विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में समय के साथ हुए विकास ने मानव जीवन को बहुत हद तक आसान बना दिया है। अत्याधुनिक मशीनों के निर्माण से प्रत्येक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव समय के साथ आए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, विनिर्माण लगभग सभी क्षेत्रों में मशीनों द्वारा काफी कम समय में किसी भी जटिल कार्य को करना संभव हो पाया है।
शुरुआत में मशीनों का निर्माण किसी कार्य को अधिक कुशलता एवं न्यूनतम समय में पूर्ण करने के उद्देश्य से विकसित किया गया, किन्तु प्रौद्योगिकी के उन्नत होते रूप ने आज मशीनों को बुद्धिमत्ता (Robotics in Hindi) भी प्रदान की है, जिससे वे मनुष्य की तरह सोचने समझने तथा किसी कार्य को करने में सक्षम हैं।
हालाँकि इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि मशीनों पर इंसानों की बढ़ती निर्भरता मानव जीवन के लिए एक खतरा भी है। नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में आज इस लेख में बात करेंगे प्रौद्योगिकी के एक महत्वपूर्ण रूप रोबोटिक्स (Robotics in Hindi) के बारे में एवं जानेंगे विभिन्न क्षेत्रों में इनके अनुप्रयोग तथा इसके संभावित खतरों को।
रोबॉट तथा रोबोटिक्स क्या हैं? (Robot & Robotics)
रोबॉट मशीनों का एक उन्नत रूप है, जो स्वचालित, स्वनियंत्रित, बहुउद्देश्यीय तथा पुनः-निर्देशित (Reprogrammable) करने योग्य हैं। पुनः-निर्देशित अथवा रि-प्रोग्राम से आशय मशीन को किसी दूसरे कार्य के लिए निर्देशित करना है। रोबॉट्स सामान्यतः मानव श्रम द्वारा संपादित किए जाने वाले अथवा मानव श्रम द्वारा संपादित न किए जा सकने वाले दोनों तरह के कार्यों को करने में सक्षम होते हैं।
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रोबॉट्स के इस्तेमाल से मानव श्रम को प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा इनके कार्य में मानव हस्तक्षेप भी नगण्य होता है। इसके अतिरिक्त रोबोटिक्स (Robotics in Hindi) की बात करें तो, रोबॉट तथा इसके निर्माण से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन को रोबोटिक्स कहा जाता है। यह बहुविषयक क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत रोबॉट के निर्माण के लिए डिजाइनिंग, मोटर एवं परिपथ का निर्माण, प्रोग्रामिंग आदि आते हैं।
रोबॉट के विभिन्न प्रकार (Types of Robot)
रोबॉट एक बहुत ही विस्तृत मशीन है, जिसका केवल किसी क्षेत्र विशेष में इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि प्रत्येक क्षेत्र की माँग के अनुसार इन्हें विकसित किया जाता है, अतः इनके कार्यों को देखते हुए इनको अलग-अलग आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। आइये कुछ प्रमुख आधार पर इसके वर्गीकरण को देखते हैं।
परिचालन के आधार पर
इस आधार पर रोबॉट को स्थिर एवं गतिशील में विभाजित किया जाता है। स्थिर रोबॉट्स अर्थात वे, जो स्थिर रहकर अपना कार्य करते हैं ये गति करने में सक्षम नहीं होते हैं। इस प्रकार के रोबॉट्स के उदाहरण में वेल्डिंग रोबॉट आदि शामिल हैं। वहीं गतिमान रोबॉट्स ऐसे रोबॉट्स हैं, जो गति करने में सक्षम होते हैं। ये दोनों प्रकार के रोबॉट्स विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लिए जाते हैं।
