नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख में हम बात करेंगे अक्षांश एवं देशांतरों (Latitude and Longitude in Hindi) की, जानेंगे ये रेखाएं क्या है तथा इनकी सहायता से किस प्रकार किसी स्थान या व्यक्ति की भौगोलिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है और लेख के अंत में समझेंगे अंतर्राष्ट्रीय समय ज़ोन एवं तिथि रेखा को।
अक्षांश (Latitude)
अक्षांश रेखाएं पृथ्वी के केंद्र से प्रत्येक डिग्री पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई काल्पनिक रेखाएं या वृत हैं, ये रेखाएं एक दूसरे के समांतर होती हैं। पृथ्वी के केंद्र से 0 डिग्री का कोण बनाने वाली रेखा को विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा कहा जाता है। यह पृथ्वी को दो समान गोलार्द्धों में विभाजित करती है। अक्षांश रेखाओं की लंबाई ध्रुवों की ओर जाने पर कम होती है, ये रेखाएं 0 से 90 डिग्री के मध्य होती हैं।
जहाँ 0 डिग्री अक्षांश भूमध्य रेखा (Equator) को कहा जाता है वहीं 90 डिग्री अक्षांश एक बिंदु के रूप में ध्रुवों (Poles) पर स्थित होता है। इस प्रकार कुल 179 अक्षांश रेखाएं मौज़ूद हैं। उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव की अक्षांश रेखाएं एक बिंदु रूप में सिमट जाती हैं अतः सामान्यतः इन्हें अक्षांश रेखाओं में नहीं गिना जाता।
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किन्हीं दो अक्षांश रेखाओं के मध्य 111 किलोमीटर की दूरी होती है। दूसरे शब्दों में यदि कोई व्यक्ति आपसे एक डिग्री उत्तरी अक्षांश में हैं तो इसका आशय है कि, वह आपसे 111 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। कुछ अक्षांश रेखाओं को विशेष नाम दिए गए हैं जैसे 23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा तथा 23.5 डिग्री दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहा जाता है, वर्ष भर सूर्य की किरणें इन्हीं दो अक्षांशों के मध्य सीधी पड़ती हैं।
देशान्तर रेखाएं (Longitude)
देशांतर रेखाएं पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलने वाली काल्पनिक रेखाएं हैं। इन रेखाओं की लंबाई प्रत्येक स्थान पर समान रहती है, जबकि दो देशांतर रेखाओं के मध्य की दूरी ध्रुवों पर सबसे कम तथा भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक होती हैं। देशांतर रेखाएं भी प्रत्येक डिग्री के अंतराल पर खींची गई हैं इस प्रकार कुल 360 देशांतर रेखाएं मौज़ूद हैं। चूँकि प्रत्येक देशांतर रेखा समान है अतः किसी एक देशांतर रेखा को 0 डिग्री देशांतर मान लिया गया है यह रेखा ब्रिटेन के ग्रीन विच से होकर गुजरती है इससे पूर्व में पूर्वी देशांतर तथा पश्चिम में पश्चिमी देशांतर कहा जाता है।
समय ज़ोन (Time Zone)
आपने भारत में अक्सर मानक समय (UTC) के साथ +5:30 लिखा देखा होगा इसके अतिरिक्त आप यह भी जानते होंगे कि, सभी देशों का समय भिन्न-भिन्न होता है, आइये समझते हैं इसके क्या कारण हैं। हमनें ऊपर बताया ग्रीनविच से गुजरने वाली देशान्तर रेखा को 0 डिग्री देशान्तर या मानक मध्याह्न रेखा माना गया है। अतः समय की गणना इसी रेखा से की जाती है। चूँकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है अतः 0 डिग्री देशान्तर से पूर्व की ओर आने पर समय में व्रद्धि होती है, जबकि पश्चिम की ओर जाने पर कमी।
पृथ्वी 24 घंटे में 360 डिग्री घूमती है अतः यह 1 घंटे में 15 डिग्री का घूर्णन करेगी इस प्रकार किन्हीं दो देशांतरों के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है। चूँकि 1 डिग्री चार मिनट के बराबर है अतः 82.5 डिग्री को समय में देखें तो यह 5:30 घंटे होता है। हमारा समय ग्रीनविच से 5:30 घंटे आगे है, यही कारण है की हमें समय के साथ UTC + 5:30 दिखाई देता है।
