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पदार्थ (Matter)
ऐसा कुछ जो स्थान घेरता हो तथा जिसका कुछ द्रव्यमान हो पदार्थ कहलाता है। हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के पदार्थों को देखते हैं। पदार्थ मुख्यतः पाँच अवस्थाओं में पाए जाते हैं जिनमें से पृथ्वी में केवल तीन ही अवस्थाएं मिलती हैं जिन्हें हम दैनिक जीवन में देखते या महसूस करते हैं। आइये विस्तार समझते हैं पदार्थ की इन विभिन्न अवस्थाओं (States of Matter in Hindi) को।
ठोस (Solid)
वे पदार्थ जिनका एक निश्चित आयतन एवं आकार होता है ठोस कहलाते हैं। ठोस पदार्थों में मौजूद अणु बहुत पास पास स्थित होते हैं अतः ये बहुत कम गति कर पाते हैं लिहाज़ा ठोस का आकार निश्चित बना रहता है। इन पदार्थों के अणुओं के मध्य अन्तराणविक बल सबसे अधिक होता है। इसके अतिरिक्त ठोस का घनत्व अधिक होता है तथा इनकी संपीड्यता कम होती है अर्थात इन पर बाह्य दाब का कम प्रभाव पड़ता है।
द्रव (Liquid)
Liquid का आयतन तो निश्चित रहता है किंतु आकार निश्चित नहीं रहता। इन्हें किसी बर्तन में डालने पर यह उस बर्तन का आकार ग्रहण कर लेते हैं। द्रव के अणु ठोस की तुलना में दूर दूर स्थित होते हैं अतः उनके लिए गति करना ठोस की तुलना में आसान होता है जिस कारण द्रव अपना आकर परिवर्तित करता रहता है। इनका घनत्व ठोस की तुलना में कम होता है। द्रवों में संपीड्यता ठोसों से अधिक होती है अर्थात बाह्य दाब का प्रभाव ठोसों से अधिक पड़ता है।
गैस (Gas)
गैसों के अणु द्रव की तुलना में अधिक दूर स्थित होते हैं। अतः यह द्रव की तुलना में और अधिक गतिशील होते हैं। परिणामस्वरूप गैसों का आयतन तथा आकर कुछ भी निश्चित नहीं होता। ये किसी बर्तन में डालने पर उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेती हैं। इनमें संपीड्यता सबसे अधिक पायी जाती है अर्थात इन पर बाह्य दाब का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है।
प्लाज़्मा (Plasma)
ऊपर बताई गई तीनों अवस्थाएं धरती पर सामान्य परिस्थितियों में पाई जाती हैं किन्तु पदार्थ की प्लाज़्मा अवस्था धरती पर नहीं पाई जाती। किसी पदार्थ की प्लाज़्मा अवस्था को प्राप्त करने के लिए अत्यधिक तापमान की आवश्यकता होती है। आप जानते हैं कोई भी पदार्थ मूलभूत कणों इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है जो आपस में मिलकर किसी तत्व के एक परमाणु का निर्माण करते हैं। अत्यधिक ताप के कारण किसी परमाणु से ये मूलभूत कण स्वतंत्र हो जाते हैं और आवेशित कणों का एक बादल बन जाता है पदार्थ की ये अवस्था प्लाज़्मा कहलाती है। ब्रह्मांड का लगभग 96% हिस्सा प्लाज़्मा से ही बना है। यह अवस्था सूर्य तथा अन्य तारों की सतह पर पाई जाती है। सोलर विंड इसका उदाहरण है।
बोस-आइन्स्टाइन कन्डेनसेट
कुछ विशेष तत्वों को यदि -273 डिग्री सेल्सियस या परम शून्य ताप तक ठंडा किया जाए तो ऐसे तत्वों के परमाणुओं की गति रुक जाती है तथा सारे परमाणु एक परमाणु की भाँति व्यवहार करने लगते हैं। पदार्थ की यह अवस्था बोस-आइन्स्टाइन कन्डेनसेट कहलाती है। इसकी अवधारणा भारतीय गणितज्ञ व भौतिकशास्त्री सत्येंद्र नाथ बोस तथा जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रस्तुत की गई थी। जिस कारण इस अवस्था को यह नाम दिया है।
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