क्या भारत में NFT (Non-Fungible Token) खरीदना या बेचना कानूनी है? जानें क्या है देश में NFTs की कानूनी स्थिति

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साल 2009 में सतोषी नाकामोटो नाम के व्यक्ति द्वारा ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित पहली वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को बनाया गया, तब से अब तक समय के साथ धीरे-धीरे ब्लॉकचेन तथा क्रिप्टोकरेंसी को दुनियाँ भर में लोकप्रियता मिलती गई है और पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी को सामान्य मुद्रा की भाँति इस्तेमाल किया जाने लगा है। दक्षिण अमेरिकी देश एल सेल्वाडोर ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मुद्रा के समान मान्यता प्रदान की है।

बिटकॉइन समेत हजारों क्रिप्टोकरेंसी, जो वर्तमान समय में प्रचलन में हैं ब्लॉकचेन तकनीक का केवल एक अनुप्रयोग है, जबकि समय के साथ ब्लॉकचेन तकनीक पर हुई शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है, कि इस तकनीक का इस्तेमाल कई अन्य क्षेत्रों जैसे शिक्षा, चिकित्सा, गवर्नेंस, बिजनेस इत्यादि में किया जा सकता है। ब्लॉकचेन तकनीक का ऐसा ही एक महत्वपूर्ण अनुप्रयोग NFTs या Non-Fungible Token पिछले कुछ समय से काफ़ी चर्चाओं में रहा है।

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NFT ब्लॉकचेन आधारित डेटा की एक युनिट है, जिसमें किसी डिजिटल संपत्ति जैसे फोटो, वीडियो, पेंटिंग, संगीत इत्यादि की जानकारी दर्ज होती है। ब्लॉकचेन आधारित होने के चलते इस टोकन में मौजूद डेटा को बदला नहीं जा सकता अतः एक बार किसी संपत्ति को NFT रूप में परिवर्तित कर लेने से कोई डिजिटल कलाकार अपने स्वामित्व को सुरक्षित रख सकता है।

NFT क्या है? कैसे कार्य करता है? तथा इसके फायदे एवं नुकसानों समेत NFTs से जुड़े कई प्रश्नों को हम एक अन्य लेख में विस्तार से समझा चुके हैं, जिसे आप नीचे दी गई लिंक के माध्यम से पढ़ सकते हैं। इस लेख में हम चर्चा करने जा रहे हैं NFTs की भारत में कानूनी स्थिति (Legality of NFT in India) पर, जानेंगे भारत में NFTs खरीदने या बेचने के संबंध में कानून क्या कहता है।

भारत में NFTs का नियमन

किसी देश में कोई भी व्यवस्था तब तक प्रासंगिक नहीं है जब तक कि, उसे कानूनी मान्यता प्राप्त न हो। NFT एक क्रिप्टोकरेंसी आधारित बाज़ार है और क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में भारतीय कानून व्यवस्था वर्तमान में मौन है। हालाँकि 2020 में सर्वोच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की बैंच ने Internet and Mobile Association of India बनाम Reserve Bank of India मामले की सुनवाई करते हुए, अप्रैल 2018 में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग पर रिजर्व बैंक द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को रद्द कर दिया था, किन्तु इस फैसले का यह आशय बिल्कुल नहीं है कि, देश में क्रिप्टोकरेंसी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हैं।

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इसके अतिरिक्त यदि बात NFTs की करें तो भारत सरकार द्वारा इस संबंध में भी अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है, जो किसी भारतीय निवासी को NFTs खरीदने या बेचने से रोकता हो। यहाँ तक कि अभी तक यह भी तय नहीं है कि, NFTs कोई कमॉडिटी है या प्रतिभूति। सीधे तौर पर NFTs की खरीद-बिक्री गैर-कानूनी नहीं है किंतु जैसा कि, हम जानते हैं NFTs एक डिजिटल संपत्ति हैं अतः पूर्व में संपत्तियों के हस्तांतरण के संबंध में लागू कई अन्य कानून हैं, जो NFT ट्रेडिंग को गैर-कानूनी घोषित कर सकते हैं, ऐसे कुछ कानून निम्नलिखित हैं।

Securities Contract (Regulation) Act, 1956

ऐसे वित्तीय उपकरण, जो अपना मूल्य किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) द्वारा प्राप्त करते हैं उन्हें डेरिवेटिव (Derivatives) कहा जाता है, उदाहरण के तौर पर 100 रुपये का नोट डेरिवेटिव उत्पाद है, क्योंकि नोट की अपनी कोई कीमत नहीं है, उसकी कीमत केन्द्रीय बैंक द्वारा निर्धारित की गई है, इसके विपरीत कोई सिक्का डेरिवेटिव नहीं है, क्योंकि उस सिक्के की कीमत उसके पदार्थ या जिस धातु से वह बना है उससे होती है।

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हालाँकि सरकार ने NFTs को अभी डेरिवेटिव की श्रेणी में शामिल नहीं किया है, किन्तु NFTs भी ऐसे डिजिटल वित्तीय उपकरण हैं, जो अपना मूल्य किसी अंतर्निहित संपत्ति (डिजिटल कलाकृति) से प्राप्त करते हैं, अतः यदि इन्हें “डेरिवेटिव उत्पाद” समझा जाए तो Securities Contract (Regulation) Act, 1956 की धारा 18A के तहत डेरिवेटिव उत्पादों की खरीद-बिक्री किसी वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर नहीं की जा सकती है, यह केवल मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज जैसे BSE या NSE में ही ट्रेड किए जा सकते हैं, जो NFT ट्रेडिंग को गैर-कानूनी बना सकता है।

