Post Graduation in Hindi: ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन क्या होता है? तथा Graduate और Postgraduate में क्या अंतर है?

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Post Graduation in Hindi: आपने अक्सर उच्च शिक्षा की चर्चाओं में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन (Graduation and Post-Graduation) जैसे शब्दों के बारे में सुना होगा, एक स्कूली छात्र के तौर पर आपके मन में इन शब्दों को लेकर असमंजस की स्थिति है तो आपको बिल्कुल भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

आज इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे ग्रेजुएशन क्या होता है? (Graduation kya hota hai?), पोस्ट ग्रेजुएशन क्या होता है? (Post Graduation meaning in Hindi), ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में क्या अंतर है? (Graduation aur Post Graduation mein kya antar hai) तथा ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट में क्या अंतर होता हैं, इसके साथ ही लेख के अंत में चर्चा करेंगे ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कुछ महत्वपूर्ण कोर्सों के बारे में।

विषय सूची

ग्रेजुएशन क्या होता है? (Graduation kya hota hai)

किसी विद्यार्थी का शैक्षिक जीवन मुख्य रूप से दो चरणों में बांटा जा सकता है, इनमें पहला चरण है उसकी स्कूली शिक्षा (School Education) दूसरे शब्दों में कक्षा 1 से लेकर 12वीं या इन्टरमीडिएट तक की शिक्षा, जबकि दूसरा चरण है उच्च शिक्षा (Higher Education) जहाँ छात्र डिग्री के लिए विभिन्न प्रकार के कॉर्सेस में से अपने मनपसंद कोर्स का चुनाव करते हैं।

इन्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने के बाद कोई विद्यार्थी अपने मनपसंद विषयों के साथ उच्च शिक्षा के लिए जिस डिग्री कोर्स में प्रवेश लेकर पढ़ाई करता है उसे ग्रेजुएशन (Graduation) कहा जाता है, ग्रेजुएशन सामान्यतः 3 से 4 वर्षों का होता है, जिसे उत्तीर्ण कर लेने के बाद किसी विद्यार्थी को बैचलर या स्नातक डिग्री प्रदान करी जाती है और वह ग्रेजुएट (Graduate) कहलाता है।

कई विश्वविद्यालयों में स्नातक या ग्रेजुएट डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को आमतौर पर ‘सामान्य डिग्री’ या ‘ऑनर्स डिग्री’ में से किसी एक का चुनाव करने का विकल्प दिया जाता है। सामान्य डिग्री कोर्स में विद्यार्थी इन्टरमीडिएट में चुनी गई स्ट्रीम के अनुसार एक से अधिक विषयों का अध्ययन करता है, जबकि ऑनर्स डिग्री में केवल किसी एक विषय को ही पढ़ाया जाता है।

पोस्ट ग्रेजुएशन क्या होता है? (Post Graduation meaning in Hindi)

किसी विद्यार्थी के पास ग्रेजुएशन कर लेने के बाद उच्च शिक्षा में डिग्री प्राप्त करने का अगला चरण पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) का होता है, जिसे सामान्यतः PG या मास्टर्स भी कहा जाता है। सामान्य शब्दों में पोस्ट ग्रेजुएशन, ग्रेजुएशन से आगे की पढ़ाई होती है। पोस्ट-ग्रेजुएशन (Post Graduation) की पढ़ाई के लिए किसी विद्यार्थी के पास ग्रेजुएट या स्नातक की डिग्री होना अनिवार्य है।

पोस्ट ग्रेजुएशन अथवा परा-स्नातक की पढ़ाई के दौरान किसी विद्यार्थी द्वारा अपने ग्रेजुएशन कोर्स में पढ़े गए विषयों में से किसी एक विषय में गहन अध्ययन किया जाता है। PG कोर्स सामान्यतः 2 वर्षों का होता है, Post Graduation की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर लेने के पश्चात विद्यार्थी को मास्टर या पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री से सम्मानित किया जाता है।

Graduation और Post-Graduation में क्या अंतर है?

