जानें इंटरनेट क्या है एवं किस प्रकार कार्य करता है? (What is Internet in Hindi)

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नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख में हम चर्चा करेंगे प्रोद्योगिकी के एक महत्वपूर्ण रूप इंटरनेट (Internet) की समझेंगे इंटरनेट क्या है? (What is Internet in Hindi) कैसे काम करता है? तथा मानव जीवन पर इसके क्या सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव हैं?

इंटरनेट क्या है? (What is Internet in Hindi)

हम सभी दैनिक जीवन में किसी न किसी रूप में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। जैसे कोई वीडियो देखनी हो, गाने सुनने हों, खबरें पढ़नी हों, सोशियल मीडिया पर अपने मित्रों, सम्बन्धियों आदि से जुड़ना हो, यहाँ तक आप अभी इस लेख को पढ़ने के लिए भी इंटरनेट का ही उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है आख़िर इंटरनेट क्या है?

इंटरनेट (Internet), जिसका सम्पूर्ण नाम इंटरकनेक्टेड नेटवर्क (Interconnected Network) है, विश्व भर के कम्प्यूटरों का एक जाल अथवा नेटवर्क है, जो किसी एक मुख्य कम्प्यूटर, जहाँ सूचना स्टोर होती है से जुड़े होते हैं तथा उस सूचना का आवश्यकता के अनुसार उपयोग करते हैं। इस मुख्य कम्प्यूटर को सर्वर (Server) कहा जाता है तथा जहाँ सर्वर स्थित होते हैं ऐसे स्थान डेटा सेंटर (Data Center) कहलाते हैं।

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इसी प्रकार इंटरनेट पर आप कोई भी जानकारी पढ़ते, देखते, अथवा सुनते हैं वह किसी न किसी कम्प्यूटर अथवा सर्वर पर उपलब्ध होती है, जिस तक आप अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर पहुँचते हैं तथा उपलब्ध डेटा को उपयोग में लेते हैं। यह डेटा किसी फ़ोटो, वीडियो, ऑडियो या साधारण लिखित रूप में हो सकता है।

इंटरनेट की शुरूआत (History of Internet)

इंटरनेट के इतिहास को देखें तो इसकी शुरुआत 1960 के दशक में समझी जा सकती है। चूँकि इस दौर में कंप्यूटरों का आकार बहुत बड़ा था, जिसके चलते उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना संभव नहीं था अतः एक ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता थी, जिसकी सहायता से किसी एक कंप्यूटर में मौजूद सूचना को किसी अन्य स्थान से उपयोग में लाया जा सके। इसी को देखते हुए इस दशक में अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा कंप्यूटरों को एक नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने की शुरुआत की गई।

इसके अतिरिक्त इंटरनेट की शुरुआत में वैश्विक राजनीति ने भी अहम भूमिका अदा की, यह शीत युद्ध (Cold War) का दौर था, जहाँ दुनियाँ के अधिकांश देश अमेरिका अथवा सोवियत संघ के खेमे में शामिल हो रहे थे। सोवियत रूस द्वारा स्पूतनिक उपग्रह के सफल प्रक्षेपण और सोवियत संघ से बेहतर बनने की होड़ ने अमेरिकी रक्षा विभाग को एक ऐसे नेटवर्क की शुरुआत के लिए प्रोत्साहित किया, जिसकी सहायता से परमाणु हमले की स्थिति में भी जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान सुचारू रूप से किया जा सकता था।

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इस कार्यक्रम की शुरुआत के रूप में साल 1969 में ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत की गई, जो आधुनिक इंटरनेट का शुरुआती स्वरूप था। हालाँकि अब तक इसका इस्तेमाल केवल कुछ सरकारी विभागों मुख्यतः रक्षा विभाग तक ही सीमित था और विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्क में एक दूसरे के साथ कम्यूनिकेशन करने का एक मानक (Standard) तरीका भी मौजूद नहीं था।

1983 को आधिकारिक रूप से इंटरनेट का शुरुआती वर्ष माना जाता है। इस वर्ष ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेटवर्क प्रोटोकॉल (TCP/IP) नामक एक नए संचार प्रोटोकॉल की शुरुआत की गई, जो वर्तमान इंटरनेट की रीढ़ साबित हुई। इस व्यवस्था ने अलग-अलग नेटवर्क पर विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों को एक दूसरे से कम्यूनिकेशन करने की अनुमति दी। 1991 में वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) की शुरुआत के साथ साल 1993 से इंटरनेट आम लोगों के इस्तेमाल के लिए शुरू कर दिया गया।

TCP/IP प्रोटोकॉल क्या है?

