स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल (Places Related To Freedom Struggle)

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भारत लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा, हालाँकि उस दौर में देश विभिन्न रियासतों में विभाजित था किन्तु ब्रिटिश हुकूमत को समूचे हिंदुस्तान से उखाड़ फेंकने हेतु देशभर में स्वाधीनता के लिए आंदोलन होते रहे। इन स्वाधीनता आंदोलनों ने ही देश को भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, मंगल पांडे, सुभाष चंद्र बोस जैसे कई सच्चे देशभक्तों से भी अवगत कराने का कार्य किया। यद्यपि स्वतंत्रता की लड़ाई पूरे हिंदुस्तान में लड़ी गई इसके बावजूद कुछ स्थानों (Places Related To Indian Freedom Struggle in Hindi) का स्वतंत्रता आंदोलन में एक विशेष महत्व है।

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राजनीति, अर्थव्यवस्था, यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे आधुनिक भारतीय इतिहास तथा भारत की स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों (Places Related To Indian Freedom Struggle in Hindi) की तथा प्रकाश डालेंगे इन स्थलों के ऐतिहासिक महत्व पर।

सेल्यूलर जेल अंडमान

सेल्युलर जेल
सेल्युलर जेल

सेल्युलर जेल भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित है। भारत की स्वाधीनता में यह जेल ऐतिहासिक महत्व रखती है। 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने देश की मुख्य भूमि से बाहर स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया। इसकी शुरुआत 1896 में हुई तथा 1906 में यह जेल बनकर तैयार हुई।

इस जेल की पाँच शाखाएं है जिनमें कुल 696 सेल हैं। इसके अतिरिक्त एक मुख्य टावर भी है जिससे कैदियों पर निगरानी रखी जाती थी। आप ने इतिहास में काले पानी की सज़ा के बारे में अवश्य पढ़ा होगा सज़ा के रूप में इस जेल में बंद कर देना ही काले पानी की सज़ा कहलाता था। इस जेल में सज़ा काटने वाले लोगों में बटुकेश्वर दत्त, विनायक दामोदर सावरकर, अब्दुल रहीम सदिकपुरी, योगेंद्र शुक्ला आदि थे।

आज़ादी के बाद इसकी पाँच शाखाओं में से 2 को ध्वस्त कर दिया गया तथा शेष बची तीन शाखाओं तथा मुख्य टॉवर को 1969 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया। जेल की दीवारों पर यहाँ सज़ा काट चुके शहीदों के नाम लिखे गए हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ एक संग्रहालय भी मौजूद है जिसमें उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों को यातनाएं दी जाती थी।

झाँसी

Jhansi
झाँसी

झाँसी भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित है, जो वीरता, साहस और आत्म सम्मान का प्रतीक है। यह नगर ओरछा के राजा वीर सिंह देव ने बसाया तथा 1613 में उन्होंने ही झाँसी किले का निर्माण कराया। 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव ने मणिकर्णिका से विवाह किया जिनका विवाह के पश्चात लक्ष्मी बाई नाम पड़ा।

अंग्रेजों से स्वाधीनता की लड़ाई में उनकी भूमिका हम बचपन से सुनते आए हैं। 1857 में अंग्रेज़ों के खिलाफ हुई क्रांति में उन्होंने अपनी सेना का नेतृत्व किया। 1858 में वे स्वतंत्रता की लड़ाई में शहीद हो गईं। इसके बाद अंग्रेजों ने झाँसी किले पर अपना अधिकार स्थापित किया तथा इसे जीवाजी राव सिंधिया को दे दिया गया। आज़ादी के बाद झाँसी को उत्तरप्रदेश में शामिल कर दिया गया।

कलकत्ता

Kolkata / (Places Related To Indian Freedom Struggle in Hindi)
विक्टोरिया मेमोरियल कलकत्ता (कोलकता)

