आदि काल में किया गया पहिये का आविष्कार दुनियाँ में सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में एक माना जाता है। इसकी खोज से परिवहन प्रणाली की शुरुआत हो सकी तथा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना या सामान ढोना संभव हो पाया। पहिये के आविष्कार से लेकर आधुनिक वाहनों तक समय के साथ परिवहन प्रणाली उन्नत होती रही है। 19वीं सदी के अंत में डीजल इंजन के आविष्कार के बाद से पूरी दुनियाँ में आधुनिक मोटर वाहनों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है।
मोटर वाहनों के बढ़ते चलन के कारण इससे होने वाली दुर्घटनाएं भी हमारे सामने हैं, अतः जैसे-जैसे परिवहन के लिए मोटर वाहनों का इस्तेमाल बड़ा है इसको विनियमित करने की आवश्यकता महसूस हुई है। हालाँकि वाहनों के इस्तेमाल से मानव जीवन बहुत हद तक आसान हुआ है, किंतु इनके लापरवाही से किए गए प्रयोग के नुकसान भी हैं। नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका जानकारी जोन में, आज के इस लेख में हम चर्चा करने जा रहे हैं, भारत में वाहनों के विनियमन अथवा यातायात नियमों (Traffic Rules in Hindi) के बारे में।
यातायात के नियम
परिवहन वर्तमान जीवन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन चुकी है, ऐसे में एक सुरक्षित यातायात सुनिश्चित करना सरकारों के साथ साथ नागरिकों का भी दायित्व बन जाता है। इसी उद्देश्य की के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत में यातायात नियमों के लिए The Motor Vehicles Act, 1988 पारित किया गया, जिसे 1 जुलाई 1989 से लागू किया गया है। उक्त कानून में यातायात से संबंधित सभी नियमों एवं उनके उल्लंघन पर दंड के बारे में बताया गया है। कानून में कुल 273 धराएं हैं, इनमें से हम यहाँ कुछ महत्वपूर्ण नियमों की चर्चा कर रहे हैं, जिनके बारे में एक सामान्य वाहन चालक को जानकारी होना आवश्यक है।
कुछ महत्वपूर्ण यातायात नियम (Important Traffic Rules)
ड्राइविंग लाइसेंस है अनिवार्य
उक्त कानून की धारा 3 में ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन नहीं चलाएगा, जब तक कि उसके पास उस वाहन को चलाने के लिए अधिकृत एक प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस न हो।
किसी वाहन को चलाने के लिए आयु सीमा
कानून की धारा 4 अठारह वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को, किसी सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन चलाने से प्रतिबंधित करती है। हालाँकि कोई व्यक्ति, जिसकी आयु 16 वर्ष या उससे अधिक है वह 50सीसी तथा इससे कम इंजन क्षमता वाले वाहन को चला सकता है। इसके अतिरिक्त धारा 18 के प्रावधानों के तहत, बीस वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर परिवहन वाहन नहीं चलाएगा।
कानून की धारा 5 के अनुसार कोई भी मालिक या मोटर वाहन का प्रभारी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को वाहन चलाने के लिए प्रेरित या अनुमति नहीं देगा जो धारा 3 या धारा 4 के प्रावधानों को पूरा नहीं करता है।
धारा 39 : वाहन का पंजीकरण
कोई व्यक्ति अथवा कोई मोटर वाहन का मालिक किसी भी सार्वजनिक स्थान पर वाहन नहीं चलाएगा अथवा वाहन को चलाने की अनुमति नहीं देगा, यदि वाहन का वैध पंजीकरण न किया गया हो अथवा पंजीकरण निलंबित या रद्द कर दिया गया हो।
धारा 112 : वाहन की गति सीमा
कोई व्यक्ति, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अधिनियम या किसी अन्य कानून द्वारा विभिन्न वाहनों के लिए निर्धारित अधिकतम गति से अधिक या न्यूनतम गति से कम की गति से मोटर वाहन नहीं चलाएगा। हालाँकि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में अधिकृत कोई प्राधिकरण, यदि संतुष्ट हो, कि सार्वजनिक सुरक्षा या सुविधा के हित में अथवा किसी सड़क या पुल की प्रकृति के कारण मोटर वाहनों की गति को प्रतिबंधित करना आवश्यक है, उस स्थिति में गति सीमा में परिवर्तन किया जा सकता है, जिसकी धारा 116 के तहत उचित यातायात संकेत चिन्हों से जानकारी दी जानी चाहिए।
