नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। पिछले लेख में हमने भारत चीन के राजनीतिक रिश्तों के बारे में समझा था आज चर्चा करेंगे भारत- चीन आर्थिक रिश्तों के बारे में तथा जानेंगे दोनों देशों के मध्य होने वाले व्यापार को और यह भी देखेंगे क्या चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना वर्तमान परिस्थिति में संभव है? तो अंत तक पड़ते रहिये इस लेख को। (India China Economic Relation – in Hindi)
भारत चीन आर्थिक संबंध
दोनों देशों के मध्य आर्थिक रिश्तों की बात करें तो प्राचीनकाल से ही जब से सभ्यताओं का उदय हुआ दोनों देशों के मध्य व्यापार होता रहा है। चीन भारत से चाय, कहवा, मसाले आदि आयात करता था जबकि भारत को वस्त्र उद्योगों के लिए रेशम, चीनी मिट्टी के बर्तन आदि का निर्यात करता था।
समय बढ़ने के साथ साथ सभ्यताएं विकसित होती गयी तथा प्रौद्योगिकी ने मानव जीवन में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया जिसके चलते हमारी आवश्यकताएं भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं परिणामस्वरूप दुनियाँ के अलग अलग देशों के साथ व्यापार या आर्थिक संबंध भी समय के साथ मजबूत हुए हैं। भारत चीन के आर्थिक संबंध भी इसका ही एक उदाहरण है।
चीन से आयात
वर्तमान समय की बात करें तो भारत अमेरिका के बाद चीन से ही सबसे अधिक व्यापार करता है। भारत के कुल आयात में चीन से किये गए उत्पादों का हिस्सा लगभग 14% है। जिनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दवाएं, रसायन, ऑटोमोबाइल पुर्ज़े आदि मुख्य हैं। दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, स्मार्ट टेलीविजन, खिलौने आदि का एक बहुत बड़ा हिस्सा चीन द्वारा ही निर्यात किया जाता है वहीं भारत मे बनने वाली दवाओं के घटकों की बात करें तो लगभग 70 फीसदी दवाओं को बनाने के लिए हम चीन पर निर्भर हैं। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने चीन से कुल 65.26 अरब डॉलर का आयात किया।
चीन को निर्यात
चीन को किया जाने वाला निर्यात चीन से किये जाने वाले आयात की तुलना में बहुत कम है। वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने कुल 16 अरब डॉलर का निर्यात चीन को किया जो कुल आयात का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है। भारत द्वारा निर्यात किये जाने वाले उत्पादों में मुख्यतः सूती धागे, खनिज अयस्क, जैविक रसायन प्लास्टिक उत्पाद, रत्न एवं आभूषण हैं, अतः चीन के साथ होने वाले व्यापार में भारत लगभग 48 अरब डॉलर के घाटे में रहा।
भारत का चीन में निवेश
चीन के भारत में निवेश पर नज़र डालें तो यह लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। जिसमें से 4 बिलियन डॉलर भारत के 85 से अधिक स्टार्टअप्स में निवेशित है। देश की 30 में से 18 यूनिकॉर्न कम्पनियों में चीनी निवेशकों ने निवेश किया है। यूनिकॉर्न कम्पनियाँ उन्हें कहा जाता है जिनका मार्केट कैपिटल 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो। सर्वाधिक कम्पनियों में निवेश करने वालों में अली बाबा ग्रुप तथा टेनसेंट जैसी कंपनियाँ शामिल हैं। चीनी निवेश वाले इन स्टार्टअप्स में मुख्यतः निम्नलिखित कम्पनियाँ शामिल हैं।
- PayTm
- Snapdeal
- Ola
- Make my trip
- Big basket
- Dream 11
- Zomato
- Swiggy
- Byju’s
- Hike messenger
- Gaana
- MX player
भारतीय बाजारों में चीनी उत्पाद
भारत की बड़ी कंपनियों में चीन की हिस्सेदारी के बारे में हमने ऊपर समझा आइये अब एक नज़र भारत के बाजारों में बिकने वाले चीनी उत्पादों की ओर डालते हैं तथा समझते हैं किन किन क्षेत्रों में हम चीनी कंपनियों पर लगभग निर्भर हो चुके हैं। भारत के बाजारों में मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चीन की हिस्सेदारी काफी अधिक है हाँलाकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीनी उत्पाद अन्य कंपनियों की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध होते हैं।
इसके अतिरिक्त यदि भारत की प्रति व्यक्ति आय को देखा जाए तो लोग आर्थिक मजबूरी के चलते भी सस्ते अर्थात चीनी उत्पादों की ओर आकर्षित होते हैं। नीचे कुछ चीनी कंपनियों तथा उनके उत्पादों की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी को दर्शाया गया है। निम्नलिखित आंकड़े साल 2019-20 के हैं।
वस्तुएं | चीनी कम्पनियों की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी |
---|---|
स्मार्टफोन | शाओमी (29%) , वीवो (17%) ओप्पो ( 11%) रियलमी (11%) कुल 68% |
स्मार्ट टेलीविजन | 40 से 45% |
घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण | 10 से 12% |
टेलीकॉम उपकरण | 10 से 15% |
ऑटोमोबाइल पुर्जे | 20 से 26% |
इंटरनेट ऍप्लिकेशन | 30 से 40% |
फार्मा | 60% |
सौर ऊर्जा | 80 से 90% |
स्टील | 18 से 20% |
भारतीय कंपनियों में भारी निवेश तथा भारतीय बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में चीनी हिस्सेदारी के आंकड़ों को देखते हुए वर्तमान परिस्थिति में यह कह पाना थोड़ा मुश्किल होगा कि चीनी समान का सही मायनों में बहिष्कार किया जा सकता है। छोटे तथा माध्यम व्यापारियों के पास चीनी उत्पादों के अलावा बहुत अधिक विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।
हाँलाकि यह नामुमकिन भी नहीं है, हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वोकल फ़ॉर लोकल अभियान चलाया जिसके अनुसार चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करके स्वदेशी उत्पादन पर जोर देने की बात कही गयी। इसके अतिरिक्त सरकार को चाहिए कि अर्थव्यवस्था के प्राथमिक (कृषि एवं कच्चे माल का उत्पादन) तथा द्वितीयक (कच्चे माल से विनिर्मित माल) क्षेत्रों को भी मजबूत करे जिनमें भारत का प्रदर्शन तृतीयक या सेवा क्षेत्र की तुलना में उतना अच्छा नहीं है।
उम्मीद है दोस्तो आपको ये लेख (India China Economic Relation – in Hindi) पसंद आया होगा टिप्पणी कर अपने सुझाव अवश्य दें। अगर आप भविष्य में ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में पढ़ते रहना चाहते हैं तो हमें सोशियल मीडिया में फॉलो करें तथा हमारा न्यूज़लैटर सब्सक्राइब करें। तथा इस लेख को सोशियल मीडिया मंचों पर अपने मित्रों, सम्बन्धियों के साथ साझा करना न भूलें।