ग्रेजुएशन स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद पहला डिग्री कार्यक्रम है, जबकि पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश पाने के लिए किसी व्यक्ति के पास स्नातक/ग्रेजुएट डिग्री का होना अनिवार्य होता है। इसके अलावा ग्रेजुएशन तथा पोस्ट ग्रेजुएशन के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर निम्नलिखित हैं-

Graduation CoursePost-Graduation Course
12वीं के बाद किया जाता है ग्रेजुएशन के बाद किया जाता है
3, 4 तथा 5 साल का कार्यक्रम2 साल का कार्यक्रम
विभिन्न विषयों की सामान्य पढ़ाईकिसी एक विषय की एडवांस पढ़ाई
कम पाठ्यक्रम ग्रेजुएशन की तुलना में भारी-भरकम पाठ्यक्रम

Graduate और Postgraduate में क्या अंतर है?

ऊपर हमनें ग्रेजुएशन (Graduation) और पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) कोर्स के बारे में विस्तार से समझा, आइए अब ग्रेजुएट तथा पोस्ट-ग्रेजुएट के बीच के अंतर (Difference Between Graduate and Postgraduate) को जानते हैं। कोई भी व्यक्ति जो अपना ग्रेजुएशन कोर्स पूरा कर चुका है तथा उसके पास स्नातक या बैचलर डिग्री है उसे ग्रेजुएट (Graduate) कहा जाता है, वहीं ऐसा व्यक्ति, जिसने Post Graduation की पढ़ाई पूरी कर ली हो तथा जिसके पास मास्टर या परा-स्नातक डिग्री हो उसे पोस्ट-ग्रेजुएट कहा जाता है।

भारत में विभिन्न प्रकार के ग्रेजुएशन कोर्स (List of Graduation Courses in India)

भारत में विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों के लिए उपलब्ध करवाए जाने वाले कुछ मुख्य ग्रेजुएशन कॉर्सेस निम्नलिखित हैं-

बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA)

यह देश में प्रमुखता से चुने जाने वाले ग्रेजुएशन कॉर्सेस में से एक है, बैचलर ऑफ आर्ट्स या BA तीन वर्षों का कोर्स होता है, जिसमें इन्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात प्रवेश लिया जा सकता है। BA में छात्र हॉस्पिटैलिटी, मास कम्यूनिकेशन, ह्यूमैनिटीज़ आदि में से अपनी इच्छा अनुसार किसी एक स्ट्रीम का चुनाव कर सकते हैं।

चुनी हुई स्ट्रीम के आधार पर ही छात्रों को कोर्स के दौरान पढ़ाए जाने वाले विषयों का चुनाव करना होता है। BA कोर्स रेग्युलर अथवा डिस्टेंस किसी भी माध्यम से किया जा सकता है। गौरतलब है कि, रेग्युलर कोर्स में छात्र दैनिक रूप से कॉलेज जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करता है, जबकि डिस्टेंस कोर्स में छात्र साल भर घर में रहकर पढ़ाई करता है और केवल परीक्षा देने कॉलेज जाता है। BA में पढ़ाए जाने वाले कुछ मुख्य विषयों में निम्नलिखित शामिल हैं।

  • अर्थशास्त्र
  • इतिहास
  • भूगोल
  • राजनीतिक विज्ञान
  • समाज-शास्त्र
  • दर्शनशास्त्र
  • मनोविज्ञान
  • पर्यावरण
  • भाषाएं जैसे अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच आदि
  • धार्मिक विषय
  • मास कम्यूनिकेशन एवं जर्नलिज्म

बैचलर ऑफ साइंस (B.Sc.)

जैसा कि, इसके नाम से पता चलता है यह विज्ञान में स्नातक या बैचलर की उपाधि है। BSc में प्रवेश पाने के लिए छात्र द्वारा इन्टरमीडिएट विज्ञान स्ट्रीम से किया होना अनिवार्य होता है। बैचलर ऑफ साइंस सामान्यतः 3 वर्षों का कोर्स होता है, जिसमें छात्रों को विज्ञान के किन्हीं 3 विषयों का चुनाव करना होता है, BSc में पढ़ाए जाने वाले कुछ मुख्य विषयों में निम्नलिखित शामिल हैं।

