क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं इसके कार्य (United Nation Security Council)

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वैश्विक स्तर पर किसी अंतर्राष्ट्रीय संगठन के न होने ने द्वितीय विश्वयुद्ध की आग में घी का काम किया, विश्वयुद्ध के पश्चात इसकी आवश्यकता को महसूस करते हुए तथा वैश्विक शांति स्थापित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nation) की स्थापना की गई। संगठन के विभिन्न अंगों में अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सबसे महत्वपूर्ण निकाय है। नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका जानकारी जोन में, आज इस लेख में हम चर्चा करेंगे संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण निकाय सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council in Hindi) की, देखेंगे इसकी संरचना तथा इसके कार्यों को।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council in Hindi)

संयुक्त राष्ट्र संघ छः अलग अलग निकायों से मिलकर बना है, जिनकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत की गई। सुरक्षा परिषद (UNSC) इन छः अंगों में सबसे महत्वपूर्ण है। अन्य पाँच निकायों में महासभा, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, न्यासित परिषद एवं संयुक्त राष्ट्र सचिवालय शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा वैश्विक शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद को ही दी गई है।

सुरक्षा परिषद की संरचना (Structure Of UNSC)

सुरक्षा परिषद की संरचना को देखें तो यह एक पंद्रह सदस्यीय निकाय है, जिसमें 5 स्थाई सदस्य तथा 10 अस्थाई सदस्य शामिल होते हैं। स्थाई सदस्यों में क्रमशः चीन, रूस , फ्रांस, ब्रिटेन तथा अमेरिका शामिल हैं, इन पाँच देशों को सामूहिक रूप से P5 देश भी कहा जाता है। वहीं इसके दस अस्थाई सदस्यों को दो वर्षों के लिए चुना जाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यह व्यवस्था इसकी शुरुआत से इसी प्रकार चली आ रही है। वर्तमान में इसके दस अस्थाई सदस्यों में भारत समेत निम्नलिखित देश शामिल हैं। देश के नाम के आगे उनके कार्यकाल की वैधता को दर्शाया गया है।

  • Estonia (2021)
  • India (2022)
  • Ireland (2022)
  • Kenya (2022)
  • Mexico (2022)
  • Niger (2021)
  • Norway (2022)
  • Saint Vincent and the Grenadines (2021)
  • Tunisia (2021)
  • Viet Nam (2021)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता प्रत्येक सदस्य द्वारा एक माह की अवधि के लिए की जाती है। प्रत्येक माह के लिए अध्यक्ष का चुनाव अंग्रेजी के अक्षरों के क्रमानुसार (English Alphabetical Order) किया जाता है।

सुरक्षा परिषद के कार्य

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना दो भयानक विश्वयुद्धों को देखते हुए की गई थी अतः संगठन में एक ऐसे निकाय का होना महत्वपूर्ण था, जो अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शांति के क्षेत्र में कार्य करे। सुरक्षा परिषद की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई। सुरक्षा परिषद के सभी फैसले सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी होते हैं, जो इस निकाय को वास्तविकता में प्रभावी बनाती है।

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सुरक्षा परिषद किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय खतरे को संज्ञान में लेते हुए कभी भी परिषद की बैठक बुला सकती है तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा पैदा करने वाले किसी भी मामले की जाँच कर सकती है। सुरक्षा परिषद के कुछ अन्य कार्यों में विभिन्न देशों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना, ऐसे प्रत्येक मामले का अनुसंधान करना जो अंतर्राष्ट्रीय विवाद पैदा कर सकता है, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करना, मानवाधिकारों के सम्मान को प्रोत्साहित करना, नए सदस्यों के प्रवेश की सिफारिश करना, महासचिव की नियुक्ति की सिफारिश करना एवं महासभा के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करना आदि शामिल हैं।

