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रिपोर्ट के बारे में
फ़्रीडम इन द वर्ल्ड रिपोर्ट को अमेरिका आधारित एक मानवाधिकार संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ द्वारा जारी किया जाता है। यह संस्था 1941 से कार्यरत है जिसका वित्तपोषण अमेरिकी सरकार करती है। फ़्रीडम इन द वर्ल्ड रिपोर्ट विभिन्न मानकों के आधार पर किसी देश को स्वतंत्र, आंशिक रूप से स्वतंत्र तथा स्वतंत्र नहीं की श्रेणी में रखती है। ये मानक निम्न हैं
- राजनीतिक अधिकार : इसके अंतर्गत चुनावी प्रक्रिया, राजनीतिक भागीदारी और सरकारी कामकाज आदि शामिल हैं।
- नागरिक स्वतंत्रता : इसमें अभिव्यक्ति की आजादी, संगठनात्मक अधिकार, कानून के शासन और व्यक्तिगत स्वायत्तता तथा व्यक्तिगत अधिकार शामिल हैं।
फ़्रीडम इन द वर्ल्ड रिपोर्ट (2021)
इस वर्ष जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्ण रूप से स्वतंत्र देशों की संख्या पिछले 15 वर्षों की तुलना में निम्नतम स्तर पर है। रिपोर्ट के अनुसार विश्व की 75 फीसदी आबादी ऐसे देशों में निवास कर रही है जहाँ पिछले कुछ वर्षों में लोकतंत्र तथा स्वतंत्रता के स्तर में गिरावट देखी गई है।
भारत की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार सबसे मुक्त और स्वतंत्र देशों में फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन जैसे देश शामिल हैं। वहीं भारत की बात करें तो भारत की स्थिति में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है। इस वर्ष जारी रिपोर्ट में भारत को 100 में से 67 अंक दिए गए हैं जबकि पिछले वर्ष भारत को 71 अंक दिए गए थे। अंकों में गिरावट के आधार पर भारत की स्थिति को ‘स्वतंत्र’ से ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ कर दिया गया है।
रिपोर्ट में भारत की स्थिति की गिरावट के पीछे कई कारण बताए गए हैं जिनमें प्रेस की आजादी पर हमला, इंटरनेट की स्वतंत्रता में कमी, हिन्दू राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा, मुसलमानों के खिलाफ हिंसा, प्रदर्शनकारियों पर कार्यवाही, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला जैसे कारक शामिल हैं।
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