जानें कैसे एक लोहे की कील पानी में आसानी से डूब जाती है, जबकि भारी-भरकम जहाज पानी में तैरते हैं?

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आर्कमिडीज सिद्धांत

archimedes
आर्कमिडीज़

जब कोई वस्तु किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोई जाती है तो वह तरल का कुछ भाग प्रतिस्थापित करती है। जिस प्रकार पानी के ग्लास में आइस क्यूब डालने पर पानी का स्तर ऊपर आने लगता है। ग्रीक गणितज्ञ तथा भौतिकशास्त्री आर्कमिडीज ने बताया कि किसी वस्तु को किसी तरल में डालने पर तरल उस वस्तु में ऊपर की ओर एक बल लगाता है, जिसे उत्प्लावन बल कहा जाता है और इस बल का मान उस वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है। यही कारण है, जब किसी वस्तु को किसी द्रव में डुबोया जाता है तो हमें उसके भार में कमी महसूस होती है।

जहाज का तैरना

आपने अक्सर देखा होगा बहुत भारी लोहे का जहाज पानी मे तैरता है, किंतु हल्की लोहे की कील पानी में डूब जाती है।जैसा कि, हमने बताया उत्प्लावन बल किसी वस्तु को ऊपर की ओर धकेलने का प्रयास करता है, किन्तु वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण भी लागू है जो वस्तु पर पृथ्वी के केंद्र की ओर कार्यरत है। यदि गुरुत्वाकर्षण बल तरल द्वारा वस्तु पर लगाए गए उत्प्लावन बल से अधिक हो जाए तो वस्तु पानी में डूब जाती है, जबकि उत्प्लावन बल के गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होने पर वस्तु पानी मे तैरने लगती है।

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किसी जहाज को इस प्रकार निर्मित किया जाता है, कि उसका भार उसके द्वार हटाए गए जल के भार के समान हो। इस प्रकार जहाज पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल जहाज पर लगने वाले उत्प्लावन बल के समान हो जाता है और जहाज तैरने लगता है। वहीं किसी कील की स्थिति में कील का भार उसके द्वारा हटाए गए पानी के भार से कहीं अधिक होता है परिणामस्वरूप कील डूब जाती है।

उत्प्लावन बल का एक अन्य उदाहरण गर्म हवा का गुब्बारा है। इसमें ईंधन को जलाकर गुब्बारे के अंदर की हवा को गर्म किया जाता है, जिससे गुब्बारे के अंदर की हवा का घनत्व कम हो जाता है। चूँकि घनत्व कम होने से गुब्बारे का भार उसके द्वारा प्रतिस्थापित की गई हवा के भार से कम हो जाता है अतः उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक प्रभावी होता है लिहाजा गुब्बारा हवा में ऊपर की ओर उड़ने लगता है।

गर्म हवा का गुब्बारा
गर्म हवा का गुब्बारा

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