5G तकनीक (5G Technology) क्या है? इसका इस्तेमाल किन क्षेत्रों में परिवर्तन लाएगा तथा 5G के फायदे एवं नुकसान क्या हैं?

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साल 1979 में शुरू हुई मोबाइल दूरसंचार सेवा समय के साथ अर्थात पीढ़ी दर पीढ़ी उन्नत होती गई है। वर्तमान समय की बात करें तो अधिकांश विकसित देशों में इसकी पाँचवीं पीढ़ी (5G Technology) का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि भारत समेत कई अन्य विकासशील देश दूरसंचार की चौथी पीढ़ी अर्थात 4G को ही उपयोग में ले रहे हैं।

कोई भी तकनीक भले ही मानव जीवन को उन्नत बनाने के उद्देश्य से विकसित की गई हो, किन्तु कुछ नकारात्मक पक्ष भी तकनीक के साथ विद्यमान रहते हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए तकनीक का इस्तेमाल करना ही मानव अस्तित्व के लिए प्रासंगिक है। 5G तकनीक से जुड़े एक ऐसे ही नकारात्मक पहलू ने इस तकनीक को हाल ही में सुर्खियों में ला दिया। पिछले दिनों एयर इंडिया समेत कई एयरलाइंस, जिनमें Emirates, ANA तथा Japan Airlines शामिल हैं, नें अमेरिका जाने वाली अपनी सभी उड़ानों को स्थगित कर दिया।

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विमान कंपनियों के इस फैसले का कारण अमेरिका में टेलिकॉम कंपनियों द्वारा की जा रही नई 5G सेवा की शुरुआत थी। 5G सेवा का एविएशन क्षेत्र से क्या संबंध है तथा नई 5G सेवा से क्या आशय है यह जानने से पहले 5G तकनीक (5G Technology), इसकी कार्यप्रणाली, 5G तकनीक के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोग तथा इसके संबंध में अन्य महत्वपूर्ण बातों को समझना आवश्यक है, इस लेख के माध्यम से हम ऊपर वर्णित बातों को विस्तार से समझेंगे तथा जानेंगे आखिर क्यों अमेरिका में 5G सेवा विमान कंपनियों के लिए समस्या का कारण बनी।

दूरसंचार एवं इसका इतिहास

“संचार” अथवा “Communication” मानव अस्तित्व का बेहद अहम हिस्सा है। संचार के माध्यम से ही हम अपने घर तथा अपने परिवेश से सूचनाएं एकत्र कर पाते हैं तथा बदले में सूचनाएं प्रेषित भी करते हैं, किन्तु केवल अपने आस-पड़ोस तक जुड़े रहना मानव अस्तित्व के लिए काफ़ी नहीं था, अतः दो भिन्न स्थानों के मध्य संचार स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हुई और यहीं से “दूरसंचार” या “Telecommunication” की शुरुआत हुई।

लगभग 150 साल पहले ब्रिटिश वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने विद्युत चुम्बकीय तरंगों की व्याख्या करने के लिए एक वैज्ञानिक सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे आगे चलकर 1880 के दशक में जर्मन वैज्ञानिक हाइनरिख़ हर्ट्ज ने एक प्रयोग से सिद्ध किया। इलेक्टरोमेग्नेटिक रेडिएशन ने ही दूरसंचार समेत सम्पूर्ण डिजिटल दुनियाँ को एक आधारभूत ढाँचा प्रदान किया। दूरसंचार की शुरुआत में पहला कदम “Wireless Telegraph” था, जिसका शुरुआती रूप 1832 में अमेरिकी प्रोफेसर Samuel F.B. Morse द्वारा डिजाइन किया गया।

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साल 1979 में मोबाइल दूरसंचार प्रणाली (Cellular Telecommunication) की पहली पीढ़ी यानी 1G की शुरुआत हुई, जो पूर्व की दूरसंचार प्रणालियों (अधिकांशतः Push-to-Talk आधारित) से अधिक उन्नत थी। इसे सर्वप्रथम जापान में निप्पॉन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन (NTT) द्वारा शुरू किया गया। 1981 में, नॉर्डिक मोबाइल टेलीफोन (NMT) ने मोबाइल दूरसंचार को यूरोपीय देशों और 1983 में, Ameritech ने मोटोरोला मोबाइल फोन का उपयोग करके संयुक्त राज्य अमेरिका में 1G मोबाइल सेवा को शुरू किया, तब से समय-समय पर यह सेवा उन्नत होती गई और इसका वर्तमान रूप हमारे सामने है।

क्या है 5G तकनीक?

