ED का बड़ा एक्शन: MUDA मामले में 300 करोड़ रुपये की 142 संपत्तियां जब्त

बयान में कहा गया, ‘आरोप है कि सिद्धारमैया ने एमयूडीए की ओर से अधिग्रहीत तीन एकड़ 16 गुंटा भूमि के बदले अपनी पत्नी बीएम पार्वती के नाम पर 14 भूखंडों के लिए मुआवजा पाने के लिए अपने…

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से जुड़े धनशोधन मामले में बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने करीब 300 करोड़ रुपये मूल्य की 142 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। यह कार्रवाई एमयूडीए द्वारा भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के तहत की गई है।

ईडी ने बयान में बताया कि ये संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर दर्ज हैं, जो रियल एस्टेट कारोबार और एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य व्यक्तियों के नाम भी शामिल हैं।

बयान के अनुसार, आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एमयूडीए द्वारा अधिग्रहीत तीन एकड़ 16 गुंटा भूमि के बदले अपनी पत्नी बीएम पार्वती के नाम पर 14 भूखंडों का मुआवजा लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, यह भूमि मूल रूप से 3,24,700 रुपये में अधिग्रहीत की गई थी, लेकिन इसके बदले दिए गए 14 भूखंडों का बाजार मूल्य लगभग 56 करोड़ रुपये है।

इस मामले में कर्नाटक लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पूछताछ की है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि यह राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष उनकी बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गया है और इसीलिए ऐसे आरोप लगा रहा है।

बेनामी और डमी लोगों को दी गई जमीन’

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से जुड़े धनशोधन मामले में एक और नई जानकारी सामने रखी है। एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में बेनामी और डमी लोगों को जमीनें आवंटित की गई थीं।

ईडी ने कहा कि एमयूडीए के पूर्व आयुक्त डीबी नटेश की भूमिका प्रमुख रूप से पार्वती को मुआवजा स्थलों के अवैध आवंटन में उजागर हुई है। एजेंसी ने दावा किया कि इन लाभों को वैध स्रोतों से प्राप्त दिखाने का प्रयास किया गया था। आरोप है कि प्रभावशाली लोग और रियल एस्टेट कारोबारी विभिन्न नामों पर बेनामी और डमी लोगों को भूमि आवंटित कर रहे थे।

इसके अलावा, ईडी ने यह भी दावा किया कि एमयूडीए के पूर्व आयुक्त जी टी दिनेश कुमार के रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति, लग्जरी वाहन आदि की खरीद के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से धन भेजा गया था। यह धन बड़ी मात्रा में अनियमित तरीकों से इधर-उधर ट्रांसफर किया गया था।

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