टेनिस खेल के नियम एवं इसका इतिहास (Tennis Rule in Hindi)

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खेल हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं, मनोरंजन के साथ-साथ शरीर को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में भी खेलों को अहम योगदान है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम विभिन्न प्रकार के खेलों को देखते हैं, किन्तु कई खेलों के विषय में अथवा उनसे संबंधित नियमों की जानकारी न होने के चलते ऐसे खेलों में हमारी रुचि जागृत नहीं हो पाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हम विभिन्न खेलों के नियमों से संबंधित लेखों की एक श्रंखला आपके लिए लेकर आए हैं।

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में, यहाँ हम विज्ञान, प्रोद्योगिकी, राजनीति, अर्थव्यवस्था जैसे विषयों से महत्वपूर्ण जानकारी आप तक साझा करते हैं। आज इस लेख में हम चर्चा करेंगे टेनिस अथवा लॉन टेनिस (Tennis Rule in Hindi) के संबंध में, जानेंगे इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें, खेल के नियम तथा इसकी प्रमुख राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को।

टेनिस के बारे में (Tennis Rule in Hindi)

टेनिस एक आयताकार मैदान में खेला जाने वाला खेल है, जो दो (एकल प्रतियोगिता में) अथवा चार (डबल प्रतियोगिता में) खिलाड़ियों के मध्य खेला जाता है। मैदान को बीच से दो बराबर हिस्सों में एक नेट की सहायता से विभाजित किया जाता है। दोनों खिलाड़ी एक दूसरे के विपरीत पाले में मौजूद होते हैं तथा गेंद को एक-दूसरे की ओर मारने के लिए एक रैकेट का इस्तेमाल करते हैं।

खेल के दौरान गेंद को मैदान के हाशिये के भीतर रखते हुए केवल एक टप्पा या बाउंस में हिट कर प्रतिद्वंदी के पाले में फेंकना होता है, यदि पहला टप्पा पड़ने के बाद आपका प्रतिद्वंदी शॉट मारकर आपके पाले में गेंद वापस फेंक दे तो इसे “रिटर्न” कहा जाता है। खेल में गेंद को इस तरह से मारा जाता है, ताकि आपका प्रतिद्वंद्वी गेंद को वापस करने में असमर्थ हो, प्रत्येक बार जब आपका प्रतिद्वंद्वी कोर्ट या हाशिये के भीतर गेंद को वापस करने में असफल होता है तो आपको एक अंक प्रदान किया जाता है।

टेनिस: एतिहासिक पृष्ठभूमि (History of Tennis)

खेल के प्रारूप एवं इसके नियमों को समझने से पहले टेनिस के इतिहास पर एक नजर डालते हैं। टेनिस की शुरुआत के संबंध में कुछ का मानना है की इसकी शुरुआत मिस्र (आधुनिक इजिप्त) में हुई, किन्तु अधिक प्रचलित धारणाओं के अनुसार इसकी शुरुआत फ्रांस में मानी जाती है, फ्रांसीसी भिक्षुओं ने 12वीं सदी में इस खेल की शुरुआत करी, उस दौरान यह खेल रैकेट के स्थान पर हाथों से खेला जाता था एवं इसे Jeu de Paume (फ्रेंच भाषा में हथेली का खेल) के नाम से जाता जाता था। धीरे-धीरे यह खेल लोकप्रिय होता गया तथा 16वीं शताब्दी में रैकेट के आविष्कार ने इस खेल को तत्कालीन यूरोपीय कुलीन वर्ग का पसंदीदा खेल बना दिया, जिसके चलते इसे बाद में रॉयल टेनिस के नाम से भी जाना जाने लगा।