5G Technology मोबाइल दूरसंचार की पाँचवीं पीढ़ी है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर बात करने की उन्नत सुविधा हमें दूरसंचार की दूसरी पीढ़ी (2G) से ही प्राप्त हो गई थी, किन्तु डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक कम समय में भेजना अभी भी एक चुनौती थी। 2G के बाद से बेहद कम समय में अधिक डेटा भेजना मोबाइल दूरसंचार का एकमात्र लक्ष्य रहा है।

जहाँ 2G में डाउनलोडिंग स्पीड (वह दर, जिससे डिजिटल डेटा इंटरनेट के माध्यम से आपके कंप्यूटर में स्थानांतरित होता है) मात्र 250Kb प्रति सेकंड थी, 4G में यह अधिकतम 1Gbps है। तेज गति के इंटरनेट नें कई क्षेत्रों में खासे बदलाव किए हैं, उदाहरण के तौर पर क्लाउड कम्प्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी, गेमिंग आदि क्षेत्र सीधे तौर पर तेज गति के इंटरनेट पर निर्भर हैं।

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5G अपने पूर्ववर्ती 4G की तुलना में 20 गुना अधिक दक्ष है, जिसकी सहायता से अधिकतम 20Gb का डेटा प्रति सेकंड डाउनलोड किया जा सकता है। जहाँ 4G सामान्यतः उपभोक्ताओं को एक बेहतर इंतरेनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने पर केंद्रित था, वहीं 5G Technology का उद्देश्य एक ऐसे वातावरण को तैयार करना है, जिसमें उपयोगकर्ता के साथ-साथ मशीनें भी इंटरनेट कनेक्टिविटी का इस्तेमाल करके एक दूसरे से रियल टाइम में संवाद कर सकेंगी तथा उपयोगकर्ता को एक बेहतर अनुभव प्राप्त होगा।

5G तकनीक कैसे कार्य करती है?

वायरलेस दूरसंचार प्रणाली सूचना ले जाने के लिए विद्युत चुंबकीय तरंगों के एक भाग रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। 5G भी इसी तकनीक पर आधारित है, किन्तु 5G में उच्च आवृत्ती (High Frequency Radio Waves) की तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। उच्च आवृत्ती की ये तरंगें तेज गति से पूर्व की तुलना में अधिक डेटा ले जाने में सक्षम होती हैं।

5G तकनीक का किन क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है?

अपनी तेज गति तथा बेहद कम लेटेंसी के चलते इस तकनीक का इस्तेमाल कर कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकते हैं, ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों की हम यहाँ चर्चा करेंगे।

हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी

5G तकनीक किसी उपयोगकर्ता के इंटरनेट इस्तेमाल करने के अनुभव को पूर्णतः बदल देगी यह अधिकतम 20Gbps तक डेटा डाउनलोड स्पीड को सपोर्ट करती है, जिससे बड़े साइज़ की फ़ाइल्स (गेम्स, वीडियो इत्यादि) को डाउनलोड करने में यूज़र का समय बचेगा। लगभग एक मिलीसेकंड से कम की विलंबता (Latency) 5G की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता है, इसकी सहायता से कई नई एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिनका 4G में इस्तेमाल संभव नहीं था।

इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति विशेष के लिहाज़ से देखें तो इंटरनेट मनोरंजन का भी एक महत्वपूर्ण साधन है, ऑनलाइन गेम खेलने हों, वीडियो देखनी हो, गाने सुनने हों या सोशियल मीडिया का इस्तेमाल करना हो इंटरनेट इन सबके लिए अच्छा और वर्तमान में एकमात्र साधन बन चुका है। हालाँकि ये सभी कार्य हम 4G में भी कर रहे हैं, किन्तु 5G तकनीक इस अनुभव को और बेहतर बनाने का काम करेगी।

