क्या है बरमूडा ट्राइऐंगल का रहस्य? (Bermuda Triangle in Hindi)

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क्या है बरमूडा ट्राइएंगल (Bermuda Triangle)?

हमारी पृथ्वी समेत समूचा ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है जिन्हें समय समय पर विज्ञान की सहायता से समझाया जाता रहा है। ऐसा ही एक रहस्यमयी क्षेत्र बरमूडा ट्राइएंगल है जिसे ‘डेविल्‍स ट्राइएंगल’ भी कहा जाता है। बता दें बरमूडा उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश तथा ब्रिटिश ओवरसीज क्षेत्र है।

बरमूडा ट्राइएंगल जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, त्रिभुज के आकार का एक क्षेत्र है जो तीन बिंदुओं बरमूडा, संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा तथा अटलांटिक महासागर के उत्तरपूर्व में मौजूद एक द्वीप से प्यूर्टो रिको से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र को बरमूडा ट्राइएंगल नाम 1964 में Vincent H Gaddis द्वारा दिया गया। उन्होंने इस क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनों के अध्ययन के दौरान पाया कि यह त्रिभुज के आकार का क्षेत्र है जो मुख्यतः बरमूडा, प्यूर्टो रिको तथा अमेरिका के मायामी को जोड़ता है।

क्यों है रहस्यमयी? (Why Bermuda Triangle is Mysterious)

अटलांटिक महासागर में लगभग 8 से 10 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला यह क्षेत्र सदियों से रहस्य का केंद्र बना है। यहाँ से गुजरने वाले अधिकांश पानी के जहाज दुर्घटना के शिकार होते रहे हैं। हालांकि शुरुआत में यह समझा गया कि ये जहाज़ समुद्री डाकुओं द्वारा लूट लिए जाते हैं। किंतु जब यही घटनाएं इस क्षेत्र के ऊपर उड़ने वाले हवाई जहाजों के साथ होने लगी तो इस क्षेत्र ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

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जैसे जैसे यह क्षेत्र (Bermuda triangle in Hindi) सुर्खियों में आया इस पर कई फिल्में भी बनाई गई जिसनें इसे दुनियाँ के लिए और रहस्यमयी बना दिया। इससे संबंधित प्रमुख फिल्मों में Secrets of the Bermuda Triangle, Lost in the Bermuda Triangle, Satan’s Triangle, The Triangle आदि शामिल हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (History of Bermuda Triangle in Hindi)

इस क्षेत्र के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखे तो इतिहास में इस क्षेत्र के रहस्यमयी होने के साक्ष मिलते है। इससे संबंधित पहला लेख 15वीं शताब्दी में प्रसिद्ध समुद्री यात्री क्रिस्टोफर कोलंबस की पत्रिका में मिलता है। उन्होंने अपने यात्रा वृतांत में इस क्षेत्र का उल्लेख किया था, कि फ्लोरिडा और प्यूर्टो रिको के बीच एक अनदेखी सीमा को पार करने के बाद उनके कंपास ने कार्य करना बंद कर दिया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया की उन्होंने इस क्षेत्र में आसमान से आग का एक विशाल गोला समुद्र में गिरते देखा तथा कुछ समय बाद समुद्र से एक विचित्र रोशनी दिखाई दी। तब से इस क्षेत्र को लेकर समय समय पर होने वाली दुर्घटनों के चलते कई कहानियां प्रचलन में रही हैं।

इस क्षेत्र को लेकर कल्पनाएं

समय के साथ जैसे-जैसे विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति हुई तथा ब्रह्मांड के कई अनसुलझे रहस्य सुलझाए गए। उसी प्रकार इस क्षेत्र के पीछे के विज्ञान को खोजने के भी समय समय पर प्रयास होते रहे हैं। हालाँकि इस क्षेत्र (Bermuda triangle in Hindi) पर शुरुआत से ही किसी शैतानी शक्ति का प्रभाव समझा गया था।

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कुछ लोगों नें यहाँ होने वाली दुर्घटनाओं के पीछे समुद्र के शैतान की कल्पना की तो कुछ लोगों का मानना था कि यह स्थान परग्राहियों (Aliens) के पृथ्वी में आने जाने का एक मार्ग है तथा इस क्षेत्र में आने वाले जहाजों को ये परग्रही अपने साथ शोध के उद्देश्य से ले जाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कल्पनाओं में इस क्षेत्र में अफ्रीकी गुलामों की आत्माओं का होना आदि भी शामिल हैं। हालांकि इस प्रकार की कोई भी धारणा कभी सिद्ध नहीं हुई।