कलकत्ता (कोलकता) वर्तमान पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी तथा हुगली नदी के किनारे बसा शहर है। यह शहर भारत की स्वाधीनता की यात्रा में ऐतिहासिक महत्व रखता है तथा स्वाधीनता आंदोलन का केंद्र रहा है। सन 1717 में मुगल बादशाह फरुखसियर ने ईस्ट इंडिया कंपनी को 3000 रुपये वार्षिक भुगतान पर यहाँ व्यापार करने की अनुमति दे दी। इसके बाद इस शहर पर ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभुत्व बढ़ता गया। 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद से कंपनी को लगान लेने का अधिकार भी मिल गया। इसके बाद कलकत्ता ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी बनी तथा 1911 तक यही भारत की राजधानी थी।

कालांतर में भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस तथा कई राजनैतिक एवं संस्कृति संगठनों की शुरुआत यहीं से हुई। जिन्होंने भारतीय स्वाधीनता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ के मुख्य ऐतिहासिक स्थलों में फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, वेल्लूर मठ, मार्बल पैलेस, इंडियन म्यूसियम, टैगोर हाउस, शहीद मीनार, दक्षिणेश्वर काली मंदिर, राइटर्स बिल्डिंग, टाउन हॉल आदि शामिल हैं।

साबरमती आश्रम

Sabarmati ashram / (Places Related To Indian Freedom Struggle in Hindi)
साबरमती आश्रम

साबरमती आश्रम गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में साबरमती नदी के किनारे स्थित है। सन 1915 में गाँधी जी ने सत्याग्रह आश्रम की स्थापना कोचरब नामक स्थान पर की थी तत्पश्चात 1917 में सत्याग्रह आश्रम को साबरमती नदी के किनारे स्थानांतरित कर दिया गया और सत्याग्रह आश्रम साबरमती आश्रम कहा जाने लगा। यह आश्रम भारतीय जनता तथा नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत तथा भारत के स्वाधीनता आंदोलन का केंद्र बिंदु रहा है। महात्मा गाँधी 1915 से 1933 तक इसी आश्रम में रहे। आश्रम में रहते हुए गाँधी जी ने अहमदाबाद मिल हड़ताल रुकवाई। इसी आश्रम से गाँधी जी ने दांडी यात्रा आरम्भ की।

महात्मा गांधी आश्रम में स्थित एक छोटी कुटिया में रहते थे जिसे ह्रदय कुंज कहा जाता है। हृदय कुंज में आज भी गाँधी जी का डेस्क, उनका कुर्ता कुछ पत्र आदि मौजूद हैं। हृदय कुंज के दाई ओर नंदिनी है जो वर्तमान में अतिथि गृह है। इसके अतिरिक्त आश्रम में विनोबा मीरा कुटीर, प्रार्थना भूमि तथा उद्योग मंदिर आदि हैं।

चंपारण

चंपारण भारत के विहार राज्य में स्थित एक शहर है। इस स्थान पर सन 1917 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व एक सत्याग्रह हुआ जिसे चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। चंपारण में अंग्रेजों द्वारा किसानों से जबरन नील की खेती करवाई जाती थी जिसकी एबज में उन्हें कुछ नहीं मिलता था इससे परेशान होकर किसानों ने अप्रैल 1917 में एक आंदोलन किया। चंपारण के एक किसान राजकुमार शुक्ल के कहने पर गाँधी जी चंपारण गए वहाँ किसानों ने उनका सहयोग किया। अंततः अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा और 135 सालों से चली आ रही नील की ज़बरन खेती धीरे धीरे रुक गयी।

गाँधी जी द्वारा भारत में पहली बार सत्याग्रह का प्रयोग किया गया जो सफल रहा अतः इस सत्याग्रह ने पूरे देश को स्वाधीन होने का एक नया मार्ग दिखाया। इसके अतिरिक्त भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई व्यक्ति राजेन्द्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, ब्रजकिशोर प्रसाद आदि इसी आंदोलन से देश को मिले, इन सब कारणों के चलते यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

जलियाँवाला बाग

Jaliyah Wala Bagh / (Places Related To Indian Freedom Struggle in Hindi)
जलियाँवाला बाग

जलियाँवाला बाग पंजाब के अमृतसर में स्थित है। भारतीय स्वाधीनता की जब भी चर्चा होगी इस स्थान का नाम अवश्य लिया जाएगा। इस स्थान पर हजारों लोगों ने देश की स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा पारित रौलट एक्ट जिसके अनुसार अंग्रेज़ सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार कर सकती थी, के विरोध में अमृतसर के इसी बाग में लोग 13 अप्रैल बैशाखी के दिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।