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5G की सहायता से 4K एवं 8K वीडियो स्ट्रीम करना तथा ऑनलाइन गेम खेलना बेहद आसान हो जाएगा। इसके अतिरिक्त 5G के माध्यम से लाइव इवेंट को हाई डेफिनिशन के साथ वायरलेस नेटवर्क के जरिए स्ट्रीम किया जा सकता है और हाई डेफिनिशन टीवी चैनलों को मोबाइल पर बिना किसी रुकावट के एक्सेस किया जा सकता है। अतः इसमें कोई संदेह नहीं है कि, 5G मनोरंजन के क्षेत्र को एक नए आयाम में ले जाने का कार्य करेगा।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स

5G तकनीक का सबसे महत्वपूर्ण इस्तेमाल इंटरनेट ऑफ थिंग्स में किया जा सकता है, इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक ऐसा वातावरण है, जिसमें किसी उपयोगकर्ता द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले विभिन्न स्मार्ट उपकरण एक दूसरे से इंटरनेट द्वारा जुड़े होते हैं तथा महत्वपूर्ण सूचना एक दूसरे से साझा करते रहते हैं। किसी उपकरण द्वारा भेजी गई सूचना का इस्तेमाल अन्य उपकरणों द्वारा किया जाता है तथा प्राप्त सूचना के आधार पर अन्य उपकरण अपना कार्य या पूर्व निर्धारित किसी कार्य में बदलाव करते हैं।

स्मार्ट होम के उदाहरण से इस तकनीक को समझा जा सकता है। मान लें कोई व्यक्ति अपने घर से दफ़्तर के लिए निकलता है तथा दरवाजे एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद करना भूल जाता है, घर से बाहर निकालने के पश्चात व्यक्ति के स्मार्टफोन में लगा जीपीएस अन्य उपकरणों को व्यक्ति के घर से बाहर होने की जानकारी देता है और इस जानकारी के प्राप्त होते ही घर में अनावश्यक खुले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद हो जाते हैं तत्पश्चात दरवाजे स्वतः लॉक हो जाते हैं।

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ऐसे किसी वातावरण, जहाँ इंसानों का जीवन बहुत हद तक स्मार्ट उपकरणों पर निर्भर हो, में मशीनें आपस में सही सूचनाएं साझा करें यह तो अहम है ही, साथ ही इस तकनीक को सफल बनाने के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण है कि, ये सभी सूचनाएं रियल टाइम में साझा हो सके। तेज इंटरनेट स्पीड एवं बेहद कम लेटेंसी होने के चलते 5G Technology इंटेनेट ऑफ थिंग्स के लिए एक आपेक्षित आधारभूत ढाँचा उपलब्ध करवाएगी।

वर्चुअल रियलिटी

वर्चुअल रियलिटी एक ऐसी तकनीक है, जिसमें कुछ विशेष हार्डवेयर्स एवं सॉफ्टवेयर्स की सहायता से एक आभासी वातावरण, जो वास्तविक के समान प्रतीत होता है को अनुभव किया जा सकता है। चूँकि इस आभासी वातावरण में इंटरेक्शन बेहद अहम है अतः 5G की कम लेटेंसी VR एप्लिकेशन को इमर्सिव तथा अधिक इंटरैक्टिव बनाने में अहम भूमिका अदा करेगी। इसके अतिरिक्त 5G में अधिक बैंडविथ होने के चलते प्रति सेकेंड अधिक डेटा प्रोसेस हो सकेगा, जो वर्चुअल रियलिटी का अनुभव बेहतर करने का कार्य करेगा।

क्लाउड कम्प्यूटिंग

क्लाउड कम्प्यूटिंग में कोई व्यक्ति इंटरनेट की सहायता से कम्प्यूटिंग शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है, चूँकि इस तकनीक की सफलता भी इंटरनेट की स्पीड एवं बैंडविथ पर निर्भर करती है अतः एक तेज इंटरनेट कनेक्शन वाले 5G नेटवर्क से क्लाउड कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए जा सकेंगे। बेहद कम लेटेंसी होने के चलते कई नई सेवाएं भी क्लाउड के माध्यम से आने वाले समय में उपलब्ध कारवाई जा सकती हैं।

