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पृथ्वी तथा मौसम
हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। इसे सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन तथा 6 घण्टों का समय लगता है। हम अपनी सुविधा के लिए सामान्यतः एक वर्ष को 365 दिनों का ही मानते हैं। प्रत्येक चार वर्षों बाद, जब इन अतिरिक्त घण्टों की संख्या 24 अर्थात एक दिन के बराबर हो जाती है तो इस अतिरिक्त दिन को चौथे वर्ष के दिनों में जोड़ दिया जाता है।
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इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष में दिनों की संख्या 366 होती है, जिसे लीप वर्ष कहा जाता है। इस वर्ष फरवरी माह में दिनों की संख्या 29 होती है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करने के अतिरिक्त अपनी धुरी पर भी घुर्णन करती है। यह 24 घण्टों में अपनी धुरी पर एक घुर्णन पूरा करती है जिसे हम एक दिन कहते हैं।
छः महीने के दिन और छः महीने की रात
पृथ्वी की धुरी सीधी न होकर 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है अतः इस कारण वर्ष के 6 माह पृथ्वी का एक ध्रुव सूर्य की ओर झुका रहता है, जबकि दूसरा ध्रुव सूर्य से छिपा रहता है अतः यहाँ सूर्य की रोशनी नहीं पहुँच पाती, जिसके कारण यहाँ 6 माह तक रात रहती है, जबकि विपरीत गोलार्द्ध में उस समय 6 माह का दिन होता है। नीचे दिखाए गए चित्र से आप इसे और आसानी से समझ सकते हैं।
21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका रहता है तथा सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं, जिसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मियों का मौसम रहता है। इस दौरान उत्तरी ध्रुव में लगातार 6 महीने तक दिन रहता है। 22 दिसंबर को पृथ्वी का दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है तथा सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इस समय दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियाँ होती हैं, जबकि उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों का मौसम होता है।
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इसके अतिरिक्त 21 मार्च तथा 23 सितंबर को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं अर्थात कोई भी ध्रुव सूर्य की तरफ़ झुका नहीं होता और इन तिथियों में पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर दिन एवं रात बराबर अर्थात 12 घण्टे के होते हैं। इस प्रकार सूर्य की किरणें वर्षभर कर्क रेखा से मकर रेखा के मध्य सीधी पड़ती हैं।
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