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क्या है लेज़र तकनीक? (Meaning of LASER in Hindi)

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नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज हम चर्चा करेंगे लेज़र प्रौद्योगिकी (Meaning of LASER in Hindi) की और जानेंगे यह कैसे काम करते हैं एवं किन किन क्षेत्रों में इसके प्रयोग से हमारा जीवन आसान हो रहा है।

क्या है लेज़र तकनीक?

LASER का पूरा नाम LIGHT AMPLIFICATION BY STIMULATED EMMISION OF RADIATION है। यह एक ऐसी युक्ति है जो प्रेरित उत्सर्जन (Stimulated Emission) के प्रयोग द्वारा प्रकाश का प्रवर्धन करती है। दृश्य प्रकाश की तरह यह प्रकृति में नहीं पाई जाती है इसे प्रेरित उत्सर्जन द्वारा प्राप्त किया जाता है।

आइये समझते हैं प्रेरित उत्सर्जन (Stimulated emission) क्या है? जैसा की आप जानते हैं कोई भी वस्तु छोटे छोटे परमाणुओं से मिलकर बनी होती है जो इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है। प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में पाए जाते हैं जबकि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर अलग अलग कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं।

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प्रत्येक कक्षा में चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉन की एक निश्चित ऊर्जा होती है जब किसी इलेक्ट्रॉन को बाहर से अतिरिक्त ऊर्जा दी जाती है तो वह अपनी कक्षा को त्याग कर उच्च ऊर्जा वाली कक्षा में प्रवेश कर जाता है इसे किसी इलेक्ट्रॉन की उत्तेजित अवस्था कहा जाता है  यह प्रक्रिया स्वाभाविक अवशोषण (Spontaneous absorption) कहलाती है।

यह ही पढ़ें : जानें क्या है प्रकाशवैद्युत प्रभाव (Photoelectric Effect) तथा दैनिक जीवन में इसके अनुप्रयोग

उच्च कक्षा में इलेक्ट्रॉन बहुत कम समय (10-8 सेकेंड) तक ही रह पाता है तथा पुनः अपनी कक्षा में लौटता है। इस स्थिति में इलेक्ट्रॉन अवशोषित की गई ऊर्जा को फोटॉन के रूप में उत्सर्जित करता है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक उत्सर्जन (Spontaneous Emission) कहलाती है। इस प्रकार उत्सर्जित किन्हीं दो फोटॉन की तरंगदैर्ध्य तथा दिशा सामान्य प्रकाश की भाँति भिन्न होती है।

साल 1917 में सर्वप्रथम अल्बर्ट आइंस्टीन ने बताया यदि इलेक्ट्रॉन द्वारा वापस अपनी कक्षा में आने पर उत्सर्जित किये गए फोटॉन को किसी अन्य उत्तेजित इलेक्ट्रॉन के संपर्क में लाया जाए तो वह इलेक्ट्रॉन अपनी मूल कक्षा में जल्दी वापस आ जाता है तथा दो फोटॉन उत्सर्जित करता है। इन दोनों फोटॉन की आवृत्ति, दिशा एवं तरंगदैर्ध्य समान होती है।

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एक ही कला (समान दिशा एवं तरंगदैर्ध्य) के फोटॉन प्राप्त करने की यह प्रक्रिया प्रेरित उत्सर्जन (Stimulated Emission) कहलाती है। इसका प्रयोग लेज़र प्रकाश प्राप्त करने में किया जाता है। इस प्रकार प्रेरित उत्सर्जन द्वारा साल 1960 में रूबी क्रिस्टल के परमाणुओं का प्रयोग कर अमेरिकी वैज्ञानिक Theodore Maiman ने पहली बार लेज़र प्रकाश प्राप्त किया।

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स्वाभाविक एवं प्रेरित उत्सर्जन /सौ. FiberLabs

साधारण प्रकाश तथा लेज़र में अंतर

प्रकाश तरंगों के रूप में गमन करता है तथा प्रत्येक तरंग की एक तरंगदैर्ध्य होती है। सूर्य से आने वाला या हमारे घरों में उपयोग होने वाला प्रकाश सफेद रंग का दिखाई देता है जो सात अलग अलग रंगों का मिश्रण होता है। प्रत्येक रंग की अपनी अलग तरंगदैर्ध्य तथा अलग ऊर्जा होती है। इसी कारण सफेद प्रकाश का विभिन्न रंगों में प्रकीर्णन होता है।

सूर्य के प्रकाश में मौजूद अलग अलग तरंगदैर्ध्य की तरंगें | सौ. नासा
सूर्य के प्रकाश में मौजूद अलग अलग तरंगदैर्ध्य की तरंगें / सौ. नासा

