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ब्रह्मांड की उत्पत्ति (Formation Of Universe)
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में कई सिद्धान्त दिए गए है, किन्तु सबसे सर्वमान्य सिद्धांत, जिसे बिग बैंग थ्योरी (Big Bang Theory) या महाविस्फोट सिद्धांत कहा जाता है, की हम इस लेख में चर्चा करेंगे। साल 1925 में शोध कर रहे खगोलविद एडविन हबल ने पाया कि, ब्रह्मांड में उपस्थित प्रत्येक ग्रह, तारे तथा गैलेक्सी एक दूसरे से दूर जा रहे हैं।
दूसरे शब्दों में ब्रह्मांड निरंतर फैल रहा है, इस प्रयोग से ब्रह्मांड की उत्पात्ति को समझने में सहायता मिली चूँकि ब्रह्मांड निरंतर फैल रहा है अतः यह कहा जा सकता था कि, इसकी शुरुआत किसी एक बिंदु रूप, जिसे सिंगुलैरिटी कहा गया से हुई होगी और यहीं से बिग बैंग थ्योरी (Big Bang Theory) का जन्म हुआ।
बिग बैंग थ्योरी (Big Bang Theory)
बिग बैंग थ्योरी के अनुसार लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व ब्रह्मांड का समस्त द्रव्यमान एवं उर्ज़ा एक बिंदु रूप में स्थित थी। अत्यधिक दबाव के कारण एक महाविस्फोट हुआ, जिसके परिणामस्वरूप समस्त उर्ज़ा ब्रह्मांड में चारों ओर फैलने लगी। बिग बैंग के पहले सेकेंड में ब्रह्मांड का तापमान लगभग 1 अरब डिग्री सेल्सियस था। इतने अधिक तापमान में किसी पदार्थ का बनना संभव नहीं था अतः इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन मुक्त अवस्था में थे।
सौर मंडल का निर्माण
बिग बैंग के तकरीबन 3,80,000 वर्षों बाद तापमान के कम होने के उपरांत इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से हल्के तत्व जैसे हाइड्रोजन तथा हीलियम का निर्माण हुआ। धीरे-धीरे ब्रह्मांड ठंडा होता गया तथा हल्के तत्वों से भारी तत्व बनने शुरू हुए। ब्रह्मांड में मौजूद गैसें गुरुत्वाकर्षण के कारण पास आती गयी, जिससे तारों और आकाशगंगाओं (Galaxies) का निर्माण हुआ।
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लगभग 4.5 अरब साल पूर्व हमारी आकाशगंगा में मौज़ूद एक तारे में विस्फोटक हुआ और इससे निकली धूल तथा गैसों के बादल पूरी आकाशगंगा में छा गए। धूल तथा गैसों के यह विशालकाय बादल गुरुत्वाकर्षण के कारण इकट्ठा होने लगे तथा अपने केंद्र के चारों ओर किसी डिस्क के रूप में परिक्रमा करने लगे। केंद्र का तापमान अत्यधिक हो जाने के कारण उसने एक तारे का रूप ले लिए, जिससे सूर्य का निर्माण हुआ इसके अतिरिक्त केंद्र के चारों ओर घूम रहे धूल तथा गैस के बादल अथवा नेब्यूला से अन्य ग्रहों का निर्माण हुआ।
Cosmic Microwave Background
ब्रह्मांड के बनने के समय उसका तापमान बहुत अधिक था अतः सभी मूल कण जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि स्वतंत्र अवस्था में थे। इन्हीं में प्रकाश कण फोटॉन भी शामिल थे, ये कण इलेक्ट्रॉनों से परावर्तित होते रहते थे अतः ब्रह्मांड में कहीं भी रोशनी नहीं थी। इस काल को डार्क ऐज कहा जाता है। समय के साथ ब्रह्मांड फैलता गया और उसका तापमान भी कम हुआ परिणामस्वरूप हल्के तत्व बनने लगे।
अब प्रकाश कणों को परावर्तित करने के लिए कोई इलेक्ट्रॉन मुक्त अवस्था में नहीं बचे अतः प्रकाश कण ब्रह्मांड में विचरण करने के लिए स्वतंत्र हो गए। ब्रह्मांड के फैलाव के साथ इन प्रकाश कणों ने अरबों प्रकाश वर्ष की दूरी तय की और इनकी ऊर्जा घटने के साथ तरंगदैर्ध्य बढ़ने लगी। इन बड़ी तरंगदैर्ध्य की किरणों को साल 1964 में एक प्रयोग कर रहे वैज्ञानिक Robert Wilson तथा Arno Penzias ने पहली बार देखा। यह घटना भी बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory) की पुष्टि करती है।
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