पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान दौर में दुनियाँ के लगभग सभी देशों के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है, और यदि बात भारत जैसे विकासशील देशों की हो तो ऐसे देशों में प्रदूषण विकसित देशों की तुलना में अधिक बड़ी समस्या है। चूँकि यहाँ पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में चर्चा हो रही है अतः इसके सबसे महत्वपूर्ण घटक प्लास्टिक का ज़िक्र आना लाज़मी है। सामान्य जैविक कचरे के विपरीत प्लास्टिक का विघटन (Decomposition) संभव नहीं है, यही इससे निपटने में मुख्य चुनौती है।
हालाँकि प्लास्टिक को विघटित करने के संबंध में शोधकर्ताओं द्वारा खोजें की जाती रही है तथा सामान्य जीवन में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के आल्टर्नेटिव पर भी जोर दिया जाता रहा है, PLA प्लास्टिक इसी का उदाहरण है, किन्तु ये सभी व्यवसायिक तौर पर खासा सफल नहीं रहे हैं, इसके अतिरिक्त कई प्रकार के प्लास्टिक, जिनमें बायोडिग्रेडेबल का लेबल होता है, उन्हें भी केवल औद्योगिक स्तर पर ही विघटित किया जा सकता है।
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प्लास्टिक के विघटन से जुड़ी एसी ही एक खोज हाल ही में यूके आधारित बाथ विश्वविद्यालय (University of Bath) के वैज्ञानिकों द्वारा की गई है, हालाँकि यह खोज बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक अथवा PLA (Poly Lactic Acid) के संबंध में है, किन्तु जिस प्रकार उद्योगों में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, आने वाले समय में यह शोध इस प्लास्टिक से निपटने में सहायक सिद्ध होगी। आज इस लेख के माध्यम से हम चर्चा करेंगे प्लास्टिक, इसकी संरचना, बायोडिग्रेडेबल एवं नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के मध्य अंतर की तथा समझेंगे वैज्ञानिकों द्वारा प्लास्टिक के विघटन के संबंध में की गई इस खोज के बारे में।
प्लास्टिक क्या है?
प्लास्टिक के विघटन से पहले प्लास्टिक तथा इसकी संरचना को समझ लेना आवश्यक है। प्लास्टिक शब्द ग्रीक में ‘Plastikos‘ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘मोल्ड करना’ अर्थात जिसे आसानी से कोई आकार दिया जा सकता है। आम तौर पर हम प्लास्टिक शब्द का इस्तेमाल सामान्य जीवन या औद्योगिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक सामान्यतः पॉलीथीन के संदर्भ में करते हैं, जबकि यह केवल प्लास्टिक का एक उदाहरण मात्र है।
प्लास्टिक एक प्रकार के सिंथेटिक अथवा सेमी-सिंथेटिक ऑर्गेनिक बहुलक (Polymer) हैं। बहुलक उच्च अणुभार वाले ऐसे यौगिक होते हैं, जो सरल अणुओं की एक लंबी श्रंखला से बने होते हैं। इसकी प्रत्येक युनिट को ‘मोनोमर’ कहा जाता है। पॉलीमर साधारणतः प्राकृतिक जैसे लेटेक्स, सेल्यूलोज, एम्बर अथवा सिंथेटिक जैसे पॉलीथीन (प्लास्टिक की थैलियों में प्रयुक्त), पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीविनाइल क्लोराइड (पाइप के लिए प्रयुक्त) आदि के रूप में पाए जाते हैं। सामान्य पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक पॉलीथीन है, जो एथिलीन (C2H4) की एक लंबी श्रंखला (Polymerization) से तैयार होता है।
प्लास्टिक पर्यावरण के लिए कैसे नुकसानदायक है?
