नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख में हम चर्चा करेंगे विभिन्न प्रकार की डिसप्ले या स्क्रीन (Different types of Display) की तथा जानेंगे कैसे यह एक दूसरे से अलग हैं।
क्या है स्क्रीन?
स्क्रीन किसी कंप्यूटर, स्मार्टफोन या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का वह भाग है, जिसके माध्यम से आपको उस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में प्रोसेस होने वाली किसी सूचना को दिखाया जाता है।
स्क्रीन के प्रकार
स्क्रीन की प्रौद्योगिकी में समय के साथ कई बदलाव आए हैं, जिससे इसकी गुणवत्ता में अत्यधिक सुधार हुए हैं। आइये देखते हैं स्क्रीनों के अलग-अलग प्रकारों को (Different types of Display) और जानते हैं किस प्रकार ये एक दूसरे से भिन्न हैं।
- CRT Display (Cathode Ray Tube)
- LCD (Liquid Crystal Display)
- LED Display (Light Emitting Diode)
- OLED Display (Organic Light Emitting Diode)
CRT Display
यह स्क्रीन का शुरुआती रूप है। इसका प्रयोग पुरानी टेलीविजन एवं डेस्कटॉप कम्प्यूटरों के मॉनिटर के रूप में किया जाता था। इसमें प्रयोग होने वाली तकनीक में स्क्रीन के पिछले भाग में एक वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉन गन होती है। यह इलेक्ट्रॉन गन विद्युत प्रवाहित किये जाने पर इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित करती है।
स्क्रीन के अगले भाग में फॉस्फोरस की कोटिंग युक्त एक पैनल होता है, जिसमें करोड़ों की संख्या में छोटे-छोटे लाल हरे तथा नीले फॉस्फर डॉट होते हैं, जो इलेक्ट्रॉन गन द्वारा निकली इलेक्ट्रॉन बीम से टकराकर चमकते हैं। चूँकि इलेक्ट्रॉन गन द्वारा निकलने वाले इलेक्ट्रॉनों का एक निश्चित पैटर्न होता है अतः हमें रंगों से मिलकर एक चित्र स्क्रीन पर दिखाई देता है। इनका आकर बड़ा होने के चलते ये स्क्रीन अधिक स्थान घेरती हैं यही कारण है कि, ये वर्तमान में बहुत कम इस्तेमाल की जाती हैं।
Liquid Crystal Display
यह CRT के बाद डिस्प्ले का विकसित रूप है। CRT डिस्प्ले की तुलना में यह बहुत हल्की तथा बिल्कुल चपटी होती है, इसी कारण इसके प्रयोग से चपटी स्क्रीन वाली TV एवं कंप्यूटर मॉनिटर बनाना संभव हो पाया है। इसके अलावा इसका उपयोग स्मार्टफोन, टैबलेट आदि में भी किया जाता है। हालाँकि इस डिस्प्ले में भी खुद का प्रकाश स्रोत नहीं होता अतः रंगों को उतपन्न करने के लिए इसे बाहरी प्रकाश स्रोत की आवश्यकता होती है।
प्रकाश का ध्रुवीकरण
LCD स्क्रीन मुख्य रूप से प्रकाश के ध्रुवीकरण पर कार्य करती है। आइये पहले प्रकाश के ध्रुवीकरण को समझते हैं। किसी प्रकाश स्रोत से, जब प्रकाश उत्पन्न होता है तो प्रकाश की किरणें सभी दिशाओं में फैल जाती हैं। प्रकाश की किरणों को किसी विशेष दिशा में प्रसारित करने को प्रकाश का ध्रुवीकरण कहा जाता है तथा यह एक विमीय प्रकाश ध्रुवित प्रकाश कहलाता है।
![Polarization](https://jankarizone.com/wp-content/uploads/2020/08/Schematic-representation-of-the-light-polarization.jpg)
LCD की संरचना
LCD की संरचना की बात करें तो इसमें पिछले हिस्से में एक प्रकाश स्रोत स्थित होता है, जिसके आगे दो ध्रुवीकारक और इन ध्रुवीकारकों के मध्य में द्रवित क्रिस्टल उपस्थित होता है और सबसे अगले भाग में छोटे-छोटे पिक्सल्स से मिलकर बना एक पैनल होता है। ये पिक्सल्स पुनः तीन अलग-अलग सब पिक्सल्स लाल, हरे तथा नीले रंग में विभाजित होते हैं। जब किसी पिक्सल पर प्रकाश पड़ता है तो उसके तीनों सब पिक्सल चित्र के अनुरूप रंग उतपन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त जब किसी पिक्सल पर प्रकाश नहीं पड़ता तो वो काला रंग प्रदर्शित करता है।