अन्य क्षेत्रों में

ऊपर बताए गए कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों के अलावा 5G तकनीक का कई अन्य क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा क्षेत्र है, कम लेटेंसी के चलते यह तकनीक लॉन्ग डिस्टेंस सर्जरी तथा टेलीमेडिसन जैसी सुविधाएं उपलब्ध करने में सक्षम होगी। इसके अतिरक्त 5G से स्मार्ट फ़ार्मिंग, पशुपालन (विभिन्न सेंसर्स के माध्यम से पशुओं के व्यवहार को समझना एवं उस डेटा को रियल टाइम में प्रोसेस करना), उद्योग, शिक्षा आदि में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए जा सकते हैं।

5G तकनीक के से जुड़े कुछ नकारात्मक पहलू

चूँकि 5G तकनीक विभिन्न क्षेत्रों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, किन्तु इसकी कुछ खामियाँ भी हैं, हालाँकि इनमें कुछ खामियाँ सीधे तौर पर इस तकनीक से जुड़ी नहीं हैं। इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं।

बुनियादी ढाँचे के विकास की अधिक लागत

5G तकनीक की शुरुआत अथवा इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की लागत बहुत अधिक है, जिसके चलते कई विकासशील अथवा अविकसित देशों के लिए इसका परीक्षण अथवा इस्तेमाल कर पाना एक बड़ी चुनौती है। हाई-स्पीड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे के रखरखाव की लागत में वृद्धि होने के चलते अंततः ग्राहकों को सेवा के लिए अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

सिग्नल ब्रॉडकास्टिंग

जैसा कि, हमनें ऊपर बताया 5G में बड़ी आवृत्ती वाली रेडियो तरंगों के माध्यम से डेटा ट्रांसफर होता है। जहाँ प्रति सेकेंड अधिक डेटा ट्रांसफर इसका एक बहुत बड़ा फायदा है वहीं बहुत कम दूरी तक गति कर पाना इन तरंगों का एक नकारात्मक पक्ष भी है। इसके अतिरिक्त ये तरंगें इनके मार्ग में आने वाली किसी वस्तु जैसे पेड़, ऊँची इमारतों आदि से बाधित भी हो सकती हैं, अतः आपेक्षित सेवा प्राप्त करने के लिए जगह-जगह 5G एन्टीना लगाने की आवश्यकता होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा

विश्व बैंक के अनुसार भारत की तकरीबन 65 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। 5G तकनीक के बुनियादी ढाँचे को देखें तो ग्रामीण अथवा दुर्गम क्षेत्रों में इसको स्थापित करना लगभग नामुमकिन है। देश के पहाड़ी राज्यों के कई दुर्गम क्षेत्रों में आज भी मोबाइल संचार की सुविधा उपलब्ध नहीं है, ऐसे में इन स्थानों में 5G तकनीक को पहुँचाना संभव नहीं है अतः 5G संचार से केवल शहरी आबादी को ही लाभ मिल पाएगा।

डेटा अपलोड

5G तकनीक उच्च डाउनलोडिंग स्पीड उपलब्ध करवाता है, जिससे हाई डेफ़िनएशन वीडियो स्ट्रीमिंग तथा डाउनलोडिंग सेकेंडों में हो सकती है, किन्तु कॉन्टेंट क्रिएटर्स (खासकर वीडियो कॉन्टेन्ट) के लिहाज़ से यह तकनीक बहुत अधिक फायदेमंद नहीं है। इसका कारण है कम अपलोडिंग स्पीड इसके चलते 4K तथा 8K जैसी वीडियो को अपलोड करने में अधिक समय लगेगा। 5G के माध्यम से डेटा अपलोड स्पीड केवल 100Mbps ही है, जो पूर्व की 4G तकनीक के मुकाबले बहुत अधिक नहीं है।

