सूपरनोवा (Supernova in Hindi) तथा व्हाइट ड्वॉर्फ क्या हैं तथा किस प्रकार बनते हैं?

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तारे (Stars)

हमारे ब्रह्मांड में अनेकों तारे हैं, जिन्हें हम रात में अपनी आंखों से चमकते हुए देखते हैं। धरती पर उर्ज़ा का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य भी एक तारा ही है तथा सूर्य से भी बड़े तारे ब्रह्मांड में मौजूद हैं। कोई भी तारा किसी नाभिकीय संयंत्र की भांति कार्य करता है अर्थात उसके भीतर नाभिकीय क्रियाएं संचालित होती हैं तथा इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप निकलने वाली अत्यधिक उर्ज़ा के कारण ही तारे चमकते हुए दिखाई देते हैं।

तारों की ऊर्जा

तारों में नाभिकीय संलयन की क्रिया संचालित होती है। जब दो हल्के तत्वों के नाभिक मिलकर किसी नए तत्व का निर्माण करते हैं तो यह प्रक्रिया नाभिकीय संलयन कहलाती है। इस अभिक्रिया के फलस्वरूप अत्यधिक उर्ज़ा मुक्त होती है। हाइड्रोजन के दो समस्थानिक ड्यूटीरियम (एक प्रोटोन तथा एक न्यूट्रॉन) एवं ट्राइटियम (एक प्रोटॉन तथा दो न्यूट्रॉन) मिलकर एक हीलियम के नाभिक (दो प्रोटॉन तथा दो न्यूट्रॉन) का निर्माण करते हैं।

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इस अभिक्रिया में हीलियम नाभिक के साथ एक न्यूट्रॉन तथा अत्यधिक उर्ज़ा मुक्त होती है। चूँकि दो हाइड्रोजन नाभिकों का भार एक हीलियम नाभिक से अधिक होता है अतः संलयन के बाद बचा हुआ द्रव्यमान उर्ज़ा में बदल जाता है। सूर्य से हमें मिलने वाला प्रकाश तथा ऊष्मा इसी उर्ज़ा के उदाहरण हैं।

सूपरनोवा क्या है? (Supernova in Hindi)

तारों के कोर में होने वाली नाभिकीय संलयन की क्रिया के फलस्वरूप अत्यधिक मात्रा में उर्ज़ा मुक्त होती है, जो तारे के गुरुत्वाकर्षण बल को संतुलित करती है। एक समय के बाद, जब तारे का समस्त ईंधन खत्म हो जाता है अर्थात नाभिकीय संलयन की क्रिया संभव नहीं हो पाती इस स्थिति में तारे में उर्ज़ा बननी बंद हो जाती है तथा गुरुत्वाकर्षण बल अधिक प्रभावी हो जाता है फलस्वरूप तारा सिकुड़ने लगता है।

अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण बल के चलते एक समय के बाद तारे में उपलब्ध तत्वों के इलेक्ट्रॉन पमाणु से मुक्त हो जाते हैं तथा उनके मध्य लगने वाला प्रतिकर्षण बल तारे के गुरुत्वाकर्षण बल को संतुलित करता है और तारा पुनः सिकुड़ना बंद हो जाता है। इस स्थिति में तारा पृथ्वी जितने बड़े एक सफेद चमकते तारे में बदल जाता है, जिसे व्हाइट ड्वॉर्फ(White Dwarf) कहते हैं।

white dwarf
व्हाइट ड्वॉर्फ तारा

यदि कोई तारा बहुत बड़ा (सूर्य के द्रव्यमान से 8 गुना या अधिक) हो तो ऐसे में एक समय के बाद, जब तारा बहुत सिकुड़ जाता है तो अत्यधिक दबाव के कारण उसके कोर में भयानक विस्फोट होता है तथा उसका सारा द्रव्यमान अंतरिक्ष में फैलने लगता है। यह विस्फोट सुपरनोवा (Supernova in Hindi) कहलाता है। इसके परिणामस्वरूप तारा न्यूट्रॉन तारे या ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाता है।

इसके अतिरिक्त यदि कोई दो तारे एक दूसरे की परिक्रमा कर रहे हों, जिसमें एक लगभग पृथ्वी के आकार का व्हाइट ड्वार्फ तारा हो तो, ऐसी स्थिति में व्हाइट ड्वार्फ (White Dwarf in Hindi) दूसरे तारे के समस्त द्रव्यमान को अवशोषित कर लेता है और अत्यधिक द्रव्यमान हो जाने के कारण उसमें विस्फोट हो जाता है और सूपरनोवा (Supernova) जैसी घटना होती है।

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