ऑप्टिकल फाइबर क्या है?
हम सभी इलेक्ट्रॉनिक सूचनाओं का ट्रांसफर करने के लिए केबल या वायर का प्रयोग करते हैं। हालांकि बिना तारों के भी डेटा को ट्रांसफर करना सम्भव है, किंतु इसकी कुछ सीमाएं हैं। डेटा ट्रांसफर में इस्तेमाल होने वाली केबल का एक विकसित रूप वर्तमान में हमारे सामने है, जिसे हम ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber) के नाम से जानते हैं।
जहाँ किसी सामान्य केबल में विद्युत तरंगों के माध्यम से डेटा को भेजा जाता है, वहीं ऑप्टिकल फाइबर में किसी सूचना को भेजने के लिए प्रकाश तरंगों (Light Waves) का इस्तेमाल होता है। चूँकि प्रकाश तरंगें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का ही हिस्सा है अतः ये अपने साथ सूचनाओं को ले जा सकने में समर्थ होती हैं। इसके अलावा प्रकाश तरंगों के माध्यम से डेटा भेजना विद्युत तरंगों के मुकाबले कई गुना फास्ट भी होता है।
ऑप्टिकल फाइबर की संरचना
ऑप्टिकल फाइबर केबल हजारों महीन तंतुओं से मिलकर बनी होती है, जो किसी इंसानी बाल जितने पतले होते हैं। ये पतले तन्तु काँच या सिलिका की पाइपनुमा संरचना होती है। ऑप्टिकल फाइबर मुख्यतः तीन विभिन्न परतों से मिलकर बना होता है, जिसमें सबसे भीतर का हिस्सा कोर कहलाता है। कोर वही महीन धागेनुमा संरचना है, जिससे होकर प्रकाश तरंगे सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेकर जाती हैं।
इसके बाहर की परत को क्लैडिंग कहा जाता है। यह भी सिलिका की पारदर्शी परत होती है, जिसका अपवर्तनांक कोर से अधिक होता है। क्लैडिंग कोर से गुजरने वाले प्रकाश को बाहर निकलने से रोकता है। अंत में केबल की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक की मजबूत कोटिंग की जाती है।
किसी माध्यम का अपवर्तनांक निर्वात में प्रकाश की चाल एवं उस माध्यम में प्रकाश की चाल का अनुपात होता है। उदाहरणतः पानी का अपवर्तनांक 1.3 होता है इसका अर्थ है निर्वात में प्रकाश की चाल और पानी में प्रकाश की चाल का अनुपात 1.3 होगा।
ऑप्टिकल फाइबर की कार्यप्रणाली
जैसा कि, हमने बताया ऑप्टिकल फाइबर में सूचना को हस्तांतरित करने में प्रकाश तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। अतः ऑप्टिकल फाइबर की कार्यप्रणाली को समझने से पूर्व प्रकाश के व्यवहार को समझना आवश्यक है।
जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराता है तो इसके तीन संभावित परिणाम होते हैं। पहला प्रकाश का कुछ भाग वस्तु से परावर्तित (Reflect) हो जाता है, दूसरा प्रकाश का कुछ भाग अपवर्तित (Refract) हो जाता है तथा तीसरा प्रकाश का कुछ भाग वस्तु द्वारा अवशोषित (Absorbed) कर लिया जाता है।
उदाहरण के तौर पर यदि वस्तु अपारदर्शी हो तो प्रकाश का अधिकांश हिस्सा परावर्तित हो जाता है, जिस कारण हमें वह वस्तु दिखाई देती है। इसके अतिरिक्त यदि वस्तु पारदर्शी हो तो प्रकाश का अधिकांश भाग वस्तु के पार चला जाता है।
प्रकाश के परावर्तन की स्थिति में प्रकाश किसी एक ही माध्यम में गति करता है, जैसे हवा में गति करने वाली प्रकाश किरण किसी दर्पण से टकराकर पुनः हवा में वापस लौट जाती है। किन्तु प्रकाश के अपवर्तन की स्थिति में ऐसा नहीं होता यहाँ प्रकाश दो विभिन्न माध्यमों जैसे हवा से काँच में गति करता है।
जब प्रकाश एक माध्यम से किसी दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो उसकी गति तथा मार्ग में परिवर्तन आता है। यदि प्रकाश विरल माध्यम (Denser Medium) से सघन माध्यम (Rarer Medium) में प्रवेश करता है, तो प्रकाश किरण अभिलम्ब (दोनों माध्यमों को पृथक करने वाले पृष्ठ पर खींचा गया काल्पनिक लंब) की तरफ झुक जाती है, जबकि इसकी विपरीत स्थिति में प्रकाश किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है। नीचे चित्र में आपतन कोण (Angle of Incident), अपवर्तन कोण (Angle of Refraction) तथा अभिलम्ब को दर्शाया गया है।
पूर्ण आंतरिक परावर्तन
प्रकाश के दो सामान्य गुणों को समझने के बाद आइये जानते हैं प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है। बता दें कि, ऑप्टिकल फाइबर में इसी तकनीक द्वारा सूचना को तेज़ गति से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेज जाता है।
