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क्या है संविधान?
समाचारों या दैनिक जीवन में होने वाली राजनीतिक चर्चाओं में अक्सर संविधान का नाम सुनाई देता है किंतु बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती संविधान क्या है? या उनके मन में संविधान को लेकर कई संदेह होते हैं। आपको बता दें संविधान किसी भी देश को चलाने वाले नियम एवं कानूनों की एक किताब है जिसका पालन करना प्रत्येक नागरिक एवं सरकारों के लिए आवश्यक होता है। संविधान ही किसी आम नागरिक, सरकारों, किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों आदि को उनके अधिकार एवं कर्तव्य प्रदान करता है।
भारत की स्वाधीनता की शुरूआत
2 सितंबर 1945 को द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ तथा ब्रिटेन में लेबर पार्टी ने अपनी सरकार बनाई और क्लीमेंट एटली तत्कालीन प्रधानमंत्री बने। चूँकि विश्वयुद्ध के चलते ब्रिटेन आर्थिक एवं सैन्य रूप से पूर्व की तुलना में शक्तिशाली नहीं रहा था और इसके अतिरिक्त लेबर पार्टी मजदूर दलों, समाजवादी तथा लोकतांत्रिक विचारधारा वाले लोगों का संगठन था जो पूर्व की कंजरवेटिव पार्टी की तुलना में उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद की भावना से ग्रसित नहीं था।
इन दोनों ही कारणों तथा हिंदुस्तान में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन के चलते ब्रिटेन की नई सरकार ने हिंदुस्तान को सत्ता हस्तांतरण करने के बारे में विचार किया। परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने एक तीन सदस्यीय दल जिसे कैबिनेट मिशन कहा गया को भारत भेजा इस दल में सर स्टेफर्ड क्रिप्स, ए.वी. एलेक्जेंडर तथा पेथिक लॉरेंस शामिल थे।
कैबिनेट मिशन को भारत भेजने का मुख्य उद्देश्य भारत की तात्कालिक राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसकी स्वाधीनता पर विचार करना था। 24 मार्च 1946 को मिशन भारत पहुँचा तथा कांग्रेस और मुस्लिम लीग के साथ चर्चा की चूँकि मुस्लिम लीग एक अलग मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की माँग पर अड़ा रहा अतः चर्चा का कोई विशेष निष्कर्ष नहीं निकला अंत में मिशन ने भारत की स्वाधीनता के संबंध में निम्न सुझाव पेश किये।
- एक भारत संघ का गठन जिसमें ब्रटिश हुकूमत के क्षेत्र तथा देशी रियासतें शामिल होंगी तथा केंद्र सरकार के अधीन रक्षा, विदेश तथा संचार के मामले होंगे।
- देशी रियासतों को स्वतंत्र रहने या भारत संघ में जाने का विकल्प दिया गया तथा ब्रिटिश हुकूमत के क्षेत्रों को निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया जाएगा।
- A ( संयुक्त प्रांत, बम्बई, उड़ीसा, मद्रास तथा मध्य प्रान्त)
- B ( बलूचिस्तान, पंजाब, सिंध तथा नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रान्त)
- C ( असम, बंगाल)
- एक अंतरिम सरकार का गठन जो संविधान सभा का निर्माण करेगी।
संविधान का इतिहास
अंतरिम सरकार तथा संविधान सभा का गठन
संविधान निर्माण के लिए कैबिनेट मिशन के तहत अगस्त 1946 में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया जिसका मुस्लिम लीग ने विरोध किया तथा 16 अगस्त को सीधी कार्यवाही दिवस की घोषणा कर दी जिसका परिणाम यह हुआ कि बंगाल में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे तथा धीरे धीरे दंगों ने देश के विभिन्न भागों को अपनी चपेट में ले लिया। इससे गाँधी जी अत्यधिक आहत हुए तथा उन्होंने दंगों में सबसे प्रभावित क्षेत्र बंगाल के नोआखली का दौरा किया परिणामस्वरूप अक्टूबर 1946 आते आते शांति स्थापित हो गयी।