कोई भी जैविक अपशिष्ट समय के साथ जीवाणुओं अथवा अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटित कर दिया जाता है और विघटन की इस प्रक्रिया में कोई अपशिष्ट पुनः प्रकृति में पाए जाने वाले तत्वों / यौगिकों जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, जल, पोषक तत्वों आदि में परिवर्तित हो जाता है, लिहाज़ा पर्यावरण पर उसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता किन्तु प्लास्टिक की बात करें तो इसे विघटित करने में समस्या यह है कि, प्लास्टिक जैविक नहीं है।
वर्तमान में उपयोग में आने वाले अधिकांश प्लास्टिक Polyethylene Terephthalate (PET) से बने होते हैं, हालाँकि प्लास्टिक कचरे द्वारा पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए Poly Lactic Acid (PLA) का उपयोग भी व्यापक स्तर पर शुरू हुआ है, जो पेट्रोलियम उत्पादों से बने पॉलिमर के मुकाबले एक अच्छा विकल्प है।
PET की बात करें तो ये अप्राकृतिक (Unnatural) उत्पाद है। चूंकि ये प्रकृति में नहीं पाए जाते हैं अतः ऐसे कोई जीव नहीं हैं, जो इन्हें विघटित करने में सक्षम हों फलस्वरूप ये वर्षों तक किसी स्थान पर बिना विघटित हुए पड़े रह सकते हैं। इसके विपरीत PLA जिसे बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के तौर पर प्रदर्शित किया जाता है यह भी सामान्य परिस्थितियों में विघटित नहीं होता है, इसे औद्योगिक स्तर पर उच्च तापमान और आर्द्रता के माध्यम से ही विघटित किया जा सकता है, अतः घरेलू अपशिष्ट के तौर पर यह भी एक चुनौती है।
प्लास्टिक के विघटन के संबंध में नई खोज
आइए अब बात करते हैं लेख के मुख्य विषय की, यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ सेंटर फॉर सस्टेनेबल एंड सर्कुलर टेक्नोलॉजी (सीएससीटी) के वैज्ञानिकों ने पराबैगनी प्रकाश (Ultraviolet Light) का उपयोग करके प्लास्टिक को तोड़ने या विघटित करने का एक तरीका खोजा है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि, बहुलक में आवश्यक मात्रा में शर्करा अणुओं (Sugar Molecule) को जोड़ने पर वे बेहद तेजी से विघटित हो सकते हैं। PLA में 3% शर्करा बहुलक इकाइयों को शामिल करने से पराबैगनी प्रकाश के संपर्क में आने पर यह केवल छह घंटों में 40% तक विघटित हो सकता है।
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रॉयल सोसाइटी यूनिवर्सिटी के रिसर्च फेलो Dr. Antoine Buchard ने उक्त अनुसंधान का नेतृत्व किया, जिसे रॉयल सोसाइटी द्वारा वित्त पोषित किया गया था। Dr. Buchard ने बताया कि “बहुत सारे प्लास्टिक को बायोडिग्रेडेबल के रूप में लेबल तो किया जाता है, किन्तु दुर्भाग्य से यह केवल तभी संभव होता है जब आप इसे एक औद्योगिक अपशिष्ट कंपोस्ट में फेंकते हैं, यदि यह घरेलू अपशिष्ट के तौर पर डाल दिया जाए, तो यह भी वर्षों तक चल सकता है”
Dr. Buchard के अनुसार “PLA पॉलीमर में शर्करा अणुओं को जोड़ने की यह प्रक्रिया हमारे वातावरण में प्लास्टिक को और अधिक डिग्रेडेबल बना सकता है, इससे पूर्व वैज्ञानिकों ने PLA की जल अपघटन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में शोध कार्य किए थे, लेकिन यह पहली बार है, जब वैज्ञानिकों ने प्रकाश का उपयोग करते हुए इसके अपघटन पर कार्य किया है।
Poly Lactic Acid (PLA) तथा Polyethylene Terephthalate (PET) में अंतर
PLA प्लास्टिक या पॉलीलैक्टिक एसिड जैविक पदार्थों से बना प्लास्टिक है, इसके निर्माण के लिए साधारणतः कॉर्न स्टार्च या गन्ने का उपयोग किया जाता है। उक्त पौधों का किण्वन (Fermentation) कर लेक्टिक एसिड प्राप्त किया जाता है तथा इसके बहुलकीकरण (Polymerization) से PLA प्लास्टिक तैयार होता है। वहीं PET की बात करें तो इसका उत्पादन एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थेलिक एसिड के पोलीमराइजेशन द्वारा किया जाता है।
एथिलीन ग्लाइकॉल एथिलीन से प्राप्त एक रंगहीन तरल है, जबकि टेरेफ्थेलिक एसिड एक क्रिस्टलीय ठोस है, जिसे जाइलीन से प्राप्त किया जाता है। रासायनिक उत्प्रेरकों के प्रभाव में जब इन्हें एक साथ गर्म किया जाता है तो एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थेलिक एसिड एक पिघले हुए चिपचिपे द्रव्यमान के रूप में PET का उत्पादन करते हैं, जिसे सीधे फाइबर में काता जा सकता है अथवा प्लास्टिक के रूप में बाद में प्रसंस्करण के लिए ठोस में परिवर्तित किया सकता है।