हाल ही में मशहूर बॉलीवुड अदाकारा शिल्पा शेट्टी के पति एवं कारोबारी राज कुन्द्रा समेत 11 लोगों को मुंबई पुलिस नें पॉर्नोग्राफ़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया है। भारत उन देशों में शामिल रहा है जहाँ सबसे अधिक पॉर्न फिल्में देखी जाती हैं, ऐसे में सभी के लिए पॉर्नोग्राफ़ी तथा इससे जुड़े तमाम नियम-कानूनों को जानना अहम हो जाता है।
पॉर्नोग्राफ़ी (Pornography) क्या है?
पॉर्नोग्राफ़ी यौन उत्तेजना पैदा करने के उद्देश्य से यौन व्यवहार (Sexual Behavior) को प्रदर्शित करना है। इसे मीडिया के किसी भी माध्यम जैसे पत्रिकाएं, एनीमेशन, लेखन, फिल्म और वीडियो गेम इत्यादि के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकता है। पॉर्नोग्राफ़ी शब्द, ग्रीक पोर्नी (वेश्या) और ग्रेफीन (लिखने के लिए) से लिया गया है, इसे मूल रूप से वेश्याओं के जीवन को दर्शाने वाली कला या साहित्य के रूप में परिभाषित किया जाता था।
क्या है इसकी एतिहासिक पृष्ठभूमि
पॉर्नोग्राफ़ी शब्द भले ही आधुनिक हो किन्तु कामुक चित्रों के प्रदर्शन का इतिहास बहुत पुराना है। हालाँकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि, इसका कला के एक रूप से व्यवसायीकरण में परिवर्तन हो चुका है। प्राचीन काल में चित्रकला, मूर्तिकला, नाटकीय कला, संगीत और लेखन आदि के माध्यम से यौन प्रकृति के दृश्यों का प्रदर्शन होता था, जिसके अवशेष आज भी देखने को मिलते हैं। भारत में स्थित खजुराहो मंदिर इसका प्रमाण है।
ये चित्रण प्राचीन और आधुनिक लगभग हर सभ्यता द्वारा बनाए गए हैं। प्रारंभिक संस्कृतियों ने अक्सर यौन क्रिया को अलौकिक शक्तियों से भी जोड़ा। भारत, नेपाल, श्रीलंका, जापान और चीन जैसे एशियाई देशों में कामुक कला के प्रदर्शन का विशिष्ट आध्यात्मिक अर्थ है। प्राचीन यूनानियों और रोमनों ने कामुक प्रकृति की बहुत सारी कलाओं और सजावट का निर्माण किया, जिसका अधिकांश भाग उनकी धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक प्रथाओं से संबंधित था।
भारत में पॉर्नोग्राफ़ी से संबंधित कानून
पॉर्नोग्राफ़ी के अंतर्गत अश्लील सामग्री का उत्पादन, संग्रहण एवं वितरण शामिल हैं। चूँकि पॉर्नोग्राफ़ी से जुड़ी सामग्री वर्तमान में मुख्य रूप से केवल डिजिटल माध्यम में ही चलन में है अतः भारत में इसका नियमन सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम 2000 के द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त भारतीय दंड संहिता (IPC) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 में भी इस विषय के संबंध में प्रावधान हैं। देश में पॉर्नोग्राफ़ी कुछ अपवादों के साथ पूर्णतः प्रतिबंधित है।
निजी तौर पर पॉर्न देखना नहीं है गैर-कानूनी
भारत में निजी स्थान जैसे अपने घर में पॉर्न सामग्री देखना अवैध नहीं है। इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट नें जुलाई 2015 में देश में पोर्न वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि न्यायालय किसी वयस्क को उसके कमरे की गोपनीयता के भीतर पॉर्न देखने से नहीं रोक सकता।
यह व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का इस्तेमाल करने से रोकता है, जो व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। गौरतलब है कि बाल पॉर्नोग्राफ़ी या महिलाओं के खिलाफ बलात्कार या हिंसा को दर्शाने वाली अश्लील सामग्री देखना या संग्रहीत करना एक अपराध है, भले ही इसे निजी स्थान पर देखा जा रहा हो।
पॉर्न सामग्री का प्रोडक्शन एवं वितरण गैर-कानूनी