उधर तत्कालीन वायसराय लॉर्ड वेवेल की मध्यस्थता के कारण अक्टूबर 1946 तक मुस्लिम लीग भी अंतरिम सरकार में शामिल होने को राजी हो गयी। इसमें कुल 14 सदस्य थे जिनमें 6 कांग्रेस, 5 मुस्लिम लीग तथा 1- 1 सदस्य ईसाई, पारसी तथा सिख समुदाय से थे। मुस्लिम लीग का सरकार में शामिल होने का मुख्य उद्देश्य केवल पाकिस्तान की माँग को और मुखरता से उठाना ही था।
इसके पश्चात नवंबर 1946 में पहली बार संविधान सभा का गठन किया गया इस सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 होनी थी जिसमें 296 सीटें ब्रिटिश भारत को (जिसके लिए जुलाई और अगस्त 1946 में अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ और 208 सीटें कांग्रेस,73 सीटें मुस्लिम लीग तथा 15 सीटें स्वतंत्र समुदायों को प्राप्त हुई) तथा 93 सीटें देशी रियासतों (ऐसे क्षेत्र जो देशी राजाओं के अधिकार में थे) को आवंटित की गयी। देशी रियासतों की 93 सीटों में से कुछ में राजाओं ने अपने प्रतिनिधि नामित किये तथा अन्य सीटें खाली रही। खाली रहने वाली सीटों के राजाओं का मत था कि वे अपना स्वतंत्र प्रान्त बनाएंगे।
मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार में शामिल तो हो गयी किन्तु उसने संविधान सभा का विरोध किया नतीज़न यह निर्णय लिया गया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में संविधान सभा के निर्णय लागू नहीं किये जाएंगे। इसी के साथ कुल 211 सदस्यों ने संविधान सभा में हिस्सा लिया। जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, एवं सबसे वरिष्ठ सदस्य सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष बनाया गया तथा बाद में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को इस संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रूप में चुना गया। भारत के संविधान को बनाने के लिए कई अन्य देशों के संविधानों की भी सहायता ली गयी, जैसे नागरिकों को दिए जाने वाले मूल अधिकारों की अवधारणा अमेरिकी संविधान से ली गयी जबकि शासन की संसदीय प्रणाली ब्रिटिश संविधान से इसी प्रकार कई अलग अलग देशों के संविधानों की मदद ली गयी तथा उसे भारत के परिप्रेक्ष्य में किस हद तक लागू किया जाए इस पर विचार कर उन उपबंधों को भारत के संविधान में शामिल किया गया।
इस प्रकार भारत के संविधान के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हुई, तथा इस सभा द्वारा 2 वर्ष 11 माह तथा 17 दिन के समय के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान बनाकर तैयार कर दिया गया। (Indian Constitution in Hindi) चूँकि स्वतंत्रता आंदोलनकारियों द्वारा 1930 से प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था अतः संविधान सभा द्वारा संविधान को पूर्णतः लागू करने के लिए इसी दिन को चुना गया और तब से 26 जनवरी को हम प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मानते हैं।
भारत के संविधान (Indian Constitution in Hindi) की संरचना की बात करें तो मूल संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 22 भाग एवं 8 अनुसूचियाँ थी परंतु समय के साथ नए अनुच्छेद जुड़ते गए तथा वर्तमान में संविधान में कुल 422 अनुच्छेद 25 भाग एवं 12 अनुसूचियाँ हैं। आपको बता दें भारत का संविधान दुनियाँ का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है अतः इसे एक लेख में पूर्ण रूप से समझना संभव नहीं है। किन्तु हम यहाँ संविधान के प्रत्येक भाग के