देश का संविधान एवं कानून अपने नागरिकों को विभिन्न प्रकार के अधिकार देता है, जिनका आमतौर पर कोई नागरिक इस्तेमाल करता है, किन्तु कुछ परिस्थितियों में जबकि व्यक्ति किन्हीं कारणों अथवा स्वेच्छा से स्वयं इन अधिकारों का उपयोग करने की स्थिति में ना हो तब वह अपने कुछ अधिकार एक कानूनी दस्तावेज के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकता है। आज इस लेख में हम चर्चा करने जा रहे हैं इसी दस्तावेज की, जिसे पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) कहा जाता है, यहाँ विस्तार से समझेंगे पावर ऑफ अटॉर्नी क्या है, पावर ऑफ अटॉर्नी किन परिस्थितियों में जारी करी जाती है, इसके कितने प्रकार है तथा इससे जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण बातें।
पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) क्या है?
पावर ऑफ अटॉर्नी एक महत्वपूर्ण विधिक दस्तावेज है, जिसे एक व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को, उसकी ओर से (दस्तावेज में उल्लिखित मामलों के संबंध में) निर्णय लेने अथवा उसके स्थान पर कार्यवाही करने का अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किया जाता है। गौरतलब है कि, उक्त दस्तावेज एक से अधिक व्यक्तियों को भी जारी किया जा सकता है।
अधिकार प्रदान करने वाला व्यक्ति ‘प्रिंसिपल’ या अधिकारदाता कहलाता है, जबकि ऐसा व्यक्ति, जिसे अधिकार प्रदान किए गए हैं को पावर ऑफ अटॉर्नी धारक या ‘एजेंट’ कहा जाता है। प्रिंसिपल एवं एजेंट प्रमुखता से इस्तेमाल होने वाली शब्दावलियाँ हैं। उक्त दस्तावेज के कानूनी वैधता की बात करें तो यह पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट, 1882 द्वारा शासित होता है।
पावर ऑफ अटॉर्नी के द्वारा हस्तांतरित होने वाले अधिकार
हालाँकि पावर ऑफ अटॉर्नी किसी भी अधिकार के संबंध में जारी करी जा सकती है, किन्तु व्यापक स्तर पर इनका उपयोग संपत्ति अथवा वित्तीय मामलों में ही किया जाता है। कोई व्यक्ति अपनी किसी चल अथवा अचल संपत्ति के संबंध में कई प्रकार के अधिकार (संपत्तियों को बेचना, गिरवी रखना, उनकी देख-रेख करना आदि) रखता है, पावर ऑफ अटॉर्नी की सहायता से संपत्ति का मालिक किसी अन्य व्यक्ति को अपने कुछ अधिकार हस्तांतरित कर सकता है।
पावर ऑफ अटॉर्नी द्वारा प्रदान किए जाने वाले अधिकारों के उदाहरणों की बात करें तो विदेश में निवास कर रहा कोई भारतीय किसी दूसरे व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से भारत में मौजूद उसकी संपत्ति को बेचने, किराए पर देने, गिरवी रखने, संपत्ति की देख-रेख करने जैसे अधिकार हस्तांतरित कर सकता है।
इसके अतिरिक्त पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने बैंक खातों के संचालन का अधिकार भी प्राप्तकर्ता को हस्तांतरित कर सकता है, जिसमें प्रिंसिपल की ओर से बैंक चैक जारी करना, खाते से किसी अन्य माध्यम से आहरण करना जैसे अधिकार शामिल हैं।
पावर ऑफ अटॉर्नी कितने प्रकार की होती हैं?
