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AC के मुख्य भाग
AC की संरचना की बात करें तो इसके दो मुख्य भाग हैं। पहला इनडोर युनिट अर्थात जिसे घर के अंदर लगाया जाता है तथा दूसरा आउट डोर युनिट जिसे घर के बाहर लगाया जाता है। ये दोनों भाग एक पाइप द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। आइये अब इन दोनों भागों की आंतरिक संरचना को देखते हैं। बाहर लगे भाग में एक संघनित्र (Condenser), संघनित्र पंखा, संपीडक (Compressor) तथा एक्सपेंशन वाल्ब लगा होता है, जबकि आंतरिक भाग में एक इवेपोरेटर और एक ब्लोअर पंखा होता है। इसी इवेपोरेटर के माध्यम से कमरे की ऊष्मा का आदान प्रदान होता है।
कार्यप्रणाली
ऊष्मा का प्रवाह आधिक्य से कम की ओर अर्थात गर्म से ठंडे की ओर होता है। यही कारण है कि, कप में रखी हमारी कॉफी कुछ समय बाद ठंडी हो जाती है। AC में भी इसी कार्यप्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। AC के दोनों भागों को जोड़ने वाले पाइप के भीतर एक गैस भरी होती है, जिसे रेफ्रीजरेंट कहा जाता है।
हमारे द्वारा AC ऑन करने पर सर्वप्रथम बाहरी भाग में लगा संपीडक (Compressor) पाइप में भरी गैस को आयतन कम करके संपीडित (Compress) कर देता है। आयतन कम करने से गैस के अणु पास पास आ जाते हैं तथा उनका तापमान बढ़ जाता है यह तापमान वातावरण के तापमान से अधिक होता है। अधिक ताप तथा दाब वाली यह गैस अगले चरण में कंडेंसर (Condenser) कॉइल में जाती है।
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यहाँ मौजूद एक पंखा संघनित्र कॉइल के आस-पास की गर्म गैस को बाहर फेंकता है तथा कंडेंसर कॉइल के भीतर गर्म गैस ठंडी होकर द्रव में परिवर्तित हो जाती है। द्रव अवस्था में परिवर्तित इस गैस का तापमान अब भी अधिक होता है।
अतिरिक्त ऊष्मा स्थानांतरित हो जाने के बाद कॉइल से मध्यम ताप तथा उच्च दाब वाला द्रव अगले चरण के लिए एक्सपेंशन वाल्ब में पहुँचता है। यहाँ इस द्रव को एक बहुत पतली ट्यूब से प्रवाहित कर इसका दाब कम किया जाता है, जिसके फलस्वरूप द्रव अत्यधिक ठंडा (कमरे के तापमान से बहुत कम) हो जाता है। यह ठंडा द्रव घर के अंदर लगे भाग में मौजूद इवेपोरेटर की ओर बढ़ता है। यहाँ लगे एक ब्लोअर या पंखे की सहायता से इवेपोरेटर के आस-पास की ठंडी हवा को बाहर की ओर फेंका जाता है तथा कमरे की गर्म हवा इवेपोरेटर की ओर प्रवाहित होती है परिणामस्वरूप हम ठंडक का अनुभव करते है।
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हमारे कमरे में नमी भी मौजूद होती है जो ठंडी इवेपोरेटर कॉइल के संपर्क में आने से संघनित हो जाती है और पानी में बदल जाती है इसे एक पाइप की सहायता से बाहर निकाल दिया जाता है। कमरे की ऊष्मा प्राप्त करने के बाद इवेपोरेटर कॉइल में उपस्थित ठंडा द्रव गर्म होकर पुनः गैस में बदल जाता है तथा संपीडक की तरफ बढ़ता है वहाँ से पुनः इस गैस को संपीडित कर उच्च ताप तथा दाब वाली गैस में बदल दिया जाता है। यह चक्र चलता रहता है जब तक कि AC कमरे के तापमान को उसे निर्देशित किये गए तापमान के बराबर न कर दे।
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हिंदी में ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद। आशा करता हूँ कि इस मंच पर मुझे बहुत सीखने को मिलेगा।
अवश्य सतीश जी। हमारी कोशिश रहेगी कि, पाठकों को सरल शब्दों में अधिक से अधिक सूचनाएं उपलब्ध करा सकें।
BHOUT SHAANDAAR DHAG SE AAPNE SAMJHYA . THANK YOU SIR .
Thank You! Lekhraj
Very nice content sir