SWIFT क्या है? कैसे काम करता है तथा अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में इसकी क्या भूमिका है?

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जैसे-जैसे दुनियाँ डिजिटलाइजेशन की तरफ बढ़ रही है विभिन्न क्षेत्रों समेत अर्थव्यवस्था में भी इसका असर दिखाई दिया है। हम पारंपरिक मुद्रा (कागजी मुद्रा) के बजाए डिजिटल मुद्रा अथवा प्लास्टिक मुद्रा (क्रेडिट/डेबिट कार्ड) का अधिक इस्तेमाल करने लगे हैं और ऐसा करने का एक मुख्य कारण इसका सुरक्षित एवं सुविधाजनक होना है। वर्तमान दौर में हमारा स्मार्टफोन कई अन्य कार्यों के अतिरिक्त एक बटुए का कार्य भी कर रहा है, जिससे राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय किसी भी प्रकार का मौद्रिक लेन-देन मिनटों में संभव हो पाता है।

हालाँकि हम कोई लेन-देन मिनटों में पूरा कर लेते हैं, किन्तु ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है, बल्कि किसी एक खाते से मुद्रा के दूसरे खाते (उदाहरणार्थ आपके खाते से किसी मर्चेन्ट के खाते में) तक पहुँचने में इसे कई चरणों से गुजरना पड़ता है और यदि कोई लेन-देन अंतर्राष्ट्रीय हो तब यह प्रक्रिया थोड़ी और जटिल हो जाती है।

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चूँकि बात ऑनलाइन भुगतान (खासकर अंतर्राष्ट्रीय भुगतान) की हो रही है अतः आज इस लेख के माध्यम से विस्तार में समझेंगे एक ऐसी व्यवस्था को, जो वर्तमान में किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय भुगतान या लेन-देन को सम्पन्न करने के लिए उत्तरदाई है। हम यहाँ बात कर रहे हैं SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications) की, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।

बीते 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ़ युद्ध की शुरुआत की गई, जो आज की तारीख तक जारी है। रूस की इस आक्रामकता के जवाब में पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर SWIFT प्रतिबंध लगाया गया तब से यह विषय सुर्खियों में है। आज इस लेख में समझेंगे SWIFT क्या है? इसे कब एवं क्यों शुरू किया गया? SWIFT कैसे कार्य करता है तथा किसी देश को SWIFT से प्रतिबंधित करने के क्या परिणाम हो सकते हैं।

क्या है SWIFT?

SWIFT या Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication जैसा कि, इसके नाम से भी पता चलता है, एक मैसेजिंग प्रणाली है। इसे व्हाट्सएप के समान समझा जा सकता है, किन्तु व्हाट्सएप के विपरीत इस व्यवस्था का इस्तेमाल केवल दुनियाँ भर के वित्तीय संस्थान ही कर सकते हैं। SWIFT की शुरुआत का मुख्य उद्देश्य विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय बैंक) के बीच तेजी तथा सुरक्षित तरीके से संवाद करने का एक नेटवर्क बनाना था।

SWIFT नेटवर्क के द्वारा कोई जारीकर्ता बैंक किसी लेन-देन से जुड़ी जानकारी को प्राप्तकर्ता बैंक को प्रेषित करता है, जिसके आधार पर प्राप्तकर्ता बैंक लेन-देन को पूरा करता है। SWIFT के माध्यम से प्रतिदिन तकरीबन 40 मिलियन से अधिक वित्तीय लेन-देन से जुड़े संदेश भेजे जाते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर विभिन्न कंपनियों, सरकारों आदि का खरबों डॉलर का लेन-देन पूरा हो पता है।

गौरतलब है कि, SWIFT कोई वित्तीय संस्थान नहीं है। यह केवल एक संदेश प्रणाली है, जो सीधे तौर पर स्वयं लेन-देन को पूरा नहीं करता है, बल्कि यह वित्तीय संस्थानों के मध्य लेन-देन की जानकारी साझा करता है, ताकि ऐसे संस्थानों को कोई लेन-देन पूरा करने में आसानी हो सके।

SWIFT की शुरुआत तथा SWIFT से पूर्व अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन

SWIFT की शुरुआत से पूर्व Telex (Telegraphic Transfer) का इस्तेमाल इसके स्थान पर किया जाता था, हालाँकि यह भी एक अंतर्राष्ट्रीय संदेश प्रणाली थी, किन्तु इसमें कई खामियाँ थी, जिसके चलते आगे चलकर SWIFT की शुरुआत की गई। टेलेक्स द्वारा स्थानांतरित की जाने वाली जानकारी के लिए कोई मानकीकृत (Standardized) प्रारूप नहीं बनाया गया था।