![Display Pixels](https://jankarizone.com/wp-content/uploads/2020/08/Screenshot_2020-08-20-19-10-24-793_com.google.android.youtube-1-1024x473.jpg)
LCD की कार्यप्रणाली
LCD में पीछे स्थित प्रकाश स्रोत से प्रकाश की किरणें पहले ध्रुवीकारक पर पड़ती है, जो प्रकाश किरणों को क्षैतिज दिशा में ध्रुवित कर देता है। ये क्षैतिज किरणें द्रवित क्रिस्टल से टकराती हैं तथा अपनी दिशा क्षैतिज से ऊर्ध्व कर लेतीं हैं और दूसरे ध्रुवीकारक से आसानी से निकलती हुई स्क्रीन के आगे लगे पिक्सल्स पर टकराती हैं फलस्वरूप ये पिक्सल्स रंग उतपन्न करते हैं।
![working of LCD](https://jankarizone.com/wp-content/uploads/2020/08/IMG_20200820_233859.jpg)
दूसरी स्थिति में, जब किसी पिक्सल को काला रंग प्रदर्शित करना हो अथवा किसी पिक्सल को प्रकाश की आवश्यकता न हो तब द्रवित क्रिस्टल में विद्युत प्रवाहित की जाती है। द्रवित क्रिस्टल के अणु सामान्य स्थिति में अलग-अलग दिशाओं में व्यवस्थित रहते हैं जैसा कि, ऊपर चित्र में दिखाया गया है, किंतु इसमें विद्युत प्रवाहित करनें से ये अणु एक दिशा में व्यवस्थित हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) क्या है तथा इसके क्या-क्या फायदे एवं नुकसान हो सकते हैं?
परिणामस्वरूप पहले ध्रुवीकारक से ध्रुवित क्षैतिज प्रकाश द्रवित क्रिस्टल से टकराकर अपरिवर्तित रहता है तथा दूसरे ऊर्ध्व ध्रुवीकारक द्वारा आगे जाने से रोक दिया जाता है। इसके कारण स्क्रीन के अगले भाग में स्थित पिक्सल तक प्रकाश नहीं पहुँच पाता तथा स्क्रीन काली दिखाई पड़ती है।
![working of LCD 2](https://jankarizone.com/wp-content/uploads/2020/08/IMG_20200820_234852.jpg)
LED Display
LED डिसप्ले भी LCD डिस्प्ले का ही एक प्रकार है अंतर केवल इतना है, जहाँ LCD में प्रकाश स्रोत के रूप में EEFLs (External Electrode Fluorescent Lamp), या CCFLs (Cold Cathode Fluorescent) का प्रयोग किया जाता है, वहीं LED डिसप्ले में प्रकाश के स्रोत के रूप में LED का प्रयोग किया जाता है। ये छोटे-छोटे डायोड होते हैं, जो विधुत प्रवाहित करने पर प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
OLED Display
यह LCD के बाद डिस्प्ले का उन्नत रूप है। जहाँ LCD में स्वयं का प्रकाश स्रोत नहीं होता वहीं OLED स्क्रीन स्वयं का प्रकाश उत्पन्न करने में सक्षम होतीं हैं। इनमें डिस्प्ले के पूरे पैनल में छोटे-छोटे LED लगे होते हैं, जो विद्युत प्रवाहित होने पर स्वयं आवश्यकतानुसार रंगों का उत्सर्जन करते हैं तथा एक चित्र का निर्माण करते हैं। चूँकि इस डिस्प्ले में प्रयुक्त LED आवश्यकता पड़ने पर ही ऑन होते हैं, जबकि LCD पैनल में बाहरी प्रकाश स्रोत होने के कारण पूरी स्क्रीन में प्रकाश समान रूप से वितरित होता है अतः OLED स्क्रीन LCD की तुलना में ऊर्जा की कम खपत करती हैं।
यह भी पढ़ें : 3D प्रिंटिंग क्या है तथा कैसे कार्य करती है?
उम्मीद है दोस्तो आपको ये लेख (Different types of Display) पसंद आया होगा टिप्पणी कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशियल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें। तथा इस लेख को सोशियल मीडिया मंचों पर अपने मित्रों, सम्बन्धियों के साथ साझा करना न भूलें।