Collective Investment Scheme Regulations, 1999

किसी भी कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गई कोई ऐसी व्यवस्था, जिसके तहत निवेशकों द्वारा किए गए योगदान (Contribution) या भुगतान को आय, लाभ या संपत्ति प्राप्त करने के उद्देश्य से जमा किया जाता है एवं निवेशकों के लिए प्रबंधित किया जाता है, Collective Investment Scheme कहलाती है। म्यूचुअल फंड इस प्रकार की व्यवस्था के मुख्य उदाहरण हैं, जहाँ निवेशकों से प्राप्त धनराशि को जमा कर उनके लाभ हेतु निवेश किया जाता है।

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PAK द्वारा निर्मित NFT “The Merge” की स्थिति में हमनें देखा कि, उसे 28,983 संग्राहकों द्वारा 312,686 अलग-अलग शेयरों के रूप में US $91.8 मिलियन में खरीदा गया। अतः यदि NFTs सामूहिक रूप से खरीदने योग्य वित्तीय उत्पाद हैं, जो भविष्य में निवेशकों को लाभ दे सकते हैं तो ये उक्त कानून के अंतर्गत आ सकते हैं, जो बिना किसी वैध लाइसेंस के इनकी ट्रेडिंग गैर-कानूनी बनाता है।

Intellectual Property Rights, 1957

किसी कलाकार की बौद्धिक संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिहाज़ से बौद्धिक संपदा कानून बनाए गए हैं, किन्तु NFTs के संबंध में यह कानून किस प्रकार लागू होगा यह बहुत हद तक स्पष्ट नहीं है। उक्त कानून में कुछ विशेष कलाकृतियों को ही सुरक्षित किया गया है, जबकि इसके इतर भी कई डिजिटल संपत्तियों (GIF, ट्वीट) को NFT रूप में बनाया एवं बेचा जा रहा है।

उदाहरण के तौर पर हमनें ऊपर देखा “जैक डोर्सी” ने अपने पहले ट्वीट का NFT 2.9 मिलियन डॉलर में बेचा, जो बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत संरक्षित नहीं हैं, ऐसे में इस प्रकार की डिजिटल संपत्तियों के निर्माता अपनी कृति पर कानूनी दावा कैसे करेंगे यह एक चुनौती है।

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इसके अतिरिक्त NFT एक अंतर्निहित डिजिटल संपत्ति पर बनाया गया डिजिटल टोकन है, इसलिए यह सवाल उठना भी लाज़मी है कि, क्या NFT बनाने वाले व्यक्ति के पास कानूनी तौर पर उस संपत्ति का स्वामित्व या कॉपीराइट है, जिस पर NFT को निर्मित किया गया है? ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं, जब कुछ लोगों द्वारा ऐसी संपत्तियों के NFTs बनाए गए, जिनके कानूनी मालिक वे स्वयं नहीं थे। चूँकि NFTs कॉपीराइट विशेषाधिकार प्रदान नहीं करते हैं अतः किसी कलाकृति का NFT होने का यह आशय नहीं है कि, NFT धारक ही उसका कानूनी तौर पर मालिक है।

Foreign Exchange Management Act, 1999 (FEMA)

भारत में निवास कर रहे व्यक्तियों द्वारा यदि भारत के बाहर किसी परिसंपत्ति (Asset) को खरीदा या उसे बेचा जाता है, तो ऐसे लेन-देन विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 द्वारा विनियमित होते हैं। चूँकि NFTs कोई भौतिक संपत्ति नहीं हैं अतः इन्हें अमूर्त संपत्तियों (Intangible Asset) के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है। कोई NFT लेन-देन इस कानून के तहत गैर-कानूनी न हो इसके लिए उक्त कानून का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।

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उदाहरण के तौर पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून ऐसे देशों में किसी प्रकार की संपत्ति के लेन-देन की मंजूरी नहीं देता, जिन्हें Financial Action Task Force द्वारा गैर-सहयोगी देशों की सूची में शामिल किया गया है। अब चूँकि NFTs की भौतिक स्थिति ज्ञात करना लगभग नामुमकिन है अतः इस बात की बहुत संभावना है कि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर NFT ट्रेडिंग FEMA कानून का उल्लंघन करे। इसके अतिरक्त NFTs का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग तथा अन्य आपराधिक गतिविधियों को संचालित करने के उद्देश्य से भी किया जा सकता है।

निष्कर्ष

जैसा कि, हमनें पूर्व में बताया अभी तक देश में क्रिप्टोकरेंसी तथा NFTs (Legality of NFT in India) को विनियमित करने हेतु कोई कानून नहीं है, किन्तु इस बात की संभावना है कि, सरकार आने वाले समय में इसके संबंध में कोई ठोस कानून निर्मित करे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी रूप देने के संबंध में सरकार एक विधेयक “डिजिटल करेंसी बिल” पर विचार कर रही है। इसके अनुसार कुछ अपवादों को छोड़कर लगभग सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की संभावना है, जबकि ट्रेडर्स को केवल रिजर्व बैंक द्वारा जारी स्वदेशी क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की छूट दी जाएगी।

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