कार्य क्षमता के आधार पर
कार्य क्षमता के आधार पर भी रोबोट्स को दो श्रेणियों में रखा गया है। पहली श्रेणी टाइप 1 रोबोट्स की है इसके अंतर्गत वे रोबोट्स हैं, जो मानव की तुलना में कहीं अधिक कार्यकुशल हैं। इस श्रेणी में अधिकांशतः औद्योगिक रोबोट्स को रखा गया है। इनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों में कटिंग, पेंटिंग आदि शामिल हैं। इसके अतिरक्त टाइप 2 रोबोट्स ऐसे रोबोट्स हैं, जो मानव से कम कार्य कुशल होते हैं, इनका इस्तेमाल किसी क्षेत्र विशेष में मानव से जुड़े खतरों को देखते हुए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर ज्वालामुखी अध्ययन, अंतरिक्ष अध्ययन, समुद्र में खोजबीन आदि।
आकृति के आधार पर
इस आधार पर रोबोट्स को तीन श्रेणियों में रखा जाता है जिनमें यांत्रिक रोबोट्स (अधिकांशतः औद्योगिक रोबोट्स), जंतु रोबोट्स (रोबो डॉग AIBO, रोबो कैट TAMA) तथा मानवीय रोबोट्स (एटलस तथा सोफिया) शामिल हैं।
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नियंत्रण के आधार पर
नियंत्रण अथवा कंट्रोल के आधार पर भी रोबॉट्स को दो श्रेणियों में रखा गया है, जिनमें प्री-प्रोग्राम्ड रोबॉट तथा स्वतंत्र रोबॉट शामिल हैं। प्री-प्रोग्राम्ड रोबॉट ऐसी मशीनें हैं, जो किसी एक निश्चित कार्य को बार बार कर सकने में समर्थ होती है, जबकि ये रोबॉट्स अपने वातावरण के बारे में जानकारी इकट्ठा कर पाने में सक्षम नहीं होते।
प्री प्रोग्राम्ड रोबॉट्स के विपरीत स्वतंत्र रोबॉट अपने नाम के अनुरूप अधिक उन्नत होते हैं। इन्हें कार्य करने के लिए मानवीय संचालन की आवश्यकता नहीं होती है। ये इनमें लगे विभिन्न प्रकार के सेंसर्स की सहायता से अपने वातावरण से सूचनाएं जुटा सकने तथा उचित निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
रोबोटिक्स का नियम
किसी भी प्रौद्योगिकी का एक सकारात्मक इस्तेमाल सुनिश्चित करने हेतु उसके विनाशकारी प्रयोगों को नियंत्रित करना आवश्यक है और जब बात रोबोटिक्स की हो तो यह और भी अहम हो जाता है। रोबॉट्स के उचित प्रयोग को सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ मानक या नियम बनाए गए हैं।
(क) रोबोट किसी भी स्थिति में मानव को नुकसान नहीं पहुचाएगा और न ही परोक्ष रूप से मानव के नुकसान का कारण बनेगा।
(ख) रोबोट मानव द्वारा दिये गए सभी निर्देशों का पालन करेगा, जब तक कि ये पहले नियम के साथ विरोधाभास पैदा न करता हो।
(ग) रोबॉट यथा सम्भव अपने अस्तित्व को बचाने की कोशिश करेगा तब तक, जब तक कि यह पूर्व के दोनों नियमों के साथ विरोधाभास पैदा न करे।
रोबॉट्स के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोग (Application of Robots in various Sectors)
आइये एक नज़र विभिन्न क्षेत्रों में रोबोट्स के अनुप्रयोगों पर डालते हैं।
औधोगिक क्षेत्र में (Industrial Sector)
रोबोट्स का सबसे महत्वपूर्ण योगदान औद्योगिक क्षेत्र में रहा है। दुनियाँभर में विभिन्न उत्पादों की दिन-प्रतिदिन बढ़ती माँग को मानव श्रम द्वारा संतुष्ट कर पाना नामुमकिन है, किंतु मशीनों की सहायता से उत्पादन को हज़ारों गुना तक बढ़ाया जा रहा है। जापान, अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में औद्योगिक क्षेत्र में इस्तेमाल किये जाने वाले रोबोट्स की संख्या में सालाना 30 फीसदी से अधिक की वृद्धि हो रही है, वहीं चीन जैसे श्रम बहुल देश ने भी पिछले कुछ वर्षों में इन रोबोट्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है। भारत में भी कई बहुराष्ट्रीय तथा घरेलू कपंनियों द्वारा औद्योगिक रोबोट्स के प्रयोग में वृद्धि की जा रही है। औद्योगिक क्षेत्र में रोबोट्स के निम्नलिखित उपयोग हैं।
