Football Rules in Hindi: फुटबॉल के नियम एवं इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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दुनियाँ के सबसे पुराने खेलों में शामिल फुटबॉल विश्वभर में सबसे अधिक खेला और पसंद किया जाता है। प्राचीन समय से खेले जा रहे इस खेल के प्रारूप में समय के साथ कई बदलाव हुए हैं। भारत की बात करें तो यहाँ क्रिकेट, फुटबॉल से कहीं अधिक पॉपुलर है, हालांकि धीरे-धीरे यहाँ भी फुटबॉल को लेकर क्रेज बढ़ रहा है।

चूँकि देश में फिलहाल फुटबॉल ने लोकप्रियता का वह स्तर हासिल नहीं किया है जो इसने, यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में किया है, जिसके चलते खेल के नियमों के बारे में भी अधिकांश लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसी को देखते हुए आज हम चर्चा करने जा रहे हैं फुटबॉल की, लेख में आगे समझेंगे खेल के प्रारूप एवं इसके विभिन्न नियमों को और बात करेंगे फुटबॉल से जुड़ी राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं महाद्वीपीय स्तर पर होने वाली प्रमुख प्रतियोगिताओं के बारे में।

फुटबॉल क्या है और कैसे खेला जाता है?

फुटबॉल जैसा कि, इसके नाम से स्पष्ट है, पैरों से खेला जाने वाला खेल है। खेल में दो टीमें भाग लेती हैं, जिनमें प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी खेलते हैं। मैच 45 मिनट के दो अर्धकालों अर्थात कुल 90 मिनट की अवधि तक खेला जाता है। पहले 45 मिनट के बाद खिलाड़ी 15 मिनट का विश्राम करते हैं, जिसे मध्यकाल अथवा हाफ टाइम कहा जाता है।

खेल का मुख्य उद्देश्य अपने हाथों और बाजुओं को छोड़कर शरीर के किसी भी हिस्से खासकर पैरों का उपयोग करते हुए, गेंद को विरोधी टीम के गोलपोस्ट में डालना होता है। प्रत्येक बार जब कोई टीम विरोधी टीम के गोलपोस्ट में बॉल को डालने में सफल हो जाती है, तो उसे एक गोल कहा जाता है तथा 90 मिनट की अवधि के दौरान, जो टीम जितने अधिक गोल बनाने में सक्षम होती हैं, उसे खेल का विजेता घोषित किया जाता है।

फुटबॉल का इतिहास

फुटबॉल सबसे पुराने खेलों में एक है, हालाँकि इसकी शुरुआत बहुत पहले हो चुकी थी किन्तु वर्तमान प्रारूप से मेल खाने वाले खेल की शुरुआत 19वीं सदी के मध्य में ब्रिटेन में हुई। प्राचीन काल से ही यह खेल स्थानीय रीति-रिवाजों और विभिन्न नियमों के साथ कस्बों, गाँवों आदि में खेला जाता था।

चूँकि उस दौरान खेल को राष्ट्रीय/ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई पहचान नहीं मिली थी अतः, खेल के कोई सर्वमान्य मानक या नियम विकसित नहीं किए गए, और यह खेल अलग अलग स्थान पर अलग तरीके से खेला जाता रहा। 19वीं सदी के बाद धीरे-धीरे यह खेल लोकप्रिय होता गया तथा 20वीं सदी की शुरुआत तक, इसकी लोकप्रियता में अच्छी खासी वृद्धि हुई और यह पूरे यूरोप में खेला जाने लगा, हालाँकि अभी भी इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी बाकी थी।

इस कमी को पूरा करते हुए वर्ष 1904 में यूरोप के सात देशों यथा बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और स्विटजरलैंड के फुटबॉल संघों ने Fédération Internationale de Football Association (FIFA) की स्थापना की। चार वर्ष बाद साल 1908 में लंदन ओलंपिक खेलों में भी आधिकारिक तौर पर फुटबॉल की शुरुआत हुई।

