क्लाउड कम्प्यूटिंग क्या है?
कंप्यूटर हमारी डिजिटल दुनियाँ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। डिजिटल सेवाओं को उपलब्ध करवाने से लेकर उनका इस्तेमाल करने के लिए कंप्यूटर का होना बेहद जरूरी है। एक कंप्यूटर की सहायता से किसी कार्य विशेष को पूरा करने की प्रक्रिया को कम्प्यूटिंग (Computing) कहते हैं और यदि यही काम किसी वर्चुअल या आभासी कंप्यूटर द्वारा किया जाए तो इसे क्लाउड कम्प्यूटिंग कहा जाता है। इस प्रकार के कार्यों में किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना, किसी सॉफ्टवेयर का निर्माण करना, डेटा स्टोर करना आदि हो सकते हैं।
ये आभासी कंप्यूटर विभिन्न कंपनियों द्वारा उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध करवाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल इंटरनेट की सहायता से किया जा सकता है। आपके द्वारा YouTube पर देखी जाने वाली वीडियो भी क्लाउड कम्प्यूटिंग का ही हिस्सा है इस स्थिति में आप किसी अन्य कंप्यूटर में मौजूद सूचना को इंटरनेट के मध्यम से ग्रहण करते हैं।
क्लाउड कम्प्यूटिंग का इतिहास
हालाँकि वर्तमान में क्लाउड कम्प्यूटिंग सेवाएं अत्यधिक चलन में है, किन्तु यह परिकल्पना आज की नहीं है इसका इतिहास बहुत पुराना है। 1955 में John McCarthy जिन्होंने मूल रूप से “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” शब्द पहली बार इस्तेमाल किया, ने उपयोगकर्ताओं के पूरे समूह के मध्य कंप्यूटिंग क्षमता को साझा करने पर विचार किया।
ऐसा सोचने के पीछे मुख्य उद्देश्य इस दौर में कंप्यूटर का अत्यधिक महँगा होना था, जिसे अधिकांश व्यवसायों के लिए खरीद पाना संभव नहीं था। मैकार्थी का “टाइम-शेयरिंग” का सिद्धांत उपलब्ध कंप्यूटिंग क्षमता का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करने के साथ-साथ छोटी कंपनियों के लिए कंप्यूटिंग सेवा उपलब्ध कराने में आवश्यक हो सकता था, जो अपने स्वयं के संसाधन खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।
इसके बाद धीरे-धीरे प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में हुए विकास ने इस धारणा को बल दिया। 1960 के दशक में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक J.C.R. Licklider नें कंप्यूटरों के एक वैश्विक नेटवर्क की अवधारणा पेश की जिसके द्वारा किसी सूचना, प्रोग्राम को किसी भी स्थान से प्राप्त करना संभव हो सके।
J.C.R. Licklider की यही परिकल्पना आज क्लाउड कम्प्यूटिंग के रूप में जानी जाती है। इस परिकल्पना को इस दशक के आखिरी में Bob Taylor तथा Larry Roberts द्वारा ARPANET के द्वारा विकसित किया गया। यही ARPANET और विकसित होकर आज इंटरनेट के रूप में हमारे सामने है।
1997 में पहली बार क्लाउड कम्प्यूटिंग शब्द को परिभाषित किया गया। 1999 में Salesforce.com ने एक साधारण वेबसाइट का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं को एप्लिकेशन उपलब्ध करवाना शुरू किया। 2002 में, Amazon ने Amazon Web Services की शुरुआत की, जिसके माध्यम से स्टोरेज, कंप्यूटेशन जैसी सेवाएं प्रदान की जाने लगी।
2009 में, गूगल ने भी गूगल एप्स के माध्यम से क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा प्रदान करना शुरू किया। वर्तमान में सैकड़ों की संख्या में कंपनियाँ क्लाउड कम्प्यूटिंग की सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
क्लाउड कम्प्यूटिंग की आवश्यकता
क्लाउड कम्प्यूटिंग सैकड़ों ऑनलाइन सेवाओं की ही भाँति एक सेवा है, जिसमें कोई व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से अपनी आवश्यकता के अनुसार कंप्यूटर शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है।