बाग के चारों ओर मकान थे तथा बाहर निकलने का केवल एक संकरा रास्ता मौजूद था। तभी वहाँ अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर 90 अंग्रेज़ सैनिकों के साथ आ पहुँचा और बिना चेतावनी निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी। इस हत्याकांड में 400 से अधिक लोग मारे गए तथा 2000 से अधिक घायल हुए। अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या 1000 से अधिक थी।

दांडी (गुज़रात)

दांडी
राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह मेमोरियल दांडी, गुज़रात / सौ. गुज़रात पर्यटन

दांडी गुज़रात के नवसारी जिले के पास स्थित एक गाँव है। समुद्र के किनारे बसा यह गाँव महात्मा गाँधी जी के ऐतिहासिक “नमक सत्याग्रह” के लिए जाना जाता है। अंग्रेजों द्वारा नमक पर लगाए जाने वाले कर के विरोध में ये यात्रा निकाली गई। 2 मार्च 1930 को गाँधी जी ने वायसराय को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी 11 सूत्रीय माँगों का उल्लेख किया। इन माँगों को पूरा न करने पर उन्होंने 12 मार्च को नामक कानून का उल्लंघन करने की चेतावनी दी।

ब्रिटिश सरकार द्वारा इसका कोई सार्थक जवाब न मिलने के चलते गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 78 समर्थकों के साथ दांडी के लिए पैदल यात्रा शुरू करी। 24 दिनों की यात्रा के पश्चात वे 5 अप्रैल को दांडी पहुँचे तथा अगले दिन 6 अप्रैल को उन्होंने समुद्र तट में नमक बनाकर कानून तोड़ा। इसके बाद गाँधी जी ने लोगों से भी अपील करी, कि जहाँ कहीं भी संभव हो लोग नमक कानून तोड़कर नमक तैयार करें। इस आंदोलन की याद में यहाँ राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक बनाया गया है।

लाहौर (पाकिस्तान)

लाहौर
लाहौर

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गढ़ माने जाने वाले स्थानों में लाहौर शहर भी महत्वपूर्ण है। हालाँकि विभाजन के बाद यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया। आज़ादी से पहले यह पंजाब प्रांत की राजधानी हुआ करता था। देश की स्वाधीनता के लिए कई क्रांतिकारी एवं राजनीतिक रणनीतियाँ इस शहर में बनाई गई। इनमें सबसे महत्वपूर्ण दिसंबर 1929 का कॉंग्रेस अधिवेशन है। 1929 में कॉंग्रेस का वार्षिक अधिवेशन इसी शहर में आयोजित किया गया, जिसमें “पूर्ण स्वराज” का एक घोषणा पत्र तैयार किया गया और इसे कॉंग्रेस का एकमात्र लक्ष्य घोषित किया गया।

यह घोषणा इस अधिवेशन को स्वतंत्रता आंदोलन के लिहाज़ से अहम एवं ऐतिहासिक बनाती है। इसके अतिरिक्त इस सम्मेलन में ही 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का फैसला भी लिया गया और इस दिन पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। यही कारण है, कि देश का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार होने के बावजूद उसे 2 माह पश्चात 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।

मुंबई (महाराष्ट्र)

मुंबई
मुंबई

देश को स्वाधीनता मिलने तक बम्बई (मुंबई) समेत समूचा महाराष्ट्र स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र (Places Related To Freedom Struggle) बना रहा। भारत में क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत यहाँ से ही मानी जाती है। बलवंत फड़के द्वारा गठित रामोसी कृषक दल ने सशस्त्र विद्रोह के द्वारा अंग्रेजों को देश से खदेड़ने की योजना बनाई। साल 1885 में ए.ओ. ह्यूम द्वारा कॉंग्रेस का गठन मुंबई शहर में किया गया। बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र के लोगों में स्वराज के प्रति प्यार एवं अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विरोधी भावनाओं को जगाने के उद्देश्य से गणपति एवं शिवाजी त्यौहारों जैसे सामूहिक कार्यक्रमों की शुरुआत करी, जिन्होंने लोगों को एकजुट करने का काम किया।

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