशेष पर्वत बल है। वर्तमान में भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल को लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में जेलेप ला तक सीमा सुरक्षा के लिऐ तैनात किया गया है। इन चौकियों की ऊचाईं भारत-चीन सीमा के पश्चिमी मध्य में 9,000 फीट और पूर्वी क्षेत्र में 18,700 फीट है।

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भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल प्राकृतिक आपदा के कई राहत एवं बचाव अभियानों में भी शामिल रहा है। साल 2004 में एक सीमा एक बल  के उद्देश्य के तहत भारत चीन की सम्पूर्ण 3488 किलोमीटर लंबी सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी ITBP को दे दी गई तथा सिक्किम एवं अरुणांचल प्रदेश में तैनात असम राइफल को ITBP द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। 

Border Security Force (BSF)

सीमा सुरक्षा बल (BSF), जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, भारत के सीमा गश्ती बलों में से एक है और गृह मंत्रालय के नियंत्रण में स्थापित सात केंद्रीय पुलिस बलों (सीपीएफ) में शामिल है। बीएसएफ को 1 दिसंबर, 1965 को एक विशेष बल के रूप में भारत की सीमाओं की रक्षा करने की एकमात्र जिम्मेदारी के रूप में बनाया गया था। भारतीय सीमा चौकियों पर पाकिस्तानी हमलों द्वारा शुरू किए गए 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध ने भारत की सीमा सुरक्षा रणनीति के साथ महत्वपूर्ण समस्याओं का खुलासा किया।

बीएसएफ के निर्माण से पहले, भारत-पाक सीमा पर 1947 से 1965 तक राज्य पुलिस बलों द्वारा पहरा दिया गया था। पुलिस बलों ने संघीय सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य किया और अन्य राज्यों के साथ बहुत कम संचार रखा। ये राज्य बल आम तौर पर अपने कर्तव्यों के लिए अप्रशिक्षित थे, पर्याप्त ताकत और उपकरणों की भी कमी थी, और सेना या किसी केंद्रीय पुलिस बल के साथ बहुत कम या कोई समन्वय नहीं था। इनके पास एक मजबूत खुफिया बुनियादी ढांचे का भी अभाव था।

Border Security Force (BSF)
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़)

यह दुनियाँ के सबसे बड़े सीमा सुरक्षा बलों में एक है। बीएसएफ को भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की सुरक्षा का काम सौंपा गया है। बीएसएफ संयुक्त राष्ट्र (UN) शांति अभियानों में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है। जबकि बीएसएफ ने निस्संदेह भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखने और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। बीएसएफ में सक्रिय कर्मियों की संख्या लगभग 2.5 लाख से अधिक है। 

Sashastra Seema Bal (SSB)

BSF के समान सशस्त्र सीमा बल (SSB) भी भारत का एक सीमा सुरक्षा बल है, जो नेपाल और भूटान के साथ अपनी सीमा पर तैनात है। यह गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है। SSB की स्थापना मूल रूप से 1963 में भारत-चीन युद्ध के बाद दुश्मन के अभियानों के खिलाफ भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए विशेष सेवा ब्यूरो के नाम से की गई थी।

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विशेष सेवा ब्यूरो की पिछली भूमिका शांति के साथ-साथ युद्ध के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत की सीमा आबादी को प्रेरित और संगठित करने और राष्ट्रीय एकता को आगे बढ़ाने में आबादी के बीच सुरक्षा और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए थी। इसकी वर्तमान भूमिका में सीमा पार अपराध और तस्करी के साथ-साथ अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकना शामिल है

National Security Guard (NSG)

एनएसजी की स्थापना 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार को ध्यान में रखकर की गई। एनएसजी देश में आतंकवाद से निपटने के लिए एक संघीय आकस्मिकता परिनियोजन बल (Federal contingency deployment force) है। आतंकवाद विरोधी बल के रूप में  इसका उपयोग “केवल असाधारण स्थितियों में“ किया जाता है। इसका कार्य “राज्य पुलिस बलों या अन्य अर्धसैनिक बलों के कार्यों” को संभालना नहीं है।

हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में प्रभावशाली राजनेताओं को व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसकी भूमिका का विस्तार किया गया था, किन्तु पिछले वर्ष जनवरी 2020 में, एनएसजी के वीआईपी सुरक्षा के इस कार्य से वापस ले लिया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक विशिष्ट आतंकवाद विरोधी बल के रूप में इसकी मूल भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। एनएसजी को जमीन, समुद्र और हवा में आतंकवाद विरोधी कार्यों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अन्य कार्यों में बम निपटान (IED की खोज करना और बेअसर करना),  PBI (पोस्ट ब्लास्ट इन्वेस्टिगेशन) और बंधक बचाव मिशन आदि शामिल हैं।