दिन प्रतिदिन हम डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे में डिजिटल सेवाओं का उन्नत होना आवश्यक हो जाता है और इस कार्य में किसी कंप्यूटर की कार्य क्षमता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कई कार्यों जैसे किसी सॉफ्टवेयर का निर्माण करने, किसी बड़े सॉफ्टवेयर को चलाने, अत्यधिक मात्रा में सूचना को स्टोर करने या किसी वेबसाइट को होस्ट करने आदि के लिए अत्यधिक कंप्यूटर शक्ति की आवश्यकता होती है, जबकि हमारे द्वारा सामान्यतः प्रयोग किए जाने वाले कंप्यूटरों के संसाधन जैसे CPU, RAM, ROM इत्यादि इन कार्यों हेतु पर्याप्त नहीं होते।
इन संसाधनों को स्वयं वहन कर पाना भी किसी साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में संसाधनों को स्वयं खरीदने के बजाए इंटरनेट के माध्यम से किराए पर उपयोग करना बेहद सरल एवं आर्थिक रूप से भी किफायती होता है।
क्लॉउड कम्प्यूटिंग सेवा के प्रकार
Cloud Computing सेवा विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए मुख्यतः तीन प्रकार से उपलब्ध कराई जाती है।
- Software as a Service (SaaS)
- Platform as a Service (PaaS)
- Infrastructure as a Service (IaaS)
Software as a Service in Hindi
Software as a Service (SaaS) में क्लॉउड कम्प्यूटिंग सेवा प्रदाता अपने संसाधनों (हार्डवेयर) का उपयोग कर किसी सॉफ्टवेयर को होस्ट करता है तथा उपयोगकर्ता को इंटरनेट की सहायता से उनका इस्तेमाल करने की सुविधा प्रदान करता है।
उपयोगकर्ता को उस सॉफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि किसी वेब ब्राउज़र या सेवा प्रदाता द्वारा दी गई किसी एप्लीकेशन की मदद से इसका उपयोग इंटरनेट द्वारा किया जा सकता है। वास्तविक एप्लिकेशन क्लाउड सर्वर में चलती है जो उपयोगकर्ता के स्थान से बहुत दूर दुनियाँ के किसी अन्य कोने में हो सकता है। इसका उपयोग अंतिम उपयोगकर्ता अर्थात सामान्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है।
इसके इस्तेमाल को देखते हुए SaaS को ऑन-डिमांड सॉफ़्टवेयर के रूप में भी जाना जाता है। इसके उदाहरण की बात करें तो इस श्रेणी में जीमेल, YouTube, सोशियल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म समेत माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस जैसे कई उत्पाद शामिल हैं।
SaaS द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाएं
Software as a Service (SaaS) के कुछ उदाहरण हमनें ऊपर दिए हैं, जिनका हम दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं इसके अतिरिक्त SaaS का इस्तेमाल कई अन्य क्षेत्रों जैसे किसी कंपनी, संस्था आदि में ERP (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग), CRM (ग्राहक संबंध प्रबंधन), बिलिंग और बिक्री जैसी सेवाएं प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।
एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) सॉफ्टवेयर का एक प्रकार है जिसका उपयोग किसी व्यवसाय या संगठन की समस्त गतिविधियों जैसे लेखांकन, खरीद, परियोजना प्रबंधन, जोखिम प्रबंधन, अनुपालन और आपूर्ति श्रृंखला संचालन आदि को स्वचालित और सरल बनाने के उद्देश्य से किया जाता है।
वहीं CRM या ग्राहक संबंध प्रबंधन सॉफ्टवेयर का प्रयोग किसी व्यवसाय तथा ग्राहक के मध्य सूचना प्रबंधन के लिए किया जाता है। ग्राहक किसी भी व्यवसाय के महत्वपूर्ण घटक होते हैं, अतः किसी व्यवसाय की सफलता अपने ग्राहकों के साथ उसके द्वारा बनाए गए संबंधों पर निर्भर करती है। CRM सॉफ्टवेयर ग्राहक डेटा को बेहतर ढंग से व्यवस्थित और एक्सेस करने में मदद करता है।
SaaS के फायदे एवं नुकसान
फायदे एवं नुकसान किसी भी प्रोद्योगिकी के साथ हमेशा जुड़े रहते हैं, हालांकि आधुनिक व्यवसायों अथवा उपयोगकर्ताओं के लिए SaaS के फायदे इसके नुकसान से कहीं अधिक हैं। SaaS के फ़ायदों की बात करें तो यह उपयोगकर्ता को किसी भी उपकरण तथा किसी भी स्थान से SaaS एप्लिकेशन में लॉग इन कर इसका प्रयोग करने की सुविधा मुहैया करवाता है, जिसके चलते कोई उपयोगकर्ता अपनी सूचनाओं को कहीं से भी एक्सेस कर सकता है।