पावर ऑफ अटॉर्नी सामान्य तौर पर दो प्रकार की होती हैं, हालाँकि अधिकारों के तौर पर इनका और वर्गीकरण भी किया जाता है, जिसे हम आगे समझेंगे आइए पहले समझते हैं दो मुख्य प्रकार की पावर ऑफ अटॉर्नी कौन सी है।
सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी (General Power of Attorney)
सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी (General Power of Attorney) किसी व्यक्ति द्वारा उस स्थिति में जारी करी जाती है जब वह एजेंट (जिसे पावर ऑफ अटॉर्नी जारी की जानी है) से, उसके (प्रिंसिपल) नाम पर व्यापक मामलों में निर्णय लेने की अपेक्षा रखता है। इसकी अवधि अनिश्चित काल की होती है, हालाँकि इसे प्रिंसिपल द्वारा कभी भी रद्द किया जा सकता है। पावर ऑफ अटॉर्नी के दूसरे प्रकार के विपरीत यह धारक को अधिक अधिकार प्रदान करता है, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण अधिकार निम्नलिखित हैं-
- प्रिंसिपल से जुड़ी सभी चल अचल संपत्तियों के संबंध में निर्णय लेने के अधिकार
- बीमा पॉलिसी की खरीद
- बैंक खातों का प्रबंधन
- दावों का निपटान
- किसी भी प्रकार का निवेश करना तथा निवेश से बाहर निकलना
- करों (Taxes) का भुगतान
- बिलों का भुगतान
- उपहार एवं डोनेशन करना
स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी (Special Power of Attorney)
विशेष पावर ऑफ अटॉर्नी (Special Power of Attorney) किसी व्यक्ति द्वारा किसी कार्य विशेष के लिए अथवा किसी निश्चित समयावधि के लिए जारी की जाती है, दोनों में से किसे के भी पूर्ण होने की स्थिति में यह स्वतः रद्द हो जाती है। इस प्रकार की पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट को प्रिंसिपल के संबंध में निर्णय लेने के लिमिटेड अधिकार देती है, जिस कारण इसे लिमिटेड पावर ऑफ अटॉर्नी भी कहा जाता है।
इसके उदाहरण को देखें तो किसी व्यक्ति, जिसे एक समय में किन्हीं दो महत्वपूर्ण कार्यों को निष्पादित करने हेतु दो भिन्न स्थानों पर मौजूद होना है, जो कि प्रायोगिक नहीं है तब ऐसी स्थिति में वह किसी अन्य व्यक्ति को अपने कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर किसी कार्य विशेष को पूरा करने के लिए स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी जारी कर सकता है।
अन्य प्रकार की पावर ऑफ अटॉर्नी
ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी (Durable Power of Attorney) : सामान्य स्थिति में जब प्रिंसिपल या एजेंट में से कोई एक मानसिक रूप से अक्षम हो जाए तो पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द हो जाती है, किन्तु यदि कोई व्यक्ति इस उद्देश्य से अपने अधिकार अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करना चाहता है कि, भविष्य में उसके खराब मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति में भी एजेंट पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से उसके अधिकारों का इस्तेमाल करता रहे इसके लिए लिखित पावर ऑफ अटॉर्नी ड्यूरेबल कहलाती है तथा यह भविष्य में प्रिंसिपल की मानसिक अक्षमता के आधार पर रद्द नहीं होती है।
अखंडनीय पावर ऑफ अटॉर्नी (Irrevocable Power of Attorney) : ऐसी पावर ऑफ अटॉर्नी, जिसे प्रिंसिपल द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है अखंडनीय या अपरिवर्तनीय पावर ऑफ अटॉर्नी कहलाती हैं। यह मुख्यतः सामान्य PoA ही है, जिसमें इसके स्थाई होने का उल्लेख किया जाता है। हालाँकि केवल “Irrevocable” शब्द लिखने मात्र से यह तय नहीं किया जा सकता कि, पावर ऑफ अटॉर्नी की शक्ति अपरिवर्तनीय हैं। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि, पावर ऑफ अटॉर्नी के बदले प्रिंसिपल को एजेंट द्वारा कोई प्रतिफल दिया गया हो।
इसके नाम के विपरीत कुछ स्थितियों में एक अपरिवर्तनीय पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द भी किया जा सकता है। यदि एजेंट प्रिंसिपल के सर्वोत्तम हितों के विपरीत कार्य करके अपने पद का दुरुपयोग कर रहा है, तो प्रिंसिपल पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द करने के लिए अदालती कार्यवाही कर सकता है।
पावर ऑफ अटॉर्नी कौन जारी कर सकता है?