TCP अर्थात Transmission Control Protocol डेटा का आदान-प्रदान करने का एक प्रोटोकॉल है, जो उपयोगकर्ता तथा सर्वर के मध्य डेटा का ट्रांसफर, डेटा के छोटे-छोटे पैकेट के रूप में करता है। वहीं IP या Internet Protocol किसी उपकरण, जो इंटरनेट उपयोग कर पाने में सक्षम है, को दिया गया एक नम्बर है, जिससे उस उपकरण की पहचान (Identification) होती है।

दूसरे शब्दों में यह किसी उपकरण का पता होता है, जिसकी मदद से कोई सूचना उस उपकरण उपयोगकर्ता (User) तक पहुँचती है। किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को IP पते अमेरिकी कंपनी “iana” द्वारा दिये जाते हैं। इसी के साथ इंटरनेट का सुविधाजनक उपयोग करने केे लिए प्रयोग होने वाली तकनीकों जैसे डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन, DNS प्रबंधन आदि का काम भी iana द्वारा ही किया जाता है।

DNS (DOMAIN NAME SYSTEM)

डोमेन नेम सिस्टम को समझने से पहले जानते हैं डोमेन नेम (Domain Name) को जैसा कि, हमने ऊपर बताया प्रत्येक उपकरण, जो इंटरनेट का उपयोग कर पाने में सक्षम है को एक निश्चित पता दिया गया है, जिसे IP पता कहा जाता है। इसी पते के ज़रिए सूचना का आदान-प्रदान एक उपकरण से दूसरे के बीच होता है। ऐसे में यदि हमें किसी सर्वर से कोई सूचना प्राप्त करनी हो तो हमें उस सर्वर का IP पता मालूम होना चाहिये, किन्तु ये पते अत्यधिक बड़ी संख्याओं के रूप में होते हैं, जिन्हें याद कर पाना संभव नहीं है।

इसी समस्या का समाधान करने के लिए डोमेन नेम की व्यवस्था की गई, जिसमें किसी सर्वर के IP पते को एक निश्चित नाम दे दिया जाता है, जैसे facebook.com, google.com आदि। उदाहरण के तौर पर फ़ेसबुक का IP पता 157.240.241.35 है, आप इसकी सहायता से भी फ़ेसबुक की वेबसाइट में विजिट कर सकते हैं, हालाँकि इन जटिल नंबरों को याद करने की तुलना में facebook.com को याद रखना अधिक सुविधाजनक है।

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आइये अब समझते हैं DNS (Domain Name System) को, यह एक इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस है, जो किसी डोमेन नेम के खोजे जाने पर उस नाम से संबंधित IP पते तक उपयोगकर्ता को पहुँचाता है। अर्थात जब आप ब्राउज़र में facebook.com खोजते हैं तब DNS द्वारा यह देखा जाता है कि, facebook.com से कौन सा IP पता संबंधित है, डोमेन नेम से संबंधित IP प्राप्त हो जाने के बाद आपके कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर Facebook की वेबसाइट खुल जाती है।

कैसे चलता है इंटरनेट? (How Internet Work in Hindi)

अभी तक हमनें जाना इंटरनेट कंप्यूटरों का एक नेटवर्क है, जिसमें विश्वभर के कम्प्यूटर आपस में एक सर्वर की सहायता से जुड़े होते हैं। अब बात करते हैं इंटरनेट (Internet) काम कैसे करता है? किसी सर्वर से आप तक डेटा लाने का कार्य मुख्यतः दो चरणों में होता है।

प्रथम चरण

पहले चरण में कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा डेटा सेंटर्स से डेटा तारों के माध्यम से आपके ISPs या इंटरनेट सेवा प्रदाता जैसे Jio, Airtel, idea आदि तक पहुँचाया जाता है। यह तार समुद्र के अंदर बिछाये जाते हैं, जिनसे विश्वभर के अलग-अलग देशों को जोड़ा जाता है। समुद्र में बिछाए गए इन तारों को नीचे मानचित्र में दिखाया गया है।

