भारत में आयकर कानून के तहत नकद लेन-देन को लेकर सख्त और नए नियम और सीमाएँ लागू की गई हैं। इन नियमों का पालन करना न केवल कानूनी आवश्यक है, बल्कि यह आपकी वित्तीय सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में भी मदद करता है। आयकर विभाग नकद लेन-देन की निगरानी करता है, क्योंकि यह कर चोरी और अन्य वित्तीय अनियमितताओं का प्रमुख स्रोत हो सकता है। यदि आप इन नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो आपको भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति और साख पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आयकर विभाग के अनुसार नकद लेन-देन पर नियंत्रण के लिए कई प्रावधान किए हैं, जैसे कि एक निश्चित सीमा से अधिक नकद लेन-देन पर प्रतिबंध, नकद में बड़े खर्चों की रिपोर्टिंग, और नकद दान एवं ऋण पर विशेष नियम। ये प्रावधान देश में वित्तीय पारदर्शिता और टैक्स कंप्लायंस बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। इन नियमों को समझना और उनका पालन करना न केवल आपको कानूनी समस्याओं से बचाता है, बल्कि आपकी वित्तीय योजनाओं को अधिक प्रभावी और सुरक्षित भी बनाता है। नकद लेन-देन के नियमों पर जागरूकता हर नागरिक के लिए अत्यंत आवश्यक है।
एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक कैश प्राप्त करना है प्रतिबंधित
भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 269ST के तहत, एक ही दिन में 2 लाख रुपये से अधिक नकद प्राप्त करना कानून का उल्लंघन माना जाता है। यह प्रतिबंध एक व्यक्ति द्वारा एक ही लेनदेन या विभिन्न लेनदेन के माध्यम से की गई कुल नकद प्राप्ति पर लागू होता है। चाहे यह राशि एक ही स्रोत से मिले या विभिन्न स्रोतों से, अगर कुल नकद प्राप्ति 2 लाख रुपये से अधिक है, तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
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इस कानून का उद्देश्य नकद लेनदेन को सीमित करना और डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना है। यदि कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो आयकर विभाग उल्लंघन की पूरी राशि पर भारी जुर्माना लगा सकता है। यह जुर्माना राशि के बराबर हो सकता है। इसलिए, नकद लेनदेन करते समय इन नियमों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
व्यवसाय के लिए कैश खर्च की सीमा
व्यवसायिक खर्चों में नकद लेनदेन के लिए सरकार ने सख्त नियम बनाए हैं। ₹10,000 से अधिक का नकद खर्च टैक्स गणना में शामिल नहीं किया जा सकता। उदाहरण के तौर पर, यदि आपने किसी सप्लायर को ₹15,000 नकद भुगतान किया, तो यह टैक्स छूट के लिए अयोग्य होगा। हालांकि, परिवहन क्षेत्र में यह सीमा ₹35,000 तक है। इन नियमों का उद्देश्य व्यवसायों में अत्यधिक नकद उपयोग को नियंत्रित करना और टैक्स चोरी की संभावनाओं को कम करना है। डिजिटल भुगतान और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे प्रावधान लागू किए गए हैं, जो वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देते हैं।
संपत्ति खरीदने और बेचने में कैश का उपयोग
2 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए नकद भुगतान की अनुमति नहीं है। ऐसे लेन-देन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और नकद लेन-देन से जुड़े जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से यह प्रतिबंध लागू किया गया है। इसके तहत संपत्ति खरीद या बिक्री के लिए केवल बैंकिंग माध्यम जैसे चेक, डिमांड ड्राफ्ट, या ऑनलाइन ट्रांसफर का उपयोग अनिवार्य है। यह नियम काले धन पर रोक लगाने और वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड में लाने के लिए बनाया गया है, ताकि आर्थिक प्रणाली अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनी रहे।
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