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भारत की भौगोलिक स्थिति बात करें तो हमारा देश क्षेत्रफल के लिहाज से बड़ा है। इसका देशान्तरीय विस्तार 68 डिग्री 7 मिनट से 97 डिग्री 25 मिनट है। गुजरात तथा असम के मध्य देशान्तरीय अंतर लगभग 30 डिग्री का है अतः यदि असम में शाम के चार बजे हो तो गुजरात में दोपहर के दो बजे होंगे। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत के मध्य से गुजरने वाली देशान्तर रेखा को भारत के लिए मानक समय रेखा माना गया है। यह देशान्तर रेखा ग्रीनविच से 82.5 डिग्री पूर्व में है, जो इलाहाबाद के नैनी से गुजरती है।
हालाँकि गुजरात तथा असम का समय एक ही निर्धारित किया गया है, किन्तु देशान्तर रेखाओं में 30 डिग्री का अंतर होने के कारण गुजरात के पश्चिमी भाग में सूर्योदय तथा सूर्यास्त असम के पूर्वी भाग से 2 घंटे देर में होता है। विश्व में कई बड़े देश हैं, जहाँ केवल एक समय ज़ोन का अनुसरण करना संभव नही है अतः इन देशों में एक से अधिक समय ज़ोन हैं। उदाहरण के तौर पर दुनियाँ का सबसे बड़े देश रूस में 11 समय ज़ोन हैं, जबकि अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया में 6 समय ज़ोन हैं।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा
शून्य डिग्री देशान्तर के विपरीत अर्थात 180 डिग्री देशान्तर को अंतरराष्ट्रीय तिथि रेखा माना गया है। इससे पूर्व की ओर जाने पर नए दिन की शुरुआत होती है, जबकि इसके पश्चिम में पिछला दिन होता है। अन्य देशांतरों की भाँति 180 डिग्री देशान्तर को तिथि रेखा होने के चलते सीधा नहीं रखा गया है, क्योंकि इसे सीधा रखने पर यह किसी भू-भाग से होकर गुज़रेगी और ऐसी स्थिति में किसी एक ही देश में एक साथ दो तिथियाँ हो जाएंगी, जिससे किसी भी देश के संचालन में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
इसलिए इस रेखा को भूमि वाले स्थान से मोड़ दिया गया है और यह रेखा सीधी न होकर टेड़ी है। हालाँकि पृथ्वी अपनी धुरी पर एक चक्कर 24 घण्टों में पूरा करती है, जिसे हम एक दिन कहते हैं। किंतु किसी क्षण धरती पर सामान्यतः अधिकतम दो तिथियाँ या दिन संभव होते हैं। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लें आप दिल्ली में निवास करते हैं रात्रि के 11 बजे हैं और तिथि 1 जनवरी है जैसे ही रात्रि के 12 बजेंगे आप देखेंगे कि आपकी तिथि 2 जनवरी हो चुकी है, किंतु भारत से पश्चिम में मौजूद देशों में समय अभी भी 12 से कम है अतः वहाँ पिछला दिन ही होगा और यह अंतर पश्चिम में जाने पर बढ़ता जाएगा।
भौगोलिक स्थिति की गणना
किसी व्यक्ति या किसी स्थान की पृथ्वी पर भौगोलिक स्थिति पता करने के लिए उसके अक्षांश और देशान्तर के निर्देशांक ज्ञात किये जाते हैं और निर्देशांक प्राप्त होने पर किसी स्थान का आसानी से पता लगाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति की भौगोलिक स्थिति 28 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 77 डिग्री पश्चिमी देशान्तर है तो इन दोनों निर्देशांकों को ग्लोब में देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह व्यक्ति दिल्ली में मौजूद है।
इन्हीं निर्देशांकों की मदद से GPS कार्य करता है आपके स्मार्टफोन या GPS यंत्र द्वारा आपकी भौगोलिक स्थिति के निर्देशांक अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रह तक भेजे जाते हैं (Latitude and Longitude in Hindi) और उस उपग्रह द्वारा वह निर्देशांक सूचना प्राप्त करने वाले व्यक्ति को दिखाए जाते हैं और किसी व्यक्ति या स्थान की सटीक जानकारी मिल पाती है।
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