National Security Guard (NSG)
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी)

विशेष सुरक्षा बल (Special Forces)

विशेष बल (Armed Forces Of India in Hindi) आतंकवादी खतरों को बेअसर करने और देश में आंतरिक शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसा कि, नाम से पता चलता है, बल किसी भी आतंकी खतरे का जवाब देने और इसे रोकने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के लिए विशिष्ट हैं। इन बलों में विशेष सुरक्षा समूह (SPG) तथा पैरा कमांडोस जैसे बल शामिल हैं।

Special Protection Group (SPG)

विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) का गठन 1985 में भारत के प्रधान मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके तत्काल परिवार के सदस्यों (पत्नी, पति, बच्चों और माता-पिता) को निकट सुरक्षा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। हालाँकि साल 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तथा गाँधी परिवार को दी जाने वाली SPG सेवा समाप्त कर दी गई है, जबकि उनकी सुरक्षा हेतु Z+ सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में इस बल के बास तकरीबन 3,000 सक्रिय कर्मी हैं जो अब केवल भारत के प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा मुहैया करवाएंगे।

Special Protection Group (SPG)
विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी)

Railway Police Force (RPF)

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) भारत के महत्वपूर्ण सुरक्षा बलों में से एक है। यह रेलवे सुरक्षा बल अधिनियम 1957 द्वारा स्थापित एक सुरक्षा बल है। इसके पास रेलवे संपत्ति (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1966रेलवे अधिनियम 1989 के तहत किए गए अपराधों की खोज, गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की शक्ति है। इसे मुख्यतः भारतीय रेलवे की संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। यह एकमात्र केन्द्रीय बल है जिसके पास नियमित राज्य पुलिस बलों के समान शक्तियां हैं।

रेलवे सुरक्षा बल भारतीय रेल मंत्रालय के अधिकार में है। रेलवे सुरक्षा बल के सभी अधिकारी भारतीय रेलवे सुरक्षा बल सेवा के सदस्य होते हैं तथा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भर्ती किए जाते हैं। हालाँकि, RPF के महानिदेशक का पद एक वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्ति पर रखा जाता है। सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल जैसे विभिन्न पदों के लिए भर्तियां भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं के माध्यम से की जाती हैं।

Indian Coast Guard (ICG)

इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) भारत की एक समुद्री कानून प्रवर्तन, खोज और बचाव एजेंसी है, जिसका अधिकार क्षेत्र इसके सन्निहित क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र सहित अपने क्षेत्रीय जल पर है। भारतीय तटरक्षक बल औपचारिक रूप से 1 फरवरी 1977 को भारत की संसद के तटरक्षक अधिनियम 1978 द्वारा स्थापित किया गया था। यह बल रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

Para Commandos

पैरा कमांडो भारतीय सेना की उच्च प्रशिक्षित पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं, जिसका गठन 1966 में किया गया। यह देश के विशेष बलों का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। भारतीय सेना की पैराशूट इकाइयाँ दुनियाँ की सबसे पुरानी हवाई इकाइयों में से हैं। पैराशूट रेजीमेंट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बंधक बचाव (होस्टेज रेस्क्यू), आतंकवाद निरोध (काउंटर टेररिज्म), व्यक्तिगत बचाव (पर्सनल रिकवरी) है।

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पैराशूट रेजीमेंट की मुख्य रणनीति दुश्मन के पीछे सैनिकों की त्वरित तैनाती करना है ताकि पीछे से दुश्मन पर हमला किया जा सके और उनकी सुरक्षा की पहली पंक्ति को नष्ट किया जा सके। पैरा कमांडो को आमतौर पर पैरा एसएफ (विशेष बल) के रूप में जाना जाता है, जो पैराशूट रेजिमेंट से जुड़ी भारतीय सेना की विशेष संचालन इकाई है।

Para Commandos
पैरा कमांडो

भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) के दौरान मेजर मेघ सिंह ने घातक सैनिकों के एक छोटे समूह को दुश्मन की रेखाओं के पीछे काम करने और दुश्मन की रक्षा को विफल करने के लिए चुना। ऑपरेशन की तदर्थ प्रकृति के कारण टीम को शुरू में मेघदूत फोर्स कहा जाता था। बाद में, इस समूह को भंग कर पैराशूट रेजिमेंट में परिवर्तित कर दिया गया।