- मानव श्रम की तुलना में उत्पादकता में कई गुना तक वृद्धि
- मानव से उन्नत सटीकता होने के कारण उत्पादन की बेहतर गुणवत्ता
- उत्पादन की लागत में कमी
- प्रतिकूल परिस्थितियों में कार्य करने में सक्षम
- इनके प्रयोग द्वारा किसी उद्योग पर व्यावसायिक एवं स्वास्थ्य सुरक्षा कानून लागू नहीं होते।
- इनके द्वारा उत्पादन की पूरी प्रक्रिया पर उच्च स्तरीय प्रबंधन लागू किया जा सकता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र (Health Sector)
स्वास्थ्य क्षेत्र में रोबोट्स के प्रयोग से कई बदलाव संभव हो पाए हैं। ऑर्थोटिक्स (Orthotics) का प्रयोग कटे हुए हाथ पैरों या ऐसे अंगों के लकवा ग्रसित होने पर किया जा रहा है, जो प्राकृतिक अंगों के समान ही कार्य करते हैं। ये पूर्व स्वचालित रोबोटिक अंग होते हैं, जो मस्तिष्क से प्राप्त तंत्रिका संदेशों को कार्य मे बदल देते हैं।
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रोबोट्स के प्रयोग द्वारा शल्य चिकित्सा को भी उन्नत किया गया है। इनका प्रयोग मुख्यतः मस्तिष्क एवं हृदय की शल्य क्रियाओं में किया जाता है। शल्य चिकित्सा में इनके प्रयोग से ऊतकों की क्षति तथा रक्त स्राव दोनों कम होता है। इसके अतिरिक्त शल्य चिकित्सा में इसके इस्तेमाल द्वारा संक्रमण के खतरे कम होते हैं, घाव तेज़ी से भरते हैं, चिकित्सा में त्रुटि की गुंजाइश नगण्य हो जाती है और समय भी कम लगता है।
रोबोट्स की सहायता से लंबी दूरी से शल्य चिकित्सा करना भी संभव हो सका है। इसका प्रयोग अधिकांशतः हृदय की शल्य चिकित्सा के लिए किया जाता है। इसमें डॉक्टर के द्वारा एक कंट्रोल पैनल की सहायता से किसी अन्य स्थान पर मौजूद मरीज की शल्य चिकित्सा की जाती है। इस चिकित्सा का मूल्य अत्यधिक है इसके अतिरिक्त वर्तमान में यह कुछ विकसित देशों तक ही सीमित है।
चिकित्सा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले रोबॉट
माइक्रो रोबॉट : ये चिकित्सा क्षेत्र में इस्तेमाल किये जाने वाले अत्यंत छोटे रोबोट हैं, जिन्हें पाचन तंत्र में प्रवेश कराया जाता है। इनकी सहायता से अल्सर तथा अन्य पाचन संबंधी रोगों की पहचान कर प्रभावित क्षेत्रों में दावा भी पहुँचाई जा सकती है।
नैनो रोबॉट : यह नैनो तकनीक पर आधारित नैनो स्तर की रोबोटिक प्रणाली है। इन्हें रक्त में प्रवेश कराया जा सकता है, जहाँ ये रोगाणुओं से लड़ सकते हैं, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं तथा शरीर में लक्षित अंगों तक दावा पहुँचा सकते हैं।
रोबोट्स का घरों में इस्तेमाल (Domestic Use of Robots)