समुद्र के भीतर इंटरनेट केबल
समुद्र के भीतर इंटरनेट केबल

द्वितीय चरण

दूसरे चरण में आपका इंटरनेट सेवा प्रदाता आपको इंटरनेट का उपयोग कर विश्व में किसी भी सर्वर से जुड़ने का विकल्प मुहैया करवाता है। यह प्रक्रिया मोबाइल कंपनियों द्वारा लगाए गए टावरों द्वारा सम्पन्न होती है। आइये इस पूरी प्रक्रिया को एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आप YouTube में कोई वीडियो देखना चाहते हैं। आप YouTube में उस वीडियो को खोजते हैं, आपके किसी वीडियो को खोजे जाने का निवेदन आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन द्वारा रेडियो तरंगों के माध्यम से आपके क्षेत्र में लगे टावर तक जाता है तथा इसके बाद आपके ISP तक पहुँचता है।

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अब आपका ISP समुद्र में बिछाये गए ऑप्टिकल तारों के माध्यम से आपके निवेदन को YouTube के सर्वर तक पहुँचाता है तथा आपके द्वारा खोजी गयी वीडियो इन्हीं तारों के माध्यम से डेटा के छोटे-छोटे पैकेट के रूप में आपके ISP तक लायी जाती है तथा इसके बाद वह वीडियो ISP द्वारा आप तक पहुँचा दी जाती है।

कौन है इंटरनेट का मालिक?

चूँकि पहले चरण में उपयोग होने वाले तार (Optical Fiber Cable) समुद्र के अंदर होते हैं तथा इनकी समय-समय पर मरम्मत अथवा देख-रेख करनी पड़ती है इसलिए ये कम्पनियाँ आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता से उनके बिछाये तारों द्वारा डाटा ट्रांसफर के लिये शुल्क लेती हैं और यही कारण है कि, आपका ISP आप से इन्टरनेट सेवा का उपयोग करने के लिए शुल्क लेता है। अतः इंटरनेट का कोई अकेला मालिक नहीं है, जिसे आप इंटरनेट (Internet) उपयोग करने के लिए भुगतान करते हैं। आपके द्वारा दिया गया शुल्क केवल किसी सर्वर से डेटा को आप तक पहुँचाने के प्रबंधन में इस्तेमाल होता है।

इंटरनेट का मानव जीवन पर प्रभाव

आशा है आप इंटरनेट तथा इसकी कार्यप्रणाली को अच्छे से समझ चुके होंगे। अब समझते हैं हमारे जीवन पर इंटरनेट के प्रभाव के बारे में, इसमें कोई दो राय नहीं है कि जितना इंटरनेट का हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव है उतना ही नकारात्मक प्रभाव भी है, यहाँ हम दोनों की चर्चा करेंगे।

इंटरनेट के सकारात्मक प्रभाव

सकारात्मक प्रभावों की चर्चा करें तो आज इंटरनेट ने हमारे जीवन जीने के तरीके को बहुत हद तक आसान बना दिया है। केवल अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन में हम एक क्लिक कर अपने दैनिक जीवन के अधिकतर कार्य जैसे खरीददारी, बिलों का भुगतान, रुपयों का लेन-देन, टिकट बुकिंग आदि कर सकते हैं।

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वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी इंटरनेट का काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है किसी विषय पर जानकारी हासिल करने के लिए आपको केवल एक शिक्षक पर निर्भर रहने की बाध्यता नहीं रही है आप इंटरनेट के माध्यम से हज़ारों स्रोतों से एक ही विषय के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इंटरनेट के माध्यम से ही यह बहुत आसान हो पाया है कि, आप विभिन्न सोशियल मीडिया मंचों की मदद से विश्व के किसी भी कोने में किसी भी व्यक्ति से संवाद कर सकते हैं।

इंटरनेट के नकारात्मक प्रभाव

इतने सकारात्मक प्रभावों के बाद भी इंटरनेट के कई नकारात्मक प्रभाव भी हमारे जीवन में पड़े हैं जैसे किसी व्यक्ति को निजी या आर्थिक रूप से नुकसान पहुँचाना, किसी की निजी सूचना की चोरी, अपने निजी लाभ के लिए झूटी खबरें फैलाना, गैर कानूनी वस्तुओं का प्रचार एवं खरीद बिक्री आदि। यद्यपि सरकारें तथा कम्पनियाँ समय समय पर कानूनों में बदलाव कर इंटरनेट (Internet) के नकारात्मक प्रभावों को कम करने की कोशिश करती रहतीं हैं, किंतु इंटरनेट के नकारात्मक प्रभाव आज भी विद्यमान हैं, जिनसे हमें बचने की आवश्यकता है।

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