लेजर प्रकाश एक संकीर्ण प्रकाश पुंज है जिसमें सभी किरणें एक ही आवृत्ति एवं तरंगदैर्ध्य की होती हैं तथा एक ही दिशा में गमन करती है। यह प्रकाश एकवर्णी होता है तथा स्रोत से निकलने वाली सभी किरणें एक ही कला में होती है अतः यह प्रकाश स्रोत से निकलने के बाद सीधी रेखा में गमन करता हुआ केवल एक ही बिंदु पर फोकस होता है। इस कारण इसे अधिक दूरी तक भेजना संभव हो जाता है। इसके अतिरिक्त विचलन न होने के कारण सामान्य प्रकाश की तुलना में इसकी तीव्रता बहुत अधिक होती है।

एक ही कला में लेज़र तरंगें / सौ. नासा

लेज़र प्रकाश का निर्माण

आइये अब समझते हैं लेज़र प्रकाश किस प्रकार निर्मित किया जाता है? लेज़र प्रकाश के उत्सर्जन के लिए सर्वप्रथम किसी पदार्थ की आवश्यकता होती है जो ठोस (रूबी क्रिस्टल) या गैस (हीलियम, निऑन आदि) कुछ भी हो सकता है। इसी पदार्थ के परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को बाहर से उर्जा देकर उन्हें उत्तेजित किया जाता है तथा अंत में यही इलेक्ट्रॉन लेज़र प्रकाश का निमार्ण करते हैं।

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इस पदार्थ को एक चेंबर में रखा जाता है जिसका एक हिस्सा पूर्ण परावर्तक एवं दूसरा हिस्सा आंशिक परावर्तक होता है। जब कोई उत्तेजित इलेक्ट्रॉन किसी फोटॉन को उत्सर्जित करता है तब वह फोटॉन पूर्ण परावर्तक हिस्से से टकराकर पुनः परमाणु से टकराता है एवं अपनी ही आवृत्ति के अन्य फोटॉन उत्सर्जित करता है ये फोटॉन कम परावर्तक हिस्से से किरण पुंज के रूप में बाहर निकलते रहते हैं। जिसका उपयोग अलग अलग क्षेत्रों में किया जाता है।

लेज़र के अनुप्रयोग

लेज़र का प्रयोग वर्तमान में लगभग सभी क्षेत्रों शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, रक्षा आदि में किया जा रहा है। इस लेख के माध्यम से हम कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की चर्चा करंगे जिनमें लेज़र के प्रयोग से मानव जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

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संचार क्षेत्र

संचार के क्षेत्र में लेज़र तकनीक का महत्वपूर्ण उपयोग है। जैसा कि हमने पूर्व में बताया लेज़र प्रकाश एक किरण पुंज के रूप में सीधी रेखा में बिना विचलित हुए गति करता है। अतः इसके इसी गुण के कारण सूचनाओं को अधिक दूरी तक भेजने के लिए लेज़र (Meaning of LASER in Hindi) का उपयोग किया जाता है। आपने ऑप्टिकल फाइबर के बारे में अवश्य सुना होगा यह एक प्रकार की केबल है जिसमें प्रकाश के द्वारा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है। इसमें लेज़र प्रकाश की सहायता से ही सूचनाओं का सम्प्रेषण होता है।

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चिकित्सा क्षेत्र

चिकित्सा क्षेत्र में भी लेज़र का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। चिकित्सा क्षेत्र में इसका उपयोग गुर्दे की पथरी, आँखों की सर्जरी, दाँतों के इलाज़, हृदय से सम्बंधित बीमारियों के इलाज आदि में किया जाता है। इसके साथ ही इसका उपयोग चर्म रोगों जैसे मस्से, मुँहासे आदि के उपचार में भी किया जा रहा है।

रक्षा क्षेत्र

लेज़र तकनीक का रक्षा क्षेत्र में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। लेज़र किरणों का प्रयोग मिसाइलों एवं बंदूकों से निकलने वाली गोली के पथ निर्देशन में किया जाता है। शक्तिशाली लेज़र किरणों द्वारा शत्रु के विमानों या अन्य संसाधनों को भारी क्षति पहुँचाई जा सकती है। लेज़र (Meaning of LASER in Hindi) किरणों का प्रयोग कर शत्रु के स्थान की सटीक दूरी मापी जा सकती है तथा किसी निश्चित स्थान पर विस्फोट किया जा सकता है। दुर्गम क्षेत्रों में सरहद की सुरक्षा के लिए यह वरदान के सामान है जिससे अवैध घुसपैठ को पूर्णतः रोका जा सकता है।

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उद्योगों में

औद्योगिक क्षेत्रों में भी लेज़र का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है। यहाँ इसका उपयोग कठोर वस्तुओं स्टील, लोहे, हीरे आदि को काटने, रत्न प्रशंसकरण, कपड़ा कटाई, भवन सुरंग आदि निर्माण में किया जाता है। लेज़र प्रिंटर जिसके उपयोग से मुद्रण काफी आसान हो गया है वह लेज़र तकनीक का ही उदाहरण है। इसके अलावा किसी उत्पाद में मुद्रित बार कोड जिसमें उस उत्पाद की सम्पूर्ण जानकारी छिपी रहती है उसे पड़ने के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले बारकोड रीडर में भी लेज़र प्रकाश का ही उपयोग होता है।

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