Full Form of UPSC in Hindi: यूपीएससी का फुल फॉर्म क्या है और इसके क्या काम हैं?

Full Form of UPSC in Hindi: किसी भी देश की सरकार को चलाने के लिए नौकरशाही अथवा ब्यूरोक्रेसी की आवश्यकता होती है, जो सरकार तथा जनता के मध्य एक कड़ी का कार्य करती है।

ब्यूरोक्रेसी विभिन्न क्षेत्रों में नीति निर्माण में सरकार का सहयोग करने से लेकर उन नीतियों का सुचारू रूप से क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करती है, लिहाजा इस बात में कोई दो राय नहीं है की सिविल सेवक शासन व्यवस्था की रीड़ हैं।

आज इस लेख के माध्यम से हम चर्चा करने जा रहे हैं देश में सिविल सेवा के इतिहास तथा ब्यूरोक्रेसी अथवा लोक सेवाओं में भर्तियां करवाने वाले निकाय यूपीएससी की। आगे विस्तार से समझेंगे यूपीएससी का पूरा नाम क्या है (Full Form of UPSC in Hindi), यूपीएससी के क्या कार्य हैं और इसकी शुरुआत कब की गई।

यूपीएससी का फुल फॉर्म क्या है?

यूपीएससी की फुल फॉर्म या इसका पूरा नाम संघ लोक सेवा आयोग या Union Public Service Commission है। यह केंद्र सरकार के लोक सेवकों (Civil Servants) की नियुक्ति के लिए देश का प्रमुख केंद्रीय निकाय है।

संघ लोक सेवा आयोग अखिल भारतीय सेवाओं के अतिरिक्त अन्य केन्द्रीय सेवाओं जैसे केंद्र सरकार के रक्षा सेवा संवर्ग आदि के तहत समूह A और समूह B के पदों की, प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से नियुक्तियाँ सुनिश्चित करता है। संघ लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जिसका उल्लेख संविधान के 14वें भाग में अनुच्छेद 315 से 323 तक किया गया है।

भारत में सिविल सेवा का इतिहास

भारत में सिविल सेवा के इतिहास को देखें तो इसकी जड़ें प्राचीन काल में दिखाई देती हैं। भारतीय सिविल सेवा सबसे पुरानी प्रशासनिक व्यवस्थाओं में एक है। हालाँकि पूर्व में भी कबीलों आदि में शासन चलाने के अपने तौर तरीके थे किन्तु एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था की शुरुआत प्राचीन भारत के मौर्य काल में प्रारंभ हुई। मौर्य शासन ने अध्यक्षों और राजुकों के नाम पर सिविल सेवकों को नियुक्त किया।

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कौटिल्य का ग्रंथ अर्थशास्त्र उस दौर में सिविल सेवा के विकसित होने का प्रमाण देता है। अर्थशास्त्र में सिविल सेवकों के चयन एवं पदोन्नति के सिद्धांतों, सिविल सेवा में नियुक्ति के लिए वफादारी की शर्तों तथा सिविल सेवकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के तरीके और उनकी आचार संहिता के बारे में बताया गया है। इसके बाद से यह व्यवस्था चलन में रही और प्रशासन के तरीके समय के साथ साथ उन्नत होते गए।

सन् 1600 में अंग्रेज सर्वप्रथम भारत में व्यापार के उद्देश्य से आए और धीरे धीरे उन्होंने वाणिज्य के अलावा देश की शासन व्यवस्था पर भी नियंत्रण स्थापित करना शुरू कर दिया। भारत लगभग दो सौ वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा, जैसे जैसे अंग्रेज भारत के विभिन्न क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में लेते गए उन्हें सरकारी कामकाज चलाने के लिए श्रमशक्ति की आवश्यकता महसूस हुई। इसी क्रम में 1833 के एक चार्टर के माध्यम से भारतीयों को सिविल सेवा में प्रवेश का अवसर मिला।

योग्यता के आधार पर सिविल सेवकों की भर्ती

देश में योग्यता के आधार पर सिविल सेवा की अवधारणा सर्वप्रथम 1853 में लॉर्ड मैकाले ने अपनी एक रिपोर्ट के द्वारा पेश की। रिपोर्ट ने ईस्ट इंडिया कंपनी की संरक्षण आधारित प्रणाली को समाप्त कर उसे एक स्थायी सिविल सेवा द्वारा प्रतिस्थापित करने की सिफारिश की, जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम अथवा योग्यता के आधार पर सिविल सेवकों का चयन किया जाए।

