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भारत का राष्ट्रपति (President of India)
राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक एवं भारत की कार्यपालिका का प्रधान होता है, इसके अतिरिक्त भारत का राष्ट्रपति भारत की तीनों सेनाओं का प्रमुख भी होता है। संविधान के पाँचवे भाग में राष्ट्रपति के संबंध में प्रावधान किये गए हैं, जिनमें राष्ट्रपति की शक्तियों एवं कर्तव्यों की चर्चा है।
राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया
आइये अब समझते हैं राष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बंधित प्रावधानों को। भारत के राष्ट्रपति का चुनाव जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती, बल्कि जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि, जिनमें लोकसभा एवं राज्यसभा के चुने हुए सदस्य एवं राज्य विधान सभाओं के चुने हुए सदस्य शामिल हैं, द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया जाता है। गौरतलब है कि, राज्यसभा एवं लोकसभा के मनोनीत सदस्य, राज्य विधान परिषद के सदस्य एवं राज्य विधानसभा के मनोनीत सदस्य इस चुनाव में भाग नहीं लेते।
मतों के मूल्य की गणना
बता दें किसी विधायक एवं संसद के मतों का मूल्य समान नहीं होता इनके मतों की मूल्यों की गणना एक सूत्र द्वारा की जाती है जो निम्न हैं-
विधायक के मत का मूल्य = उसके राज्य की कुल जनसंख्या / राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य * 1000
सांसद के मत का मूल्य = सभी राज्यों के विधायकों के मतों का मूल्य/ संसद के कुल निर्वाचित सदस्य
मतों की गणना
राष्ट्रपति का चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है, अर्थात कोई मतदाता केवल एक उम्मीदवार को अपना वोट देने के बजाए सभी उम्मीदवारों को वरीयता के क्रम में चुनता है।
मतगणना के प्रथम चरण में पहली वरीयता की गणना की जाती है, यदि कोई उम्मीदवार निर्धारित मतों को प्राप्त कर लेता है, जो कि कुल वैध मतों के आधे में एक जोड़ने से प्राप्त होता है तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है। किंतु किसी भी उम्मीदवार द्वारा निर्धारित मत प्राप्त न कर पाने के दशा में मतों के स्थान्तरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
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इसके अनुसार प्रथम वरीयता की गणना में सबसे अंतिम स्थान पर आए उम्मीदवार के मतों को रद्द कर दिया जाता है तथा इसके द्वितीय वरीयता में प्राप्त मतों को अन्य उम्मीदवारों के प्रथम वरीयता के मतों में वितरित कर दिया जाता है। तथा यह प्रक्रिया चलती रहती है, जब,तक कोई उम्मीदवार विजयी नहीं हो जाता।
राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक योग्यता
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए निन्म योग्यताओं का होना आवश्यक है-
- ऐसा व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए।
- वह 35 वर्ष या उससे अधिक आयु का होना चाहिए।
- वह व्यक्ति संघ सरकार, किसी राज्य सरकार, या किसी संस्था में लाभ का पद धारण किया न हो।
- राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होने के लिए ऐसे व्यक्ति के पास 50 प्रस्तावक (जो उस व्यक्ति की उम्मीदवारी को प्रस्तावित करें) एवं 50 अनुमोदक (जो उस व्यक्ति एवं 50 प्रस्तावकों के प्रस्ताव का समर्थन करें) होने चाहिए।
किसी व्यक्ति के निर्वाचित हो जाने के बाद उसे देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उसकी अनुपस्थिति में उपस्थित वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाई जाती है तथा वह व्यक्ति भारत का राष्ट्रपति कहलाता है।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ एवं कार्य
हाँलाकि भारत की शासन व्यवस्था में विधायिका या संसद सर्वोच्च है अतः भारत के राष्ट्रपति के पास बहुत अधिक शक्तियाँ या विवेकाधिकार नहीं हैं। फिर भी कुछ शक्तियाँ, जिनका राष्ट्रपति प्रयोग कर सकते हैं उनकी चर्चा हम यहाँ करेंगे।
- भारत सरकार के सभी शासन संबंधित कार्य एवं आदेश राष्ट्रपति के नाम पर ही किये जाते हैं।
- राष्ट्रपति कई संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुखों जैसे भारत के महान्यायवादी, भारत के महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य आयुक्त, संघ लोक सेवा के अध्यक्ष, राज्यों के राज्यपाल आदि की नियुक्ति करता है।
- वह संसद का अभिन्न अंग है अतः वह आवश्यकता होने पर संसद की बैठक बुला एवं उसे कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है तथा किसी विशेष परिस्थिति में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी बुला सकता है।
- राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों सहित अन्य सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
- किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दिए गए दण्डादेश जिसमें प्राणदंड भी शामिल है को निलंबित, पूर्णतः माफ़ या दंड में परिवर्तन कर सकता है।
- राष्ट्रपति देश में तीन अलग अलग परिस्थितियों जिनमें राष्ट्रीय आपातकाल, किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना एवं वित्तीय आपातकाल शामिल हैं, की घोषणा करता है हाँलाकि इसके लिए संसद की मंजूरी आवश्यक ह किन्तु यह आदेश देश के राष्ट्रपति के नाम से ही किया जाता है।
- जब संसद का सत्र न चल रहा हो तब राष्ट्रपति अद्द्यादेश जारी कर किसी कानून को लागू कर सकता है। किंतु ऐसा कोई भी कानून केवल 6 माह के लिए लागू होता है तथा 6 माह के भीतर संसद द्वारा स्वीकृति मिलने के पश्चात वह क़ानून अनिश्चित काल के लिए लागू हो जाता है।
- पद के दौरान राष्ट्रपति पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
राष्ट्रपति की वीटो शक्ति
राष्ट्रपति की शक्तियों में महत्वपूर्ण है वीटो शक्ति (Vito Power) इसके अनुसार राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों से पारित किसी विधेयक को पुनः विचार के लिए लौटा सकता है हाँलाकि संसद द्वारा विधेयक विचार करने के बाद राष्ट्रपति को भेजा जाए तो राष्ट्रपति उसमें अपनी सहमति देने के लिए बाध्य होता है। इसके अतिरिक्त जेबी वीटो का प्रयोग कर राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है अर्थात किसी विधेयक को अपने पास अनिश्चित काल के लिए रोक सकता है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल एवं महाभियोग
राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता है, किन्तु राष्ट्रपति अपना त्याग पत्र कभी भी उपराष्ट्रपति को सौंप सकता है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाकर उसको अपदस्थ किया जा सकता है, जबकि राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किया गया हो। महाभियोग चलाने की प्रक्रिया निम्न है-
- इसे संसद के किसी भी सदन लोकसभा या राज्यसभा से शुरू किया जा सकता है।
- राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोप पत्र पर उस सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व इसकी सूचना दी जानी चाहिए।
- जिस सदन में महाभियोग शुरू किया गया है वहाँ से दो तिहाई बहुमत मिलने के बाद प्रस्ताव दूसरे सदन में भेजा जाता है।
- यदि दूसरे सदन में भी यह प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पास हो जाता है तो राष्ट्रपति को प्रस्ताव पारित होने की तिथि से पद त्यागना पड़ता है।
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