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क्या है कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron Variant) तथा कितना खतरनाक है?

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साल 2019 में चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना महामारी ने दो अलग-अलग लहरों में पूरी दुनियाँ में भयानक तबाही मचाई। हालाँकि कोरोना वायरस 2019 में पहली बार दुनियाँ के सामने नहीं आया, इसके कई अन्य प्रकार दशकों पहले खोजे जा चुके हैं। 2019 में कोरोना वायरस का एक नया प्रकार सार्स Cov-2 पहचान में आया था, जो संक्रमित व्यक्ति में बुखार, सूखी खाँसी तथा साँस फूलने जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।

2019 में पहली बार पहचान में आने के बाद ये चीन से धीरे-धीरे दुनियाँ भर के देशों में पहुँचा तथा वर्तमान समय तक लगभग 26 करोड़ से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि इससे मरने वालों की संख्या 5.2 मिलियन से अधिक है।

अकेले भारत की बात करें तो यहाँ अब तक 4.6 लाख से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आ कर अपनी जान गवां चुके हैं। दो भयानक लहरों (जुलाई 2019 से नवंबर 2019 तथा अप्रैल 2020 से जून 2020) में आई इस महामारी नें भारत समेत दुनियाँ भर के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी भारी नुकसान पहुँचाया है।

corona virus wave graph
भारत में आई कोरोना की दो लहरों का ग्राफ निरूपण

कोविड-19 की महामारी से दुनियाँ के तमाम देश उबर ही रहे थे कि, इस वायरस के एक और नए स्वरूप ओमीक्रॉन के सामने आने से एक बार फिर दुनियाँ में दहशत का माहौल है। आज इस लेख में चर्चा करेंगे क्या है कोरोना वायरस का ये नया स्वरूप, कितना खतरनाक है, किन-किन देशों में फैल चुका है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार द्वारा इस संबंध में क्या दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

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यह भी पढ़ें : कोरोना वायरस क्या है?, इसके कितने प्रकार हैं तथा सर्वप्रथम इसे कब खोजा गया

वायरस में म्यूटेशन क्या होता है?

किसी भी वायरस में उत्परिवर्तन अथवा म्यूटेशन का गुण पाया जाता है, जिसके चलते उनके व्यवहार में परिवर्तन दिखाई देते हैं। हालाँकि ये परिवर्तन अच्छे अथवा बुरे दोनों प्रकृति के हो सकते हैं।

म्यूटेशन से आशय वायरस के आनुवंशिक पदार्थ में आने वाले बदलाव से है। किसी वायरस का आनुवंशिक पदार्थ सिंगल स्ट्रैंड आरएनए अथवा डबल स्ट्रैंड डीएनए से मिलकर बना हो सकता है, कोरोना वायरस की बात करें तो इसका अनुवांशिक पदार्थ सिंगल स्ट्रैंड आरएनए से बना हुआ है।

जब कोई वायरस अपनी अन्य प्रतियाँ (Replication) बनाता है तो इस बात की बहुत संभावना होती है कि, किसी नई प्रति में आनुवंशिक पदार्थ की सीक्वेंसिंग में परिवर्तन हो जाए और यही परिवर्तन उस वायरस के म्यूटेशन का कारण बनता है। चूँकि ये गलतियाँ आरएनए में डीएनए की तुलना में अधिक होती हैं, लिहाजा कोरोना वायरस में बहुत अधिक म्यूटेशन संभव हो पाए हैं।

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क्या है ओमिक्रॉन (Omicron) वेरिएंट?

कोरोना वायरस (सार्स Cov-2) पहचान में आने के बाद से अब तक कई बार म्यूटेट हो चुका है। हाल ही में इसके एक नए स्वरूप B.1.1.529 जिसे ओमिक्रोन नाम दिया गया है, दक्षिण अफ्रीका में पाया गया है। दक्षिण अफ्रीका में मिला यह वेरिएंट अभी तक का सबसे खतरनाक वेरिएंट बताया जा रहा है। हालाँकि अभी इस पर शोध जारी है, किन्तु विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रथम दृष्ट्या इसे अन्य की तुलना में अधिक हानिकारक पाया है।

ओमिक्रोन ग्रीक वर्णमाला का पंद्रहवाँ अक्षर है। गौरतलब है, की वायरस के किसी वेरिएंट को किसी देश विशेष के नाम से जोड़कर न देखा जाए इस लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसने नामकरण हेतु ग्रीक अक्षरों का इस्तेमाल किया जाता है, उदाहरण के तौर पर अल्फा वेरिएंट, बीटा वेरिएंट, डेल्टा वेरिएंट आदि।

विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस वेरिएंट के पहले मामले की जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से मिली इसके अतिरक्त बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग तथा इसराइल में भी इस वेरिएंट की पहचान की गई है।

