भारत सरकार ने आज ( 15 दिसम्बर ,2025 ) को लोकसभा में नया बिल पेश किया है जिसका नाम ‘विकसित भारत -गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण ) बिल है एक बिल पुराने मनरेगा कानून की जगह लेगा।
यहाँ इस नए बिल की मुख्य बाते आसान भाषा में समझें ;
महत्वपूर्ण बदलाव –
नए बिल में काम की गारंटी 125 दिन कर दी गयी है जो पुरानी योजना में केवल 100 दिन थी।
पहले मजदूरी का पूरा पैसा केंद्र सरकार देती थी लेकिन अब 60 % केंद्र और 40 % राज्य सरकारें देंगी।
पहले पूरे साल काम मिल सकता था लेकिन अब खेती के पीक सीजन में काम रोका जा सकता है जिससे किसानों को मजदूर मिल सकें।
पहले 15 दिनों के भीतर भुगतान होता था जो की अब साप्ताहिक भुगतान अनिवार्य होगा।

सरकार यह बदलाव क्यों कर रही है –
सरकार का कहना है की 20 साल पुराने कानून को आधुनिक बनाने और ‘विकसित भारत ‘ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए है।
इस बिल का उद्देश्य सिर्फ रोजगार देना ही नहीं बल्कि सम्पत्ति का निर्माण करना भी है जिसके तहत पक्की सड़के ,तालाब और जरुरी प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे।
विवाद और आलोचना –
इस बिल पर सबसे बड़ा विवाद पैसों को लेकर है पहले मजदूरों का पूरा पैसा केंद्र सरकार देती थी जो अब 40 % राज्य सरकारों को देना पड़ेगा ,जिससे राज्यों के बजट में भरी असर पड़ेगा।
आलोचकों का कहना है की मांग आधारित सिस्टम को हटाकर फिक्स बजट लाने से काम की गारंटी कमजोर होगी। अगर बजट खत्म हो जाता है तो काम मिलना भी बंद हो जायेगा।
स्कीम से महात्मा गाँधी का नाम हटाने पर विपक्ष विरोध कर रहा है। मिडिया में भी इसकी कड़ी आलोचना हो रही है।