खेल के आधुनिक नियमों की शुरुआत

हालांकि यह खेल बहुत पहले से खेला जाता रहा है किन्तु फुटबॉल के आधुनिक नियमों की शुरुआत 1848 में कैम्ब्रिज में हुई। इसके पश्चात 1863 में पुनः खेल के नियमों में संशोधन किया गया, जिनमें मुख्य संशोधन के रूप में खेल के दौरान बॉल को हाथ से छूना प्रतिबंधित कर दिया और इस नियम के चलते फुटबॉल तथा रग्बी दो अलग-अलग खेलों की शुरुआत हुई।

समय के साथ धीरे-धीरे पुराने नियमों में बदलाव एवं नए नियमों को खेल से जोड़ा जाता रहा है। उदाहरण के तौर पर खेल में रेफरी की शुरुआत 1871 में की गई, इससे पहले दोनों टीमों के कप्तानों द्वारा एक निष्पक्ष खेल सुनिश्चित किया जाता था। इसके अलावा कॉर्नर-किक की शुरुआत 1972 में तथा पेनाल्टी-किक की शुरुआत 1891 में की गई। ये सभी नियम भी शुरू होने के बाद पुनः समय के साथ संशोधित किए गए हैं।

खेल के नियमों में बदलवा एक सतत प्रक्रिया है, जो आवश्यकताओं के अनुरूप समय-समय पर की जाती है। प्रमुख हालिया बदलाव में वीडियो असिस्टेंट रेफरी (VAR) की शुरुआत अहम है, साल 2016 में पहली बार वीडियो असिस्टेंट रेफरी की शुरुआत की गई, ताकि रेफ़री संदेह की स्थिति में भी रिकॉर्डेड वीडियो की मदद से उचित निर्णय ले सके।

खेल का मैदान

मैदान के आकार को देखें तो यह 90 से 120 यार्ड लंबा (टच लाइन) तथा 50 से 90 यार्ड चौड़ा (गोल लाइन) होता है। मैदान को दो समान हिस्सों में विभाजित किया जाता है। मैदान को समान हिस्सों में बाँटने वाली रेखा के मध्य बिन्दु से 10 यार्ड की त्रिज्या का एक वृत्त बनाया जाता है, इसकी भूमिका किक-ऑफ या खेल की शुरुआत के दौरान विरोधी खिलाड़ियों के लिए एक न्यूनतम दूरी सुनिश्चित करना है, अतः किक-ऑफ़ के दौरान सभी विपक्षी खिलाड़ी इस वृत्त से बाहर मौजूद होते हैं।

मैदान के दोनों छोर पर गोल लाइन के मध्य में बाहर की ओर एक गोलपोस्ट (7.3m x 2.4m) होता है, इसके बाहर 6 यार्ड (टच लाइन के समांतर) का एक बॉक्स होता है, जिसे गोल एरिया कहा जाता है। गोल एरिया के बाहर 18 यार्ड का अन्य बॉक्स होता है, जिसे पेनाल्टी एरिया के रूप में जाना जाता है। पेनाल्टी एरिया के मध्य में तथा गोलपोस्ट से 11 मीटर की दूरी पर एक पेनाल्टी स्पॉट होता है, जहाँ से पेनाल्टी-किक मारी जारी है।

इसके अतिरिक्त मैदान के चारों कोनों पर एक 0.9 मीटर त्रिज्या की चाप या आर्क बनाई जाती है, जिसका केंद्र मैदान का कोना होता है। यह आर्क कॉर्नर-किक मारने के उद्देश्य से बनाई जाती है। नीचे दिखाए गए चित्र की सहायता से आप खेल के मैदान में मौजूद सभी महत्वपूर्ण स्थानों को देख सकते हैं।

Football Rules in Hindi
फुटबॉल के मैदान की माप

खेल की शुरुआत

खेल की शुरुआत सिक्के को टॉस कर की जाती है। मैच का रेफरी तथा दोनों टीमों के कप्तान मैदान में एकत्रित होते हैं। टॉस जीतने वाली टीम का कप्तान तय करता है, कि पहले हाफ अथवा पहले 45 मिनट में उसे किस गोलपोस्ट पर हमला (अटैक) करना है, वहीं टॉस हारने वाली टीम को खेल को शुरू करने के लिए किक-ऑफ का अवसर दिया जाता है।

