देश में निर्मित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) की पहली खेप, जिसमें 10 हेलीकॉप्टर शामिल हैं आज भारतीय वायु सेना में शामिल कर दी गई है। देश के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, CDS जनरल अनिल चौहान तथा वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी की उपस्थिति में जोधपुर एयरबेस में आयोजित कार्यक्रम में इन लड़ाकू हेलीकॉप्टर को औपचारिक रूप से वायु सेना के बेड़े में शामिल कर दिया गया। प्रचंड को सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है।
ये हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर एक लंबे अनुसंधान और विकास का नतीजा हैं, जिनकी 1999 में हुए कारगिल युद्ध में सबसे पहले आवश्यकता महसूस हुई थी। इसके बाद से ही ऐसे हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर के निर्माण का कार्य शुरू हुआ, जो अधिक से अधिक हथियारों के साथ गोला-बारूद का भार उठा सके, अधिक समय तक हवा में रह सके तथा रेगिस्तान की गर्मी के साथ ही हिमालय की कड़ाके की सर्दी में एक समान कार्य कर सकें।
साल 2004 में इसके विकास कार्य सबसे पहले शुरू किया गया चार सालों बाद 2008 में इसके प्रोटोटाइप (मॉडल) ने पहली सफल उड़ान भरी और 2011 में फ्लाइट टेस्ट सफल होने के बाद इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस मिली। इसके बाद 2012 से इस हेलीकॉप्टर का विभिन्न भौगोलिक तथा मौसमी स्थितियों में ट्रायल किया गया और एक लंबे इंतजार के बाद आज ये हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना का हिस्सा बन चुके हैं।
क्यों खास हैं ‘प्रचंड’ हेलीकॉप्टर ?
प्रचंड हेलीकॉप्टर हथियारों और ईंधन के साथ 5,000 मीटर की ऊंचाई से उड़ान भरने और इस ऊंचाई पर लैंडिंग करने में सक्षम है। सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लद्दाख तथा रेगिस्तानी क्षेत्र में इन हेलीकॉप्टरों को बड़े पैमाने पर उड़ाया गया है। प्रचंड 5.8 टन वजनी दो इंजनों वाला हेलीकॉप्टर है अपने हल्के वजन के चलते इसे अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ना आसान है।
इस लड़ाकू हेलीकॉप्टर में हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 20 एमएम के ट्रेंट गन्स, रॉकेट सिस्टम और दूसरे घातक हथियार लगे हुए हैं। यह ड्रोन्स को मिसाइलों से भेद सकता है वहीं जमीन पर मौजूद दुश्मन के टैंकों को भी आसमान से ही नष्ट कर सकता है।
प्रचंड हेलीकॉप्टर चौबीसों घंटे किसी भी प्रकार के मौसम में कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (CSAR), दुश्मन वायु रक्षा के विनाश (DEAD), धीमी गति से चलने वाले विमान और रिमोटली पायलट एयरक्राफ्ट (RPAs) के खिलाफ काउंटर इंसर्जेंसी (CI) ऑपरेशन, अत्यधिक ऊंचाई वाले बंकर बस्टिंग ऑपरेशन, जंगल और शहरी वातावरण में काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन तथा जमीनी बलों को समर्थन और परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।
वायु सेना के बेड़े में हैलीकॉप्टर
अभी तक भारतीय वायु सेना के पास अपाचे, चिनूक, MI17, MI24, MI26, चेतक, ध्रुव, चीता हेलीकॉप्टर थे, जिनमें से कुछ लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं, जबकि अन्य ट्रांसपोर्ट, सर्वे, आपदा प्रबंधन तथा मेडिकल इमरजेंसी आदि में इस्तेमाल किए जाते हैं। इन हैलीकॉप्टरों में अपाचे तथा चिनूक हेलीकॉप्टर अमेरिका से खरीदे गए हैं तथा MI सीरीज के सभी हेलीकॉप्टर रूस से खरीदे गए हैं
देश में चल रहे आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत देश रक्षा क्षेत्र में उन्नत अत्याधुनिक तकनीकों और प्रणालियों को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्माण करने की अपनी क्षमता में लगातार आगे बढ़ रहा है। HAL द्वारा LCH का निर्माण आत्मानिर्भर भारत पहल तथा देश में रक्षा उत्पादन और रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देगा। LCH देश में लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिए आयात पर निर्भरता को भी निश्चित रूप से कम करेगा।