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मिसाइल क्या है? (What is Missile)
मिसाइल एक पायलट रहित लक्ष्य निर्देशित हथियार तंत्र है, जिसका इस्तेमाल शत्रु के ठिकानों को नष्ट करने के उद्देश्य से किया जाता है। मूल रूप से समझें तो मिसाइल किसी पेलोड को, जो कि, कोई बम अथवा विस्फोटक हो सकता है एक निश्चित स्थान तक ले जाने का कार्य करती है।
मिसाइलों की आवश्यकता के अनुसार इन्हें विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। हालांकि मिसाइलों का वर्गीकरण (Types of Missile in Hindi) कई आधार पर किया जाता है, जैसे प्रक्षेपण मार्ग के आधार पर, लॉन्च मोड के आधार पर तथा रेंज के आधार पर किन्तु इस लेख में हम प्रक्षेपण के आधार पर इनके वर्गीकरण को समझेंगे। इस आधार पर मिसाइलों को दो श्रेणियों में रखा जाता है।
- बैलिस्टिक मिसाइल
- क्रूज़ मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile)
यह एक ऐसी तकनीक पर आधारित है, जिसमें रॉकेट इंजन मिसाइल को आरंभिक चरण में आगे की ओर धक्का लगाता है इसके पश्चात मिसाइल का मार्ग पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण द्वारा तय किया जाता है। एक बार सम्पूर्ण ईंधन के जल जाने के बाद मिसाइल के मार्ग को परिवर्तित करना सम्भव नहीं होता।
ऊपर हमनें रॉकेट इंजन की बात की, मूलतः यह एक ऐसा इंजन है, जिसमें ईंधन तथा ऑक्सीकारक (ऑक्सीजन) दोनों होते हैं। अर्थात इसमें ईंधन के दहन हेतु वायुमंडलीय ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। यही कारण है कि, इन्हें पृथ्वी के बाहर भी प्रक्षेपित किया जा सकता है। बैलिस्टिक मिसाइल को भी उनकी रेंज अथवा मारक क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
बैलिस्टिक मिसाइल | अधिकतम रेंज |
शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल | 1000 किलोमीटर से कम |
मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल | 1000 से 3000 किलोमीटर |
इन्टरमीडिएट बैलिस्टिक मिसाइल | 3000 से 5500 किलोमीटर |
इन्टर कॉन्टिनेन्टल बैलिस्टिक मिसाइल | 5500 किलोमीटर से अधिक |
क्रूज मिसाइल (Cruise Missile)
इस मिसाइल में जैट इंजन का प्रयोग किया जाता है। इसको ईंधन के दहन के लिए वायुमंडलीय ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार क्रूज मिसाइल केवल वायुमंडल के भीतर ही उड़ सकती है। कम ऊँचाई में उड़ने के कारण इनका शत्रु के रडार की पकड़ में आना मुश्किल होता है। इन्हें दागने के बाद इनके मार्ग में कभी भी परिवर्तन किया जा सकता है।
आकार की बात करें तो यह बैलिस्टिक मिसाइल से छोटी होती हैं। आधुनिक क्रूज मिसाइल में GPS तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि लक्ष्य को सटीकता से भेदा जा सके। इनके वर्गीकरण के भी कई आधार है जिनमें गति प्रमुख है, इस आधार पर इन्हें तीन भागों सबसोनिक, सूपरसोनिक तथा हाइपरसोनिक में विभाजित किया गया है।
क्रूज मिसाइल | गति |
सबसोनिक | 1 मैक से कम |
सूपरसोनिक | 1 से 3 मैक के मध्य |
हाइपरसोनिक | 5 मैक से अधिक |
मैक (Mach) गति मापने का एक पैरामीटर है। 1 मैक का मान ध्वनि की गति अर्थात 1234 Km/h के बराबर होता है।
प्रमुख भारतीय मिसाइलें
आइये भारत की कुछ प्रमुख बैलिस्टिक तथा क्रूज मिसाइलों के बारे में जानते हैं।
पृथ्वी मिसाइल
पृथ्वी सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइल है। इसका विकास 1983 में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्रारंभ किया गया। पृथ्वी का इस्तेमाल छोटी दूरी के लिए किया जाता है। अभी तक इस मिसाइल के तीन संस्करण विकसित किये जा चुके हैं। इनकी रेंज तथा पेलोड क्षमता को नीचे दर्शाया गया है।
अग्नि मिसाइल
यह भी सतह से सतह पर मार करने वाली स्वदेशी तकनीक द्वारा विकसित एक बैलिस्टिक मिसाइल है। पृथ्वी के विपरीत यह अत्यधिक दूरी (अंतरमहाद्वीपीय/Intercontinental) तक मार करने के लिए बनाई गई है। यह मिसाइल परमाणु हथियारों को भी ले जा सकने में सक्षम है। यह एक GPS युक्त मिसाइल है अतः इसके मार्ग को प्रक्षेपित करने के बाद भी संशोधित किया जा सकता है।
इसके विभिन्न प्रकारों की बात करें तो अग्नि के वर्तमान में 6 संस्करण उपलब्ध हैं। प्रत्येक संस्करण को उसकी मारक क्षमता के अनुसार नीचे वर्गीकृत किया गया है।
त्रिशूल मिसाइल