बरमूडा ट्राइएंगल : दुर्घटनाओं का इतिहास

इस क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या बहुत अधिक है, कहा जाता है की इस क्षेत्र में सैकड़ों जहाज दुर्घटना ग्रस्त हो चुके हैं तथा हजारों की संख्या में लोग मारे गए है। इनमें से कई जहाजों का कभी पता ही नहीं चला। 5 दिसंबर, 1872 को Marie Celeste ने एक निर्दिष्ट गंतव्य तक कार्गो ले जाने के लिए न्यूयॉर्क हार्बर से प्रस्थान किया, लेकिन दुर्भाग्य से, जहाज कभी अपने मुकाम तक नहीं पहुँच सका। कई खोज और बचाव प्रयासों के बाद, जहाज बरमूडा ट्राइएंगल (Bermuda triangle in Hindi) क्षेत्र में बिना चालक दल के पानी में बहता हुआ पाया गया। जहाज पर खोजे जाने के समय निजी सामान, खाद्य कंटेनर, कीमती माल और जीवनरक्षक नौकाएं मौजूद थीं।

1881 में, जब एलेन ऑस्टिन जहाज अपने सफर में था, उसके चालक दल एक को एक अज्ञात जहाज दिखाई दिया, जिसमें सभी सुविधाएं बरकरार थीं, लेकिन जहाज पर कोई भी चालक दल का सदस्य मौजूद नहीं था। जहाज को उबारने के प्रयास में, एलेन ऑस्टिन के कुछ चालक दल न्यूयॉर्क जाने के लिए उस अज्ञात जहाज पर चढ़ गए। इसके  बाद उन दोनों जहाजों का कभी कोई पता नहीं चल पाया। इसके अतिरिक्त 1800 में यूएसएस पिकरिंग, ग्वाडेलोप से डेलावेयर के रास्ते में 90 यात्रियों के साथ खो गया, यूएसएस वास्प, जिसका अंतिम ज्ञात स्थान कैरिबियन था, 140 लोगों तथा चालक दल के साथ खो गया था। ऐसे ही कई जहाज इस क्षेत्र में गायब होते रहे।

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यह क्षेत्र तब से अधिक सुर्खियों में आया, जब 5 दिसंबर1945 को 5 अमेरिकी वायु सेना के जहाज F-19 इस क्षेत्र में अभ्यास कर रहे थे इनमें 14 लोगों का चालक दल मौजूद था, अचानक ही उनका बेस स्टेशन से संपर्क टूट गया तथा वे रडार से गायब हो गए। चूँकि ये द्वितीय विश्वयुद्ध का दौर था अतः शुरुआत में यह अंदाजा लगाया गया कि ये जहाज़ किसी देश के हमले का शिकार हो गए है। इसके बाद इनकी खोज के लिए 13 लोगों के दल के साथ एक अन्य वायु सेना का जहाज़ PBM Mariner भेजा गया और वह भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने के कुछ समय बाद रहस्यमय ढंग से रडार से गायब हो गया। इसके बाद लगातार इस क्षेत्र में दुर्घटनाएं बढ़ने लगी।

मार्च 1918 में यूएसएस साइक्लोप्स, जो एक नौसेना मालवाहक जहाज था तथा 300 से अधिक यात्री और 10,000 टन मैंगनीज अयस्क को ढो रहा था, बारबाडोस और चेसापीक खाड़ी के बीच कहीं डूब गया। यह आश्चर्यजनक था कि जहाज ने कभी भी कंट्रोल स्टेशन को किसी आपातकाल का संदेश नहीं भेजा। जहाज की व्यापक खोज में उसका कोई मलबा नहीं मिला। इस हादसे पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि “केवल भगवान और समुद्र ही जानते हैं कि महान जहाज का क्या हुआ,”। 1941 में साइक्लोप्स जहाज जितने बड़े 2 अन्य जहाज लगभग उसी मार्ग से बिना किसी निशान के गायब हो गए।