स्वास्थ्य संगठन ने इसे “वेरिएंट ऑफ कंसर्न” अथवा चिंताजनक वेरिएंट की श्रेणी में रखा है। अतः यह कहा जा रहा है, कि इसके फैलने की दर अधिक हो सकती है, यह पूर्व के वेरिएंट्स की तुलना में अधिक नुकसान पहुँचा सकता है तथा इस पर वैक्सीन की प्रभावशीलता पर भी प्रश्नचिन्ह है।

वैज्ञानिकों के अनुसार इस वेरिएंट में तकरीबन 30 से अधिक म्यूटेशन खोजे जा चुके हैं, जो इसे पूर्व के वेरिएंट से कहीं अलग बनाते हैं। म्यूटेशन के कारण वायरस की सतह पर मौजूद प्रोटीन या एंटीजन में भी परिवर्तन आ जाते हैं।

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हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे वायरस को एक नए वायरस के रूप में देखती है और शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी इस नए स्वरूप से लड़ने में प्रभावी नहीं रहती। चूँकि इस नए वेरिएंट में कहीं अधिक म्यूटेशन हुए हैं अतः इस बात की भी संभावना है कि, जो लोग COVID-19 से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, वो इसकी चपेट में पुनः आसानी से आ सकते हैं।

Omicron की संक्रमण दर

हालाँकि वर्तमान में इसके बदले स्वरूप पर शोध जारी है, किन्तु वैज्ञानिक इसके तेजी से फैलने की आशंका को लेकर सहमत दिख रहे हैं। जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) के आस-पास के प्रांतों में इसके तेजी से फैलने की पुष्टि भी हुई है।

स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, कि डेल्टा समेत अन्य प्रकारों की तुलना में ओमिक्रोन अधिक संक्रामक है। इसके अलावा अभी यह भी निश्चित नहीं है कि, ये वेरिएंट उन देशों में कितनी तेज़ी से फैलेगा, जिनकी वैक्सीनेशन दर दक्षिण अफ़्रीका की 24 फीसदी वैक्सीनेशन दर की तुलना में कहीं अधिक है।

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इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक इस बात पर भी अध्ययन कर रहे हैं, कि इस गति का कारण वायरस का बदला स्वरूप है अथवा कुछ अन्य बाहरी परिस्थितियाँ। दक्षिण अफ़्रीका से सामने आया यह वेरिएंट अब तक दुनियाँ के कई अन्य देशों में अपने पैर पसार चुका है, ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार विभिन्न देशों में इसके संक्रमण के मामले सामने आए हैं, इनमें कुछ देश निम्नलिखित हैं।

  • Australia: 2 cases
  • Botswana: 19 cases
  • Canada: 3 cases
  • Germany: 3 cases
  • Hong Kong: 3 cases
  • Netherlands: 13 cases
  • Portugal: 13 cases
  • South Africa: 77 cases
  • United Kingdom: 9 cases

संक्रमित होने पर लक्षण

दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. एंजेलिक कोएत्जी ने नए ओमिक्रोन वेरिएंट से संबंधित कोविड लक्षणों को “बेहद हल्के” के रूप में वर्णित किया है।

उनके अनुसार, इससे संक्रमित होने पर सामने आने वाले मुख्य लक्षणों में जरूरत से ज्यादा थकान, मांसपेशियों में हल्का दर्द, गले में खराश और सूखी खांसी शामिल है, जबकि कुछ मामलों में हल्का बुखार भी दिखाई दे सकता है। इससे संक्रमित हुए लोगों के शरीर में अभी तक ऑक्सीजन स्तर में आने वाली अचानक गिरावट भी नहीं देखी गई है, जैसा की इसके डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने पर सामने आया था।

नए वेरिएंट पर वैक्सीन का असर

वैक्सीन हमारे शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण करती है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के तौर पर कार्य करती हैं। किन्तु जैसा कि हमनें ऊपर बताया म्यूटेशन के चलते कई परिस्थितियों में एंटबॉडी के लिए वायरस को पहचान पाना मुश्किल हो जाता है, परिणाम स्वरूप वायरस के ऐसे स्वरूप पर वैक्सीन का प्रभाव कम हो जाता है। हालाँकि ओमिक्रोन वेरिएंट के मामले में वैक्सीन कितनी प्रभावी साबित होगी यह अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाया है।

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यह भी पढ़ें : जानें हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) किसी वायरस के खिलाफ कैसे कार्य करती है तथा वैक्सीन का शरीर में क्या महत्व है?