खेल को एक आधुनिक रूप देने का कार्य 1873 में ब्रिटिश सेना के एक अधिकारी Major Walter Clopton Wingfield ने किया। उन्होंने ही आधुनिक टेनिस के नियमों (Tennis Rule in Hindi) को संहिताबद्ध किया तथा इस खेल के लॉन में खेले जाने की शुरुआत करी, लिहाज़ा इसे लॉन टेनिस का नाम दिया गया, इससे पूर्व कई सदियों तक यह एक इनडोर खेल (किसी भवन के भीतर खेला जाने वाला खेल) के रूप में खेला जाता रहा था। टेनिस के इस विकास में वल्केनाइज्ड रबर के आविष्कार (1850) ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके चलते टेनिस को घास पर खेले जाने वाले बाहरी खेल के अनुकूल बनाना संभव हुआ।

1877 में ऑल इंग्लैंड क्रोकेट क्लब ने विंबलडन (इंग्लैंड) में अपना पहला टेनिस टूर्नामेंट आयोजित किया, इस टूर्नामेंट के लिए टेनिस के जो नियम (Tennis Rule in Hindi) एवं मानक निर्धारित किए गए वे आज के खेल से बहुत हद तक मेल खाते हैं। इसके पश्चात पेशेवर टेनिस खिलाड़ियों ने 1900 में प्रसिद्ध वार्षिक प्रतियोगिता “डेविस कप” की शुरुआत की तथा 20वीं शताब्दी के शुरुआती दौर, 1913 में इसे एक अंतर्राष्ट्रीय नियामक संगठन की स्थापना के बाद वैश्विक पहचान मिली।

1913 में पेरिस में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 12 देशों ने प्रतिभाग किया, इस अवसर पर टेनिस से संबंधित एक अंतर्राष्ट्रीय नियामक निकाय के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय लॉन टेनिस महासंघ (ILTF) की स्थापना की गई। वर्तमान में दुनियाँ के 211 टेनिस संघ इससे जुड़े हैं।

ILTF के कार्यों में टेनिस के नियमों को बनाए रखना एवं उन्हें लागू करना, विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को आयोजित एवं विनियमित करना, खेल को बढ़ावा देना और डोपिंग तथा भ्रष्टाचार विरोधी कार्यक्रमों के माध्यम से खेल की अखंडता को बनाए रखना आदि शामिल हैं। टेनिस को विनियमित करने के लिए संगठन महिला टेनिस संघ (WTA) तथा एसोसिएशन ऑफ टेनिस प्रोफेशनल्स (ATP) के साथ भी मिलकर कार्य करता है।

खेल के आउटडोर संस्करण की शुरुआत के पश्चात खेल के मैदान की सतहों में भी समय के साथ परिवर्तन किए गए। 19वीं शताब्दी के अंत में घास के अतिरिक्त, क्ले कोर्ट, हार्ड कोर्ट, और आर्टिफ़िशियल घास के कोर्ट में भी खेल का आयोजन किया जाने लगा।

टेनिस का मैदान

टेनिस आयताकार कोर्ट या मैदान में खेला जाने वाला खेल है, जिसे दो समान हिस्सों में एक जाल अथवा नेट की सहायता से विभाजित किया जाता है। कोर्ट का आकार 78 फीट (23.77 मीटर) लंबा एवं एकल मैच के लिए 27 फीट (8.23 मीटर) चौड़ा, जबकि युगल मैच के लिए 36 फीट (10.97 मीटर) चौड़ा होता है। कोर्ट को दो समान हिस्सों में विभाजित करने वाला जाल कोर्ट के दोनों ओर स्थित पोस्ट की सहायता से लटका रहता है, जाल की ऊँचाई पोस्ट पर 3 ½ फीट (1.07 मीटर) तथा कोर्ट के केंद्र में 3 फीट होती है।

आइए अब खेल के मैदान में बनी विभिन्न रेखाओं, चिन्हों एवं उनके महत्व को जानते हैं। सभी महत्वपूर्ण स्थानों को नीचे दर्शाए गए चित्र में भी प्रदर्शित किया गया है, ताकि आपको मैदान में किसी स्थान विशेष को पहचानने में आसानी हो।

