नमस्कार दोस्तो! स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम चर्चा करने जा रहे हैं DNA एवं RNA के बारे में, समझेंगे शरीर में इनका क्या कार्य होता है तथा ये किस प्रकार एक दूसरे से भिन्न हैं।
कोशिका (Cell)
कोशिका जीवन की आधारभूत एवं क्रियात्मक इकाई है। समस्त जीवों का शरीर कोशिकाओं से ही मिलकर बना होता है। जीवन की सभी उपापचयी (Metabolic) क्रियाएं कोशिका में ही सम्पन्न होती हैं। कोशिका के भीतर बहुत से कोशिकांग पाए जाते हैं, जिनमें प्रत्येक का एक विशिष्ट कार्य होता है, कुछ प्रमुख कोशिकांग कोशिकाभित्ति, केन्द्रक, माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम्स, लायसोसोम्स, गॉल्जिकाय, अंतर्द्रवी जालिका तथा लवक आदि हैं। इनमें से कुछ जैसे कोशिकाभित्ति और लवक केवल पादप कोशिकाओं में ही पाए जाते हैं।
इन कोशिकांगो के कार्यों की बात करें तो इनमें माइटोकॉन्ड्रिया भोजन का ऑक्सीकरण कर हमें ऊर्जा प्रदान करता है इसीलिए इसे कोशिका का पॉवर हाउस कहा जाता है। इसके अतिरिक्त राइबोसोम्स प्रोटीन निर्माण, लायसोसोम्स कोशिका में बने अपशिष्ट पदार्थों का पाचन एवं गॉल्जिकाय प्रोटीन तथा वासा की पैकेजिंग का कार्य करते हैं, जबकि लवक केवल पादप कोशिकाओं में ही पाए जाते हैं, जो मुख्यतः पत्तों के हरे रंग, फूलों एवं फलों के रंग आदि के लिए जिम्मेदार होते हैं।
कोशिकाएं प्रमुखतः दो प्रकार की होती हैं प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक कोशिकाएं। प्रोकैरियोटिक से आशय ऐसी कोशिकाओं से है, जिनमें केन्द्रक पूर्ण विकसित नहीं होता, सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणुओं एवं विषाणुओं में ऐसी कोशिकाएं पाई जाती हैं। प्रोकैरियोटिक के विपरीत यूकैरियोटिक कोशिकाओं में केन्द्रक पूर्ण रूप से विकसित होता है अर्थात् केन्द्रक कोशिका के भीतर एक स्वतंत्र कोशिकांग के रूप में पाया जाता है। समस्त उच्च बहुकोशिकीय जीवों जैसे जंतुओं एवं पादपों में यूकैरियोटिक कोशिकाएं ही पाई जाती हैं।
डीएनए (Deoxyribonucleic Acid)
किसी भी जीवित प्राणी का शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जैसा की हमनें ऊपर बताया है। इन्हीं कोशिकाओं में केन्द्रक तथा केन्द्रक के अंदर DNA पाया जाता है, जो समस्त प्राणियों की अनुवांशिकता का आधार है यह एक न्यूक्लिकअम्ल है, जो कोशिका के केन्द्रक में धागेनुमा संरचना में फैला होता है। केन्द्रक के अलावा यह कुछ मात्रा में माइटोकॉन्ड्रिया तथा लवक (क्लोरोप्लास्ट) में भी पाया जाता है।
यह भी पढ़ें : जानें मानव शरीर से जुड़े 25 रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य
यह मूल रूप से एक अनुवांशिक पदार्थ है, जो लक्षणों अथवा गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाता है। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में यह सर्पिलाकार, जबकि प्रोकैरियोटिक, माइटोकॉन्ड्रिया तथा लवक में यह वृत्ताकार होता है। डीएनए मुख्य रूप से तीन पदार्थो से मिलकर बना होता है।
- शर्करा
- नाइट्रोजनी क्षार
- फॉस्फेट ग्रुप