साइबर सुरक्षा

ऊपर हमनें इंटरनेट ऑफ थिंग्स तथा क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी तकनीकों का जिक्र किया, ये सुविधाएं भले ही मानव जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम है, किन्तु यहाँ मौजूद महत्वपूर्ण डेटा चोरी हो जाने की स्थिति में किसी व्यक्ति के लिए आर्थिक एवं सामाजिक रूप से नुकसानदेह भी हो सकता है। 5G तकनीक Software-Defined Networking (SDN) तथा Network Function Virtualization (NFV) आधारित व्यवस्था है।

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इसमें साइबर सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण नेटवर्क कार्य, जो पहले भौतिक उपकरणों या हार्डवेयर्स द्वारा किए जाते थे अब सॉफ्टवेयर्स द्वारा सम्पन्न होंगे अतः यदि कोई हैकर नेटवर्क को प्रबंधित करने वाले सॉफ़्टवेयर का नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तो वह सम्पूर्ण नेटवर्क को भी नियंत्रित कर सकेगा। इसके अतिरिक्त 5G नेटवर्क में बैंडविथ का अधिक होना भी महत्वपूर्ण डेटा चोरी की संभावनाएं प्रकट करता है।

विमानन क्षेत्र (Aviation Sector) एवं 5G तकनीक

हमनें लेख के शुरुआत में बताया हाल ही में एयर इंडिया समेत कई विमान कंपनियों ने अमेरिका जाने वाली अपनी उड़ानों को टेलिकॉम कंपनियों द्वारा किए जा रहे 5G डिप्लॉयमेंट के चलते रद्द कर दिया, आइए जानते हैं ऐसा क्यों किया गया तथा 5G तकनीक का विमानन क्षेत्र में क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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प्रत्येक हवाई जहाज में कई महत्वपूर्ण यंत्र लगे होते हैं और इन्हीं में एक “Altimeter” भी है। यह यंत्र जमीन से हवाई जहाज की ऊँचाई बताता है, चूँकि यह जहाज की ऊँचाई ज्ञात करने के लिए रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करता है अतः इसे “Radio Altimeter” भी कहा जाता है। किसी भी हवाई जहाज की सुरक्षा अथवा उसके सुरक्षित लैंडिंग हेतु चालक दल के लिए उसकी सटीक ऊँचाई का पता होना बहुत महत्वपूर्ण है और यदि बात खराब मौसम या कम विजिबिलिटी की हो तो Altimeter पर निर्भरता और अधिक बढ़ जाती है।

Radio Altimeter रेडियो तरंगों के एक हिस्से, जिसे “C-बैंड” कहा जाता है का इस्तेमाल करते हैं, जिनकी आवृत्ती (Frequency) 4.2 से 4.4 गीगाहर्ट्ज़ के मध्य होती है। चूँकि अमेरिका में डिप्लॉय हो रहे नए 5G नेटवर्क 3.7 से 3.98 गीगाहर्ट्ज़ के मध्य संचालित होंगे, जो Radio Altimeter द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आवृत्ती के बेहद नजदीक है अतः जानकारों का मानना है कि, इससे Altimeter को एयरपोर्ट के आस-पास ऊँचाई की सटीक जानकारी प्राप्त करने में समस्या का सामना करना पड़ेगा, जो यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज़ से एक बड़ी समस्या बन सकती है।

भारत में कब आएगा 5G?

1 फरवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट प्रस्तुत किया, अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने 2022-23 में 5G मोबाइल सेवा शुरू होने की बात कही। अपने भाषण में, वित्त मंत्री ने कहा कि, सरकार 2022 में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी सुनिश्चित करेगी, जबकि अगले वर्ष तक उपभोक्ता इस सेवा का लाभ ले सकेंगे। इसके अतिरिक्त कुछ समय पूर्व दूरसंचार विभाग (DoT) ने भी घोषणा की थी कि, 2022 में दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, चंडीगढ़ तथा चेन्नई समेत देश के 13 बड़े शहरों में 5G इंटरनेट सेवाएं शुरू की जाएंगी।

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