1. Baseline टेनिस कोर्ट के दोनों छोरों पर मौजूद लाइन जहाँ प्रत्येक खिलाड़ी उपस्थित होता है, बेसलाइन अथवा आधार रेखा कहलाती है। यह रेखा मैदान को विभाजित करने वाले नेट के समानांतर होती है।

2. Baseline Center Mark प्रत्येक बेसलाइन या आधार रेखा का मध्य-बिंदु सेंटर मार्क कहलाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है, जब कोई खिलाड़ी सर्विस दे रहा हो, इस स्थिति में खिलाड़ी को बेसलाइन से पीछे तथा उक्त सेंटर मार्क के दाईं अथवा बाईं ओर खड़ा होना होता है।

3. Singles’ sideline & Doubles’ sideline साइडलाइन मैदान या कोर्ट की लंबाई वाला भाग है। टेनिस कोर्ट में दो भिन्न प्रकार की साइडलाइन (एकल एवं युगल खेल के अनुसार) का इस्तेमाल किया जाता है। सिंगल्स साइडलाइन, एकल खेल के दौरान कोर्ट के किनारे की बाहरी सीमाओं को चिह्नित करती है। वहीं डबल्स साइडलाइन युगल खेल के दौरान इस्तेमाल की जाती है, यह किसी कोर्ट के किनारों पर बनी सबसे बाहरी रेखाएं हैं, जो सिंगल साइडलाइन के समानांतर चलती हैं।

एकल एवं युगल दोनों ही खेलों में साइडलाइन समान 78 फीट लंबी होती है, जबकि दोनों खेलों के लिए बेसलाइन की लंबाई भिन्न होती है।

4. Service line सर्विस लाइन 27 फीट लंबी अथवा सिंगल्स बेसलाइन के बराबर एक रेखा है, जो नेट के समानांतर होती है तथा नेट और बेसलाइन के बीच के हिस्से को दो बराबर भागों में बाँटती है। बेसलाइन के विपरीत सर्विस लाइन केवल सिंगल साइडलाइन तक फैली होती है।

5. Centre service line सेंटर सर्विस लाइन नेट के लंबवत खींची गई लाइन है, जो दोनों पालों में बनी सर्विस लाइन के मध्य बिंदुओं को आपस में जोड़ती है। इसकी कुल लंबाई 42 फीट होती है।

6. Service box सर्विस बॉक्स नेट और सर्विस लाइन के मध्य का क्षेत्र है। इसके किनारों को सिंगल साइडलाइन द्वारा परिभाषित किया गया है तथा इसे सेंटर सर्विस लाइन द्वारा बाएँ और दाएँ बॉक्स में विभाजित किया जाता है। जैसा कि आप नीचे चित्र में देख सकते हैं, नेट के दोनों ओर कुल चार सर्विस बॉक्स (प्रत्येक ओर दो) स्थित हैं। प्रत्येक बॉक्स 21 फीट लंबा और 13.5 फीट चौड़ा होता है। सर्व करते समय खिलाड़ी द्वारा गेंद को प्रतिद्वंद्वी के उस सर्विस बॉक्स में फेंकना होता है, जो सर्व करने वाले खिलाड़ी से विपरीत दिशा में अथवा विकर्णवत स्थित है।

7. Double Tramline यह सिंगल साइडलाइन एवं डबल साइडलाइन के मध्य का क्षेत्र (9 फीट x 78 फीट) है, जिसका प्रयोग केवल डबल मैच के दौरान किया जाता है।