सिफारिशों के अनुसार 1854 में, लंदन में एक सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई और 1855 में प्रतियोगी परीक्षाएं शुरू की गईं। हालाँकि प्रारंभ में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षाएं केवल लंदन में आयोजित की जाती थीं और आयु सीमा 18 वर्ष से 23 वर्ष के बीच निर्धारित की गई थी।

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पाठ्यक्रम को भी बहुत हद तक ब्रिटिश लोगों के पक्ष में ढाला गया, जिससे भारतीयों के लिए परीक्षा में सफल होना मुश्किल हो गया। इसके बावजूद 1864 में सत्येंद्रनाथ टैगोर इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले प्रथम भारतीय बने।

लोक सेवा आयोग की स्थापना

भारत सरकार अधिनियम, 1919 के माध्यम से मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार लाए गए और भारतीयों द्वारा कई समय से चली आ रही माँग के चलते 1922 से सिविल सेवा परीक्षा भारत में भी होने लगी।

सर्वप्रथम इसे इलाहाबाद तथा बाद में दिल्ली में आयोजित किया जाने लगा। अधिनियम में सिविल सेवकों की नियुक्ति के लिए एक आयोग की स्थापना करने की बात भी कही गई, जिसे अंततः 1 अक्टूबर, 1926 को स्थापित किया गया। स्थापना के समय इसमें अध्यक्ष के अलावा चार अन्य सदस्य होते थे। ब्रिटेन की गृह सिविल सेवा के सदस्य सर रॉस बार्कर लोक सेवा आयोग के पहले अध्यक्ष बनाए गए। हालाँकि लंदन में भी सिविल सेवा आयोग द्वारा परीक्षा आयोजित की जाती रही।

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भारत सरकार अधिनियम, 1935 के द्वारा संघ के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग (Federal Public Service Commission) और प्रत्येक प्रांत या प्रांतों के समूह के लिए प्रांतीय लोक सेवा आयोग की परिकल्पना की गई।

परिणामस्वरूप 1 अप्रैल 1937 को अधिनियम के लागू होने के साथ लोक सेवा आयोग, संघीय लोक सेवा आयोग बन गया, जिसे देश की आजादी के बाद जनवरी 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के साथ, फैडरल पब्लिक सर्विस कमीशन से यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) में परिवर्तित कर दिया गया।

संघ लोक सेवा आयोग की वर्तमान संरचना

संघ लोक सेवा आयोग की संरचना की बात करें तो आयोग में एक अध्यक्ष तथा कुछ अन्य लगभग 9 से 11 सदस्य होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।

गौरतलब है कि संविधान में आयोग की संरचना को नियत नहीं किया गया है, राष्ट्रपति आवश्यकता के अनुसार आयोग की संरचना का निर्धारण कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की सेवा शर्तों को भी निर्धारित करते हैं।

अध्यक्ष समेत आयोग के सभी सदस्य पद ग्रहण करने की तारीख से 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो, अपना पद धारण करते हैं। हालाँकि आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य कभी भी राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकते हैं अथवा राष्ट्रपति भी संविधान में उल्लेखित प्रक्रिया जैसे 1) ऐसे किसी व्यक्ति के दिवालिया घोषित होने पर, 2) पदावधि के दौरान अपने कर्तव्यों के बाहर वेतन नियोजन में संलिप्त होने पर 3) मानसिक या शारीरिक अक्षमता के आधार पर इनके कार्यकाल से पहले इन्हें पद से हटा सकते हैं।

संघ लोक सेवा आयोग के कार्य

संघ लोक सेवा आयोग (Full Form of UPSC in Hindi) का प्रमुख कार्य अखिल भारतीय सेवाओं (भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा) तथा अन्य केन्द्रीय सेवाओं के पदों पर प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से नियुक्ति करना है। इसके अतिरिक्त आयोग के कुछ अन्य कार्य निम्नलिखित हैं।

