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मेहरानगढ़ किला
मेहरानगढ़ किला राजस्थान के जोधपुर में स्थित प्राचीनतम किलों में से एक है। यह किला मैदान से 124 मीटर की ऊँचाई पर एक पहाड़ी में स्थित है। इसके निर्माण की नींव राव जोधा, जोधपुर के पंद्रहवें शासक ने मई 1459 में रखी। इसके बाद महाराज जसवंत सिंह ने 1638 से 78 के मध्य इस किले के निर्माण कार्य को पूरा करवाया। किले में आठ द्वार हैं तथा दस किलोमीटर लंबी दीवार किले को घेरे हुए है। किले के अंदर कई भव्य महल स्थित हैं जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना आदि शामिल हैं। राव जोधा की चामुंडा माता में अथाह श्रद्धा थी जिस कारण उन्होंने 1460 में किले के समीप चामुंडा माता के मंदिर का निर्माण करवाया।
चित्तौड़ किला
चित्तौड़ किला राजस्थान के चितौड़गढ़ में स्थित भारत के विशालतम किलों में एक है। इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण मौर्य वंशीय राजा चित्रांगद ने सातवीं शताब्दी में करवाया तथा इस शहर को चित्रकूट के नाम से बसाया जिसे बाद में चित्तौड़ कहा जाने लगा। समय के साथ इस किले से अनेक वंशों मौर्य, गुहिलवंश, परमार, सोलंकी, आदि ने शासन किया तथा 1174 के आस पास पुनः गहिलवांशियों (राजपूतों) ने इसे अपने अधिकार में ले लिया।
यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस किले पर इतिहास के तीन महत्वपूर्ण आक्रमण हुए और तीनों आक्रमणों में राज्य की रानियों द्वारा जौहर किया गया। जौहर एक प्रथा थी जिसके अनुसार किसी शत्रु द्वारा राज्य पर आक्रमण कर उस राज्य को जीत लेने की स्थिति में राज्य की सभी स्त्रियां आग में कूद जाती थी।
पहला आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 में किया तथा राजा रतन सिंह की युद्ध मे मृत्यु हो गयी, इसके फलस्वरूप रानी पद्मिनी के नेतृत्व में राज्य की महिलाओं ने जौहर कर लिया। दूसरा आक्रमण 1534 में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने किया और रानी कर्णवती के नेतृत्व में जौहर हुआ। तीसरा आक्रमण 1568 में अकबर द्वारा किया गया और पत्ता सिसौदिया की पत्नी फूल कँवर के नेतृत्व में जौहर किया गया। इस किले को 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया गया है।
जैसलमेर किला
जैसलमेर किला राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है जो स्थापत्यकला का नायाब उदाहरण है। साक्ष्यों के अनुसार इस किले का निर्माण 1178 में राजपूत शासक जैसल द्वारा कराया गया था, किन्तु कुछ समय पश्चात उनकी मृत्यु हो जाने के कारण दुर्ग के निर्माण का कार्य उनके उत्तराधिकारी शालिवाहन द्वारा पूर्ण कराया गया। जैसलमेर किला किला त्रिकुरा नामक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है जिसकी ऊँचाई 250 फ़ीट है। किले की खास बात है कि इसके निर्माण में गारे या चुने का प्रयोग नहीं किया गया है, केवल पत्थर पर पत्थर फंसाकर इसका निर्माण हुआ है। किले के अंदर कई भव्य महल हैं जिनमें सर्वोत्तम विलास, रंगमहल, मोतीमहल, ग़ज़ विलास आदि प्रमुख है।
कुंभलगढ़ किला
कुम्भलगढ़ किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है इसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1459 में करवाया। सुरक्षा की दृष्टि से अभेद्य होने के कारण इसे अजयगढ़ भी कहा जाता था। इसके चारों ओर एक दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद दुनियाँ की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है। इस दीवार की लंबाई 36 किलोमीटर है। किले के ऊपरी स्थानों पर महल, मंदिर आदि का निर्माण किया गया है।
कुंभलगढ़ को मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी के तौर पर जाना जाता है। मेवाड़ पर समय समय पर हुए आक्रमणों में राजपरिवार इसी किले में रहा। कुँवर पृथ्वीराज तथा राणा सांगा का बचपन इसी किले में बीता इसके अतिरिक्त हल्दीघाटी के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप भी काफी समय तक इसी किले में रहे। इस ऐतिहासिक किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया गया है।
उम्मेद भवन