हालाँकि बंद कमरे में किसी व्यक्ति का पॉर्न देखना पूर्णतः कानूनी है, किन्तु देश में ऐसी किसी सामग्री को बनाना तथा किसी भी माध्यम से उसकी बिक्री या वितरण करना गैर-कानूनी है एवं इसके लिए सजा का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विपरीत किसी भी माध्यम में अश्लील सामग्री दिखाना तथा जानबूझकर किसी भी व्यक्ति के निजी क्षेत्र की छवि को उसकी सहमति के बिना कैप्चर, प्रकाशित या प्रसारित करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
भारतीय दंड संहिता में प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 292, 293, 294, 500, 506, 509, 354 में पॉर्नोग्राफ़ी के विभिन्न प्रकारों तथा उनसे संबंधित दंड का प्रावधान किया गया है।
आईपीसी की धारा 292
किसी अश्लील पुस्तक, कागज, रेखाचित्र, आकॄति या किसी भी अन्य अश्लील वस्तु को उत्पादित करना, बेचना, किराए पर देना, वितरित करना, प्रदर्शित करना अथवा ऐसे किसी कारोबार में भाग लेना या उससे लाभ प्राप्त करना, जिस कारोबार में व्यक्ति यह जानता है कि अश्लील वस्तुओं का उत्पादन, क्रय, आयात, निर्यात, लोक प्रदर्शन किया जा रहा है, पूर्णतः गैरकानूनी है।
ऐसे व्यक्ति को प्रथम दोषसिद्धि पर दो वर्ष तक के कारावास से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह दो हजार रुपए तक के आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। वहीं द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में उसे पाँच वर्ष के कारावास से दण्डित किया जाएगा तथा वह पाँच हजार रुपए तक के आर्थिक दण्ड के लिए उत्तरदायी होगा।
आईपीसी की धारा 293
आईपीसी की धारा 293 के तहत बीस वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को अश्लील वस्तुएं बेचना, वितरित करना तथा प्रदर्शित करना गैरकानूनी है। ऐसा करने के उपरांत प्रथम दोषसिद्धि पर तीन वर्ष तक की कैद तथा दो हजार रुपए तक का आर्थिक दंड दिया जा सकता है। द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में सात वर्ष तक का कारावास एवं पांच हजार रुपए तक के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 294
धारा 294 किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करना, अश्लील गाने गाना तथा ऐसी फिल्में प्रदर्शित करने को अपराध बनाती है। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 354
भारतीय दंड संहिता की धारा 354क के अनुसार, जो व्यक्ति किसी महिला को गलत निगाह रखते हुए छूता है, उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहता है, उसे उसकी इच्छा के विरूद्ध अश्लील साहित्य / पुस्तकें दिखाता है, या उस महिला पर अश्लील टिप्पणी / छीटाकशी करता है, तो वह यौन उत्पीड़न का दोषी होगा और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 354C Voyeurism के अपराध के लिए दंड का प्रावधान करती है। इस अपराध के तहत उन व्यक्तियों को दण्डित किया जाता है जो किसी स्त्री को किसी ऐसी परिस्थिति में देखते है या उसकी तस्वीर लेते है, जहाँ वह गोपनीयता की उम्मीद करती है, उदाहरण के लिए स्नान अथवा कपड़े बदलने के दौरान।
आईपीसी की धारा 509
भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री का अनादर करने के उद्देश्य से कोई आपत्तिजनक शब्द कहेगा, कोई ध्वनि उत्पन्न करेगा, कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा, इस आशय से कि उस स्त्री द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सुनी जाए, या ऐसी वस्तु देखी जाए इस स्थिति में व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए साधारण कारावास की सजा जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड अथवा दोनों से दण्डित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त पॉर्नोग्राफ़ी से संबंधित किसी भी कृत्य में संलग्न किसी व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) एवं 506 (आपराधिक धमकी) के तहत भी कार्यवाही की जा सकती है।
सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम 2000
सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम धारा 66 तथा 67 पॉर्नोग्राफ़ी (Pornography laws in India) के संबंध में प्रावधान करती हैं। धारा 66 के तहत विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध जैसे हैकिंग, अन्य व्यक्ति के अकाउंट्स को एक्सेस करना, किसी की गोपनीय या निजी सामग्री को पब्लिश करना तथा साइबर आतंकवाद आदि शामिल है।
अधिनियम की धारा 67 अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित करने को अवैध बनाती है। आइटी अधिनियम की धारा 67B इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्पष्ट यौन कृत्यों में बच्चों को चित्रित करने वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने को दंडनीय बनाती है।
बाल पॉर्नोग्राफ़ी (Child Pornography)
भारत समेत दुनियाँ के अधिकांश देशों में बाल पॉर्नोग्राफ़ी पूर्णतः प्रतिबंधित है। भारत में भी बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री का उत्पादन, वितरण तथा संग्रहण सभी प्रतिबंधित है। इसके लिए देश में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम 2012 के तहत प्रावधान किए गए हैं। इसकी कुछ प्रमुख धाराओं में निम्नलिखित हैं।
धारा 14
POCSO अधिनियम 2012 की धारा 14 के अनुसार अश्लील उद्देश्यों के लिए किसी बच्चे या बच्चों का उपयोग करना अपराध है, जिसमें कम से कम पाँच साल के कारावास का प्रावधान है। द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की स्थिति में जुर्माने के साथ न्यूनतम सात साल की सजा का प्रावधान है।
धारा 15
POCSO अधिनियम की धारा 15 में ऐसी किसी भी सामग्री का वितरण करना, उत्पादन करना, उसे संग्रहित करना, किसी भी माध्यम से प्रसारित या प्रचारित करना, प्रदर्शित करना, जो बच्चों को स्पष्ट रूप से अश्लील रूप में दर्शाती है, अवैध है। धारा 15 में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए चाइल्ड पॉर्नोग्राफ़ी (Pornography laws in India) रखने वाले किसी व्यक्ति के लिए तीन से पाँच साल के कारावास का प्रावधान है।
हालाँकि बाल पॉर्नोग्राफ़ी एवं महिलाओं के बलात्कार तथा हिंसा युक्त सामग्री पूर्णतः प्रतिबंधित है किन्तु ऐसी किसी सामग्री को अदालत में साक्ष्य के तौर पर पेश करने के उद्देश्य से संग्रहित करना गैर-कानूनी नहीं है। इसके अतिरिक्त जानकारी एवं जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ऐसी किसी सामग्री को वितरित करना भी गैर-कानूनी नहीं है।
राज कुन्द्रा मामला
भारत में पॉर्नोग्राफ़ी से संबंधित नियम एवं कानून हमनें ऊपर समझे, आइए अब जानते हैं हालिया विवाद को जिसमें कारोबारी राज कुन्द्रा को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किया गया है। राज कुन्द्रा पर पॉर्न फिल्मों को बनाने तथा उन्हें ऐप के माध्यम से वितरित करनें का आरोप है, इसके अतिरिक्त पुलिस का कहना है कि राज कुन्द्रा, फिल्मों में काम की तलाश में आई लड़कियों को काम का झासा देकर पॉर्न कॉन्टेन्ट बनवाता था।
हालाँकि मामले की अभी जाँच की जा रही है, किन्तु पुलिस पूर्व में इस बात को स्पष्ट कर चुकी है की उसके पास राज कुन्द्रा की गिरफ़्तारी के लिए पर्याप्त सबूत हैं। मामले में अभी तक राज कुन्द्रा समेत कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राज कुंद्रा पर ‘HotShots’ ऐप के माध्यम से अश्लील सामग्री को प्रसारित करने का आरोप है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुन्द्रा नें ऐप के माध्यम से पाँच महिनों में 1.17 करोड़ रुपये कमाए तथा 2023 तक इसे 34 करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य था।
कितना बड़ा है दुनियाँ में पॉर्नोग्राफ़ी व्यवसाय?