गेंद को मैदान के केंद्र पर रखा जाता है तथा रेफरी के सीटी बजाने के उपरांत टॉस हारने वाली टीम का खिलाड़ी गेंद को किक मारकर आगे बढ़ाता है और इस प्रकार खेल की शुरुआत होती है। अब दोनों टीमों के मध्य गेंद को मैच के नियमानुसार हासिल करने तथा उसे विपक्षी टीम के गोलपोस्ट में डालने की दौड़ शुरू होती है, जिसे दर्शक बड़े रोमांच के साथ देखते हैं।

खेल में रेफरी की भूमिका

प्रत्येक खेल में एक रेफरी और दो सहायक रेफरी (लाइनमैन) शामिल होते हैं। रेफरी मैच के दौरान टाइम कीपर के रूप में कार्य करता है तथा खेल के दौरान फाउल, फ्री-किक, थ्रो-इन, पेनाल्टी और प्रत्येक हाफ के अंत में अतिरिक्त समय जोड़ना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेता है।

रेफरी किसी निर्णय के संबंध में सहायक रेफरी से परामर्श कर सकता है। मैच के दौरान किसी खिलाड़ी के ऑफसाइड होने, बॉल के मैदान से बाहर जाने तथा किस टीम को थ्रो-इन प्रदान किया जाए यह कार्य मैच के सहायक रेफरी करते हैं।

खेल के नियम अथवा खेल से जुड़ी महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ

खिलाड़ियों की संख्या एवं खेल का समय

खेल में अधिकतम 11 तथा न्यूनतम 7 खिलाड़ी होना अनिवार्य है। खेल के दौरान दोनों टीमों के गोलकीपर अपनी टीम के अन्य खिलाड़ियों से भिन्न जर्सी पहनते हैं तथा पूरे खेल के दौरान केवल गोलकीपर ही बॉल को हाथ से छू सकते हैं, बशर्ते बॉल 18 यार्ड बॉक्स के भीतर हो। गौरतलब है कि, इस बॉक्स के बाहर गोलकीपर भी बॉल को हाथ से नहीं पकड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त जैसा की हमनें बताया खेल 90 मिनट की अवधि तक खेल जाता है, किन्तु खेल में दोनों टीमों द्वारा समान गोल स्कोर करने की स्थिति में 30 मिनट (15 मिनट के दो अर्धकाल) अतिरक्त समय के रूप में आवंटित किए जाते हैं। इसके बाद भी निर्णय न हो पाने की स्थिति में पेनाल्टी शूटआउट के माध्यम से विजेता घोषित किया जाता है।

कॉर्नर-किक

खेल के दौरान कॉर्नर-किक उस स्थिति में प्रदान की जाती है, जब गेंद किसी डिफेंडिंग टीम के सदस्य द्वारा गोल लाइन के बाहर चली जाए, यह अटैकिंग अथवा स्ट्राइकर टीम को प्रदान किया जाता है। इस स्थिति में बॉल को चारों कोनों में से निकटतम कोने पर रखा जाता है, जहाँ से बॉल गोल लाइन से बाहर गई है और अटैकिंग टीम के एक खिलाड़ी द्वारा बॉल को किक मारी जाती है।

किक मारने के दौरान विरोधी टीम के सदस्यों को कोने पर बनी चाप से कम से कम 9.15 मीटर (10 यार्ड) दूर रहना चाहिए। एक बार जब बॉल को किक मारी जाती है, उसके पश्चात खेल पुनः सामान्य रूप से चलता है।

गोल-किक

हमने ऊपर कॉर्नर-किक को समझा इसके विपरीत यदि अटैकिंग टीम के किसी खिलाड़ी द्वारा बॉल विपक्षी टीम के गोल लाइन से बाहर चली जाए, तो इस स्थिति में विपक्षी टीम का गोलकीपर गोल क्षेत्र (6 यार्ड बॉक्स) के भीतर किसी भी बिंदु से बॉल को किक मारकर पुनः खेल आगे बढ़ाता है, जब तक बॉल को किक न मारी जाए सभी अटैकिंग टीम के खिलाड़ी पेनाल्टी क्षेत्र से बाहर मौजूद होते हैं।