उपयोगकर्ता को इस प्रकार के सॉफ्टवेयर के प्रबंधन जैसे डेटाबेस अथवा कम्प्यूटिंग क्षमता को बढ़ाने आदि की आवश्यकता भी नहीं होती। इसके अतिरिक्त बेहद कम कीमत में इन सेवाओं का उपलब्ध होना भी इनका एक महत्वपूर्ण फायदा है।
इसके नुकसान को देखें तो SaaS सॉफ्टवेयर्स की बढ़ती पहुँच उपयोगकर्ता की पहचान तथा डेटा सुरक्षा के लिए भी चुनौतियाँ पेश करती है। कई जानी-मानी कंपनियों से उपयोगकर्ताओं के डेटा चोरी की खबरें समय के साथ देखने को मिलती रहती हैं।
इसके अलावा SaaS सॉफ्टवेयर्स द्वारा सूचनाओं तक उपयोगकर्ता की पहुँच उपयोगकर्ता की पहचान पर आधारित होती है, यदि किसी के पास सही लॉगिन क्रेडेंशियल हैं, तो उसे सूचना उपलब्ध कारवाई जाती है। अतः एक मजबूत पहचान सत्यापन SaaS के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।
Platform as a Service in Hindi
Platform as a Service (PaaS) में सेवा प्रदाता किसी उपयोगकर्ता को यह सुविधा देता है कि वे किसी प्रोग्राम को बना सकें तथा उसका परीक्षण कर सकें। PaaS का वितरण मॉडल SaaS के समान है, यह इंटरनेट पर सॉफ़्टवेयर वितरित करने के बजाए सॉफ़्टवेयर निर्माण हेतु एक मंच प्रदान करता है। इस प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल सामान्यतः डेवलपर्स द्वारा किया जाता है। गूगल एप इंजन, हेरोकू आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
PaaS सेवा प्रदाता किसी सॉफ्टवेयर के निर्माण में आवश्यक सभी संसाधनों को क्लाउड के माध्यम से उपलब्ध करवाता है, जिसमें Development tools, Middleware, Operating systems, Database management आदि शामिल हैं।
Development Tools : डेवेलपमेंट टूल्स के अंतर्गत ऐसे टूल्स शामिल हैं, जो किसी डेवलपर्स के लिए सॉफ़्टवेयर निर्माण तथा उसके विकास हेतु आवश्यक हैं। इनमें कोड एडिटर, डिबगर, कंपाइलर समेत कई महत्वपूर्ण टूल्स होते हैं।
Middleware : मिडलवेयर एक सॉफ्टवेयर है जो किसी डिस्ट्रीब्यूटेड नेटवर्क में दो या दो से अधिक एप्लिकेशन या एप्लिकेशन घटकों के मध्य संचार या कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है। मिडलवेयर डेवलपर्स को अधिक कुशलता के साथ एप्लिकेशन बनाने में मदद करता है।
Operating System : किसी सॉफ्टवेयर के निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न टूल्स को चलाने अथवा कंप्यूटिंग डिवाइस पर अन्य एप्लिकेशन चलाने के लिए जिस सॉफ्टवेयर या प्लेटफ़ॉर्म की आवश्यकता होती है उसे ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है।
Database Management : डेटाबेस प्रबंधन जैसा की इसके नाम से स्पष्ट है किसी उपयोगकर्ता को उसके डेटा को व्यवस्थित, संग्रहीत, पुनर्प्राप्त एवं समस्त डेटा का प्रबंधन करने की सुविधा देता है।
PaaS के फायदे एवं नुकसान
PaaS के इस्तेमाल से डेवलपर्स को अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म, बैकएंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण तथा कॉन्फ़िगरेशन के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती। अतः PaaS के साथ, डेवलपर्स को केवल कोड लिखने तथा सॉफ्टवेयर के परीक्षण की आवश्यकता होती है।
PaaS का इस्तेमाल करना स्वयं के संसाधनों के इस्तेमाल करने की तुलना में कहीं कम लागत वाला होता है। क्लाउड होस्टिंग की वेब-आधारित प्रकृति के कारण PaaS उत्पादों को किसी भी समय किसी भी डिवाइस पर कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है, जिससे किसी सॉफ्टवेयर के विकास में अलग-अलग सदस्यों के लिए दुनियाँ में कहीं से भी सहयोग करना आसान हो जाता है।
इसके नकारात्मक पहलुओं में पुनः डेटा सुरक्षा प्रमुख है, डेटा की सुरक्षा पूर्णतः थर्ड पार्टी क्लाउड प्रदाता पर निर्भर रहती है इसके अतिरिक्त कई PaaS प्रदाता कंपनियाँ अपने उपयोगकर्ता के डेटा प्रबंधन हेतु किसी अन्य SaaS प्रदाता कंपनी पर निर्भर होती हैं, अतः डेटा लीक होना एक मुख्य चुनौती है।
हालांकि निजी क्लाउड सेवा का इस्तेमाल कर इस खतरे को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा यदि कोई PaaS प्रदाता अपनी वर्तमान संरचना में कुछ परिवर्तन करने का निर्णय लेता है, तो यह किसी डेवलपर्स के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है।