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30 जनवरी 1948 को Avro Tudor G-AHNP Star Tiger जहाज 6 लोगों के चालक दल तथा 27 यात्रियों के साथ लापता हो गया, 28 दिसंबर 1948 को Douglas DC-3 NC16002 3 लोगों के चालक दल तथा 36 यात्रियों के साथ इस क्षेत्र से लापता हो गया। 17 जनवरी 1949 Avro Tudor G-AGRE Star Ariel 7 सदस्यीय चालक दल एवं 13 यात्रियों के साथ खो गया। 8 जनवरी 1962 एक USAF KB-50 51-0465 इस क्षेत्र से लापता हो गया।

दुर्घटना का शिकार हुए ऐसे विमानों की सूची बहुत लंबी है। इसके बाद से धीरे धीरे इस क्षेत्र ने दुनियाँ का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना शुरू किया तथा 1964 में इस क्षेत्र को बरमूडा त्रियांगल का नाम दिए जाने के बाद ये दुनियाँ भर में चर्चा तथा रहस्य का विषय रहा। इस क्षेत्र में हुई हालिया दुर्घटना की बात करें तो 2015 में एक मालवाहक जहाज SS El Faro इस क्षेत्र से लापता हो गया तथा खोजे जाने पर समुद्र के भीतर 15,000 फुट की गहराई में जहाज के अवशेष प्राप्त हुए। पिछले साल 28 दिसंबर 2020 को बहामास के बमीनी द्वीप से 20 यात्रियों के साथ फ्लोरिडा के लिए रवाना हुई एक नाव बीच रास्ते से लापता हो गई। US तटरक्षक द्वारा इस क्षेत्र में खोज करने के बाद भी नाव तथा यात्रियों का कोई पता नहीं चल पाया। 

इस क्षेत्र से बच निकलने वाले लोग

इस क्षेत्र के इतिहास को देखा जाए तो यहाँ से गुजरने वाले अधिकांश जहाज सही सलामत वापस नहीं लौट सके। किन्तु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस क्षेत्र से सुरक्षित वापस निकलने में कामयाब रहे है। इन्हीं में शामिल हैं ब्रूस। 4 दिसंबर 1970 को वह एक Beechcraft Bonanza जो कि एक इंजन वाला हवाई जहाज है को उड़ा रहे थे। उनके साथ जहाज में उनके पिता तथा एक मित्र भी शामिल थे। इन्होंने बहामास के एंड्रोस द्वीप से मायामी फ्लोरिडा के लिए उड़ान भरी। चूँकि वे एक प्रशिक्षित पायलेट थे तथा इस प्रकार की कई उड़ाने भर चुके थे अतः यह उड़ान भी उनके लिए किसी सामान्य उड़ान जैसी थी।

धीरे-धीरे उनका जहाज ऊँचाई प्राप्त करने लगा लगभग 1,000 फुट की ऊँचाई पर उन्हें पहली बार कुछ अजीब से बादल दिखाई दिए हालाँकि ब्रूस इन बादलों से सफलता पूर्वक बाहर निकाल आए। इसके बाद तकरीबन 11,000 फुट की ऊँचाई पर उन्हें फिर पूर्व की तरह बदल दिखाई दिए। जैसे जैसे उनका विमान इनके नजदीक पहुँचा ये बादल विशालकाय रूप लेने लगे।

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उन्हें इन बादलों के मध्य से गुजरने के अलावा कोई रास्ता न दिखाई दिया अतः वे इन्हें भी पूर्व की तरह सामान्य बादल समझकर इनके भीतर प्रवेश कर गए। बादलों के भीतर प्रवेश करने के बाद चारों ओर रात के समान घना अंधेरा छा गया। ब्रूस के अनुसार ये कोई तूफ़ानी बादल नहीं थे क्योंकि यहाँ वर्षा का कोई नामोनिशान नहीं था। इसके बाद उन्हें बादलों के भीतर तेज प्रकाश दिखाई देने लगा जैसा आकाशीय बिजली गिरने के दौरान दिखाई देता है।