उद्योगों एवं चिकित्सा क्षेत्र के अतिरिक्त वर्तमान दौर में घरों में भी कई कार्यों के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। घरेलू इस्तेमाल वाले रोबोट्स की पहली श्रेणी खिलौनों की है, जिन्हें एक खिलौनों के रूप में कुछ विशिष्ट गुणों जैसे घर की सुरक्षा, बच्चों की देखभाल आदि को जोड़कर विकसित किया गया है। उदाहरण के तौर पर AIBO रोबोट उसमें लगे कैमरे की मदद से बच्चों तथा नेत्रहीनों को सड़क पर करा सकता है, TAMA सूचना तंत्र से जुड़कर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को परिजनों तक साझा कर सकता है।
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घरेलू रोबॉट्स की दूसरी श्रेणी में सहायक रोबोट्स शामिल हैं, इन्हें औद्योगिक रोबोट्स में कुछ बदलाव कर घरेलू कार्यों को करने योग्य बना दिया जाता है। इन कार्यों के अंतर्गत किस वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान तक रखना, बिना मानवीय हस्तक्षेप के सफाई करना आदि शामिल है।
रक्षा क्षेत्र में (Defense Sector)
रोबोट्स का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र में भी किया जा रहा है। हालाँकि इसका प्रयोग युद्ध में संहारक के तौर पर नहीं किया जा सकता क्योंकि यह रोबोटिक्स के नियमों का उल्लंघन करता है, किन्तु इनका प्रयोग रक्षा क्षेत्र में अन्य कार्यों जैसे घायल सैनिकों की मदद करना, आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करना, बारूदी सुरंगों का पता लगाना, निगरानी करना आदि में किया जा सकता है।
अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research)
अंतरिक्ष एवं अन्य ग्रह मानव के लिए खतरनाक हैं अतः ऐसे स्थानों में प्रारंभिक अनुसंधान हेतु रोबॉट्स की सहायता ली जा सकती है। रोबॉट द्वारा इन स्थानों का गहन अध्ययन किया जा सकता है ताकि प्राप्त जानकारी के आधार पर भविष्य में इन स्थानों पर सुरक्षित तरीके से मानव मिशन भेजा जा सके। ऐसे कुछ रोबोट्स में अमेरिका का Curiosity, यूरोप का Rosetta Philae आदि शामिल हैं।
आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
रोबॉट अत्याधुनिक संवेदकों या सेंसर्स से लैस होते है, जिन्हें अत्यंत खतरनाक तथा विषम परिस्थितियों में भेजा जा सकता है। ये मानव के सहायक के रूप में आपदा प्रबंधन में मदद कर सकते हैं। हैदराबाद साइंस सोसाइटी ने एक प्रणाली विकसित की है, जो भूकंप के मलवे में दबे जिंदा व्यक्तियों का पता लगाने में सक्षम हैं। DARPA ने ATLAS नामक अत्याधुनिक मानव आकृति रोबोट निर्मित किया है, जो आगजनी तथा अन्य आपदा प्रबंधन के संदर्भ में कार्य कर सकता है।
कृषि क्षेत्र में (Agriculture Sector)
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है अतः कृषि क्षेत्र में रोबॉट्स के इस्तेमाल से कृषि को आधुनिक किया जा सकता है। कृषि क्षेत्र में रोबॉट का प्रयोग मानव श्रम को कम करने के उद्देश्य से किया जाता है। उदाहरण के तौर पर आलू खोदने, पके फलों का चुनाव करने, फसलों की कटाई करने, खाद्य उत्पादों की पैकिंग तथा खाद्य प्रसंस्करण आदि ऐसे कार्य हैं, जिन्हें रोबॉट्स मानव के मुकाबले नगण्य त्रुटि एवं बेहद कम समय में कर सकते हैं। हालाँकि अभी इसका प्रयोग केवल विकसित देशों तक ही सीमित है। भारत जैसे विकासशील देशों में ये अभी अनुसंधान में है।
भारत में रोबोटिक्स का विकास (Robotics in India)