बारे में संक्षेप में चर्चा करेंगे जिससे आपके लिए पूरे संविधान की एक सरल छवि बना पाना आसान होगा। उम्मीद है दोस्तो आपको ये लेख (Indian Constitution- in Hindi) पसंद आया होगा टिप्पणी कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही अलग अलग क्षेत्रों के मनोरंजक तथा जानकारी युक्त विषयों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशियल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें। तथा इस लेख को सोशियल मीडिया मंचों पर अपने मित्रों, सम्बन्धियों के साथ साझा करना न भूलें।संविधान सभा की बैठक
संविधान की संरचना
भाग
अनुच्छेद
विषय
व्याख्या
1
1 से 4
संघ एवं उसके क्षेत्र
भारत एवं उसकी सीमाओं का वर्णन
2
5 से 11
नागरिकता
भारत के नागरिकों तथा भारत की नागरिकता ग्रहण व त्याग करने के संबंध में प्रावधान
3
12 से 35
मूल अधिकार
भारत के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का वर्णन
4
36 से 51
नीति निर्देशक तत्व
एक जनकल्याणकारी देश की स्थापना करने के लिए सरकारों को निर्देश।
4A
51A
मूल कर्तव्य
भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्यों की चर्चा
5
52 से 151
संघ
इसमें संसद, केंद्रीय मंत्रिपरिषद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय तथा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के बारे में प्रावधान हैं।
6
152 से 237
राज्य
इसमें राज्य सरकारों, राज्यपाल, उच्च न्यायालय आदि के संबंध में प्रावधान हैं।
7
238
निरस्त
निरस्त
8
239 से 242
संघ शासित प्रदेश
संघ शासित प्रदेशों के बारे में प्रावधान
9
243 से 243 (O)
पंचायतें
पंचायतों के संबंध में प्रावधान
9A
243 प से 243 ZG
नगरपालिकाएं
नगरपालिकाओं से संबंधित प्रावधान
9B
243ZH से 243 ZT
सहकारी समितियाँ
सहकारी समितियों की संरचना तथा कार्यों के संबंध में प्रावधान
10
244 से 244 A
अनुसूचित तथा जनजातीय क्षेत्र
अनुसूचित तथा जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन तथा ऐसे क्षेत्रों के बारे में अन्य प्रावधान
11
245 से 263
संघ राज्य संबंध
केंद्र तथा राज्य सरकारों के संबंधों के बारे में प्रावधान
12
264 से 300 A
संघ राज्य वित्तीय संबंध
केंद्र तथा राज्य सरकारों के मध्य वित्तीय संबंधों की चर्चा
13
301 से 307
व्यापार एवं वाणिज्य
भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य तथा समागम के सम्बंध में प्रावधान
14
308 से 323
लोक सेवाएं
लोक सेवाएं, उनकी शर्तें तथा नियुक्ति के संबंध में प्रावधान
14A
323A से 323B
अधिकरण
प्रशासनिक तथा अन्य अधिकरणों के सम्बंध में प्रावधान
15
324 से 329A
निर्वाचन
देश में चुनावी प्रक्रिया के सम्बंध में प्रावधान
16
330 से 342
विशेष उपबंध
कुछ वर्गों के सम्बंध में विशेष उपबंधों की चर्चा
17
343 से 351
भाषाएं
राजभाषा तथा अन्य भाषाओं की चर्चा
18
352 से 360
आपातकाल
देश में विभिन्न प्रकार के आपातकालों को घोषित करने संबंधित प्रावधान
19
361 से 367
विविध प्रावधान
विविध प्रावधान
20
368
संविधान संशोधन
संविधान के किसी प्रावधान में बदलाव या उसे निरस्त करने संबंधित प्रावधान
21
369 से 392
अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध
विभिन्न राज्यों के लिए विशेष उपबंध। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा जिसे अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया गया इसी भाग में उल्लिखित अनुच्छेद 370 के तहत दिया गया था।
22
393 से 395
संक्षिप्त नाम प्रारंभ आदि
संक्षिप्त नाम, प्रारंभ आदि