21वीं सदी की शुरुआत से जैसे जैसे इंटरनेट ने दुनियाँ में अपनी पहुँच बढ़ाई इसी के साथ पॉर्न उद्योग भी फलने फूलने लगा है। वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर पॉर्न इंडस्ट्री अरबों डॉलर की अर्थवव्यवस्था है। चूँकि अधिकांश पॉर्न कंपनियाँ निजी तौर पर संचालित की जाती हैं, इसलिए पूरी तरह से सटीक अनुमान प्राप्त करना असंभव है। 2019 में ग्लोबल ऑनलाइन पॉर्न मार्केट के 35.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था, जिसके 15.12% की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है।
कहाँ है पॉर्नोग्राफ़ी कानूनी?
पॉर्नोग्राफ़ी के वैश्विक स्तर पर वैधानिकता की बात करें तो कई देश हैं जहाँ यह पूर्णतः (चाइल्ड पॉर्नोग्राफ़ी को छोड़कर) कानूनी है, अर्थात ऐसे देशों में पॉर्न सामग्री बनाना, वितरित करना तथा संग्रहीत करना गैर-कानूनी नहीं है। इन देशों में मुख्य रूप से यूरोपीय एवं अमेरिकी देश शामिल हैं। नीचे चित्र में ऐसे विभिन्न देशों को दर्शाया गया है।
भारत में पॉर्न
भारत में स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुँच बढ़ने के चलते पॉर्नोग्राफ़ी बहुत लोकप्रिय हुई है, जिसमें पॉर्न वेबसाइट्स के कुल ट्रैफ़िक का 30% से 70% तक है। पॉर्नोग्राफ़ी दूरसंचार तथा इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों के लिए भी डेटा राजस्व का एक बड़ा हिस्सा बनता जा रहा है। साल 2018 में पॉर्न वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करने के एक वर्ष पूर्व 2017 में भारत सबसे अधिक पॉर्न देखे जाने वाले देशों में तीसरे स्थान पर था।
पोर्न देखने वालों में करीब 30% महिलाएं हैं। ब्राजील और अर्जेंटिना के बाद भारत में सबसे अधिक महिलाएं पॉर्न देखती हैं। एक प्रमुख पॉर्न वेबसाइट ने लॉकडाउन के दौरान भारतीयों द्वारा प्रतिदिन विजिट की गई वेबसाइट का डेटा जारी किया है।
सरकार के हालिया कदम
सरकार ने 2018 में कोर्ट के आदेश के बाद 857 अश्लील वेबसाइट्स को प्रतिबंधित कर दिया। कोर्ट द्वारा जारी तीन आदेशों के बाद सरकार ने ये कदम उठाया। इन आदेशों में दो आदेश साल 2016 एवं 2017 में मुंबई में एस्प्लेनेड कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए जबकि तीसरा आदेश उत्तराखंड उच्च न्यायालय का था।
2018 में देहरादून में बलात्कार के एक आरोपी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में कहा कि उसे पॉर्न फिल्म देखने के बाद अपराध करने का प्रोत्साहन मिला जिसके बाद न्यायालय ने पॉर्न वेबसाइट को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया। भारत में पोर्न पर प्रतिबंध लगाने के पीछे सरकार द्वारा निर्दिष्ट मुख्य कारण चाइल्ड पॉर्नोग्राफ़ी और ऐसे पॉर्नोग्राफ़ी जिसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा को दर्शाया गया है को समाप्त करना था।
Informative article….great content with facts….
Thank You! Rohit