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कोई मानकीकृत व्यवस्था ना होने के चलते इसमें प्रेषक को वित्तीय लेन-देन से जुड़ी जानकारी संकेतों के बजाए वाक्यों में भेजनी होती थी, जिससे मानवीय त्रुटि होने की अधिक संभावनाएं बनी रहती थी। इसके अतिरिक्त धीमी गति, सुरक्षा आदि कुछ अन्य कारण थे, जिसके चलते नई व्यवस्था की शुरुआत करने की आवश्यकता महसूस हुई।

इस समस्या के समाधान के तौर पर साल 1973 में अमेरिका तथा यूरोप आधारित 15 देशों के 239 बैंकों द्वारा एक एकीकृत अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन संचरण प्रणाली की शुरुआत की गई। साल 1977 में इसके पूर्णतः कार्यशील होने तक 22 देशों के 513 से अधिक वित्तीय संस्थान इससे जुड़ चुके थे। वर्तमान की बात करें तो इस प्रणाली का इस्तेमाल 200 से अधिक देशों के लगभग 11,000 से अधिक वित्तीय संस्थान कर रहे हैं।

कैसे कार्य करता है SWIFT?

SWIFT इससे जुड़े प्रत्येक संस्थान को एक युनीक कोड प्रदान करता है, ताकि उसे वैश्विक स्तर पर एक पहचान मिल सके। यह कोड स्विफ्ट कोड या बैंक पहचानकर्ता कोड (Bank Identifier Code) के रूप में जाना जाता है। SWIFT कोड सामान्यतः 8 तथा कुछ स्थितियों में 11 अल्फ़ान्यूमेरिक वर्णों का होता है।

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किसी बैंक के SWIFT कोड में शुरुआती चार वर्ण उस बैंक का नाम, अगले दो उस देश का नाम जहाँ उक्त बैंक की शाखा स्थित है और आखिरी दो वर्ण उस जगह को प्रदर्शित करते हैं, जहाँ बैंक की शाखा मौजूद है। कई बैंकों के संबंध में यह कोड 11 वर्णों का होता है। इस स्थिति में अंत के अतिरिक्त तीन वर्ण बैंक की शाखा विशेष के कोड को दर्शाते हैं। नीचे चित्र में आप दोनों स्विफ्ट संकेतों की व्यवस्था को आसानी से समझ सकते हैं।

SWIFT द्वारा प्रदान किए गए इन कोड्स से ही दुनियाँ में मौजूद किसी विशेष वित्तीय संस्थान की पहचान सुनिश्चित हो पाती है। SWIFT की कार्यप्रणाली को एक उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता है। मान लें कोई व्यक्ति “A” जो अमेरिका में रहता है भारत में अपने मित्र “B” को USD 1000 की आर्थिक सहायता भेजना चाहता है। A का खाता बैंक ऑफ अमेरिका की न्यूयॉर्क शाखा में है, जबकि B भारतीय स्टेट बैंक की दिल्ली शाखा का ग्राहक है।

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A जब ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से अपने मित्र को भुगतान करने की कोशिश करेगा तो उसे लाभार्थी के बैंक का SWIFT कोड प्रदान करना होगा। एक बार A द्वारा भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दिए जाने पर बैंक ऑफ अमेरिका (A का बैंक) SWIFT कोड की सहायता से दिल्ली स्थित भारतीय स्टेट बैंक को संदेश भेजेगा और उक्त संदेश मिलने पर B का बैंक उसके खाते में USD 1000 क्रेडिट कर देगा।

SWIFT का इस्तेमाल करने वाले वित्तीय संस्थान

हालाँकि SWIFT का इस्तेमाल मुख्यतः वैश्विक स्तर पर मुद्रा के लेन-देन के लिए किया जाता है, जिसमें बैंक प्रमुख संस्थान हैं, किन्तु समय के साथ स्विफ्ट ने अन्य वित्तीय संस्थानों को भी सेवा देना शुरू किया है। ऐसे कुछ महत्वपूर्ण संस्थान, जो स्विफ्ट सिस्टम का हिस्सा हैं नीचे उल्लेखित हैं।

  • Securities Dealers
  • Clearing Houses
  • Exchanges
  • Corporate Business Houses
  • Brokerage Institutes
  • Asset Management Companies
  • Depositories
  • Treasury Market Participants 
  • Foreign Exchange & Money Brokers

SWIFT को कौन नियंत्रित एवं संचालित करता है?

