नमस्कार दोस्तो! स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए चुनाव सम्पन्न हुए हैं जिसमें डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार तथा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हराकर शानदार जीत दर्ज की है। आज इस लेख में हम जानेंगे अमेरिका की शासन व्यवस्था को तथा देखेंगे अमेरिका में किस प्रकार राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है। (U.S. Presidential Election (2020) – in Hindi)
अमेरिकी शासन व्यवस्था
भारत से अमेरिकी शासन व्यवस्था की तुलना करें तो जहाँ भारत में संसदीय व्यवस्था प्रचलन में है वहीं अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है। संसदीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत देश एवं सरकार के प्रमुख दो भिन्न व्यक्ति होते हैं (जैसे भारत में सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री एवं राष्ट्र का प्रमुख राष्ट्रपति होता है) जबकि अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था में देश तथा सरकार का प्रमुख एक ही व्यक्ति होता है (जैसे अमेरिका का राष्ट्रपति)। भारतीय शासन व्यवस्था के बारे में हमनें अन्य लेखों में समझाया है जिसे आप नीचे दी गयी लिंक के माध्यम से पढ़ सकते हैं।
(1) भारतीय संसद एवं इसकी संरचना
(2) भारतीय संसद की कार्यप्रणाली
अमेरिकी पार्लियामेंट (कॉंग्रेस)
भारत की ही भाँति अमेरिका भी एक लोकतांत्रिक देश है अर्थात पार्लियामेंट के सदस्यों तथा राष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। अमेरिकी पार्लियामेंट को कॉंग्रेस कहा जाता है जिसमें भारतीय संसद की तरह दो सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (निम्न सदन) तथा सीनेट (उच्च सदन) शामिल हैं।
कॉंग्रेस के सदस्यों की संख्या की बात करें तो यह कुल 435+100 = 535 है। बता दें कि प्रत्येक राज्य में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्यों की संख्या वहाँ की जनसंख्या के आधार पर तय की जाती है। किंतु सीनेट के सदस्यों की संख्या प्रत्येक राज्य के लिए समान (2 सदस्य) है। इस प्रकार 50 राज्यों से कुल 100 सदस्य सीनेट के लिए चुने जाते हैं।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्यों का चुनाव प्रत्येक दो वर्ष बाद किया जाता है तथा सीनेट के एक तिहाई सदस्य भी प्रत्येक दो वर्षों में सेवानिवृत्त होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक दो वर्षों में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के 435 सदस्य एवं सीनेट के एक तिहाई सदस्यों को जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान कर चुना जाता है।
राष्ट्रपति एवं राष्ट्रपति का चुनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति सरकार तथा देश दोनों का प्रमुख होता है। राष्ट्रपति का कार्यकाल सामान्यतः 4 वर्षों का होता है। किन्तु राष्ट्रपति की मृत्यु अथवा पद त्यागने की स्थिति में उपराष्ट्रपति ही शेष समय के लिए राष्ट्रपति पद का निर्वहन करता है। आइये अब अमेरिकी राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझते हैं।
चुनाव की शुरुआत विभिन्न पार्टियों द्वारा अपने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने से होती है। उम्मीदवारों का चयन करने के लिए विभिन्न पार्टियां आंतरिक मतदान का प्रयोग करती हैं तथा अंत में सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार को किसी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किया जाता है। जहाँ भारत में राष्ट्रपति पद का चुनाव संसद के निर्वाचित सदस्य करते हैं वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए जनता द्वारा एक पृथक निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) गठित किया जाता है। इस निर्वाचक मण्डल का कार्य केवल राष्ट्रपति का चुनाव करना होता है तथा राष्ट्रपति का चयन हो जाने के बाद यह निर्वाचक मण्डल विघटित हो जाता है।
इलेक्टोरल कॉलेज या निर्वाचक मण्डल
निर्वाचक मण्डल के सदस्यों का चुनाव नवंबर माह के पहले सोमवार के अगले दिन अर्थात मंगलवार को होता है। प्रत्येक राज्य से अमेरिकी कॉंग्रेस के लिए जितने सदस्य चुने जाते हैं उतने ही पृथक सदस्यों को जनता उस राज्य से राष्ट्रपति का निर्वाचन करने के लिए चयनित करती है। इसके अतिरिक्त वाशिंगटन डीसी जहाँ से केंद्र सरकार शासन करती है वहां से भी जनता के प्रतिनिधित्व हेतु 3 सदस्यों का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार राष्ट्रपति का निर्वाचन कुल 435+100+3 = 538 सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें बहुमत अर्थात 270 या उससे अधिक सदस्यों का मत प्राप्त करने वाले दल का उम्मीदवार राष्ट्रपति चुना जाता है।
विनर्स टेक ऑल
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की खास बात यह है कि यहाँ विनर्स टेक ऑल की प्रक्रिया अपनाई जाती है।जिसके अनुसार किसी राज्य में राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के चुनाव में बहुमत प्राप्त करने वाला दल उस राज्य के सम्पूर्ण सदस्यों का मत प्राप्त कर लेता है। आइये इसे एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं।
अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया से राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के लिए जनता द्वारा कुल 55 सदस्यों का चुनाव किया जाता है। माना पार्टी A के 30 सदस्य चुने जाते हैं जबकि पार्टी B के 25 सदस्य, ऐसे में बहुमत पार्टी A के पास है लिहाजा समस्त 55 सदस्य पार्टी A के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपना समर्थन देंगे।
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