लगभग 30 मिनट के बाद ब्रूस को बादलों के दूसरे छोर से सूर्य का प्रकाश आता दिखा, ये बादल किसी बेलनाकार गुफा के आकार के थे जिनके मध्य से ब्रूस अपना विमान उड़ा रहे थे। जैसे जैसे जहाज बादलों से बाहर निकलने के लिए आगे बड़ा बादलों का दूसरा छोर अचानक छोटा होना लगा तथा उनके विमान के सभी उपकरणों ने कार्य करना बंद कर दिया। अनियंत्रित हो चुके विमान को उड़ाने के कुछ समय बाद ब्रूस ने पाया की वे उन रहस्यमयी बादलों से बाहर आ चुके थे।

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ब्रूस ने अपनी भौगोलिक स्थिति जानने के लिए तुरंत जमीन से संपर्क करने की कोशिश की, किन्तु रिडियो कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारियों ने रडार द्वारा प्राप्त डेटा को देखा तो उन्हें ब्रूस का जहाज रडार में कहीं नहीं दिखाई दिया। कुछ समय बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल के अधिकारियों नें बताया की वे मायामी के वायु क्षेत्र में मौजूद हैं। ब्रूस को यह सुनकर आश्चर्य हुआ, उन्हें अभी विमान में बैठे केवल 47 मिनट ही हुए थे जबकि उनके विमान की क्षमता के अनुसार उन्हें मायामी पहुँचने में जो लगभग 250 मील दूर था तकरीबन 1.5 घंटा लगना चाहिए था।

पहले ब्रूस को इस बात पर यकीन नहीं हुआ किन्तु जब उन्हें बादलों के नीचे मायामी शहर दिखाई दिया तो उनके होश उड़ गए, उनके अनुसार उनका विमान किसी अदृश्य शक्ति द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचा दिया गया जो सुनने में किसी समय यात्रा के समान लगता है। उन्होंने मायामी में सुरक्षित तरीके से अपना विमान उतारा तथा वे इस रहस्यमयी यात्रा पर शोध करने में जुट गए।

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ब्रूस ने कई प्राध्यापकों तथा अनुभवियों से इस विषय पर चर्चा की और अंत में इस यात्रा के विषय में किताब प्रकाशित कर अपनी एक थ्योरी पेश की। उन्होंने इस क्षेत्र में डार्क एनर्जी के होने की बात कही तथा बताया की इस ऊर्जा के कारण टाइम स्पेस में एक घुमाव उत्पन्न होता है जैसा किसी ब्लैक होल की स्थिति में समझा जाता है।

क्या है असली वजह?

समय समय पर वैज्ञानिक इस क्षेत्र के संबंध में अलग अलग थ्योरी देते रहे हैं। एक थ्योरी के अनुसार इस क्षेत्र में समुद्र के भीतर होने वाले ज्वालामुखी विस्फोट के कारण निकलने वाली Methane गैस पानी से मिलकर उसके घनत्व को बहुत कम कर देती है जिसके परिणामस्वरूप पानी में जहाज तैर नहीं पाते और डूबने लगते हैं। 

ऐसे ही एक हालिया थ्योरी में बताया गया है कि इस क्षेत्र के रहस्य का संबंध पानी में नहीं बल्कि इसके ऊपर आसमान में छिपा है। नासा द्वारा उपग्रहों की मदद से इस क्षेत्र का गहनता से अध्ययन किया गया। और यह बात सामने आई कि इस क्षेत्र के ऊपर हेक्सागोनल (6 भुजाओं वाले) बादलों का निर्माण होता है।

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वैज्ञानिकों का मानना है कि बरमूडा ट्राइएंगल में बेहद भारी चीजों को अपनी ओर खींच लेने की ताकत बादलों के इसी आकार के कारण है। ये बादल किसी ‘एयर बम’ की भाँति कार्य करते हैं। जिससे हवा में बम धमाके जितनी शक्ति पैदा होती है और 170 मील/घंटा की रफ्तार वाली तेज हवाएं चलती हैं जो समुद्र में सूनामी जैसी स्थितियों को जन्म देती हैं। ये बादल और हवाएं ही किसी जहाज के दुर्घटना ग्रस्त होने के लिए उत्तरदाई होती है।

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इस लेख में हमनें ब्लैक होल से संबंधित सभी पहलुओं पर बताने का प्रयास किया है। उम्मीद है, आपको ये लेख (Bermuda triangle in Hindi) पसंद आया होगा, टिप्पणी कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशियल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें एवं इस लेख को सोशियल मीडिया मंचों पर अपने मित्रों, सम्बन्धियों के साथ साझा करना न भूलें।

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