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स्तम्भ कोशिकाएं (Stem Cell in Hindi)
आपने चिकित्सा के क्षेत्र में या चिकित्सा संबंधित खबरों में स्तम्भ कोशिकाओं (Stem Cells) के बारे में अवश्य सुना होगा, हालाँकि अभी ये तकनीक विकास के दौर से गुज़र रही है फिर भी चिकित्सा क्षेत्र में इसका इस्तेमाल कर कई रोगों का इलाज किया जा रहा है।
आइये विस्तार से समझते हैं क्या होती हैं स्तम्भ कोशिकाएं? स्तम्भ कोशिकाएं मुख्यतः कोशिका का ही एक रूप है। कोशिकाएं जीवन की रचनात्मक, कार्यात्मक तथा मूलभूत इकाई होती हैं। इन्हीं अरबों-खरबों कोशिकाओं से हमारे शरीर का निर्माण होता है तथा कोशिकाएं ही शरीर में सभी जैविक क्रियाओं के संचालन के लिए उत्तरदायी होती है।
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स्तम्भ कोशिकाओं की बात करें तो ये सामान्य कोशिकाओं के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट गुण रखती है। किसी बहुकोशिकीय प्राणी जैसे मनुष्य आदि के शरीर मे पाई जाने वाली स्तम्भ कोशिकाएं (stem cells) अन्य कोशिकाओं के विपरीत विभाजित होकर नई कोशिकाओं का निर्माण करने में सक्षम होती है।
विभाजन के पश्चात प्राप्त कोशिकाओं में एक कोशिका स्तम्भ कोशिका की ही प्रतिलिपि होती है, जबकि दूसरी कोशिका से किसी अंग आदि की कोशिका का निर्माण होता है। एक स्तम्भ कोशिका के विभाजन से पुनः प्राप्त नई स्तम्भ कोशिका की प्रक्रिया स्तम्भ कोशिकाओं का स्वनवीनीकरण कहलाता है।
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गर्भ में स्थित कोई भ्रूण प्रारंभिक अवस्था में केवल एक कोशिका के रूप में ही होता है इसी कोशिका के विभाजित होने से शरीर के सभी अंगों ह्रदय, जिगर, किडनी आदि का निर्माण होता है। ये वही स्तम्भ कोशिका या स्टेम सेल होती है। अतः स्तम्भ कोशिका की सहायता से किसी भी अंग का पुनः निर्माण संभव है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों से स्टेम सेल थेरेपी एक बहुत ही आशाजनक और उन्नत वैज्ञानिक शोध का विषय बना हुआ है। इस तकनीक ने कई रोगों के उपचार की उम्मीदें जगाई हैं। इसके इतिहास की बात करें तो स्तम्भ कोशिकाओं की कल्पना सर्वप्रथम साल 1902 में रूसी ऊतक वैज्ञानिक Alexander Alexandrowitsch Maximow ने की उन्होंने इसे “Polyblasts” का नाम दिया।
Maximow को उनकी प्रसिद्ध थ्योरी The Unitarian theory of Hematopoiesis के लिए जाना जाता है। अपनी थ्योरी में उन्होंने बताया कि सभी रक्त कोशिकाएं किसी अन्य मूल कोशिका से निर्मित होती हैं। इसके पश्चात दुनियाँ भर के वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता स्तम्भ कोशिकाओं पर अलग-अलग शोध करने में जुटे हुए हैं तथा उम्मीद की जा रही है की यह भविष्य में एक महत्वपूर्ण चिकित्सा तकनीक बनकर हमारे सामने होगी।
स्तम्भ कोशिकाओं की बहुआयामी क्षमता