(क) संघ लोक सेवा आयोग राज्य को किन्हीं ऐसी सेवाओं, जिनके लिए विशेष अर्हता वाले अभ्यर्थी अपेक्षित हैं, संयुक्त भर्ती की योजना अथवा प्रवर्तन में सहायता करता है।

(ख) आयोग किसी राज्य के राज्यपाल के अनुरोध पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के उपरांत किन्हीं विशेष मामलों में राज्य को सलाह दे सकता है।

(ग) आयोग कई मामलों जैसे सिविल सेवाओं में भर्ती की पद्धतियों से समबंधित, कार्मिक प्रबंधन आदि में सरकार को सलाह देने का कार्य भी करता है।

विधायिका से स्वतंत्रता

किसी भी संस्था के निष्पक्ष रूप से कार्य करने के लिए उसको विधायिका से कुछ हद तक स्वतंत्रता दी जानी आवश्यक है, इसी को ध्यान में रखते हुए संघ लोक सेवा आयोग को भी स्वतंत्रता दी गई है।

(क) संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों को संविधान में वर्णित कारणों के चलते केवल राष्ट्रपति हटा सकता है, यह उन्हें पदावधि की सुरक्षा प्रदान करता है।

(ख) अध्यक्ष तथा सदस्यों के सेवा की शर्तें राष्ट्रपति तय करता है, किन्तु इनमें कभी भी अलाभकारी परिवर्तन नहीं किए जा सकते।

(ग) आयोग का अध्यक्ष अपने कार्यकाल के बाद राज्य या केंद्र सरकार के अधीन किसी और नियोजन या नौकरी का पात्र नहीं होता। जबकि इसके अन्य सदस्य केवल संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अथवा किसी राज्य लोक सेवा के अध्यक्ष पद के लिए ही पात्र होते हैं।

(घ) अध्यक्ष तथा सदस्यों का वेतन, पेंशन तथा अन्य भत्ते भारत की संचित निधि से दिए जाते हैं अतः इनमें संसद में मतदान नहीं होता।

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली कुछ प्रमुख परीक्षाएं

  • Civil Service Examination
  • Indian Forest Service Examination
  • Combined Defense Services Examination
  • Engineering Services Examination
  • National Defense Academy Examination
  • Naval Academy Examination
  • Combined Medical Services Examination
  • Special Class Railway Apprentice
  • Indian Economic Service/Indian Statistical Service Examination
  • Combined Geoscientist and Geologist Examination
  • Central Armed Police Forces (Assistant Commandant)

सिविल सेवा परीक्षा के बारे में (Civil Service Examination)

हालाँकि संघ लोक सेवा आयोग कई प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करता है, जिनकी हमनें ऊपर चर्चा की, किन्तु इन सब में सिविल सेवा परीक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। इस परीक्षा के माध्यम से ही महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर नियुक्तियाँ की जाती है। सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय डाक सेवा समेत 20 से अधिक कई महत्वपूर्ण सेवाओं में भर्तियाँ की जाती हैं।

सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता स्नातक (Graduation) है। यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है, जिनमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार शामिल हैं।

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हर साल फरवरी से मार्च माह के मध्य परीक्षा की विज्ञप्ति जारी की जाती है, जिसमें लगभग 10 लाख से अधिक लोग आवेदन करते हैं। जबकि केवल 800 से 1000 (पदों के अनुरूप) अभ्यर्थी ही परीक्षा में सफल हो पाते हैं। इन चयनित अभ्यर्थियों को इनकी रैंक के अनुसार सेवाएं वितरित की जाती है। उदाहरणतः प्रथम 80 से 100 उम्मीदवार सबसे उत्कृष्ट सेवा आईएएस (IAS) के लिए चयनित होते हैं।

सिविल सेवा परीक्षा पाठ्यक्रम 2021 (UPSC Civil service Examination Syllabus 2021)

सिविल सेवा परीक्षा का संक्षिप्त पाठ्यक्रम निम्नलिखित हैं।

प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम

सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र क्रमशः “सामान्य अध्ययन” तथा “सिविल सेवा अभिवृत्ति परीक्षा” या (CSAT) शामिल हैं। सामान्य अध्ययन में भारत का इतिहास, भारत एवं विश्व का भूगोल, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समसामयिक घटनाएं, भारतीय राजव्यवस्था, आर्थिक एवं सामाजिक विकास, सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी आदि विषयों से संबंधित 100 प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक) पूछे जाते हैं। वहीं दूसरा प्रश्नपत्र (CSAT) क्वालीफाइंग प्रकृति का होता है, जिसमें सामान्य गणित, तार्किक शक्ति, डिसीजन मेकिंग, डेटा इंटरप्रिटेशन आदि विषयों से 80 प्रश्न (प्रत्येक 2.5 अंक) पूछे जाते हैं तथा उमीदवार को 33 फीसदी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होता है।