धारा 129 : सुरक्षात्मक हेडगेयर अथवा हेलमेट
चार वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति, जो सार्वजनिक स्थान पर किसी भी वर्ग या विवरण की मोटर साइकिल चला रहा हो अथवा सवारी कर रहा हो, तय मानकों के अनुरूप सुरक्षात्मक टोपी (हेलमेट) का प्रयोग करेगा। हालाँकि इस धारा के प्रावधान किसी ऐसे व्यक्ति पर लागू नहीं होंगे, जो सिख है और यदि वह सार्वजनिक स्थान पर मोटर साइकिल चलाते या सवारी करते समय पगड़ी पहने हुए है।
जो कोई भी व्यक्ति, धारा 129 के प्रावधानों या उसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों का उल्लंघन करता है अथवा उल्लंघन करते हुए मोटर साइकिल चलाने की अनुमति देता है, एक हजार रुपये के जुर्माने से दंडित होगा और वह अधिकतम तीन महीने की अवधि तक ड्राइविंग लाइसेंस रखने के लिए भी अयोग्य होगा।
धारा 185 : वाहन चलाने के दौरान नशा
ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो शराब के नशे (जिसके प्रति 100 मिलीग्राम रक्त में 30 मिलीग्राम या उससे अधिक एल्कोहल पाया जाता है) अथवा किसी अन्य नशीले पदार्थ के प्रभाव में (जिसके प्रभाव में उसके द्वारा वाहन का नियंत्रण कर पाना मुश्किल है) किसी मोटर वाहन को चलाता है अथवा चलाने का प्रयास करता है, अपने पहले अपराध के लिए छह माह तक की अवधि के कारावास या दस हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकेगा, जबकि पुनः अपराध करने की स्थिति में, दो वर्ष तक के कारावास या पंद्रह हजार रुपए के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धारा 197: बिना प्राधिकार के वाहन चलाना
जो कोई भी व्यक्ति किसी मोटर वाहन को उसके मालिक या अन्य वैध प्राधिकारी की सहमति के बिना ले जाता है और चलाता है, वह अधिकतम तीन महीने के कारावास या पाँच हजार रुपये के आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।
धारा 146 : वाहन का बीमा
कोई भी व्यक्ति (यात्रियों के अतिरिक्त) किसी मोटर वाहन का उपयोग नहीं करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन के उपयोग की अनुमति नहीं देगा, जब तक कि उस व्यक्ति द्वारा वाहन के उपयोग के संबंध में आवश्यक बीमा पॉलिसी न खरीदी हो।
जो कोई व्यक्ति धारा 146 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए मोटर वाहन चलाता है या चलाने की अनुमति देता है, वह पहले अपराध के लिए अधिकतम तीन माह के कारावास या दो हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों के साथ दंडित किया जाएगा तथा बाद के अपराध के लिए अधिकतम तीन माह के कारावास या चार हजार रुपये के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
धारा 184 : खतरनाक तरीके से वाहन चलाना
जो कोई व्यक्ति किसी मोटर वाहन को अत्यधिक गति या इस तरीके से चलाता है, जो जनता के लिए, वाहन की सवारियों के लिए, अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं एवं सड़क के पास मौजूद व्यक्तियों के लिए खतरनाक है या संकट की भावना का कारण बनता है-
अपने पहले अपराध के लिए अधिकतम एक वर्ष की अवधि के कारावास (जो छह महीने से कम नहीं होगा) या अधिकतम पांच हजार रुपये तक के जुर्माने (जो एक हजार रुपये से कम नहीं होगा) या दोनों से दंडित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त दूसरा अपराध यदि पिछले समान अपराध के तीन साल के भीतर किया गया हो तो अधिकतम दो साल तक के कारावास या दस हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
खतरनाक तरीके से वाहन चलाने में लाल बत्ती को अनदेखा करना, किसी Stop Sign का उल्लंघन करना, ड्राइविंग करते समय हाथ में संचार उपकरणों का उपयोग करना, कानून के विपरीत अन्य वाहनों को पार करना या ओवरटेक करना, यातायात के अधिकृत प्रवाह के खिलाफ ड्राइविंग करना या किसी भी तरह से ड्राइविंग करना जो एक सक्षम और सावधान चालक से की जाने वाली अपेक्षा से काफी कम हो आदि शामिल हैं।
धारा 186 : शारीरिक या मानसिक रूप से अस्वस्थ
