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विदेशी मुद्रा विनियमन
कोई भी देश पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन सकता अतः अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करना सभी देशों की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षण एवं नियमन किसी भी देश के लिए अहम हो जाता है। भारत में भी इस संबंध में 1947 में एक कानून बनाया गया जिसे पुनः 1999 में संशोधित कर नए रूप में लागू किया गया। इस लेख में हम इन दोनों कानूनों (FERA and FEMA in Hindi) के बारे में समझेंगे।
FERA in Hindi
विदेशी मुद्रा के संरक्षण तथा विनियमन के लिए साल 1947 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम FERA बनाया गया तथा इस कानून के तहत रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा का संरक्षक बनाया गया। यह कानून विदेशी मुद्रा के संरक्षण पर अधिक बल देता था तथा इसके प्रावधानों के उल्लंघन करने पर कठोर सजा के प्रावधान थे।
FEMA in Hindi
साल 1991 में आए आर्थिक संकट के बाद देश की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण की नीति अपनाई गई फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आसान हो गया। किन्तु इसके क्रियान्वयन के लिए विदेशी मुद्रा के बेहतर प्रबंधन तथा विकास की आवश्यकता थी। हाँलकी इसके लिए कानून पूर्व में बनाया गया था जिसके बारे में हमनें ऊपर बताया है किन्तु वह विदेशी मुद्रा के प्रबंधन से अधिक संरक्षण पर बल देता था। इसी कारण 1999 में विदेशी मुद्रा नियमन हेतु बनाए गए पुराने कानून के स्थान पर नए कानून विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FERA and FEMA in Hindi) को लाया गया जो 1 जून 2000 से प्रभाव में आया।
FEMA के तहत प्रावधान
फेमा कानून के अंतर्गत देश के निवासियों तथा गैर-निवासियों के मध्य होने वाले विदेशी मुद्रा के लेन-देन के लिए नियम कानून बनाए गए हैं। कानून के अलग अलग भाग हैं जो इस कानून के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करते हैं।
किन पर लागू होगा कानून ?
यह कानून भारत में स्थाई रूप से निवास कर रहे प्रत्येक व्यक्ति (Permanent Residents of India) पर लागू होता है। गौरतलब है की यहाँ PRI से आशय केवल किसी व्यक्ति से नहीं है अपितु, 1) कोई हिन्दू अविभाजित परिवार, 2) भारत में पंजीकृत कोई भी कंपनी, एजेंसी, संस्था, फर्म आदि, 3) किसी PRI द्वारा विदेशों में संचालित कोई कंपनी, ऑफिस, संस्था, फर्म, एजेंसी आदि, 4) किसी विदेशी कंपनी की भारत में खोली गई कोई शाखा, ऑफिस आदि को भी PRI की ही श्रेणी में रखा गया है।
फेमा (FEMA in Hindi) कानून ऐसे प्रत्येक व्यक्ति पर भी लागू होता है जो ऊपर बताई गई किसी भी श्रेणी से संबंधित हों तथा उन्होंने देश से बाहर कानून के किसी प्रावधान का उल्लंघन किया हो। इस कानून के तहत नियामक की भूमिका में केंद्र सरकार है जबकि नियमों को लागू करवाने का काम भारतीय रिजर्व बैंक का है। इसके अतिरिक्त प्रशासनिक निकाय के रूप में प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) है।
कौन हैं स्थाई भारतीय निवासी (PRI)?