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

मुख्य परीक्षा में कुल नौ प्रश्नपत्र (7 प्रश्नपत्र अनिवार्य तथा 2 प्रश्नपत्र किसी एक वैकल्पिक विषय से संबंधित) होते हैं। वैकल्पिक विषय का चयन उम्मीदवार विज्ञप्ति में दिये गए विषयों में से कर सकता है। वहीं अनिवार्य प्रश्नपत्र निम्नलिखित हैं।

प्रश्नपत्र-1निबंध
प्रश्नपत्र-2सामान्य अध्ययन-1: (भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल तथा समाज)
प्रश्नपत्र-3सामान्य अध्ययन-2: (शासन व्यवस्था, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्नपत्र-4सामान्य अध्ययन-3: (प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा- प्रबंधन)
प्रश्नपत्र-5सामान्य अध्ययन-4: (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिवृत्ति)
प्रश्नपत्र-‘क’क्वालिफाइंग-1  अंग्रेज़ी भाषा
प्रश्नपत्र-‘ख’क्वालिफाइंग-2 हिंदी या संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कोई एक भाषा

परीक्षा के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम तथा आवश्यक योग्यताओं के लिए पीडीएफ़ डाउनलोड करें

यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली अन्य परीक्षाएं

सिविल सेवा परीक्षा के अलावा यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग द्वारा कई अन्य परीक्षाएं भी आयोजित करी जाती हैं, इनके बारे में यहाँ विस्तार से बताया गया है।

  • भारतीय वन सेवा परीक्षा (IFoS)

भारतीय वन सेवा परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए है, जो वन सेवा के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। IFoS अधिकारी पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव प्रबंधन, और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग से संबंधित कार्यों को देखते हैं। इस परीक्षा का सिलेबस सिविल सेवा परीक्षा जैसा ही होता है, लेकिन इसमें एक अतिरिक्त तकनीकी विषय शामिल होता है।

  • संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS)

संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) उन उम्मीदवारों के लिए है, जो भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, और भारतीय वायु सेना में अधिकारी बनना चाहते हैं। स्नातक उत्तीर्ण किये हुए उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। CDS के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों को रक्षा अकादमियों में प्रशिक्षण दिया जाता है।

  • अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा (ESE)

इसे इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (IES) परीक्षा भी कहा जाता है। यह परीक्षा सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के योग्य उम्मीदवारों का चयन करती है। इस परीक्षा के माध्यम से चयनित इंजीनियरों को सरकारी विभागों में तकनीकी और प्रबंधकीय कार्य सौंपे जाते हैं।

  • राष्ट्रीय रक्षा अकादमी परीक्षा (NDA)

एनडीए परीक्षा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और भारतीय नौसेना अकादमी (INA) में प्रवेश के लिए आयोजित होती है। यह उन युवाओं के लिए है, जो इण्टरमीडिएट अर्थात बारहवीं के बाद सैन्य सेवाओं में शामिल होना चाहते हैं। इस परीक्षा के बाद, चयनित उम्मीदवार NDA में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

  • नौसेना अकादमी परीक्षा

यह परीक्षा विशेष रूप से भारतीय नौसेना अकादमी (INA) में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है। INA में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले उम्मीदवार भारतीय नौसेना में विभिन्न पदों पर कार्य करते हैं। यह परीक्षा NDA परीक्षा के साथ ही आयोजित होती है।

  • संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा (CMS)

यह परीक्षा चिकित्सा पेशेवरों के लिए है, जो सरकारी अस्पतालों, रेलवे, और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल होना चाहते हैं। MBBS डिग्री धारक इस परीक्षा में भाग ले सकते हैं। चयनित उम्मीदवारों को विभिन्न सरकारी चिकित्सा संस्थानों में नियुक्त किया जाता है।