चूँकि नए वेरिएंट में पूर्व के अल्फा, बीटा, डेल्टा आदि वेरिएंट्स के मुकाबले कहीं अधिक म्यूटेशन हुए हैं, जिसके चलते वैज्ञानिकों को इस बात की आशंका है कि कहीं पूर्व में बनाई गई कोविड वैक्सीन इस वेरिएंट के सामने निष्प्रभावी साबित न हो।

वायरस से बचाव के उपाय

वैज्ञानिकों के अनुसार तकरीबन दो सप्ताह के भीतर इस बात की पुष्टि हो सकेगी कि वर्तमान वैक्सीन इस नए वेरिएंट की स्थिति में कितनी प्रभावी है, किन्तु इसके अतिरिक्त कुछ अन्य साधारण उपायों के माध्यम से भी हम इस वायरस के संक्रमण से बच सकते हैं। इनमें कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं।

  • टीकाकरण करवाएं
  • सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें
  • 2 मीटर की सार्वजनिक दूरी का पालन करें
  • सार्वजनिक परिवहन, संस्थान आदि से लौटने पर सेनेटाइज़र का प्रयोग करें
  • हाथों को बिना साबुन से धोए मुंह पर लगाने से बचें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निर्देश

स्वास्थ्य संगठन ने इस नए वेरिएंट को चिंताजनक बताते हुए कहा है कि, यह काफी तेज़ी से और बड़ी संख्या में म्यूटेट होने वाला वेरिएंट है। संगठन के अनुसार इस वेरिएंट के कई म्यूटेशन चिंता पैदा करने वाले हैं, इसलिए शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर संगठ ने इस म्यूटेशन को “VOC” (Variant of Concern) के रूप में नामित किया है। इसके अतिरिक्त WHO ने सभी राष्ट्रों को भी निम्नलिखित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है।

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  • नए सार्स CoV-2 वेरिएंट को बेहतर ढंग से समझने के लिए निगरानी और अनुक्रमण (Sequencing) प्रयासों को बढ़ाएं।
  • सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटाबेस जैसे Global Initiative on Sharing all Influenza Data (GISAID) में संपूर्ण जीनोम अनुक्रम और संबद्ध मेटाडेटा सबमिट करें।
  • IHR तंत्र के माध्यम से संगठन को “VOC” संक्रमण से जुड़े प्रारंभिक मामलों / समूहों की रिपोर्ट करें।
  • नए वेरिएंट को बेहतर ढंग से समझने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समन्वय से फील्ड जाँच तथा प्रयोगशाला शोध को बढ़ावा दें ।

भारत सरकार का रुख

ओमिक्रोन वेरिएंट की गंभीरता को देखते हुए भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, 1 दिसंबर से सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को एक ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर स्व-घोषणा फॉर्म जमा करना होगा। इसमें 14 दिनों का यात्रा इतिहास और उनके प्रस्थान से 72 घंटे के भीतर एक नकारात्मक पीसीआर परीक्षण शामिल होगा।

हालाँकि भारत ने ऐसे चिन्हित देशों, जहाँ इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है, में आवाजाही स्थगित नहीं की है, किन्तु ऐसे देशों के यात्रियों को अब परीक्षण और निगरानी से गुजरना पड़ेगा, जिसमें आगमन पर एक पीसीआर परीक्षण भी शामिल है।

इसके अतिरिक्त ऐसे यात्रियों को सात दिनों के लिए होम आइसोलेशन में रहना होगा। इन चिन्हित देशों में दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, जिम्बाब्वे, यूनाइटेड किंगडम सहित यूरोप के देश, ब्राजील, बांग्लादेश, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, हांगकांग और इज़राइल आदि शामिल हैं।

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नए वेरिएंट का अर्थव्यवस्था पर असर

कोरोना महामारी ने शुरुआती दौर से ही दुनियाँ भर की अर्थव्यवस्थाओं पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डाला है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है।

हालाँकि इसका नकारात्मक असर सभी क्षेत्रों में दिखाई दिया, किन्तु पर्यटन को इसनें खासा प्रभावित किया है। अकेले भारत की जीडीपी में पर्यटन की भागीदारी देखें तो यह 2019 में तकरीबन 6.8 फीसदी थी, जो 2020 में घट कर 4.7% पर आ गई। ऐसे में वे देश, जिनकी अर्थव्यवस्था बहुत हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

Omicron Variant impact on market
2020 में आई कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सेंसेक्स में आई भारी गिरावट

कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित हुई दुनियाँ की अर्थव्यवस्थाएं एक बार फिर पटरी पर लौट रही थी, किन्तु इस नए वेरिएंट का सामने आना विश्व के लिए पुनः एक खराब संकेत हो सकता है, जिसके शुरुआती लक्षण दिखाई भी देने लगे हैं। नए वेरिएंट के सामने आने के बाद से ही दुनियाँ भर के शेयर बाजारों में अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई है।

इसके अतिरिक्त अमेरिका, कनाडा, ब्राज़ील, जर्मनी, फ्रांस समेत कई पश्चिमी देशों ने दक्षिण अफ्रीकी देशों (दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, ज़िम्बाब्वे, नामीबिया, लेसोथो, इस्वातिनी, मोज़ाम्बिक और मलावी) में आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया है, जिसका इन देशों की अर्थव्यवस्था पर बेहद नकारात्मक असर पड़ेगा।

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