(Tennis Rule in Hindi)
टेनिस का मैदान / सौ. activenation.org.uk

खेल की शुरुआत

मैदान के बारे में समझने के पश्चात आइए अब खेल की शुरुआत एवं अन्य नियमों को जानते हैं। अन्य खेलों की भाँति टेनिस की शुरुआत भी टॉस के साथ होती है। टॉस जीतने वाला खिलाड़ी अथवा टीम (डबल की स्थति में) के पास पहले सर्विस देने, कोर्ट की कोई एक साइड चुनने अथवा निर्णय प्रतिद्वंदी खिलाड़ी पर छोड़ने का विकल्प मौजूद होता है, यदि कोई खिलाड़ी कोर्ट की साइड का चुनाव करता है, तो उस स्थिति में प्रतिद्वंदी खिलाड़ी पहले सर्विस देता है।

पहले सर्व करने वाला अथवा सर्विस देने वाला खिलाड़ी एक खेल के खत्म होने तक सर्व करता रहता है, जबकि अगले खेल में सर्विस दूसरे खिलाड़ी के पास चली जाती है। पहली बार सर्विस देने वाला खिलाड़ी बेसलाइन पर बने सेंटर मार्क के दाईं ओर एवं बेसलाइन से पीछे खड़े होकर सर्विस देता है, जबकि इसके पश्चात अगली सर्विस, सेंटर मार्क के बाईं ओर से दी जाती है तथा प्रत्येक बार सर्विस देने की स्थिति इसी क्रम में बदलती रहती है।

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ऊपर हमनें टेनिस कोर्ट में बने सर्विस बॉक्स के बारे में बात की, सर्विस देने वाले खिलाड़ी द्वारा उसके सामने बने सर्विस बॉक्स के विकर्णवत स्थित सर्विस बॉक्स में ही सर्व किया जाना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गेंद नेट को न छूए। सर्व करने वाले खिलाड़ी को उचित रूप से सर्व करने के लिए दो अवसर प्रदान किए जाते हैं। यदि खिलाड़ी पहला मौका खो दे तो इसे “फॉल्ट” कहा जाता है तथा खिलाड़ी पुनः सर्व करता है।

यदि खिलाड़ी दोनों मौके खो देता है तो यह स्थिति “डबल फॉल्ट” कहलाती है तथा प्रतिद्वंदी खिलाड़ी को एक अंक प्रदान किया जाता है। जब खिलाड़ी सही बॉक्स में सर्विस देता है, तो प्रतिद्वंदी खिलाड़ी को, गेंद को कोर्ट से बाहर न जाने देते हुए केवल एक बाउंस में पुनः खिलाड़ी के पाले में फेंकना होता है और इस प्रकार खेल की शुरुआत होती है।

खेल में अंक व्यवस्था

किसी भी खेल में एक अंक व्यवस्था अथवा ऐसी कोई प्रणाली होती है, जिससे खेल में हार एवं जीत का निर्णय लिया जा सके। टेनिस (Tennis Rule in Hindi) में भी अंक व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाता है, हालाँकि टेनिस की अंक व्यवस्था अन्य खेलों की तुलना में थोड़ी जटिल है। एक टेनिस मैच 3 अथवा 5 सेट से मिलकर बना होता है, प्रत्येक सेट 6 गेम से मिलकर बना होता है तथा प्रत्येक गेम को जीतने के लिए खिलाड़ी को 4 अंकों की आवश्यकता होती है। सरल शब्दों में बात करें तो किसी खिलाड़ी का मुख्य उद्देश्य अंक हासिल करना ही होता है। टेनिस में शून्य अंक को लव, एक अंक को 15, दो अंकों को 30 तथा तीन अंकों को 40 से दर्शाया जाता है, जबकि चौथे अंक के जीतने पर खिलाड़ी एक गेम जीत जाता है।