फ़ाउल

जब कोई खिलाड़ी नियमों के विपरीत अथवा गलत तरीके से खेलता है, तो इसे फ़ाउल कहा जाता है, इसकी तीव्रता के आधार पर रेफरी किसी खिलाड़ी को पीला या लाल कार्ड दे सकता है अथवा विपक्षी टीम को फ्री-किक दे सकता है, जिन्हें हम नीचे समझेंगे।

फ्री-किक

किसी खिलाड़ी द्वारा फ़ाउल करने पर विपक्षी टीम को फ्री-किक प्रदान की जाती है। फ्री-किक सामान्यतः उस स्थान से दी जाती है, जहाँ पर फ़ाउल किया गया हो। फ्री-किक मारने के दौरान फ़ाउल करने वाली टीम के खिलाड़ी बॉल से 10 यार्ड की दूरी पर रहते हैं।

फ्री-किक सामान्यतः दो प्रकार से दी जाती है। यदि खिलाड़ी द्वारा किया गया फ़ाउल गंभीर प्रकृति का हो, तो डायरेक्ट फ्री-किक और यदि फ़ाउल कम गंभीर प्रकृति का हो तो इन डायरेक्ट फ्री-किक। आइए दोनों में मुख्य अंतर को देखते हैं। डायरेक्ट फ्री-किक में गोल स्कोर करने के लिए बॉल को सीधे गोलपोस्ट में मारा जा सकता है, जबकि इनडायरेक्ट फ्री-किक में गोल स्कोर करने के लिए बॉल का किक मारने वाले खिलाड़ी के अतिरिक्त किसी अन्य खिलाड़ी द्वारा छूना आवश्यक होता है।

रेफरी अपने हाथ को सिर के ऊपर उठाकर इनडायरेक्ट फ्री-किक की घोषणा करता है और यह संकेत तब तक बना रहता है, जब तक कि, किक नहीं मारी जाती और गेंद दूसरे खिलाड़ी को नहीं छू लेती। वहीं डायरेक्ट फ्री-किक का संकेत हाथ को सीधे गोलपोस्ट की ओर करके दिया जाता है।

ऑफ़साइड

फुटबॉल का यह नियम अपने कठिन स्वभाव के कारण अधिक चर्चाओं में रहता है। ऑफसाइड अथवा ऑनसाइड मैदान में खिलाड़ियों की स्थिति या पोजीशन को प्रदर्शित करता है। खेल के दौरान प्रत्येक खिलाड़ी से यह अपेक्षा की जाती है, कि वह मैदान में ऑनसाइड (Onside) पोजीशन में रहे।

कोई खिलाड़ी ऑफ़साइड उस स्थिति में होता है, जब वह विपक्षी टीम के हाफ में मौजूद हो तथा उसके शरीर का कोई भी हिस्सा (हाथों एवं बाँहों को छोड़कर) बॉल तथा दूसरे-अंतिम प्रतिद्वंद्वी (डिफेंडर) दोनों की तुलना में विरोधी टीम की गोल रेखा के अधिक निकट हो। हालाँकि किसी खिलाड़ी का ऑफ़साइड स्थिति में होना, फ़ाउल की श्रेणी में नहीं आता है, खेल के दौरान कोई खिलाड़ी ऑफ़साइड स्थिति में हो सकता है।

किन्तु यदि ऐसा कोई खिलाड़ी जो ऑफ़साइड स्थिति में है तथा खेल में किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है, जैसे बॉल को छूता है, प्रतिद्वंदी को खेलने में बाधा पहुँचाता है या किसी अन्य तरीके से अपनी स्थिति का लाभ लेता है, उस स्थिति में ऑफ़साइड को अपराध माना जाता है और इसका संकेत सहायक रेफरी द्वारा झंडे को ऊपर उठाकर दिया जाता है।

यदि कोई खिलाड़ी ऑफ़साइड स्थिति में हो तथा खेल में हस्तक्षेप करने की कोशिश करे तो इस स्थिति में, रेफरी विपक्षी टीम को, जहाँ फ़ाउल हुआ है उस स्थान से एक इनडायरेक्ट फ्री-किक प्रदान करता है। इस नियम के कई अपवाद भी हैं, जिनके चलते कई बार खेल देखने के दौरान इस नियम को समझने में कठिनाई होती है। आइए उन अपवादों को समझते हैं जब कोई खिलाड़ी ऊपर बताई गई शर्तों के पूरा होने पर भी ऑफ़साइड नहीं समझा जाएगा। यदि कोई खिलाड़ी-

