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हवाई जहाज़ के उड़ने के कारण
अक्सर आसमान में किसी जहाज़ को उड़ते देखकर आपके मन में ये जिज्ञासा अवश्य उतपन्न हुई होगी आख़िर किसी जहाज के आसमान में उड़ने के पीछे क्या कारण है? (How does airplane fly) तो आइये जानते हैं इसके पीछे के विज्ञान को। कोई भी वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ऊपर से नीचे की ओर गिरने लगती है अतः किसी वस्तु को ऊपर की ओर गति कराने के लिए आवश्यकता होती है एक ऐसे बल की जिसका मान वस्तु पर नीचे की ओर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अधिक हो।
अतः इसी बल को उत्पन्न करने के लिए किसी हवाई जहाज के पंखों को इस प्रकार निर्मित किया जाता है कि उनका निचला हिस्सा चपटा एवं ऊपरी हिस्सा हल्का वक्राकार हो इसके परिणामस्वरूप हवाई जहाज के पंख के ऊपर हवा की गति पंख के निचले हिस्से की तुलना में अधिक हो जाती है।
हवाई जहाज के पंखों के ऊपरी ओर वायु की गति पंख की निचली ओर से अधिक होती है जिस कारण पंख के ऊपर वायु दाब कम और पंख के नीचे वायुदाब अधिक हो जाता है फलस्वरूप पंख का निचला हिस्सा ऊपर की तरफ एक बल लगाता है जिसे लिफ्ट कहते हैं। इसका परिमाण पृथ्वी द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक होता है अतः जहाज आसमान में ऊपर की ओर उड़ने लगता है। गौरतलब है कि लिफ्ट के अलावा किसी हवाई जहाज के उड़ने में अन्य बल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हवाई जहाज में कार्यरत बल
किसी हवाई जहाज को उड़ने में मदद करने के लिए मुख्यतः चार बल जिम्मेदार होते हैं।
लिफ्ट (Lift)
हमनें ऊपर समझाया किस प्रकार किसी हवाई जहाज के पंखों के ऊपर और नीचे हवा के दबाव में आए अंतर से एक बल उतपन्न होता है जिसे लिफ्ट कहते हैं। यह जहाज को ऊपर की ओर गति करने या आसमान में स्थिर रखने में मदद करता है।
थ्रष्ट (Thrust)
यह बल हवाई जहाज के इंजन द्वारा उत्पन्न होता है जो उसे आगे की ओर गति प्रदान करता है। जिस कारण कोई जहाज़ एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचता है।
भार या गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
भार से आप सभी वाकिफ़ हैं यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण किसी वस्तु पर लगने वाला बल है जिसकी दिशा पृथ्वी के केंद्र की ओर होती है। प्रत्येक वस्तु की तरह किसी हवाई जहाज में भी एक बल नीचे की ओर अथवा पृथ्वी के केंद्र की ओर आरोपित होता है।
ड्रैग (Drag)
किसी हवाई जहाज में लगने वाला थ्रष्ट उसे आगे की ओर गति प्रदान करता है इस गति के कारण जहाज वायु कणों से टकराता है तथा एक घर्षण उत्पन्न होता है जो जहाज की विपरीत दिशा में कार्य करता है यह बल जहाज की गति पर निर्भर करता है। इसी से बचने के लिए जहाज अधिक ऊँचाई में उड़ते हैं क्योंकि ऊँचाई बढ़ने के साथ वायु के कणों में कमी होने लगती है।
हवाई जहाज़ पर नियंत्रण
हवाई जहाज़ तीनों अक्षों x, y तथा z जिन्हें क्रमशः Roll, Pitch तथा Yaw अक्ष कहा जाता है में गति करता है। इन तीनों अक्षों में संतुलन बनाकर जहाज़ को उड़ाया जाता है। इन अक्षों में जहाज की गति को इसके विभिन्न हिस्सों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
एलेरॉन
यह दोनों पंखों से जुड़े होते हैं जिनका इस्तेमाल जहाज़ को Roll axis में गति कराने में किया जाता है। पायलेट एक पंख के एलेरोन को ऊपर तथा दूसरे को नीचे कर देता है जिस कारण लिफ्ट बल में अंतर उतपन्न हो जाता है चूँकि पंख का अधिक लिफ्ट उतपन्न करने वाला हिस्सा जहाज़ को ऊपर की ओर उठता है जबकि दूसरा हिस्सा कम लिफ्ट होने के कारण उसे नीचे धकेलता है फलस्वरूप जहाज़ घूमने लगता है।
एलिवेटर
यह जहाज़ के पिछले हिस्से में क्षैतिज पंखों के रूप में होता है। इनका इस्तेमाल भी लिफ्ट में अंतर उतपन्न कर हवाई जहाज को उसके Pitch axis के सापेक्ष अर्थात उसे ऊपर (टेक ऑफ) तथा नीचे (लैंडिंग) की ओर गति कराने के लिये किया जाता है।
रडर
यह जहाज़ के पिछले हिस्से में उर्ध्वाधर पंख के रूप में होता है जिसका इस्तेमाल जहाज़ को किसी कार की भाँति दाएं तथा बाएं मोड़ने या Yaw axis में गति कराने में किया जाता है।
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