प्रकाश के अपवर्तन की स्थिति में (केवल जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में गति करता है) आपतन कोण के मान को बढ़ाने पर अपवर्तन कोण का मान भी बढ़ता जाता है और आपतन कोण के एक निश्चित मान पर जब अपवर्तन कोण 900 के बराबर हो जाता है तो अपवर्तित किरण अभिलम्ब के लम्बवत (Parallel) आ जाती है। आपतन कोण का यह मान क्रांतिक कोण (Critical Angle) कहलाता है।
यदि आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक किया जाए तो प्रकाश किरण अपवर्तित होने के बजाए पहले माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है। यह घटना प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहलाती है। प्रकाश तरंगें पतले तारों के भीतर पूर्ण परावर्तित होकर गति करती हैं, जिससे उन्हें एक लंबी दूरी तक प्रसारित किया जा सकता है।
पूर्ण आंतरिक परावर्तन की स्थिति में प्रकाश का सघन माध्यम से विरल माध्यम में गति करना आवश्यक है, यही कारण है कि, ऑप्टिकल फाइबर में इस्तेमाल होने वाले कोर के बाहर कोर से कम अपवर्तनांक वाले पदार्थ (क्लैडिंग) की कोटिंग की जाती है ताकि प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो सके।
ऑप्टिकल फाइबर के उपयोग
ऑप्टिकल फाइबर के द्वारा तेज गति से एक स्थान से दूसरे स्थान तक सूचनाओं का हस्तांतरण संभव हो सका है। ऑप्टिकल फाइबर का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग इंटरनेट के सुचारु संचालन में किया जाता है। समुद्रों के भीतर बिछाई गई ऑप्टिकल फाइबर केबल सभी महाद्वीपों को आपस में जोड़ती हैं।
हमारे द्वारा इंटरनेट पर देखी जाने वाली कोई भी सामग्री इन्हीं ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए किसी डेटा सेंटर से हम तक पहुँचती है। इसके अतिरिक्त ऑप्टिकल फाइबर केबल का इस्तेमाल टेलिकॉम क्षेत्र में, चिकित्सा क्षेत्र में, रक्षा क्षेत्र तथा केबल टीवी आदि में किया जाता है।
ऑप्टिकल फाइबर केबल के प्रकार
यह केबल मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं, जिनमें Single Mode Fiber तथा Multi Mode Fiber शामिल हैं।
Single Mode Fiber : इसमें कोर का व्यास बहुत कम 9 माइक्रो मीटर (लगभग किसी इंसानी बाल के दसवें हिस्से के बराबर) होता है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी सहायता से एक समय में एक ही सिग्नल प्रसारित किया जा सकता है। सिंगल मोड होने के चलते इसमें सिग्नल की तीव्रता ह्रास की दर भी कम होती है, जिस कारण इस प्रकार की केबल का उपयोग लंबी दूरी तक डेटा भेजने में किया जाता है।
Multimode Fiber : इसके कोर का व्यास Single Mode से अधिक लगभग 50 से 60 माइक्रो मीटर तक होता है तथा इसके द्वारा एक साथ एक से अधिक तरंगों को भेजा जा सकता है। जहाँ Single Mode Fiber का इस्तेमाल अधिक दूरी तक सूचना भेजने में किया जाता है वहीं Multi Mode Fiber कम दूरी में डेटा ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल होता है।
फायदे एवं नुकसान
ऑप्टिकल फाइबर केबल इस्तेमाल करने के फ़ायदों की बात करें तो इसकी सहायता से किसी डेटा को अधिक दूरी तक तेज गति के साथ भेजना संभव हो पाया है। चूँकि इसमें प्रकाश तरंगों द्वारा डेटा ट्रांसमिट किया जाता है अतः इनसे भेजा जाने वाला डेटा बहुत सुरक्षित रहता है। पानी के भीतर भी इसका आसानी से प्रयोग किया जा सकता है।
ऑप्टिकल फाइबर में ऊर्जा ह्रास बहुत कम या ना के बराबर होता है। इसके अतिरिक्त ऑप्टिकल फाइबर पूरी तरीके से विद्युत के कुचालक होते हैं, ऐसे में इन पर विद्युत चुंबकीय क्षेत्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तथा यह बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के कार्य कर सकते हैं। वहीं इसके प्रयोग में आने वाली चुनौतियों को देखें तो पारंपरिक धातु के तारों की तुलना में इसकी लागत बहुत अधिक होती है तथा इसका नेटवर्क बिछाना एवं प्रबंधन करना भी एक जटिल कार्य है।