  • अपने हाफ़ में मौजूद हो
  • बॉल को गोल किक द्वारा प्राप्त करे
  • बॉल को थ्रो-इन द्वारा प्राप्त करे
  • बॉल को कॉर्नर किक द्वारा प्राप्त करे
  • ऑफ़साइड स्थिति में मौजूद कोई खिलाड़ी यदि किसी प्रतिद्वंदी (डिफेंडर) द्वारा बॉल को प्राप्त करता है, जबकि डिफेंडर नें बॉल को सोच समझकर मारा है, उस स्थिति में खिलाड़ी को ऑफ़साइड पोजीशन के लिए दंडित नहीं किया जाएगा।

थ्रो-इन

जब बॉल टच लाइन से बाहर चली जाती है तो उस स्थिति में उस टीम को थ्रो-इन का मौका दिया जाता है, जिसने बॉल को बाहर जाने के दौरान आखिरी बार नहीं छुआ है। थ्रो-इन उस जगह से किया जा सकता है जहाँ गेंद मैदान के बाहर चली जाती है। थ्रो-इन में बॉल को सिर के पीछे दोनों हाथों से पकड़कर मैदान के अंदर फेंका जाता है।

पेनाल्टी किक

जब डिफेंड कर रहा कोई भी खिलाड़ी अपने 18 यार्ड बॉक्स के भीतर किसी भी प्रकार से फ़ाउल करता है, तो इस स्थिति में टीम को पेनाल्टी के तौर पर विपक्षी टीम को पेनाल्टी-किक का अवसर दिया जाता है। इसमें विपक्षी टीम का कोई एक खिलाड़ी, पेनाल्टी बॉक्स के अंदर बने पेनाल्टी स्पॉट (गोलपोस्ट से 11 मीटर की दूरी पर) से बॉल को किक मारता है, जबकि बॉल को गोलपोस्ट में जाने से रोकने के लिए केवल गोलकीपर ही मौजूद होता है, अन्य सभी खिलाड़ी बॉक्स से बाहर खड़े होते हैं।

किसी खिलाड़ी के विरुद्ध कार्यवाही

खेल में किसी खिलाड़ी द्वारा विपक्षी टीम के खिलाड़ी को गलत तरीके से धक्का देने, बॉल को हाथ से रोकने की कोशिश करने, किसी भी प्रकार की अभद्रता करने के लिए रेफरी द्वारा पीले तथा लाल कार्ड के माध्यम से दंडित किया जाता है, हालाँकि कौन स अपराध कितना गंभीर किस्म का है अथवा कौन से अपराध के लिए किस कार्ड से दंडित किया जाएगा यह रेफरी तय करता है। आइए इन दोनों कार्डों तथा इनके दिए जाने पर इनके प्रभावों को जानते हैं।

Yellow Card

किसी खिलाड़ी को पीला कार्ड सामान्यतः कम गंभीर फ़ाउल करने के लिए दिया जाता है, इसका अर्थ खिलाड़ी को चेतावनी देना होता है। रेफरी द्वारा साधारणतः किसी खिलाड़ी द्वारा खेल के नियमों का पालन न करने, खतरनाक तरीके से खेलने, जिससे विरोधी टीम के सदस्यों को चोट पहुँचे, किसी भी खिलाड़ी पर जानबूझकर बॉल मारने, जानबूझकर खेल का समय बर्बाद करने आदि के चलते पीला कार्ड दिया जाता है। जैसा की हमनें बताया यह कार्ड एक चेतवानी के तौर पर दिखाया जाता है अतः किसी खिलाड़ी को पीला कार्ड दिखाए जाने के उपरांत भी वह खेल में बना रहता है।

Red Card

किसी खिलाड़ी द्वारा जब कोई गंभीर किस्म का अपराध किया जाता है, उस स्थिति में उसे लाल कार्ड दिया जाता है, इसके अतिरिक्त किसी खिलाड़ी को दो बार पीला कार्ड दिया जाना भी लाल कार्ड दिए जाने के समान होता है।