Ghatak Commandos

घातक भारतीय सेना की एक विशिष्ट पैदल सेना प्लाटून हैं। ये किसी ऑपरेशन या संघर्ष की स्थिति में भारी हथियारों से लैस अगुआ या शॉक ट्रूपर्स की भूमिका में अर्थात बटालियन की अग्रिम पंक्ति में तैनात रहते हैं। ये ‘मैन टू मैन असॉल्ट’ के वक्त हमला करने वाली पहली इकाई हैं। एक घातक प्लाटून में आमतौर पर 20 जवान शामिल होते हैं, जिसमें एक कमांडिंग कैप्टन, 2 गैर-कमीशन अधिकारी और कुछ विशेष दल जैसे निशानेबाज और स्पॉटर जोड़े, लाइट मशीन गनर, चिकित्सक और रेडियो ऑपरेटर शामिल होते हैं। शेष सैनिक हमला करने वाले सैनिकों के रूप में कार्य करते हैं।

Marine Commandos (MARCOS)

मार्कोस को 1985 में भारतीय समुद्री विशेष बल (IMSF) के रूप में स्थापित किया गया, जिसका दो वर्ष बाद नाम बदलकर मरीन कमांडो फोर्स (MCF) कर दिया गया। मरीन कमांडो (MARCOS) भारतीय नौसेना की एक विशेष अभियान इकाई है। यह मुख्य रूप से समुद्री वातावरण में संचालन के लिए विशेष रूप से संगठित, प्रशिक्षित और सुसज्जित होते है। यह बल 1987 से सक्रिय है और वर्तमान में संगठन में लगभग 2,000 सैनिक कार्यरत हैं। यह दुनियाँ की बेहतरीन स्पेशल फोर्स इकाइयों में से एक है। MARCOS किसी भी प्रकार के इलाकों में संचालन करने में सक्षम हैं।

यह भारतीय नौसेना का एक विशेष बल है, जो आतंकवाद का मुकाबला करने से लेकर पानी के भीतर किसी भी प्रकार के संचालन जैसे समुद्री डकैती रोधी अभियान क्रियान्वित करने आदि में पूर्ण रूप से सक्षम है। इसके अतिरिक्त समुद्र के बाहर भी मारकोस कमांडो (Armed Forces Of India in Hindi) ने कई बार अपने शौर्य तथा वीरता का परिचय दिया है।

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ऑपरेशन विजय जिसे कारगिल युद्ध के रूप में जाना जाता है के दौरान भी मरीन कमांडोस ने अपनी सेवा दी।1988 में, मार्कोस ने मालदीव में तख्तापलट के प्रयास को विफल किया, 26/11 के मुंबई हमलों में भी मरीन कमांडो के पराक्रम को पूरे देश ने देखा।  इसके अतिरिक्त बल ने कई विशिष्ट मिशनों जैसे ऑपरेशन कैक्टस, जोंक, पवन, चक्रवात आदि में भी अपना योगदान दिया है।

Garud Commandos

2001 में, जम्मू और कश्मीर के दो प्रमुख हवाई अड्डों पर आतंकवादियों द्वारा हमला करने का प्रयास किया गया, इसके बाद वायु सेना को इन महत्वपूर्ण स्थानों की रक्षा के लिए एक विशेष बल की आवश्यकता महसूस हुई, जिसके परिणाम के तौर पर गरुड़ कमांडो फोर्स का गठन सितंबर 2004 में किया गया। यह भारतीय वायु सेना की एक विशेष इकाई है।

गरुड़ को विशेष रूप से वायु सेना के महत्वपूर्ण ठिकानों पर एक त्वरित प्रतिक्रिया बल के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से प्रशिक्षित किया जाता है। यह मुख्य रूप से अधिक महत्व की संपत्ति की रक्षा, शांति और युद्ध के दौरान खोज और बचाव कार्य तथा आतंकवाद विरोधी कार्यों और विशेष मिशनों को पूरा करता है।

Garud Commandos
गरुड़ कमांडो

आपदाओं के दौरान भी आपदा राहत कार्यों के लिए नागरिक अधिकारियों की सहायता करने के लिए उन्हें अतिरिक्त कार्य सौंपा जाता है। वर्तमान में इसमें लगभग 2,000 कर्मी शामिल हैं। यूनिट का नाम गरुड़ पक्षी से लिया गया है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के एक दिव्य पक्षी है। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान के तहत भी गरुड़ कमांडो अपनी सेवाएं देते हैं।

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