Infrastructure as a Service in Hindi
Infrastructure as a Service (IaaS) में सेवा प्रदाता द्वारा कम्प्यूटिंग संसाधनों को आभासी रूप से उपलब्ध कराया जाता है, जिसके चलते इसे Hardware as a Service भी कहा जाता है। IaaS ग्राहकों को आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सर्वर, नेटवर्किंग, प्रोसेसिंग, स्टोरेज, वर्चुअल मशीन और अन्य संसाधनों का इस्तेमाल करने की सुविधा मुहैया करवाता है।
ऐसा करने के लिए, क्लाउड सेवा प्रदाता आमतौर पर अपने स्वयं के डेटा सेंटर विकसित करते हैं जहाँ संबंधित हार्डवेयर संग्रहीत एवं प्रबंधित किया जाता है। इसके अंतर्गत आने वाली सेवाओं में वेब सर्वर उपलब्ध करना, डेटा का स्टोरेज आदि हैं। गूगल ड्राइव, जिओ क्लाउड, वेब होस्टिंग आदि इसके उदाहरण हैं।
IaaS के फायदे एवं नुकसान
IaaS के उपयोग द्वारा उपयोगकर्ता स्वयं सर्वरों को खरीदने और उनको प्रबंधित करने की लागत और जटिलता से बच सकता है। IaaS के प्रत्येक संसाधन को एक व्यक्तिगत सेवा घटक के रूप में पेश किया जाता है जिससे उपयोगकर्ताओं को केवल किसी संसाधन विशेष के उपयोग करने का अवसर मिल पाता है जिसकी उन्हें आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त स्वयं के संसाधनों की तुलना में कहीं सस्ते दामों में सेवा का उपलब्ध होना, डेटा के स्थानांतरण में सुविधा आदि इसके कुछ अन्य फायदे हैं।
हालाँकि IaaS के नुकसान को देखें तो यह इसके फ़ायदों की तुलना में बहुत हद तक कम हैं किन्तु अन्य क्लाउड कम्प्यूटिंग सेवाओं की भाँति इसके भी कुछ नकारात्मक पहलू हैं। उपयोगकर्ता का डेटा सेंटर या उसके भीतर किसी भी बुनियादी ढांचे पर पूर्ण रूप से नियंत्रण स्थापित करना संभव नहीं है।
सेवा प्रदाता के खराब प्रबंधन के चलते कई परिस्थितियों में उपयोगकर्ता को कुछ डाउन टाइम का सामना भी करना पड़ता है, जो उपयोगकर्ता द्वारा विकसित किसी एप्लिकेशन अथवा डेटा तक उसकी पहुँच को प्रभावित करता है।
क्लाउड कम्प्यूटिंग के कुछ अन्य फायदे
हमनें क्लाउड कम्प्यूटिंग के विभिन्न प्रकारों के फ़ायदों एवं नुकसान को ऊपर समझा। अन्य क्षेत्रों में इसके कुछ फायदे निम्नलिखित हैं।
डेटा को कहीं भी एक्सेस करने की सुविधा
जहाँ आपके कंप्यूटर में रखा गया डेटा केवल आपके कंप्यूटर तक सीमित है वहीं क्लॉउड कम्प्यूटिंग का इस्तेमाल करने पर आपका डेटा दुनियाँभर में कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है। यह किसी कंपनी, संगठन या संस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है।
डेटा प्रबंधन की सुविधा
कर्मचारियों के डेटा का प्रबंधन करने के लिए किसी कंपनी को अधिक मात्रा में हार्डवेयर तथा लोगों की आवश्यकता होती है वहीं क्लाउड कम्प्यूटिंग के इस्तेमाल से कुछ मासिक किराया देकर कंपनी यह कार्य क्लाउड कम्प्यूटिंग सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी से करवा सकती है इस प्रकार कर्मचारियों के डेटा के प्रबंधन में होने वाला खर्च बच जाता है।
वेबसाइट होस्ट करने में
किसी वेबसाइट को होस्ट करने एवं उसके संचालन करने के लिए भी आपको कई संसाधनों जैसे सर्वर, उच्च गुणवत्ता वाले कम्प्यूटर आदि की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त आपको 24 घण्टे बिजली तथा अच्छे इंटरनेट कनेक्शन की ज़रूरत भी होगी इन सबकी कीमत किसी आम व्यक्ति के लिए वहन करना संभव नहीं है। ऐसे में किसी कंपनी से ये सभी सेवाएं किराए में लेना एक अच्छा विकल्प होता है।
डेटा की सुरक्षा
आपके कंप्यूटर में रखा डेटा कम्प्यूटर के खराब हो जाने या चोरी हो जाने की दशा में खो सकता है, जबकि क्लॉउड कम्प्यूटिंग में आपको, आपके डेटा की सुरक्षा की भी गारंटी मिलती है। यहाँ आपका डेटा कई अलग अलग सर्वर्स में बैकअप के रूप में सुरक्षित रखा जाता है।
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