रेफरी द्वारा किसी खिलाड़ी को लाल कार्ड दिए जाने के कारणों में जानबूझ कर किसी अन्य खिलाड़ी को किसी भी तरीके से शारीरिक चोट पहुँचाना, खेल के दौरान हिंसक व्यवहार करना, किसी खिलाड़ी अथवा व्यक्ति पर थूकना, आपत्तिजनक इशारों या भाषा का प्रयोग करना, विपक्षी टीम गोल स्कोर न कर सके इसके लिए जानबूझकर बॉल को हाथ से रोकना (गोलकीपर पर लागू नहीं) आदि शामिल हैं।

लाल कार्ड दिए जाने के पश्चात खिलाड़ी को तत्काल मैदान छोड़ना होता है तथा उस खिलाड़ी के बदले किसी अन्य खिलाड़ी (Substitute) को भी खेलने की अनुमति नहीं होती है।

इसके अतिरिक्त खिलाड़ी के अपराध को देखते हुए उसे उस प्रतियोगिता के आगे आने वाले मैचों में भी प्रतिबंधित किया जाता है। सामान्यतः यह प्रतिबंध केवल एक मैच तक मान्य होता है किन्तु यदि अपराध गंभीर होतो इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

(Football Rules in Hindi)
Football Rules in Hindi

प्रमुख फुटबॉल टूर्नामेंट्स

पूर्व के मुकाबले पश्चिमी देशों में फुटबॉल अधिक लोकप्रिय खेल है। फूटबॉल के प्रमुख टूर्नामेंट्स में फिफा विश्वकप, महाद्वीपीय प्रतियोगिताएं जैसे कोपा अमेरिका, यूरो कप आदि प्रमुख हैं। इन देशों में राष्ट्रीय खेलों के अतिरिक्त क्लब फुटबॉल भी काफी लोकप्रिय है, जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी अलग-अलग क्लब में खेलते हैं। ये प्रतियोगिताएं महाद्वीपीय स्तर पर एवं घरेलू स्तर पर खेली जाती हैं। आइए कुछ प्रमुख प्रतियोगिताओं पर नजर डालते हैं।

विश्वकप

फुटबॉल का विश्वकप जैसा इसके नाम से स्पष्ट है दुनियाँ में सबसे बड़ी फुटबॉल प्रतियोगिता है, जिसमें प्रत्येक महाद्वीप से कुल 32 टीमें खेलती हैं। इन टीमों के चयन के संबंध में हमनें एक अन्य लेख में विस्तार से समझाया है जिसे आप यहाँ दी गई लिंक के माध्यम से पढ़ सकते हैं। विश्वकप का आयोजन चार वर्षों में किया जाता है, फुटबॉल का अगला विश्वकप 2022 में कतर में आयोजित किया जाएगा।

महाद्वीपीय प्रतियोगिताएं

विश्वकप के अतिरिक्त महाद्वीपीय स्तर पर भी फुटबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, यूरोप की चैंपियंस लीग क्लब फुटबॉल की एक लोकप्रिय प्रतियोगिता है, जिसमें विभिन्न यूरोपीय देशों के सर्वश्रेष्ठ 32 फुटबॉल क्लब हिस्सा लेते हैं। इस खेल को दुनियाँभर से तकरीबन 35 से 40 करोड़ लोग देखते हैं।

इसके अतिरिक्त यूरोप की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता की बात करें तो यह European Football Championship अथवा यूरो कप है। इसका आयोजन प्रत्येक चार वर्षों में किया जाता है, जिसमें विभिन्न यूरोपीय देश हिस्सा लेते हैं।

अन्य महाद्वीपीय प्रतियोगिता में दक्षिण अमेरिका की कोपा अमेरिका सबसे महत्वपूर्ण है। 2007 से इसका आयोजन चार वर्षों में किया जाता है, हालाँकि इससे पहले यह 1 से तीन वर्षों के अंतराल में आयोजित की जाती थी, इस प्रतियोगिता का विजेता दक्षिण अमेरिका का चैंपियन कहलाता है।

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