SWIFT सहकारी संरचना पर आधारित व्यवस्था है अतः यह किसी एक देश द्वारा नियंत्रित नहीं है, बल्कि इसका स्वामित्व अलग-अलग सदस्यों के पास है। इसकी देखरेख G-10 देशों के केन्द्रीय बैंकों (Bank of Canada, Deutsche Bundesbank, European Central Bank, Banque de France, Banca d’Italia, Bank of Japan, De Nederlandsche Bank, Sveriges Riksbank, Swiss National Bank, Bank of England, USA Federal Reserve) समेत बेल्जियम के केन्द्रीय बैंक तथा यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा की जाती है। स्विफ्ट के शेयरधारक दुनियाँ भर के बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 स्वतंत्र निदेशकों के बोर्ड (Board of Directors) का चुनाव करते हैं। कंपनी के प्रबंधन तथा संचालन के लिए यही निदेशक मण्डल उत्तरदाई होता है।

SWIFT प्रतिबंध का किसी देश पर असर

जैसा कि, हमनें ऊपर बताया SWIFT अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में अहम भूमिका अदा करता है अतः किसी देश को इससे प्रतिबंधित करने का उस देश की अर्थव्यवस्था पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ये प्रतिबंध देश की सरकारों, उद्योगों समेत आम नागरिक को प्रभावित करते हैं। गौरतलब है कि, SWIFT से किसी देश को प्रतिबंधित करने से आशय, उस देश के महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों जैसे बैंक इत्यादि को इस सुविधा से बाहर करना है।

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SWIFT प्रतिबंध के किसी देश पर पड़ने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों की बात करें तो मुख्यतः ऐसे देश अन्य देशों के साथ किसी भी प्रकार का वित्तीय लेन-देन नहीं कर पाएंगे। देश का आयात-निर्यात नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा, देश के नागरिकों को किसी वस्तु या सेवा के लिए अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करने में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, देश से बाहर काम कर रहे लोगों के लिए देश में मुद्रा भेजना तथा देश के बाहर शिक्षा ग्रहण कर रहे लोगों के लिए मुद्रा प्राप्त करना मुश्किल होगा।

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SWIFT प्रतिबंध का रूस पर क्या होगा असर

साल 2012 में अमेरिका तथा यूरोपीय यूनियन द्वारा ईरान को SWIFT से उसके परमाणु कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंधों के तहत बाहर कर दिया गया। परिणामस्वरूप ईरान को तेल निर्यात राजस्व में 50%, जबकि विदेशी व्यापार में 30% का नुकसान उठाना पड़ा। रूस की बात करें तो तेल एवं गैस निर्यात का इसकी अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा हिस्सा है। यूरोप के अधिकांश देशों की गैस एवं तेल की आपूर्ति रूस द्वारा ही करी जाती है। नीचे चित्र में आप यूरोपीय देशों की रूसी गैस पर निर्भरता को देख सकते हैं।

आँकड़े : Statista

अतः SWIFT से प्रतिबंधित करने के चलते रूस के लिए निर्यात करना पूर्व की तुलना में कठिन होगा। हालाँकि इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि, अधिकांश यूरोपीय देश तेल एवं गैस की आपूर्ति के लिए पूर्णतः रूस पर ही निर्भर हैं अतः रूस के संबंध में ये प्रतिबंध दोनों पक्षों को प्रभावित करेंगे। इसके अतिरिक्त स्विफ्ट प्रतिबंध के परिणामस्वरूप रूस की दुनियाँ भर के वित्तीय बाजारों तक पहुँच कम होगी तथा यह प्रतिबंध रूसी कंपनियों एवं व्यक्तियों के लिए आयात का भुगतान करने और निर्यात के लिए नकद प्राप्त करने को कठिन बना देगा।

SWIFT के अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के अन्य विकल्प

हालाँकि SWIFT की वर्तमान में इसके विशाल नेटवर्क एवं स्वीकार्यता के चलते अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका है, किन्तु किसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए इसे प्रतिस्थापित करना आने वाले समय में बहुत मुश्किल नहीं होगा। जैसा कि, हम जानते हैं स्विफ्ट एक संदेश प्रणाली है यह कोई पेमेंट सिस्टम नहीं है अतः भुगतान के विपरीत भुगतान से जुड़े संदेश को कई अलग-अलग तरीकों से भेजा जा सकता है।

उदाहरण के तौर पर 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर आक्रमण करने के बाद रूसी सेंट्रल बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में पश्चिमी देशों के एकाधिकार को काम करने के लिए स्विफ्ट जैसी एक संदेश प्रणाली System for Transfer of Financial Messages (SPFS) की शुरुआत की। वर्तमान में रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों के तकरीबन 400 वित्तीय संस्थान इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।

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रूस के अलावा 2015 में चीन ने अन्य देशों खासकर बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल देशों की अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने तथा युआन के वैश्विक इस्तेमाल को बढ़ाने के उद्देश्य से Cross-Border Interbank Payment System (CIPS) नेटवर्क की शुरुआत करी। CIPS में कई देशों में अप्रत्यक्ष प्रतिभागी शामिल हैं। CIPS के प्रत्यक्ष प्रतिभागी (Direct Participants) इसके माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष प्रतिभागी ज्यादातर SWIFT के माध्यम से प्रत्यक्ष प्रतिभागियों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

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