कोई स्तम्भ कोशिका एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं जैसे हृदय कोशिकाएं, मस्तिष्क की कोशिकाएं, लिवर की कोशिकाएं आदि का निर्माण करने में सक्षम होती है। इन कोशिकाओं का यही गुण इनकी बहुआयामी क्षमता कहलाता है। हालाँकि यह गुण केवल स्तम्भ कोशिकाओं में ही पाया जाता है अर्थात स्तम्भ कोशिका द्वारा निर्मित कोई हृदय कोशिका पुनः किसी अन्य अंग की कोशिका में परिवर्तित नहीं हो सकती।
स्तम्भ कोशिकाओं के प्रकार
हमनें ऊपर स्तम्भ कोशिकाओं (stem cell in Hindi) की बहुआयामी या किसी स्तम्भ कोशिका द्वारा अन्य प्रकार की कोशिकाओं के निर्माण की क्षमता को समझा, किन्तु सभी प्रकार की स्तम्भ कोशिकाएं समान क्षमता धारण नहीं करती हैं। दूसरे शब्दों में अलग-अलग प्रकार की स्तम्भ कोशिकाओं की बहुआयामी क्षमता अलग-अलग होती है जो किसी कोशिका में अधिक एवं किसी में कम हो सकती है। इस क्षमता के आधार पर कोशिकाएं मुख्यतः निम्नलिखित चार भागों में विभाजित की जाती हैं।
- Totipotent Stem Cell
- Pluripotent Stem Cell
- Multipotent Stem Cell
- Unipotent Stem Cell
Totipotent Stem Cell
किसी शिशु के जन्म से पूर्व शुक्राणु द्वारा किसी अंडाणु के निषेचन के पश्चात जाइगोट का निर्माण होता है, जो विभाजित होकर Totipotent Stem Cell का निर्माण करता है। निषेचन के बाद कोशिका विभाजन के पश्चात प्राप्त भ्रूण कोशिकाएं एकमात्र ऐसी कोशिकाएं हैं जो टोटिपोटेंट होती हैं।
ये कोशिकाएं सभी प्रकार की स्तम्भ कोशिकाओं में सबसे शक्तिशाली होती हैं। भ्रूण की शुरुआती अवस्था में प्राप्त इन कोशिकाओं से लगभग शरीर के किसी भी अंग का निर्माण किया जा सकता है। भ्रूण स्तम्भ कोशिकाएं भी दो प्रकार की होती हैं। चूँकि ये भ्रूण की प्रारंभिक अवस्था होती है अतः इसे प्राप्त करने में भ्रूण की मृत्यु हो जाती है।
Pluripotent Stem Cell
टोटीपोटेंट सेल विभाजित होकर प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल का निर्माण करती हैं इन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता है ये मुख्यतः गर्भनाल के रक्त में पाई जाती हैं। नवजात के जन्म के समय इन कोशिकाओं को स्टेम सेल बैंक में सुरक्षित रख लिया जाता है। ये कोशिकाएं पुनः तीन प्रकार की होती हैं।
Embryonic Stem Cells
ये प्लूरिपोटेंट कोशिकाएं युग्मज या जाइगोट की Blastocyst stage में निर्मित Inner Cell Mass से प्राप्त की जाती हैं। अंडाणु के निषेचन के लगभग 7 से 9 दिनों के बाद जब भ्रूण गर्भाशय गुहा में पहुँच जाता है, तत्पश्चात इस स्थिति में यह लगभग सौ कोशिकाओं से बना भ्रूण होता है यह अवस्था ही Blastocyst stage कहलाती है।
Perinatal Stem Cells
प्रसवकालीन स्तम्भ कोशिकाएं या Perinatal Stem Cells गर्भनाल रक्त से प्राप्त होती हैं तथा सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली प्लुरिपोटेंट स्तम्भ कोशिकाएं हैं। इन कोशिकाओं की प्राप्ति गर्भनाल से की जाती है जिसे अन्यथा त्याग ही दिया जाता है इसी कारण एसी स्तम्भ कोशिकाओं को प्राप्त करने में नैतिकता से संबंधित मुद्दे सामने नहीं आते हैं। जबकी भ्रूणीय स्तम्भ कोशिकाओं की प्राप्ति 16 हफ्ते के गर्भ का गर्भपात करा कर की जाती है। हालाँकि इसमें माता-पिता की अनुमति लि जाती है किन्तु यह अमानवीय एवं गैर-कानूनी है।
