आपने अक्सर किसी भी गाड़ी के इंजन की क्षमता को बताने वाले वाले नंबर के आगे CC लिखा देखा होगा, जैसे कोई गाड़ी 350cc की है तो कोई 180cc की, आइये समझते हैं आखिर ये CC क्या होता है। CC शब्द का इस्तेमाल आम बोलचाल में किसी गाड़ी के इंजन की शक्ति (Power) को बताने के लिए किया जाता है, जबकि इसका मतलब होता है Cubic Centimeter जो आयतन मापने की इकाई है। अब बात आती है कि, भला आयतन मापने वाली इकाई का इस्तेमाल शक्ति बताने के लिए कैसे होने लगा?
आपने अक्सर गाड़ियों से जुड़े विज्ञापनों जैसे किसी इंजन ऑइल (Engine oil) के विज्ञापन में एक डिस्कनुमा यंत्र को खोखले बेलन (Cylinder) के भीतर ऊपर-नीचे गति करते देखा होगा, जैसा कि नीचे चित्र में भी दिखाया गया है, इसे पिस्टन (Pistons) कहा जाता है। पिस्टन किसी इंजन का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जो इंजन के भीतर बने खोखले सिलेंडर में ऊपर-नीचे गति करता है।
जब भी हम किसी गाड़ी को स्टार्ट करते हैं तो गाड़ी की टंकी (Fuel Tank) से पेट्रोल और हवा का मिश्रण ऊपर दिखाए गए इन खोखले सिलेन्डर्स में भरने लगता है, इसके बाद यहाँ मौजूद पिस्टन ऊपर की ओर गति करता हुआ इस मिश्रण पर अत्यधिक प्रेशर लगाता है, एक स्थिति ऐसी आती है जब पिस्टन पेट्रोल तथा हवा के इस मिश्रण पर और प्रेशर नहीं लगा पाता और इस स्थिति में इस मिश्रण का तापमान भी बेहद बढ़ जाता है
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अब इंजन के ऊपरी हिस्से में मौजूद स्पार्क प्लग द्वारा उत्पन्न चिंगारी से वहाँ मौजूद पेट्रोल तेजी से जलता है और इस क्रिया में अत्यधिक ऊर्जा मुक्त होती जो झटके के साथ पिस्टन को नीचे की ओर धकेल देती है, इंजन के अंदर यह क्रिया बार-बार दोहराई जाती है और ये पिस्टन लगातार ऊपर-नीचे गति करता रहता है। पिस्टन की इसी गति को इसके नीचे लगे एक अन्य यंत्र क्रैंकशाफ्ट द्वारा घूर्णन गति (Rotation Motion) में बदल दिया जाता है, यह घूर्णन गति गाड़ी को चलाने या उसके टायर को घुमाने में काम आती है।
हमनें यहाँ पेट्रोल इंजन की कार्यप्रणाली का उदाहरण लिया है हालांकि डीजल इंजन भी इसी सिद्धांत पर कार्य करता है, किन्तु डीजल इंजन के शुरुआती चरण में ईंधन और हवा के मिश्रण के बजाए केवल हवा सिलेंडर में भरी जाती है, इस हवा पर पिस्टन द्वारा अत्यधिक प्रेशर लगाया जाता है और एक स्थिति ऐसी आती है जब ये हवा अत्यधिक दाब के कारण बहुत गर्म हो जाती है इस स्थिति में सिलेंडर में ईंधन (डीजल) छोड़ा जाता है जो गर्म हवा के संपर्क में आते ही जल जाता है
इंजन के अंदर ईंधन के जलने की प्रक्रिया को आप समझ चुके हैं, इस क्रिया में कितनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होगी यह ईंधन की मात्रा पर निर्भर करता है अतः इंजन के अंदर स्थित सिलेंडर में एक बार में जितना अधिक ईंधन भरा जा सकेगा उतनी ही अधिक ऊर्जा ईंधन के जलने से प्राप्त होगी और अधिक ऊर्जा का सीधा संबंध इंजन के अधिक शक्तिशाली होने से है।
दूसरे शब्दों में किन्हीं दो इंजनों में वह इंजन अधिक शक्तिशाली होगा, जिसका सिलेंडर अधिक बड़ा होगा, चूंकि किसी सिलेंडर के आयतन को घन सेंटीमीटर या Cubic Centimeter या शॉर्ट फॉर्म में CC में मापा जाता है अतः, जिस गाड़ी का इंजन जितने अधिक CC का होगा वह गाड़ी उतनी ही अधिक शक्तिशाली होगी।
गाड़ी के माइलेज और CC का कनेक्शन
जैसा कि, आप समझे किसी गाड़ी के इंजन का सिलेंडर आयतन में जितना बड़ा होगा वह इंजन उतना अधिक शक्तिशाली होगा, लेकिन सिलेंडर का आयतन बढ़ने से ईंधन भी अधिक इस्तेमाल होता है, अतः ज्यादा CC के इंजन वाली गाड़ी तेजी से ईंधन खत्म करती है जिस कारण उसका माइलेज भी कम होता है।
क्यों अधिक ऊंचाई वाली जगहों में गाड़ी का Performance कम हो जाता है?
ये तो आप जानते ही होंगे कि, आग के जलने के लिए ऑक्सीजन (Oxygen) गैस की आवश्यकता होती है, ठीक ऐसे ही गाड़ी के इंजन में ईंधन को जलने के लिए भी ऑक्सीजन जरूरी है, जो कि आसपास की हवा (वायुमंडल) से मिलती है। लेकिन अधिक ऊंचाई वाली जगहों जैसे लेह-लद्दाख आदि में वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है जिसके चलते इंजन को भी उसकी आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं मिल पाती लिहाजा ईंधन पूरी तरह नहीं जलता है और गाड़ी की परफ़ोर्मेंस कम हो जाती है।