  • भौतिक विज्ञान
  • रसायन विज्ञान
  • गणित
  • कंप्यूटर साइंस
  • जूलॉजी
  • बॉटनी
  • इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
  • कृषि विज्ञान

बैचलर ऑफ कॉमर्स (B. Com)

बी.कॉम भी अन्य की तरह तीन साल का कोर्स है, जिसमें छात्र के पास रेगुलर और डिस्टेंस दोनों में से किसी भी मोड का चुनाव करने का विकल्प होता है। बैचलर ऑफ कॉमर्स में प्रवेश पाने के लिए विद्यार्थी द्वारा इन्टरमीडिएट में कॉमर्स स्ट्रीम लिया होना अनिवार्य है।

B. Com में मुख्य रूप से वाणिज्य, एकाउंट, फाइनेंस तथा कॉर्पोरेट टैक्स जैसे विषयों को पढ़ाया जाता है। यह कोर्स सामान्यतः ऐसे छात्रों के लिए फायदेमंद है जो भविष्य में फाइनेंस, बैंकिंग, इंश्योरेंस तथा एकाउंटिंग जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाने की सोच रहे हैं।

बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग/टेक्नॉलजी (BE / B.Tech)

इंजीनियरिंग देशभर में युवाओं द्वारा इन्टरमीडिएट के बाद प्रमुखता से चुना जाने वाला ग्रेजुएशन कोर्स है। अन्य के विपरीत यह 4 साल अथवा 8 सेमेस्टर का होता है। इंजीनियरिंग करने के लिए इन्टरमीडिएट की परीक्षा विज्ञान के साथ उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। इंजीनियरिंग में अलग-अलग प्रकार की कई शाखाएं होती हैं जिनमें से विद्यार्थी अपने अनुसार किसी एक का चुनाव कर सकता है, इंजीनियरिंग की कुछ मुख्य शाखाएं निम्नलिखित हैं-

  • मकैनिकल इंजीनियरिंग
  • ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग
  • सिविल इंजीनियरिंग
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
  • कैमिकल इंजीनियरिंग
  • कंप्यूटर इंजीनियरिंग
  • पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
  • न्यूक्लियर इंजीनियरिंग

अन्य ग्रेजुएशन कॉर्सेस

ऊपर बताए गए कॉर्सेस के अलावा कुछ अन्य ग्रेजुएशन कॉर्सेस निम्नलिखित हैं

कोर्स के नामडिग्री
बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशनBBA
बैचलर इन मैनेजमेंट स्टडीजBMS
बैचलर इन बिजनेस स्टडीजBBS
बैचलर ऑफ लॉLL.B
बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन BCA
बैचलर ऑफ डिजाइनB.Des
बैचलर ऑफ आर्किटेक्चरB.Arch
बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरीB.DS
बैचलर ऑफ फाइन आर्टB.FA
बैचलर ऑफ मेडिसन एंड बैचलर ऑफ सर्जरीMBBS

Graduation के बाद करियर अपॉर्चुनिटी

ग्रेजुएशन के बाद कोई व्यक्ति सरकारी एवं प्राइवेट किसी भी क्षेत्र में नौकरी पा सकता है। भारतीय सिविल सेवा जिसे देश की सबसे उत्कृष्ठ सेवा समझा जाता है, समेत अधिकांश सरकारी नौकरियों के लिए केवल किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होने की अनिवार्यता होती है, वहीं निजी क्षेत्रों में करियर अपॉर्चुनिटी की बात करें तो यह बहुत हद तक ग्रेजुएशन के कोर्स पर निर्भर करता है। विभिन्न प्रकार के ग्रेजुएशन कोर्सेस के आधार पर कोई व्यक्ति निम्नलिखित क्षेत्रों में अपना करियर बना सकता है-

  • बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA): सरकारी क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र
  • बैचलर ऑफ साइंस (BSc): सरकारी नौकरी, शिक्षा क्षेत्र, हेल्थकेयर, कैमिकल इंडस्ट्री, फार्मा सेक्टर समेत कई अन्य क्षेत्रों में
  • बैचलर ऑफ कॉमर्स (B. Com): बैंकिंग क्षेत्र, इंश्योरेंस क्षेत्र, एकाउंट्स, सरकारी क्षेत्र आदि
  • बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग/टेक्नोलॉजी (BE / B.Tech): सरकारी क्षेत्र, आईटी सेक्टर, ऑटो सेक्टर, रोबोटिक्स, कैमिकल सेक्टर, एयरोस्पेस एवं ट्रेड के आधार पर अन्य कई क्षेत्र