त्रिशूल मिसाइल सतह से हवा में मार करने में सक्षम पहली मिसाइल है, जो स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इस मिसाइल को कम दूरी (9 से 12 किलोमीटर) पर मार करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इसका उपयोग नीची उड़ान भर रहे शत्रु के विमानों को मार गिराने के लिये किया जाता है। त्रिशूल का प्रथम सफल परीक्षण 1989 में किया गया। यह भी DRDO के समन्वित मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम (The Integrated Guided Missile Development Programme) के तहत विकसित की गई है। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के तीनों अंगों द्वारा किया जा सकता है।
नाग मिसाइल
नाग स्वदेशी तकनीक द्वारा निर्मित तीसरी पीढ़ी की एक टैंक रोधी मिसाइल है। यह Maneuverable तकनीक अर्थात “दागो और भूल जाओ” के सिद्धांत पर कार्य करती है। Maneuverable तकनीक से आशय दागे जाने के बाद अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले मार्ग को बदलने की क्षमता से है। यदि कोई लक्ष्य लगातार गतिशील हो तो उसे निशाना बनाना कठीन होता है इस स्थिति में यह तकनीक काम आती है। यह भी DRDO के Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP) के तहत विकसित की गई है। इसका प्रथम परीक्षण 1990 में किया गया।
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नाग की मारक क्षमता की बात करें तो यह 3 से 4 किलोमीटर है, जबकि हैलिकॉप्टर से इसकी मारक क्षमता 5 किलोमीटर तक है। नाग मिसाइल में Infrared Imaging System का प्रयोग किया जाता है, जिस कारण इससे रात के अंधेरे में भी अचूक निशाना लगाया जा सकता है। वर्तमान में इसका हैलिकॉप्टर से प्रयोग किया जा सकने वाला संस्करण भी तैयार किया जा चुका है, जिसे हेलिना नाम दिया गया है। इसका इस्तेमाल मुख्यतः ध्रुव हैलिकॉप्टर में किया जाएगा, जिसके पश्चात ध्रुव एक मिसाइल अटैक हैलिकॉप्टर की भाँति कार्य करेगा।
आकाश मिसाइल
DRDO द्वारा विकसित आकाश मिसाइल 720 किलोग्राम वजनी तथा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह 25 से 30 किलोमीटर दूर तथा 18 किलोमीटर ऊँचाई तक लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने में सक्षम है।
आकाश मिसाइल का प्रथम परीक्षण 1990 में किया गया था तथा 2014 में इसे वायु सेना तथा 2015 में थल सेना में शामिल किया गया। यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकने में समर्थ है। यह अत्यधिक तेज गति लगभग 2.5 मैक (3087 Km/h) की गति से उड़ान भर सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल
ब्रह्मोस भारत तथा रूस द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित मध्यम दूरी की सूपर सोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बियों, जहाज़ों, विमानों या ज़मीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसका ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी से मिलकर बना है। ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा डिज़ाइन, विकसित और निर्मित किया गया है जो DRDO तथा रूसी Mashinostroyenia का एक संयुक्त उद्यम है।
यह भारत की अब तक की सबसे अत्याधुनिक क्रूज मिसाइल है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है तथा यह 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है। भविष्य में इसकी रेंज को 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है। वायु में सफल परीक्षण के बाद अब ब्रह्मोस मिसाइल जल, थल और वायु से छोड़ी जा सकने वाली मिसाइल बन गई है। इसे दागे जाने के बाद पुनः निर्देशित कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती अर्थात यह भी दागो और भूल जाओ के सिद्धांत पर कार्य करती है।
अस्त्र मिसाइल
अस्त्र DRDO द्वारा स्वदेशी तकनीक पर विकसित दृश्य सीमा से बाहर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसे लड़ाकू विमानों से प्रक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ध्वनि से चार गुना तेज रफ्तार के साथ हवा में मार करने वाला भारत द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है। इसकी मारक क्षमता की बात करें तो यह 40 से 100 किलोमीटर है।
इसे दुश्मन के विमानों पर निशाना लगाने और उन्हें मार गिराने के उद्देश्य से बनाया गया है। विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मिसाइल को कई रूपों में विकसित किया जा रहा है। अस्त्र मिसाइल को मिराज २००० एच, तेजस और सुखोई एसयू-३० एमकेआई विमानों में संलग्न कर संचालित किया जा सकता है।
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