नाइट्रोजनी क्षार मुख्यतः ४ प्रकार के होते हैं एडिनीन (A), गुआनिन (G), साइटोसिन (C) एवं थायमीन (T) इनमें केवल एडिनीन तथा थायमीन आपस में दो हाइड्रोजन बंध के द्वारा एवं गुआनिन तथा साइटोसिन आपस में तीन हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ सकते हैं। डीएनए की संरचना की बात करें तो यह चित्र में दर्शाए अनुसार डबल हेलिकल होती है, डीएनए की इस संरचना को जेम्स वाटसन तथा फ्रांसिस क्रिक ने प्रस्तुत किया, जिसके लिए उन्हें संयुक्त रूप से 1962 का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
जीन (Gene)
डीएनए के संक्षिप्त परिचय के बाद समझते है जीन के बारे में, जीन डीएनए का ही एक भाग है, जिसे हम आनुवंशिकता की इकाई कह सकते हैं। जीवों के शरीर में विशिष्ट लक्षणों जैसे बालों का रंग, आँखों का रंग, कद, त्वचा का रंग सभी का निर्धारण किसी न किसी जीन द्वारा ही होता है। ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट के अनुसार मनुष्य के शरीर में लगभग 30,000 जीन होते हैं। ये जीन अपना कार्य एक विशिष्ट एंजाइम द्वारा करते हैं।
उदाहरणतः कोई जीन कोशिका से एक खास तरीके के एंजाइम का उत्पादन करवाता है, फिर यही उत्पादित एंजाइम शरीर में किसी विशिष्ट उपापचयी क्रिया का नियंत्रण करता है तथा अंत में उस क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले लक्षणों को शरीर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
आरएनए (Ribonucleic Acid)
आइए अब समझते हैं आरएनए को यह भी एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल ही है। यह कोशिका के अंदर कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है, जिसकी संरचना सिंगल हेलिकल होती है। यह भी शर्करा, नाइट्रोजनी क्षार तथा फॉस्फेट ग्रुप से बना होता है अंतर केवल इतना है कि, इसमें थायमीन क्षार के स्थान पर यूरेसिल क्षार पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य प्रोटीन निर्माण में सहायता करना है।
जहाँ डीएनए एक आनुवांशिक पदार्थ है (DNA and RNA in Hindi) वहीं आरएनए एक गैर-आनुवांशिक पदार्थ है अर्थात् लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने में सामान्यतः आरएनए की कोई भूमिका नहीं होती है, किन्तु कुछ विषाणुओं में यह अनुवांशिक पदार्थ के रूप में भी काम करता है।
RNA के प्रकार
प्रकारों की बात करें तो आरएनए मुख्यतः तीन प्रकार का होता है।
mRNA : यह डीएनए में अंकित (मुख्यतः किसी जीन में अंकित) सूचना को प्रोटीन निर्माण वाले स्थान पर लाने का कार्य करता है, जिससे आवश्यक प्रोटीन का निर्माण किया जा सके।
rRNA : इसका मुख्य कार्य प्रोटीन बनाने वाले राइबोसोम्स के संरचनात्मक संगठन में सहायता प्रदान करना है। यह समस्त आरएनए का तकरीबन 80% भाग होता है।
tRNA: यह अमीनो अम्ल, जिससे राइबोसोम्स प्रोटीन निर्माण करते हैं, को प्रोटीन निर्माण स्थल तक लाने का कम करता है। tRNA की संरचना का पता लगाने में डॉ हरगोविंद खुराना का महत्वपूर्ण योगदान रहा इसी कारण उन्हें दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ संयुक्त रूप से 1968 में चिकित्सा का नोबेल दिया गया।
यह भी पढ़ें : CRISPR/Cas-9 तकनीक क्या है तथा चिकित्सा क्षेत्र में इससे क्या फायदे होंगे?
उम्मीद है दोस्तो आपको ये लेख (Difference Between DNA and RNA in Hindi) पसंद आया होगा टिप्पणी कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशियल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें एवं इस लेख को सोशियल मीडिया मंचों पर अपने मित्रों, सम्बन्धियों के साथ साझा करना न भूलें।