ग्रेजुएशन कोर्स से जुड़ी अहम बातें

ग्रेजुएशन इन्टरमीडिएट या बारहवीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला कोर्स है, जो सामान्यतः तीन साल का होता है, हालांकि कुछ ग्रेजुएशन कोर्स 3 साल से अधिक अवधि के भी होते हैं उदाहरण के तौर पर इंजीनियरिंग (B. tech) 4 साल तथा मेडिकल (MBBS) 5 साल आदि।

देश में किसी भी विश्वविद्यालय (University) जो कि UGC (University Grants Commission) द्वारा मान्यता प्राप्त है, से ग्रेजुएशन किया जा सकता है। इसके अलावा इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कोर्स ऑफर करने वाले किसी भी विश्वविद्यालय को AICTE (All India Council for Technical Education) से, फार्मा में ग्रेजुएशन ऑफर करने वाले विश्वविद्यालय को PCI (Pharmacy Council For India) से, लॉ में ग्रेजुएशन ऑफर करने वाले विश्वविद्यालय को BCI (Bar Council For India) से तथा एजुकेशन में ग्रेजुएशन ऑफर करने वाले विश्वविद्यालय को NCTE (National Council Teacher Education) द्वारा मान्यता मिली होनी चाहिए।

भारत में विभिन्न प्रकार के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स (List of Post-Graduation Courses in India)

पोस्ट-ग्रेजुएशन (Post Graduation meaning in Hindi), स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद किया जाने वाला कोर्स है, जो सामान्यतः 2 साल तथा 4 सेमेस्टर का होता है। Postgraduate कोर्स में प्रवेश कर छात्र ग्रेजुएशन में पढ़े गए किसी एक विषय को बारीकी से पढ़ता है। भारत में विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा ऑफर करे जाने वाले पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स निम्नलिखित हैं-

  • मास्टर ऑफ आर्ट्स (MA)
  • मास्टर ऑफ साइंस (MSc)
  • मास्टर ऑफ कॉमर्स (M. Com)
  • मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA)
  • मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (M. Tech)
  • मास्टर ऑफ लॉ (LL.M)

निष्कर्ष

संक्षेप में समझें तो ग्रेजुएशन (Graduation) पोस्टसेकंडरी अथवा इन्टरमीडिएट के बाद पहला डिग्री कोर्स है, इस कोर्स के पूरा होने पर विद्यार्थी को बैचलर डिग्री प्रदान की जाती है और वह ग्रेजुएट बन जाता है। इसके अलावा पोस्ट ग्रेजुएशन, स्नातक डिग्री प्राप्त करने के बाद अगला डिग्री कोर्स होता है।

Graduation और Post Graduation से जुड़े FAQs

Graduation इन्टरमीडिएट के बाद पहला डिग्री कोर्स होता है।
स्नातक की डिग्री रखने वाला व्यक्ति Graduate कहलाता है।
स्नातक या Graduation की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात उच्च शिक्षा की डिग्री के कोर्स को Post Graduation कहा जाता है।
किसी छात्र को उसकी Graduation की पढ़ाई के दौरान Undergraduate कहा जाता है, जबकि ग्रेजुएशन कोर्स पूरा कर लेने के पश्चात व्यक्ति Graduate कहलाता है।
Graduation कोर्स सामान्यतः 3 साल के होते हैं किन्तु कुछ विशेष कोर्सेस की स्थिति में यह अवधि 4 या 5 साल की होती है, जबकि Post Graduation कोर्सेस सामान्यतः 2 साल के होते हैं।
हाँ! Graduation के पश्चात कोई व्यक्ति सरकारी एवं प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में नौकरी पा सकता है।
स्नातक Graduation का तथा परास्नातक Post-Graduation का हिन्दी नाम है।

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