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भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service)
भारतीय प्रशासनिक सेवा तीन अखिल भारतीय सेवाओं (IAS, IPS, IFoS) में से एक है। इसकी शुरुआत 1858 में इम्पीरियल सिविल सेवा के नाम से की गई जिसका नाम देश की आज़ादी के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (Salary of an IAS in Hindi) किया गया। इसके अधिकारी राज्य तथा केंद्र सरकार एवं अन्य सरकारी उपक्रमों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हैं। विभिन्न प्रकार की सिविल सेवाओं में प्रशासनिक सेवा सबसे प्रतिष्ठित सेवा है।
कैसे बनें IAS अधिकारी?
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का चयन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा द्वारा किया जाता है। प्रशासनिक सेवा के अतिरिक्त 20 से अधिक अन्य सेवाओं के अधिकारियों का चयन भी इसी परीक्षा के माध्यम से होता है। सिविल सेवा परीक्षा भारत की बहुत कठिन परीक्षाओं में एक है। इसे उत्तीर्ण करने के लिए तीन चरणों यथा प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार से गुजरना होता है।
सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवश्यक योग्यता
सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए न्यूनतम शैक्षिक अर्हता किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि है। वहीं यदि आयु सीमा की बात करें तो यह न्यूनतम 21 वर्ष जबकि अधिकतम 32 वर्ष (सामान्य वर्ग), 35 वर्ष (अन्य पिछड़ा वर्ग), एवं 37 वर्ष (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) है। इसके अतिरिक्त परीक्षा देने के कुल प्रयास भी सीमित हैं। जो विभिन्न श्रेणियों के अनुसार निम्नलिखित हैं।
- सामान्य वर्ग – 6 प्रयास
- अन्य पिछड़ा वर्ग- 9 प्रयास
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति – असीमित प्रयास
प्रशासनिक सेवा में चयनित उम्मीदवारों का प्रशिक्षण
प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में लोग सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं जिनमें से लगभग 900 से 1000 उम्मीदवारों का चयन उनकी रैंक के अनुसार विभिन्न सेवाओं में होता है। सभी चयनित उम्मीदवारों में लगभग प्रथम 100 उम्मीदवारों (सामान्य श्रेणी) को अपनी मनचाही सेवा जो अधिकांश स्थिति में प्रशासनिक सेवा ही होती है में जाने का अवसर प्राप्त होता है।
प्रशासनिक सेवा में चयनित सभी उम्मीदवारों का प्रशिक्षण लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकेडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) मसूरी, उत्तराखंड में होता है। यह प्रशिक्षण लगभग 2 वर्ष का होता है जिसे मुख्यतः 5 अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाता है।
चरण 1 : पहले चरण में 4 माह का फाउंडेशन कोर्स होता है। इसमें प्रशासनिक सेवा के अतिरिक्त अन्य सभी सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारी शामिल होते हैं। फाउंडेशन कोर्स के पश्चात अन्य सेवाओं में चयनित उम्मीदवार उनके आगे के प्रशिक्षण हेतु विभिन्न सेवाओं से संबंधित प्रशिक्षण संस्थानों में चले जाते हैं जबकि प्रशासनिक सेवा में चयनित उम्मीदवार LBSNAA में ही आगे का प्रशिक्षण पूरा करते हैं।
चरण 2 : यह चरण फेस 1 ट्रेनिग कहलाता है जिसमें प्रशिक्षुओं को सरकारी कामकाज जिसमें नीति निर्धारण, भूमि प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा, ई-गवर्नेंस आदि शामिल हैं का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षुओं को देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और विरासत से रूबरू कराने के उद्देश्य से भारत दर्शन करवाया जाता है।
चरण 3 : इस चरण में प्रशिक्षु अधिकारियों को लगभग 1 साल के लिए किसी जिले से सम्बद्ध किया जाता है। यहाँ वे जमीनी स्तर पर प्रशासनिक कार्यों को देखते हैं तथा विकासात्मक मुद्दों, उनके क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियाँ तथा समाधान के बारे में जानते हैं।
चरण 4 : इसके पश्चात प्रशिक्षु अधिकारियों को पुनः LBSNAA में प्रशिक्षण के आखिरी चरण जिसे फेस 2 प्रशिक्षण कहा जाता है के लिए बुलाया जाता है। यहाँ सभी प्रशिक्षु अधिकारी डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग के अनुभव को साझा करते हैं। यह 6 हप्तों तक चलता है।
चरण 5 : फेस 2 के पूर्ण होने के बाद प्रशिक्षु अधिकारियों को देश के शीर्ष स्तर पर सरकार के काम काज को समझाने के उद्देश्य से कुछ समय तक केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में सहायक सचिव के रूप में तैनात किया जाता है।
प्रशिक्षण पूरा होने के पश्चात राष्ट्रपति द्वारा सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके कैडर के अनुसार अंतिम रूप से नियुक्त किया जाता है तथा ये प्रशिक्षु अधिकारी अब IAS अधिकारी कहलाते हैं। प्रारंभ में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को SDM या डिप्टी कलेक्टर का कार्यभार सौंपा जाता है।
IAS अधिकारियों की जिम्मेदारियाँ एवं कार्य
जैसा कि हमनें देखा भारतीय प्रशासनिक सेवा देश की सभी सिविल सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित है। इसके अधिकारियों को सामाजिक सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। किंतु इसी के साथ इस सेवा में कार्यरत अधिकारियों की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ जाती हैं। IAS अधिकारियों के निम्नलिखित कार्य होते हैं।
- कानून व्यवस्था को बनाए रखना
- राजस्व इकट्ठा करना
- राज्य एवं केंद्र सरकार की नीतियों को लागू करना तथा उनका पर्यवेक्षण करना
- पब्लिक फंड का सही तरीके से खर्च हो इसको सुनिश्चित करना
- नीतियों का निर्माण करना तथा देशहित के मुद्दों पर निर्णय लेना
IAS अधिकारियों का वेतन एवं सुविधाएं (Salary of an IAS in Hindi)
IAS अधिकारियों को रहने के लिए सरकारी बंग्ला, गाड़ी, सुरक्षा गार्ड, माली तथा रसोइये आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। IAS अधिकारियों के प्रारंभिक वेतन की बात करें तो यह सातवें वेतन आयोग के अनुसार 5400 ग्रेड पे के आधार पर तय की जाती है जो विभिन्न कटौतियों जैसे NPS आदि के बाद तकरीबन 56,000 होती है। इन सब के अतिरिक्त IAS अधिकारियों को निम्नलिखित सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं।
- बिजली, पानी , टेलीफोन आदि के बिलों का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है।
- IAS अधिकारी किसी सरकारी या गैर-सरकारी यात्रा के दौरान सस्ती दरों में सरकारी गेस्ट हाउस का उपयोग कर सकते हैं।
- IAS अधिकारियों को उनकी उच्च शिक्षा के लिए दुनियाँ के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में 2 वर्ष तक पढ़ाई करने का अवसर प्राप्त होता है। हालाँकि इसमें कुछ शर्तें भी हैं जैसे इसका लाभ लेने के लिए IAS अधिकारी को कम से कम 7 वर्षों की सेवा (उत्तर पूर्व की स्थिति में 6 वर्ष) देना अनिवार्य है।
- IAS अधिकारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी किसी आयोग या समिति में कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है।
IAS अधिकारियों का उनकी पदोन्नति के क्रम में वेतन-
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