कानून में स्थाई भारतीय निवासियों जो इस कानून के दायरे में आते हैं को परिभाषित किया गया है। किसी व्यक्ति के PRI होने के लिए मुख्यतः दो शर्तें रखी गई हैं तथा दोनों शर्तों का लागू होना आवश्यक है। पहली शर्त देश में निवास की समयावधि है तथा दूसरी शर्त निवास करने का कारण।
यदि कोई व्यक्ति जिसनें पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में 183 या इससे अधिक दिनों तक निवास किया हो तथा उसके निवास का कारण 1) व्यवसाय 2) रोजगार या कोई भी ऐसा उद्देश्य जिसके लिए व्यक्ति अनिश्चित काल के लिए भारत में रह रहा है, में से कोई एक हो तो वह व्यक्ति भारत का स्थाई निवासी समझा जाएगा।
इसके अतिरिक्त कोई भारतीय नागरिक जो उक्त तीन कारणों के चलते किसी अन्य देश में निवास कर रहा है उसे भारत का स्थाई निवासी नहीं माना जाएगा। इस प्रकार इस कानून का संबंध किसी व्यक्ति की नागरिकता से नहीं है। वहीं किसी कंपनी या संस्था आदि की स्थिति में यदि कंपनी का नियंत्रण किसी PRI के पास है या किसी ऐसी कंपनी जिसका नियंत्रण PRI के पास नहीं है किन्तु उसकी कोई शाखा, ऑफिस इत्यादि भारत में मौजूद हैं तो उसे भी PRI समझा जाएगा।
विदेशी मुद्रा तथा प्रतिभूतियों के संबंध में प्रावधान
कानून के भाग 3 में विदेशी मुद्रा तथा प्रतिभूतियों (Forex and Foreign Security) के लेन-देन के संबंध में नियम बताए गए हैं। इसके तहत ऐसे किसी व्यक्ति से विदेशी मुद्रा या प्रतिभूतियों का लेन देन करना जिसे रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत न किया गया हो, किसी गैर-निवासी के पक्ष में किसी भी प्रकार का भुगतान तथा भारत में किया गया कोई भुगतान जिसके कारण विदेश में किसी संपत्ति या परिसंपत्ति का अर्जन होता हो (हवाला) को प्रतिबंधित किया गया है।
चालू खाते से संबंधित लेन-देन हेतु प्रावधान
चालू खाते में किसी देश के निवासियों तथा गैर निवासियों के मध्य होने वाले उत्पाद तथा सेवा के आयात-निर्यात, रेमिटेन्स, डोनेशन, लाभांश, ब्याज आदि का रिकॉर्ड दर्शाया जाता है। फेमा कानून में चालू खाते से संबंधित भुगतानों के लिए नियम बनाए गए हैं जिन्हें Foreign Exchange Management (Current Account Transactions) Rules, 2000 नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित तीन अनुसूचियाँ शामिल हैं।
अनुसूचि 1 – भुगतान प्रतिबंधित: इसके तहत लौटरी टिकट, प्रतिबंधित मैगजीन तथा फूटबॉल टीम को खरीदना, किसी भारतीय कंपनी द्वारा विदेश में स्थित अपनी किसी शाखा को निर्यात की एवज में कमीशन देना, लौटरी की जीत को बाहर भेजना, रेसिंग आदि से प्राप्त आय को बाहर भेजना आदि प्रतिबंधित है। गौरतलब है कि निर्यात की एवज में कमीशन का डॉलर में भुगतान करना प्रतिबंधित है जबकि रुपये में कितनी भी राशि का कमीशन दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त चाय तथा तंबाकू के निर्यात की स्थिति में कुल राशि के 10% तक का कमीशन डॉलर में देने की छूट है।
अनुसूचि 2 – भुगतान के लिए केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी आवश्यक: इसके तहत विदेश में किसी सांस्कृतिक यात्रा से संबंधित खर्च के लिए, सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा विदेशी निवेश एवं पर्यटन को बढ़ावा देने से संबंधित विज्ञापनों के अतिरिक्त “विदेशी प्रिन्ट मीडिया” में किसी विज्ञापन के खर्च के लिए यदि वह 10,000 डॉलर से अधिक राशि का हो, किसी इनाम की राशि तथा स्पोर्ट्स से संबंधित किसी स्पॉन्सरशिप के लिए विदेश में 1 लाख डॉलर से अधिक के खर्च, विदेश में टेलीविजन एवं इंटरनेट सेवा उपलब्ध करवाने के लिए किराए में लिए गए ट्रांसपॉन्डर के किराए का भुगतान आदि के लिए सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक है।
अनुसूची 3 – भुगतान के लिए रिजर्व बैंक की पूर्व मंजूरी आवश्यक: इसके तहत कोई व्यक्ति एक वित्त वर्ष के दौरान केवल 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा के भीतर निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा का लाभ उठा सकता है। निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए उक्त सीमा से अधिक किसी भी अतिरिक्त भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी।
- भूटान तथा नेपाल के अतिरिक्त किसी देश में निजी यात्रा का खर्च
