जनहित याचिका या PIL क्या होती है?
आपने अक्सर समाचारों, सोशल मीडिया इत्यादि में जनहित याचिका या पीआईएल जैसे शब्दों को सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं जनहित याचिका क्या होती है तथा जनहित याचिकाओं को क्यों दायर किया जाता है?
जैसा कि, इस शब्दावली से भी जाहिर होता है जनहित याचिकाएं न्यायालय में दायर की जाने वाली ऐसी याचिकाएं होती हैं, जो याचिकाकर्ता के निजी मामलों के विपरीत किसी सामाजिक या जनहित के मामले से जुड़ी होती हैं। जनहित याचिका को अंग्रेजी में पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (Public Interest Litigation) या आमतौर पर PIL कहा जाता है।
सामान्यतः कोई भी पीड़ित व्यक्ति कानून की मदद लेने के लिए अथवा अपने अधिकारों के हनन होने की स्थिति में उपचार पाने के लिए अदालत में जाता है, किन्तु जब कोई व्यक्ति अथवा संगठन सामाजिक भलाई के उद्देश्य से न्यायालय में कोई याचिका दायर करता है तो ऐसी याचिकाएं जनहित याचिका कहलाती हैं।
जनहित याचिकाएं किसी ऐसे व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के पक्ष में दायर करी जा सकती हैं, जो आर्थिक कारणों अथवा जागरूकता न होने के चलते स्वयं न्यायालय जाने में असमर्थ हैं। इसके अलावा जनहित याचिकाएं ऐसे सामाजिक मुद्दों पर भी दायर करी जा सकती हैं, जिनसे कोई वर्ग विशेष नहीं बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता हो जैसे पर्यावरण से जुड़ा कोई मुद्दा।
भारत में साल 1980 के दशक में Public Interest Litigation या PIL की शुरुआत हुई, देश में इसकी शुरुआत के पीछे न्यायमूर्ती V. R. कृष्णअय्यर एवं न्यायमूर्ती P. N. भगवती की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
जनहित याचिका दायर करने का कारण
देश के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार जनहित याचिकाएं कानून के शासन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। यह न्याय के मुद्दे को आगे बढ़ाने में सहायक हैं और साथ ही संविधान के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए भी आवश्यक है। पीआईएल के मुख्य उद्देश्यों में देश में कानून के शासन की रक्षा करना, ऐसे व्यक्तियों अथवा वर्गों को कानून की सहायता दिलवाना जो अर्थिक-सामाजिक रूप से ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तथा मौलिक अधिकारों को सार्थक रूप में प्राप्त करना आदि शामिल हैं।
किन मुद्दों पर दायर करी जाती हैं जनहित याचिकाएं?
ऐसे क्षेत्र जिनसे जुड़े मामलों में जनहित याचिका दायर करी जा सकेंगी उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताया गया है। साल 1998 में न्यायालय द्वारा जनहित याचिकाओं के संबंध में कुछ दिशानिर्देशों को जारी किया गया, जिन्हें आगे चलकर साल 2003 में संशोधित भी किया गया है। इन नियमों के तहत निम्नलिखित मामलों में ही जनहित याचिकाएं दायर करी जा सकेंगी
- बंधुआ श्रमिक, श्रमिकों को उचित मजदूरी नहीं मिलना, श्रमिकों का शोषण तथा श्रम कानूनों का उल्लंघन आदि से जुड़े मामले
- उपेक्षित बच्चों से जुड़े मामले
- पुलिस द्वारा कोई मामला दाखिल न किये जाने, पुलिस द्वारा उत्पीड़न किये जाने तथा पुलिस हिरासत में मृत्यु से जुड़े मामले
- महिलाओं पर अत्याचार जैसे वधु उत्पीड़न, दहेज, हत्या, बलात्कार आदि से जुड़े मामले
- किसी समाज द्वारा समाज के एक खास वर्ग के उत्पीड़न से जुड़े मामले
- पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उत्पीड़न से जुड़े मामले
- पर्यावरण प्रदूषण, पारिस्थितिकी संतुलन तथा वन्य एवं वन्य जीवों के संरक्षण से जुड़े मामले
- इसके अलावा कुछ अन्य मामले जिनकी स्थिति में जनहित याचिका दायर की जा सकती है उनमें खाद्य पदार्थों में मिलावट, औषधि, विरासत एवं संस्कृति, प्राचीन कलाकृति, दंगा पीड़ितों की याचिकाएं तथा सार्वजनिक महत्व के अन्य मामले शामिल हैं
इसके अलावा कई ऐसे मामले भी हैं, जिनकी स्थिति में जनहित याचिका दायर नहीं करी जा सकती है ऐसे कुछ प्रमुख मामले निम्नलिखित हैं
- मकान मालिक – किराएदार से जुड़े मामले
- सेवा संबंधी मामले तथा पेंशन एवं ग्रेच्युटी से जुड़े मामले
- ऊपर बताए गए ऐसे मामले जिनमें जनहित याचिका दायर करी जा सकती है उन्हें छोड़कर केंद्र तथा राज्य सरकार के विभागों के खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत से जुड़ा मामला
- किसी भी शैक्षिक संस्था में नामांकन से जुड़े मामले
- जल्दी सुनवाई के लिए दाखिल की जाने वाली याचिका
कैसे दायर की जाती है PIL?
जनहित याचिका (Public Interest Litigation) दायर करने की प्रक्रिया बेहद आसान है और इसके लिए किसी विशेष कानूनी ज्ञान की आवश्यकता भी नहीं होती है। हालांकि किसी मामले में पीआईएल दायर करने से पहले किसी अनुभवी पीआईएल वकील से सलाह लेना याचिका दायर करने वाले व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है।
पीआईएल दायर करने से पहले यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि, जिस मुद्दे को आप उठाना चाहते हैं वह सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण हो इसके साथ ही आपके द्वारा उस मामले से जुड़े जरूरी साक्ष्य भी याचिका दायर करने के दौरान जुटाए जाने चाहिए।
पीआईएल किसी उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में दायर करी जा सकती हैं। जनहित याचिका दायर करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाना चाहिए
- सबसे पहले उस मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों को एकत्र करें जिसके संबंध में आप पीआईएल दायर करना चाहते हैं
- इसके बाद उच्च न्यायालय / सर्वोच्च न्यायालय जहाँ भी आप याचिका दायर करना चाहते हैं उस न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए अपना पत्र लिखें
- उच्च न्यायालय की स्थिति में याचिका की कम से कम दो प्रतियां दर्ज करें तथा प्रतिवादी (Respondent) को अग्रिम रूप से याचिका की एक प्रति भेजें
- सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति में कम से कम याचिका की 5 प्रतियां दर्ज करें किन्तु यहाँ प्रतिवादी/प्रतिवादियों को याचिका की प्रतियां न्यायालय के आदेश पर ही भेजी जाएंगी
पीआईएल दायर करने के दौरान आपको कुछ जरूरी दस्तावेजों की भी आवश्यकता होगी, जिनमें आपकी पहचान का प्रमाण, पीड़ित व्यक्ति/व्यक्तियों के नाम और पते का प्रमाण, प्रतिवादी/प्रतिवादियों (सरकारी संस्था, पुलिस आदि) के नाम, याचिका दायर करने के उद्देश्य (किसी व्यक्ति/व्यक्तियों के अधिकारों का हनन, किसी कानून का उल्लंघन आदि) से जुड़े दस्तावेज आदि शामिल हैं।