कोई भी व्यक्ति, जो किसी सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन चलाता है तथा किसी ऐसी बीमारी या विकलांगता से पीड़ित है, जिसमें उसे यह ज्ञात है, कि इस प्रकार वाहन चलाना जनता के लिए खतरनाक हो सकता है, वह पहले अपराध के लिए एक हजार रुपये तक के जुर्माने और बाद के अपराध के लिए दो हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
धारा 189 : मोटर वाहनों के बीच किसी भी प्रकार की गति की दौड़
कोई भी व्यक्ति, जो राज्य सरकार की लिखित सहमति के बिना किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहनों (Traffic Rules in Hindi) के बीच किसी भी प्रकार से गति की दौड़ या परीक्षण में भाग लेने की अनुमति देता है या स्वयं भाग लेता है, वह अधिकतम तीन माह के कारावास या पाँच हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा। यदि अपराध पुनः किया जाता है उस स्थिति में एक वर्ष तक की अवधि के कारावास या दस हज़ार रुपये के जुर्माने या दोनों दोनों से दंडित किया जाएगा।
धारा 190 : असुरक्षित या खराब वाहन को चलाना
कोई भी व्यक्ति, जो किसी सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन चलाता है अथवा चलाने की अनुमति देता है, जबकि वाहन में कोई दोष है, जिसे व्यक्ति जानता है या व्यक्ति द्वारा सामान्य वाहन की सामान्य देखभाल से ऐसे दोष का पता लगाया जा सकता है-
यदि वाहन में इस तरह के दोष के परिणामस्वरूप कोई दुर्घटना होती है, जिससे किसी व्यक्ति को शारीरिक चोट या संपत्ति की क्षति होती है, अपने पहले अपराध के लिए तीन महीने तक के कारावास या पाँच हजार रुपए जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त बाद के अपराध के लिए छः महीने के कारावास या शारीरिक चोट या संपत्ति के नुकसान के लिए दस हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
सड़क सुरक्षा से जुड़े मानकों का उल्लंघन
यदि कोई व्यक्ति, जो किसी सार्वजनिक स्थान पर मोटर वाहन को चलाता है या चलाने की अनुमति देता है, यदि सड़क सुरक्षा, ध्वनि नियंत्रण एवं वायु प्रदूषण के संबंध में निर्धारित मानकों का उल्लंघन करता है, तो अपने पहले अपराध के लिए तीन महीने की तक का कारावास या दस हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों के साथ दंडित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त वह तीन महीने की अवधि के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने के लिए भी अयोग्य होगा। किसी दूसरे या बाद के अपराध के लिए छह महीने तक का कारावास या दस हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों के दंडित किया जाएगा।
धारा 194A : अधिक यात्रियों को ले जाना
कोई व्यक्ति, जो स्वयं किसी परिवहन वाहन को चलाता है अथवा किसी अन्य व्यक्ति को परिवहन वाहन चलाने की अनुमति देता है, जबकि वाहन में पंजीकरण प्रमाण पत्र में अधिकृत यात्रियों से अधिक यात्रियों को ले जाया जा रहा हो, प्रति अतिरिक्त यात्री दो सौ रुपये के जुर्माने का भागीदार होगा तथा परिवहन वाहन को अतिरिक्त यात्रियों के लिए वैकल्पिक परिवहन की व्यवस्था किए बिना चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
धारा 194B : सेफ़्टी बेल्ट का इस्तेमाल
जो कोई व्यक्ति बिना सुरक्षा पेटी या Seat Belt पहने मोटर वाहन चलाता है या यात्रियों को बिना सीट बैल्ट पहने ले जाता है, वह एक हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। हालाँकि राज्य सरकार परिवहन वाहनों को इस उप-अनुभाग से बाहर कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त कोई व्यक्ति, जो मोटर वाहन चलाता है या मोटर वाहन को एक ऐसे बच्चे के साथ चलाने की अनुमति देता है, जो चौदह वर्ष की आयु से छोटा है, सुरक्षा बैल्ट अथवा बाल संयम प्रणाली (Child Restraint System) द्वारा सुरक्षित नहीं है, वह एक हजार रुपये के जुर्माना के साथ दंडनीय होगा।
धारा 194E : आपातकालीन वाहन को प्राथमिकता
जो कोई व्यक्ति मोटर वाहन चलाते समय किसी दमकल वाहन, एम्बुलेंस या अन्य आपातकालीन वाहन को प्राथमिकता न देते हुए सड़क के किनारे पर आने में विफल रहता है, छह माह तक के कारावास या दस हजार रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दंडित होगा।