(United Nation Security Council in Hindi)
United Nation Security Council

किसी भी मुद्दे के निपटान के लिए सुरक्षा परिषद संबंधित पक्षों के मध्य शांति स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम शांतिपूर्ण तरीके का इस्तेमाल करती है, इसके अतिरिक्त यदि शत्रुता बढ़ने की आशंका हो तो उस स्थिति में युद्ध विराम की घोषणा, शांति रक्षक बलों की तैनाती आदि कार्य करती है।

इसके अतिरिक्त अंतिम विकल्प के रूप में परिषद प्रवर्तनकारी कदम भी उठा सकती है, जिसके तहत किसी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना, किसी देश के खिलाफ़ सैन्य कार्यवाही करना, राजनयिक संबंधों की समाप्ति, हथियारों के प्रयोग पर प्रतिबंध, यातायात प्रतिबंध आदि शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की कुछ अन्य संस्थाएं भी हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट करती हैं। इन निकायों में कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित शामिल हैं।

  • आतंकवाद-रोधी समिति
  • प्रतिबंध समितियाँ
  • संयुक्त राष्ट्र क्षतिपूर्ति आयोग
  • अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण बोर्ड
  • स्थाई एवं तदर्थ समितियाँ

P5 देशों की वीटो शक्ति

जैसा कि, हमनें ऊपर जाना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसले बाध्यकारी होते हैं अतः ऐसे में परिषद के निर्णय लेने की प्रक्रिया को जानना भी अहम हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 27 के तहत सुरक्षा परिषद द्वारा किसी महत्वपूर्ण मामले से संबधित प्रस्ताव को पारित करने के लिए कुल सदस्यों का न्यूनतम 3/5 अर्थात नौ मतों का प्रस्ताव के पक्ष में होना आवश्यक होता है।

यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि, इन नौ सदस्यों में पाँचों स्थाई सदस्यों का मत प्राप्त होना चाहिए। यदि किसी प्रस्ताव पर परिषद के 14 सदस्य अपनी सहमति दर्ज करते हैं, जबकि कोई एक स्थाई सदस्य प्रस्ताव के खिलाफ़ मत देता है तो ऐसा प्रस्ताव पारित नहीं हो पता। स्थाई सदस्यों के इसी विशेषाधिकार को उनकी वीटो शक्ति कहा जाता है। अपने इस विशेषाधिकार का प्रयोग विभिन्न स्थाई देशों ने समय समय पर किया है।

सर्वाधिक बार वीटो का इस्तेमाल रूस द्वारा (117) किया गया है, जबकि अमेरिका ने 82, ब्रिटेन ने 29, चीन ने 17 तथा फ्रांस ने 16 बार इस विशेषाधिकार का प्रयोग किया हैं। गौरतलब है कि परिषद के प्रक्रियात्मक मामले वीटो के अधीन नहीं हैं, इसलिए किसी मुद्दे पर चर्चा से बचने के लिए वीटो का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

सुरक्षा परिषद एवं भारत

भारत दुनियाँ की सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाला देश है तथा आज़ादी के बाद से ही भारत वैश्विक शांति एवं स्थिरता का प्रबल समर्थक रहा है। शीत युद्ध के दौरान, जब अधिकांश देश अमेरिका एवं सोवियत संघ के साथ मिलकर विश्व को दो गुटों में बाँटने का कार्य कर रहे थे उस दौरान भारत ने कुछ अन्य देशों के साथ मिलकर Non-Aligned Movement (NAM) की शुरुआत की, जो भारत की अंतर्राष्ट्रीय शांति की दिशा में साफ नियत का परिचायक है।

भारत अब तक कुल आठ बार सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council in Hindi) का अस्थाई सदस्य चुना जा चुका है। यद्यपि भारत को अस्थाई सदस्य के लिए समय-समय पर चुना गया है, किन्तु भारत की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न कार्यक्रमों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव की आवश्यकता है। पूर्व में अमेरिका समेत कई अन्य देश सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की दावेदारी का समर्थन भी कर चुके हैं।

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