Induced Pluripotent Stem Cell (iPSC)
हमनें प्लूरिपोटेंट कोशिकाओं के बारे में ऊपर समझाया है ये कोशिकाएं किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में विभाजित हो सकती हैं अतः इनसे किसी भी अंग का निर्माण किया जा सकता है। किंतु इन कोशिकाओं को केवल गर्भनाल से ही प्राप्त किया जा सकता है, भविष्य में मनुष्य के शरीर में ये कोशिकाएं उपस्थित नहीं रहती।
इसी को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों नें वयस्क स्तम्भ कोशिकाओं से ही प्लूरिपोटेंट या भ्रूण स्टेम सेल बनाने का तरीका खोज निकाला है। जिसे induced pluripotent stem cell नाम दिया गया है। इसी खोज के कारण 2012 में जॉन बी गार्डन एवं शिन्या यामानाका को चिकित्सा का नोबेल प्रदान किया गया।
Multipotent Stem Cell
इस श्रेणी में वयस्क स्तम्भ कोशिकाएं शामिल हैं जो सभी वयस्कों में पाई जाती हैं। किसी भ्रूण स्तम्भ कोशिका के विपरीत ये कोशिकाएं केवल किन्हीं विशेष कोशिकाओं में ही विभाजित हो सकती हैं। इनका कार्य मुख्यतः शरीर की टूट फूट को ठीक करना, क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करना आदि होता है।
ये कोशिकाएं अलग अलग भागों में पाई जाती हैं। जैसे अस्थि मज्जा की स्टेम कोशिकाएं विभाजित होकर लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं तथा प्लेटलेट्स का निर्माण करती हैं, Neural stem cells न्यूरॉन्स या मस्तिष्क कोशिकाओं का निर्माण करती हैं उसी प्रकार लिम्फोइड कोशिकाएं विभाजित होकर B एवं T कोशिकाओं का निर्माण करती हैं।
Unipotent Stem Cell
जैसा की इसके नाम से स्पष्ट है इस प्रकार की स्तम्भ कोशिकाएं केवल एक प्रकार की कोशिकाओं का निर्माण कर सकती हैं। अतः ये सभी प्रकार की स्तम्भ कोशिकाओं में सबसे कम शक्तिशाली होती हैं। इसके उदाहरण की बात करें तो मांसपेशियों की स्टेम कोशिकाएं प्रमुख हैं।
कहाँ से प्राप्त होती हैं स्तम्भ कोशिकाएं
स्तम्भ कोशिकाओं को इसकी प्राप्ति के आधार पर भी विभिन्न तीन भागों में विभाजित किया जाता है। पहला गर्भस्थ शिशु के भ्रूण के तंतुओं से जिसे भ्रूण स्टेम सेल कहा जाता है। दूसरा कॉर्ड स्टेम सेल जिसे जन्म के समय बच्चों के गर्भनाल से लिया जाता है, तथा तीसरा वयस्क स्टेम सेल जो रक्त या अस्थि मज्जा (Bone Marrow) से एकत्र की जाती हैं।
स्टेम सेल बैंक
वर्तमान में लगभग अधिकांश माता-पिता द्वारा शिशु के जन्म के उपरांत गर्भनाल को काट कर गर्भनाल बैंकों में जमा कराने का विकल्प अपनाया जा रहा है, जिससे शिशु को भविष्य में होने वाली कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का निवारण किया जा सके। स्टेम सेल बैंक अस्पतालों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली एक सेवा है जिसके द्वारा कोई भी माता-पिता अपने शिशुओं की स्तम्भ कोशिकाओं को भविष्य के लिए संरक्षित कर सकते हैं। इन बैंकों में स्तम्भ कोशिकाओं को क्रायोजेनिक तरीके से (-196°C तापमान पर) कई वर्षों के लिये संरक्षित करके रखा जा सकता है।