Centre for Artificial Intelligence & Robotics (CAIR) रोबॉटिक्स के क्षेत्र में कार्य करने वाली अग्रणी तथा स्वायत्त संस्था है, जिसके द्वारा कई महत्वपूर्ण रोबोटिक प्रणालियों का विकास किया गया है। कुछ स्वदेशी रोबोटिक प्रणालियों में GARUDA तथा CHATUROBOT शामिल हैं। GARUDA रोबॉट का उपयोग HAL द्वारा विमान निर्माण में किया जाता है। वहीं CHATUROBOT एक दृश्य संवेदक युक्त रोबोटिक प्रणाली है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित प्रारंभिक स्तर के कार्य किये गए हैं।
CAIR भारतीय रक्षा एवं अनुसंधान परिषद (DRDO) के साथ मिलकर प्रतिरक्षा क्षेत्र में रोबोटिक्स से जुड़ी संभावनाओं पर कार्य करती है। पिछले एक दशक में भारतीय उद्योग में तथा भारत स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी के द्वारा औद्योगिक रोबोट के प्रयोग में तेज़ी देखी गयी है।
रोबोटिक्स से जुड़े खतरे
रोबॉट्स के बढ़ते इस्तेमाल से भले ही कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आए हों किन्तु इनपर बढ़ती निर्भरता मानव जीवन के लिए खतरा भी है। आइए इनसे जुड़े कुछ प्रमुख खतरों पर नजर डालते हैं।
औद्योगिक क्षेत्र में : मशीनों से उद्योगों में उत्पादकता एवं गुणवत्ता में भले ही सुधार हुआ हो, किन्तु इनके इस्तेमाल से उतपन्न समस्याओं को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। औद्योगिक क्षेत्र एकमात्र क्षेत्र हैं, जो सर्वाधिक रोजगार पैदा करता है, किंतु इस क्षेत्र में रोबोट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से विकासशील देशों में बेरोजगारी में वृद्धि हुई है।
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श्रम का अवमूल्यन, क्रय शक्ति में कमी आर्थिक मंदी जैसी समस्याओं का कारण बन सकती हैं, जिनका अंततः नकारात्मक प्रभाव उद्योगों पर ही होगा। उद्योगों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे उद्योगों के लिए भी अपने अस्तित्व को बचाए रखने हेतु इस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल करना बाध्यकारी हो जाता है।
संवेदना का अभाव : चूँकि रोबॉट्स केवल उन्नत मशीनें ही हैं, जिन्हें किसी कार्य को करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है अतः इनमें मानवीय संवेदना का अभाव है, जिसके चलते इनकी सहायता से किसी भयावह घटना को अंजाम दिया जा सकता है।
रोबॉट्स के घरेलू प्रयोगों से जुड़े मुद्दे : रोबॉट्स के घरेलू उपयोग से जुड़े मुद्दों में रोबॉट्स के प्रति भावनात्मक संबंध (खासकर बच्चों एवं बुजुर्गों में) विकसित होने की अधिक संभावनाएं हैं, जो मानवीय मूल्यों के लिए नुकसानदेह है।
नैतिक मुद्दे : रोबॉट्स के इस्तेमाल के साथ एक अन्य चुनौती नैतिकता भी है, चूँकि रोबॉट्स एक मशीन है अतः इन मशीनों द्वारा हुए किसी अपराध, नुकसान अथवा दुर्घटना के लिए किसे जिम्मेदार अथवा दोषी माना जाए यह भी बहस का मुद्दा है।
चूँकि रोबॉट्स का विभिन्न क्षेत्रों में बेहद महत्वपूर्ण योगदान है अतः इसके प्रयोग को सिरे से नहीं नकारा जा सकता, किन्तु इसका एक संतुलित एवं विनियमित प्रयोग इससे होने वाले खतरों को समाप्त कर सकता है। उदाहरण के तौर पर औद्योगिक क्षेत्र को लें तो यहाँ मानव रोबॉट सह-अस्तित्व को अपनाया जाना चाहिए तथा रचनात्मक कार्यों के लिए मानव श्रम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि मानव तथा रोबोट के मध्य संतुलन बना रहे।
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