उम्मेद भवन राजस्थान के जोधपुर में स्थित एक भव्य महल है। इसका निर्माण राठौर राजवंश के शासक प्रताप ने 1920 में करवाया जो 1943 में बनकर तैयार हुआ। कहा जाता है कि किसी संत द्वारा अभिशाप मिलने के कारण 1920 के दशक में राज्य में भीषण सूखा तथा अकाल पड़ा राज्य के लोगों नें राजा से रोजगार की माँग की जिसके चलते राजा ने एक आलीशान महल बनाने के बारे में विचार किया।
इस महल की योजना तैयार करने के लिए वास्तुकार हेनरी लोनचेस्टर को चुना गया ये एडविन लुटियंस के समकालीन थे जिन्होंने दिल्ली में सरकारी भवनों के निर्माण में वास्तुकार का कार्य किया था। हेनरी लेनचेस्टर ने नई दिल्ली में निर्मित भवनों की तर्ज़ पर इस महल का निर्माण करवाया। इस महल के तीन हिस्से हैं जिसमे एक हिस्सा होटल है जो 1972 से ताज होटल के अधीन है। दूसरा हिस्सा शाही परिवार के लिए तथा तीसरा हिस्सा एक संग्रहालय है।
रणथंभौर किला
रणथंभौर किला राजस्थान के सवाई माधोपुर में है, जो दो पहाड़ियों के मध्य में स्थित है। इसका निर्माण राजा सज्जन वीर सिंह ने करवाया था तथा उनके पश्चात उनके कई उत्तराधिकारियों ने इसके निर्माण में योगदान दिया। इस दुर्ग की सबसे अधिक ख्याति हम्मीर देव् चौहान के शासनकाल (1282-1301) में रही।
1301 में इस किले पर अलाउद्दीन खिलजी ने कब्जा कर लिया इसके पश्चात 18वीं शदी के मध्य तक इस पर मुगलों का अधिकार रहा इसी दौरान मराठा साम्राज्य भी अपने चरम पर था अतः उनपर नज़र रखने के लिए जयपुर के राजा सवाई माधो सिंह ने इस दुर्ग को मुगलों से अपने पास सौपने का अनुरोध किया। उन्होंने पास के गाँव का विकास किया तथा किले को और मजबूत बनाया बाद में उन्हीं के नाम पर इस शहर को सवाई माधोपुर नाम दिया गया। 21 जून 2013 से इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
जूनागढ़ किला
जूनागढ़ किला राजस्थान के बीकानेर में स्थित है। राजस्थान के अन्य मुख्य किलों के विपरीत यह पहाड़ी पर नहीं बनाया गया है। इस किले का निर्माण राजा रायसिंह द्वारा 1589 से 1594 के मध्य कराया गया था। राजा रायसिंह ने 1571 से 1611 के मध्य बीकानेर पर शासन किया। किले के परिसर में खूबसूरत महल (अनूप महल, बादल महल आदि), मंदिर आदि बनाये गए हैं, तथा महलों की दीवारें नक्काशीदार पत्थरों द्वारा बनाई गई हैं।
हवा महल
हवा महल राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक शानदार महल है। इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। यह महल लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है। यह एक पाँच मंजिला इमारत है जो आकार में किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देता है। महल में 953 खूबसूरत जालीदार खिड़कियां हैं, इनको बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य था कि महल की स्त्रियाँ पर्दा प्रथा का पालन करते हुए महल के बाहर समारोह या दैनिक जीवनचर्या देख सकें। इसके अतिरिक्त इन छोटी छोटी जालीदार खिड़कियों से ठंडी हवा महल के भीतर अति रहती है जिससे महल वातानुकूलित बना रहता है।
उदयपुर सिटी पैलेस
उदयपुर सिटी पैलेस राजस्थान के उदयपुर शहर में पिछोला झील के किनारे पर स्थित है। उदयपुर शहर झीलों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। इस महल का निर्माण कार्य 16वीं शताब्दी में राजा उदयसिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया तथा समय के साथ अलग अलग राजाओं ने इसके निर्माण में अपना योगदान दिया। परिसर में कई भव्य महल तथा एक जगदीश का मंदिर भी है। वर्तमान में इस पैलेस के एक भाग को सरकारी संग्रहालय बनाया गया है, जबकि पैलेस में स्थित फतह प्रकाश भवन तथा शिव निवास भवन को होटलों में तब्दील कर दिया गया है। पैलेस के एक अन्य हिस्से शम्भुक निवास में राजपरिवार निवास करता है।
रामबाग़ पैलेस जयपुर
रामबाग महल राजस्थान के जयपुर में स्थित है। यह जयपुर के महाराजा का आवास हुआ करता था। महल में पहला कक्ष गार्डन हॉउस के नाम से 1834 में बनाया गया इसके बाद 20वीं सदी में इस महल का विस्तार किया गया तथा तत्कालीन महाराज सवाई माधोसिंह 2 ने इसे अपना आवास बना लिया। आज़ादी के बाद से यह ताज समूह के अंतर्गत एक आलीशान होटल के रूप में तब्दील हो चुका है।
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