इस प्रकार 6 गेम जीतने पर खिलाड़ी एक सेट जीत जाता है तथा 2 सेट (जब खेल 3 सेट का हो) अथवा 3 सेट (जब खेल 5 सेट का हो) जीतने पर खिलाड़ी मैच का विजेता बनता है। यहाँ गौर करने वाली बात यह है की किसी सेट को जीतने के लिए 6 गेम न्यूनतम 2 गेम की बढ़त के साथ जीते जाने चाहिए। यदि स्कोर 6-5 हो तब पहले खिलाड़ी को सेट जीतने के लिए अगला गेम जीतना अनिवार्य होगा। आइए अब जानते हैं खेल में अंक किन-किन तरीकों से हासिल किए जा सकते हैं। कोई खिलाड़ी प्रत्येक स्थिति में एक अंक प्राप्त करता है यदि उसका प्रतिद्वंदी-

  • गेंद को नेट में मारता है।
  • गेंद को इस प्रकार मारता है, कि वह बिना प्रतिद्वंदी के पाले में बाउंस किए मैदान से बाहर चली जाए।
  • गेंद को केवल एक बाउंस के साथ अपने प्रतिद्वंदी को वापस करने से चूक जाता है।
  • सर्व कर रहा हो और दूसरे प्रयास में भी उचित सर्व करने में विफल रहा हो।
  • गेंद को अपने पाले अथवा नेट के पार आने से पहले ही हिट कर दे।
  • इसके अलावा यदि गेंद प्रतिद्वंदी खिलाड़ी अथवा उसके द्वारा धारण की गई किसी भी वस्तु को छूती है (रैकेट के अतिरिक्त) तो खिलाड़ी को एक अंक दिया जाता है।

खेल के कुछ अन्य नियम एवं खेल से जुड़ी शब्दावलियाँ

खेल के कुछ अन्य नियमों में निम्नलिखित शामिल हैं।

(क) प्रत्येक बार सर्व करने से पहले, अंपायर द्वारा सर्व करने वाले खिलाड़ी के स्कोर के साथ प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी के स्कोर की घोषणा की जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि सर्व करने वाले खिलाड़ी ने कोई भी अंक अर्जित नहीं किया है, जबकि प्रतिद्वंदी खिलाड़ी ने दो अंक अर्जित कर लिए हैं तो “लव-30” के रूप में स्कोर की घोषणा की जाएगी।

(ख) किसी वैध सर्व के दौरान यदि प्रतिद्वंदी खिलाड़ी गेंद को रैकेट द्वारा छूने में असमर्थ रहता है, तो इस स्थिति को “Ace” कहा जाता है तथा सर्व करने वाला खिलाड़ी एक अंक प्राप्त करता है।

(ग) अगर किसी सर्व के दौरान गेंद नेट को छूते हुए उचित सर्विस बॉक्स में गिरती है, तो ऐसे में सर्व की गिनती नहीं होती है और न ही इसे फॉल्ट माना जाता है। यह स्थिति “Let” कहलाती है।

(घ) प्रत्येक विषम संख्या वाले खेलों जैसे पहले, तीसरे, पाँचवे के बाद दोनों खिलाड़ी मैदान का पाला बदल देते हैं। चूँकि खेल में हवा, धूप आदि महत्वपूर्ण कारक हैं, जो खिलाड़ी को प्रभावित करते हैं अतः दोनों खिलाड़ियों को मैच के दौरान एक समान परिस्थितियों में खेलने का अवसर देने के उद्देश्य से ऐसा किया जाता है।

(ङ) प्रत्येक खेल के समाप्त होने के पश्चात दूसरा खिलाड़ी सर्व करता है।

(च) यदि किसी खेल के पश्चात दोनों खिलाड़ियों का स्कोर समान हो जाता है, तो स्कोर की घोषणा करते समय “All” शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि आप और आपके प्रतिद्वंद्वी दोनों ने खेल में दो अंक जीते हैं, तो स्कोर “30-All” के रूप में घोषित किया जाएगा।