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अस्पतालों द्वारा दी जाने वाली यह सेवा मुख्यतः दो प्रकार की होती है जिसमें सार्वजनिक स्टेम सेल बैंक तथा निजी स्टेम सेल बैंक शामिल हैं। जहाँ निजी स्टेम सेल बैंक में संरक्षित कराई गई कोशिकाओं का इस्तेमाल केवल मूल शिशु या उसके परिवार के किसी सदस्य के इलाज के लिए किया जाता है वहीं सार्वजनिक स्टेम सेल बैंक का इस्तेमाल किसी भी व्यक्ति के उपचार में किया जा सकता है। इस स्थिति में माता-पिता अपनी इच्छा से शिशु की स्तमभ कोशिकाएं ऐसे बैंकों को दान करते हैं।
स्टेम सेल द्वारा रोगों का इलाज
स्तम्भ कोशिका (stem cell in Hindi) तकनीक चिकित्सा पद्धति को एक नए आयाम में ले जाने का कार्य करेगी। इन कोशिकाओं के प्रयोग से किसी खराब अंग का पुनःनिर्माण किसी अंग की मरम्मत, अल्ज़ाइमर, मधुमेह, कैंसर, रीढ़ की हड्डी की चोट, लिवर संबंधी विकार, टाइप-1 और 2 डायबिटीज, हृदय संबंधी विकार, तंत्रिका तंत्र के विकार, आनुवंशिक विकार, किडनी विकार, जैसी बीमारियों का इलाज संभव हो पाएगा।
अस्थि मज्जा की स्तम्भ कोशिकाओं द्वारा रक्त कोशिकाओं का निर्माण किया जा सकेगा जिससे रक्त संचार संबंधित बीमारियों पर नियंत्रण किया जा सकेगा। HIV संक्रमण द्वारा नष्ट हुई कोशिकाओं को फिर से बनाया जा सकेगा।
स्टेम सेल थेरेपी के नुकसान एवं चुनौतियाँ
किसी भी अन्य चिकित्सकीय तकनीक की भाँति स्टेम सेल थेरेपी के भी कई दुष्परिणाम समय समय पर सामने आते रहे हैं। कई जानकारों का मानना है की अभी इस पर की गई शोध पर्याप्त नहीं है। स्टेम सेल अनुसंधान का एक अन्य नुकसान यह है कि ये (भ्रूण स्तम्भ कोशिकाएं) जिस तरह से हासिल किए जाते हैं इसमें मानव भ्रूण का विनाश होता है, जो इसे अनैतिक बनाता है।
वर्तमान में इसके उपयोग की बात करें तो स्टेम सेल तकनीक द्वारा केवल अस्थि मज्जा के प्रत्यारोपण को ही मान्यता दी गई है जबकि अन्य रोगों के उपचार में इसके प्रयोगों पर शोध किया जा रहा है। इस तकनीक द्वारा इलाज में एक अन्य चुनौती इलाज का खर्च भी है जो बहुत अधिक होता है।
भारत की स्थिति
जैसा कि हमनें ऊपर बताया भारत में स्टेम सेल थेरेपी का इस्तेमाल केवल Hematological Disorders एवं कैंसर के लिये अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण के रूप में किया जाता है। अन्य रोगों के लिये अभी स्टेम सेल थेरेपी को सुरक्षित तथा प्रभावकारी नहीं माना गया है। देश में स्तम्भ कोशिका अनुसंधान के विषय में सर्वप्रथम भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने साल 2002 में दिशानिर्देश जारी किये। 2013 में नेशनल गाइडलाइंस फॉर स्टेम सेल रिसर्च को तैयार किया गया। जिसे पुनः 2017 में संशोधित किया गया है।
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