कोई भी व्यक्ति, जो मानसिक रूप से स्वस्थ है अथवा पागल नहीं है एवं 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है किसी अन्य व्यक्ति के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी लिख सकता है। यहाँ वर्णित व्यक्ति द्वारा यह कानूनी दस्तावेज ऐसी परिस्थितियों के लिए लिखा जाता है, जब वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन अथवा अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने में शारीरिक, मानसिक या किसी अन्य कारणों से सक्षम नहीं हो। उदाहरण के तौर पर विदेशों में रह रहे भारतीय जो देश में अपनी संपत्ति, बिजनेस आदि का प्रबंधन करने में समर्थ नहीं हैं, शारीरिक रूप से अस्वस्थ या वृद्ध व्यक्ति एवं विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोग।
पावर ऑफ अटॉर्नी का पंजीकरण
किसी भी पावर ऑफ अटॉर्नी को लिखने के पश्चात उसे भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के तहत रजिस्टर्ड करवाया जाना चाहिए हालाँकि पावर ऑफ अटॉर्नी के प्रत्येक प्रकार के लिए यह अनिवार्य नहीं है, किन्तु पंजीकृत करने से दस्तावेज की कानूनी वैधता बड़ जाती है। पावर ऑफ अटॉर्नी का पंजीकरण उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में किया जाना चाहिए, कोई भी पावर ऑफ अटॉर्नी जब तक पंजीकृत ना हो न्यायालय के समक्ष साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत नहीं करी जा सकती है। इसके अलावा ऐसी कोई पावर ऑफ अटॉर्नी, जिसमें किसी संपत्ति को बेचने का अधिकार नहीं दिया गया है उसे पंजीकृत करने के स्थान पर केवल नोटरी वकील से नोटेराइज भी करवाया जा सकता है।
पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द कैसे किया जाता है?
पावर ऑफ अटॉर्नी को प्रिंसिपल (जारीकर्ता) द्वारा किसी भी समय रद्द किया जा सकता है। इसके प्रकारों, जिन्हें हमनें ऊपर समझा के अनुसार उन्हें रद्द करने का प्रावधान है। यदि पावर ऑफ अटॉर्नी विशेष प्रकार की (Special Power of Attorney) हो तब वह उसकी वैधता के पश्चात स्वतः भी रद्द हो जाती है, जबकि सामान्य प्रकृति की पावर ऑफ अटॉर्नी (General Power of Attorney) को रद्द करने हेतु प्रिंसिपल द्वारा इसकी सूचना एजेंट को एक नोटिस के माध्यम से दी जानी चाहिए तथा स्थानीय समाचार पत्र में भी इसका इश्तेहार दिया जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त अपरिवर्तनीय पावर ऑफ अटॉर्नी को रद्द करने के संबंध में हम ऊपर बता चुके हैं। कुछ ऐसी परिस्थितियाँ भी हैं, जब कोई पावर ऑफ अटॉर्नी स्वतः ही रद्द हो जाती है इन परिस्थितियों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- यदि प्रिंसिपल या एजेंट की मृत्यु हो जाए
- यदि प्रिंसिपल या एजेंट में से कोई भी मानसिक रूप से अक्षम हो जाए (ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी को छोड़कर)
- यदि प्रिंसिपल किसी दुर्घटना के चलते हस्ताक्षर करना बंद कर दे
- जब एजेंट उल्लिखित जिम्मेदारियों को पूरा करने में सक्षम नहीं रहता
- न्यायालय द्वारा ऐसा किए जाने पर
- पति-पत्नी की स्थिति में यदि वे कानूनी रूप से अलग हो गए हों
पावर ऑफ अटॉर्नी लिखने अथवा प्राप्त करने से पूर्व ध्यान रखने योग्य बातें
यहाँ हमनें कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया है, जिन्हें किसी व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी जारी करने (प्रिंसिपल की स्थिति में) तथा प्राप्त करने (एजेंट की स्थिति में) से पहले ध्यान में रखना चाहिए।
(i) चूँकि पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग किया जा सकता है, कोई बेईमान एजेंट प्रिंसिपल की संपत्ति को स्वयं अथवा दूसरों को हस्तांतरित करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग कर सकता है। इसलिए ऐसा एजेंट नियुक्त करना बहुत जरूरी है जो पूरी तरह से भरोसेमंद हो।
(ii) जैसा कि, हमने ऊपर भी बताया पावर ऑफ अटॉर्नी का पंजीकृत होना आवश्यक है अतः सुनिश्चित करें कि, पावर ऑफ अटॉर्नी विधिवत पंजीकृत है और राज्य द्वारा निर्धारित स्टांप शुल्क का भुगतान किया गया है जहाँ पीओए निष्पादित किया जाना है।
(iii) दस्तावेज में प्रिंसिपल एवं एजेंट दोनों के हस्ताक्षर एवं फोटोग्राफ संलग्न होने चाहिए।
(iv) PoA को प्राप्त कर रहे व्यक्ति को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि, क्या PoA के जारीकर्ता के पास संपत्ति का वैध अधिकार है और उसका नाम सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में मालिक के रूप में दर्शाया गया है।
(v) यदि विदेश में पीओए निष्पादित किया जा रहा है, जैसा कि, प्रवासी भारतीयों की स्थिति में आम है, तो सुनिश्चित करें कि इसे भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों के समक्ष नोटरीकृत या हस्ताक्षरित किया गया है।