(छ) हमनें पिछले नियम में किसी खेल के दौरान स्कोर के ड्रॉ होने के बारे में चर्चा की, किन्तु यदि किसी खेल के दौरान दोनों खिलाड़ियों का स्कोर 40-40 हो जाए तो इस स्थिति को “All” के बजाए “Deuce” कहा जाता है। जब स्कोर Deuce तक पहुँच जाता है, तो एक खिलाड़ी या टीम को गेम जीतने के लिए लगातार कम से कम दो अंक जीतने आवश्यक होते हैं। Deuce के पश्चात जब कोई खिलाड़ी पहला अंक हासिल करता है इसे “एडवांटेज” से संबोधित किया जाता है यदि खिलाड़ी एडवांटेज के पश्चात अगला अंक जीत ले तो वह गेम जीत जाता है, वहीं यदि अगला अंक प्रतिद्वंदी जीत जाए तो स्कोर पुनः Deuce तक पहुँच जाता है।

एडवांटेज एवं टाईब्रेक सेट (ADVANTAGE SET & TIEBREAK SET)

किसी मैच में सेट का निर्धारण दो भिन्न तरीके से किया जा सकता है, जिनमें एडवांटेज सेट तथा टाईब्रेक सेट शामिल हैं। एडवांटेज सेट के दौरान किसी खिलाड़ी को न्यूनतम 2 गेम की बढ़त के साथ कम से कम 6 गेम जीतने आवश्यक होते हैं, यदि स्कोर 6-6 हो जाए तो खिलाड़ी को सेट जीतने के लिए लगातार 2 अन्य गेम जीतने होंगे।

एडवांटेज सेट के विपरीत टाईब्रेक सेट में यदि स्कोर 6-6 हो जाए तो टाईब्रेक गेम खेला जाता है तथा उसे जीतने वाला खिलाड़ी उक्त सेट जीत जाता है। टाईब्रेक गेम को जीतने के लिए खिलाड़ी को न्यूनतम 2 अंकों की बढ़त के साथ कम से कम 7 अंक जीतने होते हैं।

टेनिस की प्रमुख प्रतियोगिताएं

इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन (आईटीएफ), एसोसिएशन ऑफ टेनिस प्रोफेशनल्स (एटीपी) एवं महिला टेनिस एसोसिएशन (डब्ल्यूटीए) वर्षभर कई तरह की टेनिस प्रतियोगिताओं (Tennis Rule in Hindi) का आयोजन करते रहते हैं, किन्तु इन सभी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली टेनिस के चार शीर्ष टूर्नामेंट्स 1) US ओपन 2) विम्बलडन 3) ऑस्ट्रेलियन ओपन तथा 4) फ्रेंच ओपन प्रमुख हैं। इन्हें संयुक्त रूप से टेनिस के ग्रैंड स्लैम के रूप में भी जाना जाता है। ये टोर्नामेंट्स प्रतिवर्ष आयोजित किए जाते है तथा ग्रैंड स्लैम खिताब अपने नाम करने के लिए किसी खिलाड़ी को एक वर्ष के दौरान ये सभी प्रतियोगिताएं सामूहिक रूप से जीतनी होती है।

इनके आयोजन की बात करें तो ग्रैंड स्लैम की यात्रा ऑस्ट्रेलियन ओपन से शुरू होता है, जो जनवरी के मध्य में मेलबोर्न में आयोजित होता है। इसके पश्चात फ्रेंच ओपन मई के अंत में, विम्बलडन जून-जुलाई के दौरान तथा कलैंडर के अंत में यूएस ओपन अगस्त-सितंबर के मध्य में खेला जाता है। साधारणतः यूएस ओपन तथा ऑस्ट्रेलियन ओपन हार्ड कोर्ट पर खेले जाते हैं, जबकि फ्रेंच ओपन क्ले में तथा विंबलडन घास पर खेला जाता है। इसके अतिरिक्त भारत में आयोजित होने वाली प्रमुख टेनिस टोर्नामेंट्स की बात करें तो इनमें चेन्नई ओपन, दिल्ली ओपन, अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर टेनिस लीग आदि शामिल हैं।

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