  • भारतीय आर्थिक सेवा/भारतीय सांख्यिकीय सेवा परीक्षा (IES/ISS)

यह परीक्षा अर्थशास्त्र और सांख्यिकी में विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों के लिए है। IES/ISS परीक्षा के माध्यम से चयनित उम्मीदवार योजना आयोग, वित्त मंत्रालय, और सांख्यिकी विभाग जैसे सरकारी विभागों में नियुक्त होते हैं।

  • संयुक्त भू-वैज्ञानिक और भू-विद परीक्षा

यह परीक्षा भूगर्भ विज्ञान और जियोफिजिक्स में विशेषज्ञता रखने वाले उम्मीदवारों के लिए है। चयनित उम्मीदवार भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और अन्य सरकारी संस्थानों में कार्यरत होते हैं।

  • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सहायक कमांडेंट) परीक्षा

यह परीक्षा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों जैसे सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, और सीआईएसएफ में सहायक कमांडेंट पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। चयनित उम्मीदवार बल के नेतृत्व और प्रबंधन से संबंधित जिम्मेदारियां निभाते हैं।

यूपीएससी से जुड़े महत्वपूर्ण FAQs

यूपीएससी क्या है, यूपीएससी की फुल फॉर्म क्या है तथा इसके क्या कार्य हैं इसे हमनें ऊपर लेख में विस्तार से समझा आइए अब यूपीएससी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों (FAQs) का उत्तर देखते हैं।

यूपीएससी की फुल फॉर्म क्या है?

यूपीएससी की फुल फॉर्म “Union Public Service Commission” है, जिसे हिंदी में “संघ लोक सेवा आयोग” कहते हैं।

यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम योग्यता क्या है?

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा के लिए उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक डिग्री होनी चाहिए।

यूपीएससी परीक्षा कितने चरणों में होती है?

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में आयोजित होती है:

  • प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)
  • मुख्य परीक्षा (Mains)
  • साक्षात्कार (Interview)

यूपीएससी परीक्षा में आयु सीमा क्या है?

यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की आयु 21 से 32 वर्ष होनी चाहिए। आरक्षित श्रेणियों जैसे एससी, एसटी, ओबीसी को आयु सीमा में छूट दी जाती है।

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए कौन-कौन सी किताबें पढ़नी चाहिए?

यूपीएससी की तैयारी के लिए एनसीईआरटी (NCERT) की पुस्तकें, प्रमुख संदर्भ पुस्तकें और दैनिक समाचार पत्र (जैसे, द हिंदू या इंडियन एक्सप्रेस) पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र और मॉक टेस्ट भी मददगार होते हैं।

यूपीएससी परीक्षा में कितने प्रयास (Attempts) की अनुमति है?

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रयासों की सीमा इस प्रकार है:

  • सामान्य श्रेणी: 6 प्रयास
  • ओबीसी: 9 प्रयास
  • एससी/एसटी: असीमित प्रयास (आयु सीमा तक)

यूपीएससी मुख्य परीक्षा में कितने विषय होते हैं?

मुख्य परीक्षा में कुल 9 पेपर होते हैं, जिनमें से दो पेपर क्वालिफाइंग (हिंदी/भारतीय भाषा और अंग्रेजी) होते हैं और अन्य सात पेपर मेरिट के लिए होते हैं।

क्या स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्र यूपीएससी परीक्षा दे सकते हैं?

हां, स्नातक के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे छात्र भी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन मुख्य परीक्षा से पहले उन्हें अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त करनी आवश्यक होती है।

सार-संक्षेप

यूपीएससी भारत का एक संवैधानिक निकाय है, जो सरकारी सेवाओं में योग्य उम्मीदवारों का चयन करता है। यूपीएससी की फुल फॉर्म हिन्दी में संघ लोक सेवा आयोग और अंग्रेजी में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन है। इसका उद्देश्य प्रशासनिक और तकनीकी सेवाओं में पारदर्शिता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करना है, जिससे देश की प्रगति में योगदान दिया जा सके।

उम्मीद है दोस्तो आपको यूपीएससी की फुल फॉर्म क्या है (Full Form of UPSC in Hindi) इस विषय से जुड़ा यह लेख पसंद आया होगा हमें कमेन्ट कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें।

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