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क्या है इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस? (What is IP address in Hindi)
आज हम दैनिक जीवन में करने वाले अधिकतर कार्यों में इंटरनेट का उपयोग करते हैं, चाहे वह शिक्षा से सम्बंधित कार्य हों, व्यवसाय से सम्बंधित हों अथवा मनोरंजन हो हम बहुत हद तक इंटरनेट पर निर्भर हैं तथा इंटरनेट एक नई दुनियाँ बनकर हमारे सामने उभरा है।
इंटरनेट की इसी दुनियाँ में प्रत्येक उपकरण, जो इंटरनेट का उपयोग कर सकने में सक्षम है उसको एक निश्चित पहचान या पता दिया जाता है, जिसे IP पता या इंटरनेट प्रोटोकॉल पता (IP Address) कहा जाता है। इसी पते के कारण उपकरण एक दूसरे की पहचान तथा एक दूसरे के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान कर पाते हैं, यह पता अंकों में दर्शाया जाता है।
IP Address की शुरुआत
1960 के दशक के अंत में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत की गई, जो आगे चलकर इंटरनेट (Internet) के रूप में जाना गया। ARPANET में विभिन्न कंप्यूटर नेटवर्क में एक दूसरे के साथ कम्यूनिकेशन करने का एक मानक (Standard) तरीका भी मौजूद नहीं था। इस के समाधान के रूप में TCP/IP व्यवस्था की शुरुआत हुई।
IP Address क्यों है आवश्यक?
हर वक़्त लाखों करोड़ों की संख्या में लोग इंटरनेट पर सक्रिय होते हैं क्या आपने कभी सोचा है करोड़ों लोगों द्वारा एक ही समय में इंटरनेट में अलग-अलग विषयों को खोजे जाने पर हर इंसान को उसके द्वारा खोजे गए विषय के अनुरूप जानकारी कैसे मिलती है? इंटरनेट को कैसे पता चल पाता है कौन सी जानकारी किस व्यक्ति विशेष को दिखाई जानी है?
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ये संभव हो पाता है IP एड्रेस या इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस के कारण, जिस प्रकार आप तक कोई पत्र या सामान पहुँचाने के लिए किसी व्यक्ति को आपके पते की आवश्यकता होती है उसी प्रकार ऐसे सभी उपकरण, जो इंटरनेट का उपयोग करते हैं उन सबको भी एक पते की आवश्यकता होती है इस प्रकार, जब हम इंटरनेट पर किसी विषय को खोजते हैं तो हमारे उपकरण के उस विशेष पते के कारण ही वह जानकारी हम तक पहुँचाई जाती है।
अतः इसमें कोई दो राय नहीं है कि, इंटरनेट उपयोग करने में हमारे लिए IP एड्रेस बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिना IP एड्रेस के किसी उपकरण की इंटरनेट की दुनियाँ में कोई पहचान नहीं है अतः वह उपकरण इंटरनेट की सुविधा का लाभ नहीं ले सकता।
कौन जारी करता है IP Address?
अभी तक हमनें IP पता क्या है तथा उसकी आवश्यकता क्यों है इस पर बात की आइये अब जानते हैं किसी भी उपकरण जो इंटरनेट से जुड़ सकता है, को यह निश्चित पता किसके द्वारा दिया जाता है। यह कार्य अमेरिकी कंपनी iana द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त “iana” द्वारा सुविधाजनक इंटरनेट का उपयोग करने के लिए डोमेन नेम तथा DNS प्रबंधन का कार्य भी किया जाता हैं।
IP Address जारी करने की प्रणाली
IP एड्रेस जारी करने की निम्नलिखित दो प्रणालियाँ हैं। आइये इन्हें विस्तार से समझते हैं और देखते हैं क्यों IP पते जारी करने के लिए नई प्रणाली को अपनाना पड़ा।
- Internet Protocol Version 4 (iPv4)
- Internet Protocol Version 6 (ipv6)
IPv4 (Internet Protocol Version 4)
Ipv4 का मतलब इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्ज़न 4 से है। यह IP एड्रेस (IP Address) जारी करने का शुरुआती तरीका था, जो वर्तमान में भी चल रहा है। इसके अनुसार IP एड्रेस 32 Bit बाइनरी नम्बर आधारित होता है अतः कुल 232 IP एड्रेस ही जारी कर पाना संभव हैं। यह पूर्णतः नंबर आधारित होता है, जो 36.56.765.76 प्रकार का होता है।
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इस प्रणाली के तहत केवल लगभग 4 बिलियन IP एड्रेस ही जारी किये जा सकते हैं। चूँकि वर्तमान में ऐसे उपकरणों, जिनसे इंटरनेट उपयोग किया जा सकता है की संख्या दिन-प्रति दिन बढ़ती जा रही है अतः इस सिस्टम से जारी किये गए सभी पते उपयोग में लाए जा चुके हैं, दूसरे शब्दों में किसी न किसी उपकरण को दे दिए गए हैं। इसी कारण IP पते जारी करने की एक नई व्यवस्था IPv6 की शुरूआत की गई।
IPv6 (Internet Protocol Version 6)
Ipv6 का पूरा नाम इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्ज़न 6 है। यह एक 128 Bit बाइनरी संख्या आधरित IP एड्रेस व्यवस्था है, जिसमें IP एड्रेस के रूप में अंकों के साथ अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस व्यवस्था के अनुसार IP पता 2869:4053:68c:fdd0:8039:77ff:fe97:a03a प्रकार का होता है। इससे बन सकने वाले कुल पतों की संख्या 2128 है। इतनी अधिक संख्या होने के कारण इस व्यवस्था के विफल होने की संभावना नगण्य है।
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