धारा 194E : साइलेंट ज़ोन में हॉर्न का प्रयोग
जो कोई व्यक्ति मोटर वाहन चलाते समय, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अथवा अनावश्यक रूप से आवश्यकता से अधिक हॉर्न बजाता है या ऐसे क्षेत्र में हॉर्न का प्रयोग करता है जहाँ हॉर्न के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है, अपने पहले अपराध के लिए एक हजार रुपये के जुर्माने और दूसरे या बाद के अपराध के लिए दो हजार रुपये तक के जुर्माना के साथ दंडित किया जाएगा।
नाबालिग द्वारा किसी यातायात नियम का उल्लंघन
इस अधिनियम के तहत यदि कोई अपराध किसी किशोर अथवा नाबालिग द्वारा किया गया है, तो किशोर के अभिभावक या मोटर वाहन के मालिक को उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है और तदनुसार दंडित किया जा सकता है।
ऐसे अभिभावक या मालिक को तीन साल तक के कारावास तथा पच्चीस हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अपराध करने में प्रयुक्त मोटर वाहन का पंजीकरण बारह महीने की अवधि के लिए रद्द कर दिया जाएगा तथा ऐसा किशोर धारा 9 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस एवं धारा 8 के तहत लर्नर लाइसेंस दिए जाने का तब तक पात्र नहीं होगा, जब तक कि वह पच्चीस वर्ष की आयु प्राप्त न कर ले।
हालाँकि यदि अभिभावक या मालिक यह साबित करने में सफल रहता है, कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने इस तरह के अपराध को रोकने के लिए उचित परिश्रम किया था, तो ऐसे मालिक या अभिभावक को दोषी नहीं माना जाएगा।
धारा 201 : यातायात बाधित करना
कोई भी व्यक्ति, जो अपने वाहन को किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इस प्रकार खड़ा करता है, जिससे यातायात के मुक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो, वह पांच सौ रुपये तक के आर्थिक दंड के लिए उत्तरदायी होगा। हालाँकि यह उस स्थिति में लागू नहीं होगा, जब मोटर वाहन अप्रत्याशित रूप से खराब हो गया है और हटाए जाने की प्रक्रिया में है।
धारा 119 : यातायात चिन्हों का पालन
प्रत्येक मोटर वाहन चालक अनिवार्य यातायात चिन्हों के अनुसार तथा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए यातायात नियमों के अनुरूप ही वाहन चलाएगा तथा किसी भी पुलिस अधिकारी, जो सार्वजनिक स्थानों पर यातायात के नियमन में लगे हुए हैं द्वारा उसे दिए गए सभी निर्देशों का पालन करेगा।
धारा 210B : प्रवर्तन प्राधिकारी द्वारा किए गए अपराध के लिए
अभी तक हमनें वाहन चालकों के लिए बनाए गए नियमों को समझा, किन्तु इस अधिनियम में उक्त नियमों को लागू करवाने वाले अधिकारीयों के द्वारा किए गए किसी अपराध के लिए भी प्रावधान हैं, जिसके अनुसार अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए उत्तरदायी अथवा सशक्त कोई भी प्राधिकारी यदि इस अधिनियम के तहत किसी भी नियम का उल्लंघन करता है, तो ऐसे अधिकारी को अधिनियम के तहत उस अपराध के अनुरूप दो बार दंडित किया जाएगा।
देश में परिवहन दुर्घटनाओं की स्थिति
कानून में प्रत्येक संदर्भ में नियम एवं उसके उल्लंघन पर दंड का प्रावधान किया गया है, बावजूद इसके यातायात नियमों का पूर्ण रूप से प्रवर्तन सुनिश्चित नहीं हो पाता। देश में होने वाले सड़क हादसों से खराब यातायात प्रबंधन का अंदाजा लगाया जा सकता है। देश में सड़क हादसों के अकड़ों को देखें तो सड़क दुर्घटनाओं ने 2020 में लगभग 1.32 लाख लोगों की जान ली, यह आंकड़ा पिछले 11 वर्षों में सबसे कम है।
वहीं कुल सड़क हादसों की संख्या को देखें तो यह लगभग 3.66 लाख के करीब थी। हालाँकि इन हादसों के कारणों में लोगों द्वारा यातायात नियमों को गंभीरता से न लेना एवं यातायात पुलिस द्वारा नियमों को सही तरीके से प्रवर्तित न कर पाना तो शामिल हैं ही, इसके अतिरिक सड़क हादसों का एक मुख्य कारण देश में सड़कों की खराब स्थिति भी है। कुल सड़क हादसों में लगभग आधे हादसों के लिए खराब सड़कें जिम्मेदार हैं।
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बाहरी स्रोत : The Motor Vehicles Act, 1988