- गिफ्ट एवं डोनेशन
- विदेश में रोजगार हेतु जाना
- विदेश में प्रवास
- विदेश में अपने संबंधियों को खर्च भेजना
- व्यापार के लिए यात्रा, चिकित्सा उपचार के लिए किसी रोगी के संबंधी के रूप में यात्रा
- विदेश में चिकित्सा का खर्च
- विदेश में शिक्षा का खर्च
गौरतलब है की विदेश में प्रवास, चिकित्सा तथा शिक्षा के खर्च हेतु कोई व्यक्ति 2,50,000 डॉलर की सीमा से अधिक भी खर्च कर सकता है यदि प्रवास किये जाने वाले देश, चिकित्सा संस्थान तथा विश्वविद्यालय द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है।
पूँजी खाते से संबंधित लेन-देन
पूँजी खाते के तहत ऐसे लेन देन शामिल हैं जिनमें किसी देश के निवासी द्वारा विदेश में किसी परिसंपत्ति का अर्जन या उन्हें बेचा जाता है। कानून में चालू खाते से संबंधित भुगतानों के लिए नियम बनाए गए हैं जिन्हें Foreign Exchange Management (Permissible Capital Account Transection) Regulation, 2000 नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत 2 अनुसूचियाँ तथा एक प्रतिबंधित सूची शामिल है।
अनुसूचि 1 : यह अनुसूचि किसी PRI को विदेश में पूँजी खाते से संबंधित लेन-देन करने की छूट देती है। इसके अंतर्गत आने वाले कुछ मुख्य लेन-देनों में विदेशी प्रतिभूतियों (शेयर, बॉंडस तथा डिबेंचर्स) में निवेश, भारत तथा विदेशों में लिए गए विदेशी मुद्रा ऋण, भारत के बाहर किसी अचल संपत्ति का हस्तांतरण, भारत और भारत के बाहर विदेशी मुद्रा खातों का रखरखाव, किसी विदेशी बीमा कंपनी से बीमा खरीदना, किसी परिसंपत्ति का भारत के बाहर प्रेषण, किसी PROI से ऋण प्राप्त करना या ऋण देना आदि शामिल हैं।
अनुसूचि 2 : यह अनुसूचि किसी PROI या गैर-निवासी को भारत में पूँजी खाते से संबंधित लेन-देन करने की छूट देता है। इसके अंतर्गत भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण, भारत में विदेशी मुद्रा खाते का रखरखाव, भारतीय प्रतिभूतियों (शेयर, बॉंडस तथा डिबेंचर्स) में निवेश, किसी परिसंपत्ति का भारत के बाहर प्रेषण, किसी PRI से ऋण प्राप्त करना या ऋण देना आदि शामिल हैं।
प्रतिबंधित लेन-देन : इस सूची में पूँजी खाते से संबंधित ऐसे लेन-देन शामिल हैं, जिन्हें PRI तथा PROI के लिए प्रतिबंधित किया गया है। किसी PRI के लिए ऐसा कोई पूँजी खाता लेन-देन, जिसकी आदेश S.O. 1549(E) के अनुसार अनुमति नहीं है, Financial Action Task Force (FATF) द्वारा असहयोगी देशों की सूची में रखे गए किसी भी देश से पूंजीगत लेन-देन, उत्तर कोरिया, उत्तर कोरिया में पंजीकृत किसी कंपनी या संस्था से पूंजीगत लेन-देन प्रतिबंधित हैं।
वहीं किसी गैर-निवासी (PROI) की बात करें तो ऐसे व्यक्ति के लिए TDRs (Transferable Development Rights), कृषि एवं रोपण, निधि कंपनी, पुनर्विकास से संबंधित रियल स्टेट बिजनेस, सरकार की मंजूरी के बिना चिट फंड में निवेश आदि में लेन-देन करना प्रतिबंधित है।
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FEMA Vs FERA in Hindi
दोनों कानूनों में मुख्य अंतर की बात करें तो जहाँ FERA विदेशी मुद्रा के संरक्षण पर बल देता था वहीं FEMA का मुख्य उद्देश्य देश में विदेशी मुद्रा का विकास करना है। FERA के प्रावधानों के उल्लंघन पर कठोर दंड की व्यवस्था थी जबकि FEMA के प्रावधानों के उल्लंघन पर केवल आर्थिक दंड या जुर्माने की व्यवस्था है, जहाँ FERA के अंतर्गत दोषसिद्धि का दायित्व व्यक्ति पर होता था वहीं FEMA के आने के बाद यह दायित्व जाँच एजेंसी पर होगा।
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कानून में दंड हेतु प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति फेमा (FERA and FEMA in Hindi) के प्रावधानों या फेमा के तहत जारी किसी नियम, निर्देश, विनियमन, आदेश या अधिसूचना का उल्लंघन करता है, तो उस पर इस तरह के उल्लंघन में शामिल राशि के तीन गुना या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि इस तरह का उल्लंघन भविष्य में जारी किया जाता है तो उस स्थिति में वह एक और दंड का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा जो उल्लंघन जारी रहने के दौरान प्रत्येक दिन के लिए 5,000 रुपये तक हो सकता है।
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