क्या है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश? (Foreign Direct Investment (FDI) in Hindi)

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विदेशी निवेश

हमनें भुगतान संतुलन वाले लेख में पूँजी खाते के अंतर्गत विदेशी निवेश के बारे में संक्षेप में चर्चा की थी। आइये विदेशी निवेश को विस्तार से समझते हैं। जब कोई देश विकासात्मक कार्यों के लिए घरेलू स्रोतों से पर्याप्त साधन नहीं जुटा पाता तब उस देश द्वारा विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु प्रयास किये जाते हैं। हाँलाकि विदेशी निवेशकों का मुख्य उद्देश्य घरेलू संसाधनों के अधिकतम दोहन द्वारा लाभ अर्जित करना ही होता है किंतु संसाधनों का अधिकतम दोहन देश के विकास के लिए भी आवश्यक है।

निवेश के प्रकार

विदेशी निवेश के प्रकारों से आशय है कि किन किन तरीकों से देश में विदेशी निवेश किया जा सकता है। विदेशी निवेश मुख्यतः दो प्रकार से किया जा सकता है।

  1. FDI
  2. FPI

FDI ( प्रत्यक्ष विदेशी निवेश)

FDI या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अंतर्गत देश में विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त नए कौशल तथा तकनीक का भी आगमन होता है। इस निवेश का मुख्य उद्देश्य किसी देश में सेवाओं तथा वस्तुओं का उत्पादन कर उनसे लाभ अर्जित करना होता है जो एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है अतः FDI एक स्थायी पृवत्ति का निवेश है। देशी उद्योगों में विदेशी निवेशकों का प्रभुत्व न हो इसलिए प्रत्येक क्षेत्र में FDI के लिए कुछ सीमाएं तय की गई हैं। कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र तथा इनमें हो सकने वाले अधिकतम FDI के बारे में नीचे दिया गया है।

FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश)

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का मुख्य उद्देश्य अल्पकालिक समय में लाभ कामना होता है अतः यह निवेश मुख्यतः शेयर बाज़ार में किया जाता है। गौरतलब है की किसी कंपनी में 10% से अधिक विदेशी निवेश को FDI की श्रेणी में रखा जाता है। 

भारत में FDI

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मुख्यतः दो मार्गों से किया जा सकता है। जिनमें पहला है ऑटोमैटिक रूट इसमें किसी गैर-निवासी निवेशक या भारतीय कंपनी को निवेश करने के लिए सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होती है। अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु भारत में अधिकांश निवेश इसी मार्ग से आता है। दूसरा विकल्प है मंजूरी मार्ग इसमें निवेश करने से पूर्व भारत सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक होता है। आइए अब कुछ क्षेत्रों को देखते हैं और समझते हैं इन क्षेत्रों में किस मार्ग से कितनी सीमा तक विदेशी निवेश किया जा सकता है। 

SectorAutomatic RouteApproval Route
ऑटोमोबाइल100%
एयरपोर्ट (ग्रीनफील्ड एवं ब्राउनफील्ड)100%
कैमिकल100%
विनिर्माण100%
रक्षा74%74% से अधिक
डिजिटल मीडिया26%
ई-कॉमर्स100%
मेडिकल उपकरण100%
हैल्थकेयर (ब्राउनफील्ड)74%74% से अधिक
हैल्थकेयर (ग्रीनफील्ड)100%
रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर100%
रोड एवं हाइवे100%
दूरसंचार सेवा49%49%से अधिक
पर्यटन एवं होटल100%
टेक्सटाइल100%

कुछ प्रतिबंधित क्षेत्र

देश की संप्रभुता को देखते हुए कुछ विशेष क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर रोक है। ऐसे क्षेत्र निम्नलिखित हैं।

  • सरकारी या गैर-सरकारी लौटरी
  • सट्टेबाजी या कसीनो
  • चिट फंड
  • नाभिकीय ऊर्जा
  • तंबाकू उत्पाद जैसे सिगरेट, सिगार आदि

विदेशी निवेश का देश पर प्रभाव

आइये अब बात करते हैं विदेशी निवेश का देश पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में।

सकारात्मक प्रभाव

विदेशी निवेश के सकारात्मक प्रभाव निम्न हैं।

संसाधनों का दोहन

वर्तमान स्थिति की बात करें तो भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है तथा देश में उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण रूप से दोहन करने के लिए देश में आवश्यक तकनीकी का अभाव है अतः संसाधनों का पूर्णरूप से इस्तेमाल किया जा सके इसके लिए विदेशी निवेश की आवश्यकता है।

आधारभूत संरचना का निर्माण

देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि में आधारभूत संरचना की स्थिति खराब है जिस कारण देश की आर्थिक विकास दर धीमी है। अतः देश में आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए विदेशी निवेश आवश्यक है।

द्वितीयक क्षेत्र का विकास

अर्थव्यवस्था में द्वितीयक या विनिर्माण क्षेत्र (कच्चे माल से निर्मित उत्पाद) की महत्वपूर्ण भूमिका है जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान बहुत कम है। अतः इस क्षेत्र में विदेशी निवेश द्वारा देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।

रोजगार

विदेशी निवेश का एक महत्वपूर्ण फायदा तकनीकी हस्तांतरण है ताकि देश किसी तकनीकी विशेष में आत्मनिर्भर बन सके। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ने के चलते रोजगार के अवसरों का भी सृजन होता है जिसकी देश को अधिक आवश्यकता है।

नकारात्मक प्रभाव

किसी क्षेत्र विशेष में अधिक मात्रा में विदेशी निवेश के कारण घरेलू कंपनियों तथा उद्योगों को इसका नुकसान होता है। इसके अतिरिक्त अत्यधिक मात्रा में विदेशी निवेश किसी देश की संप्रभुता के लिए भी हानिकारक है।

विदेशी निवेश का देश पर सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं इसके बावजूद विदेशी निवेश देश के विकास के लिए आवश्यक है। अतः सरकार को चाहिए कि ऐसी नीतियों का निर्माण किया जाए जिनसे घरेलू उद्योगों का भी संरक्षण किया जा सके तथा विदेशी निवेश का शत प्रतिशत लाभ भी देश को मिले।

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